एक बहुत पुराना साम्राज्य था। उस साम्राज्य के बड़े वजीर की मृत्यु हो गयी थी। उस राज्य का यह नियम था कि देशभर में जो सबसे ज्यादा बुद्धिमान आदमी होता, उसी को वजीर बनाते थे। उन्होंने सारे देश में परीक्षाएं लीं और तीन आदमी चुने गये, जो सबसे ज्यादा बुद्धिमान सिद्ध हुए थे। फिर उन तीनों को राजधानी बुलाया गया, अंतिम परीक्षा के लिए। और अंतिम परीक्षा में जो जीत जायेगा, वही राजा का बड़ा वजीर हो जायेगा।
वे तीनों राजधानी आये। वे तीनों चिंतित रहे, पता नहीं क्या परीक्षा होगी? जैसा कि परीक्षार्थी चिंतित होते हैं। उन्हें राजधानी में जो भी मिला, उनसे पूछा कि कुछ पता है?
वे तीनों राजधानी आये। वे तीनों चिंतित रहे, पता नहीं क्या परीक्षा होगी? जैसा कि परीक्षार्थी चिंतित होते हैं। उन्हें राजधानी में जो भी मिला, उनसे पूछा कि कुछ पता है?
और मुश्किल हो गयी। राजधानी में सभी को पता था कि क्या परीक्षा होगी। सारे गांव को मालूम था। सारे गांव ने कहा, परीक्षा! परीक्षा तो बहुत दिन पहले से तय है। राजा ने एक मकान बनाया है और मकान में एक कक्ष बनाया है। उस कक्ष में एक ताला उसने लगाया है। वह ताला गणित की एक पहेली है। उस ताले की कोई चाबी नहीं है। उस ताले पर गणित के अंक लिखे हुए हैं। और जो उस गणित को हल कर लेगा, वह ताले को खोलने में सफल हो जायेगा। तुम तीनों को उस भवन में बंद किया जाने वाला है। जो सबसे पहले दरवाजे खोलकर बाहर आयेगा, वही राजा का वजीर हो जायेगा। वे तीनों घबरा गये होंगे!
एक उनमें से सीधा अपने निवास स्थान पर जाकर सो गया। उन दो मित्रों ने समझा कि उसने, दीखता है, परीक्षा देने का खयाल छोड़ दिया। वे दोनों भागे बाजार की ओर। रात भर का सवाल था, कल सुबह परीक्षा हो जायेगी। उन्हें तालों के संबंध में कोई जानकारी न थी। न तो वे बेचारे चोर थे कि तालों के संबंध में जानते, न ही वे कोई तालों को सुधारने वाले कारीगर थे, न ही वे कोई इंजीनियर थे। और न वे कोई नेता थे, जो सभी चीजों के बाबत जानते! वे कोई भी न थे। वे बहुत परेशानी में पड़ गये कि हम तालों को खोलेंगे कैसे?
उन्होंने जाकर दुकानदारों से पूछा, जो तालों के दुकानदार थे। उन्होंने गणित के विद्वानों से पूछा। उन्होंने इंजीनियरों से जाकर सलाह ली। उन्होंने बड़ी किताबें इकट्ठी कर लीं पहेलियों के ऊपर। वे रात भर किताबों
को कंठस्थ करते रहे, सवाल हल करते रहे। जिंदगी का सवाल था, उन्होंने कहा, सोना उचित नहीं। एक रात न भी सोयें तो क्या हर्ज है?
को कंठस्थ करते रहे, सवाल हल करते रहे। जिंदगी का सवाल था, उन्होंने कहा, सोना उचित नहीं। एक रात न भी सोयें तो क्या हर्ज है?
परीक्षार्थी सभी यही सोचते हैं कि एक रात नहीं सोयें तो क्या हर्जा है। लेकिन सुबह उनको पता चला कि बहुत हर्जा हो गया है। रातभर पढ़ने के कारण जो थोड़ा-बहुत वे जानते थे, वह भी गड़बड़ हो चुका था। सुबह अगर उनसे कोई पूछता कि दो और दो कितने होते हैं, तो वे चौककर रात में अस्त-व्यस्त हो गया था। न मालूम कैसी-कैसी पहेलियां हल की थीं। यही तो होता है परीक्षार्थियों का। परीक्षा के बाहर जिन सवालों को वे हल कर सकते हैं, वे ही परीक्षा में हल नहीं कर पाते!
तीसरा मित्र जो रात भर सोया रहा था, सुबह उठते उठ गया। हाथ-मुंह धोकर उन दोनों के साथ हो लिया। वे तीनों राजमहज पहुंचे। अफवाहें सच थीं। सम्राट ने उन्हें एक भवन में बंद कर दिया और कहा कि इस ताले को खोलकर जो बाहर आ जायेगा-इसकी कोई चाबी नहीं है, यह गणित की एक पहेली है। गणित के अंक ताले के ऊपर खुदे हैं, हल करने की कोशिश करो-जो बाहर निकल आयेगा सबसे पहले, वही बुद्धिमान सिद्ध होगा और उसी को मैं वजीर बना दूंगा। मैं बाहर प्रतीक्षा करता हूं।
वे तीनों भीतर गये। जो आदमी रात भर सोया रहा था, वह फिर आंखें बंद करके एक कोने में बैठ गया। उसके दो मित्रों ने कहा, इस पागल को क्या हो गया है! कहीं आंखें बंद करने से दुनिया के सवाल हल हुए हैं? शायद इसका दिमाग खराब हो गया। वे दोनों मित्र जो होशियार थे, सोचते थे कि उनका दिमाग ठीक था, अपनी किताबें अपने कपड़ों के भीतर छिपा लाये थे। उन्होंने जल्दी से किताबें बाहर निकालीं और अपने सवाल हल करने शुरू कर दिये।
परीक्षार्थी ऐसा न समझें कि आजकल ही परीक्षार्थी होशियार होते हैं। पहले जमाने में भी आदमी इसी तरह के बेईमान थे। बेईमानी बड़ी प्राचीन है। सब किताबें नयी हैं। बेईमानी की किताब बहुत पुरानी है।
उन्होंने जल्दी से किताबें निकालीं। दरवाजा बंद हो चुका था। वे फिर सवाल हल करने लगे। वह आदमी आधा घंटे तक, वह तीसरे नंबर का आदमी, आंख बंद किये बैठा रहा। फिर उठा चुपचाप, जैसे उसके पैरों में भी आवाज न हो। उन दो मित्रों को भी पता न चला। वह उठा, दरवाजे पर गया, दरवाजे को धक्का दिया, दरवाजा अटका हुआ था, उस पर कोई ताला ही नहीं था, वह बाहर निकल गया!
सम्राट ने कहा, यहां कुछ करने की जरूरत ही न थी। दरवाजा सिर्फ अटका हुआ था। और हम यह जानना चाहते थे कि तुम तीनों में से, जो सबसे ज्यादा बुद्धिमान होगा, वह सबसे पहले यह देखेगा कि दरवाजा बंद है या नहीं। इसके पहले कि तुम सवाल हल करो, यह तो जान लेना चाहिए कि सवाल है भी या नहीं?
समस्या हो तो उसका समाधान हो सकता है। और अगर समस्या न हो तो उसका समाधान कैसे हो सकता है? समस्या को पहले जान लेना जरूरी है।
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