7 साल की लड़की लक्ष्मी को गणित (मैथ्स) पढ़ा रहे शिक्षक ने पूछा ,”अगर मैं तुम्हे एक सेब दूँ, फिर एक और सेब दूँ, और फिर एक और सेब दूँ , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जाएँगे?”
लड़की ने कुछ देर सोचा और, और अपनी ऊँगली पर जोड़ने लगी। ”चार”, लड़की का उत्तर आया।
शिक्षक थोड़ा निराश हो गए, उन्हें लगा कि ये तो कोई भी बता सकता था। “शायद बच्चे ने ठीक से सुना नहीं, शिक्षक ने मन ही मन सोचा।
उन्होंने पुनः प्रश्न दोहराया ” ध्यान से सुनो अगर मैं तुम्हें एक सेब दूँ, फिर एक और सेब दूँ , और फिर एक और सेब दूँ , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जाएँगे ?”
लड़की शिक्षक का चेहरा देखकर समझ चुकी थी कि वो खुश नहीं है, वह पुनः अपनी उँगलियों पर जोड़ने लगी, और सोचने लगी कि ऐसा क्या उत्तर बताऊँ जिससे शिक्षक खुश हो जाए। अब उसके दिमाग में ये नहीं था कि उत्तर सही हो, बल्कि ये था कि शिक्षक खुश हो जाएँ।
पर बहुत सोचने के बाद भी उसने संकोच करते हुए कहा, ”चार“।
शिक्षक फिर निराश हो गए, उन्हें याद आया कि लक्ष्मी कों स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद हैं, हो सकता है सेब पसंद न होने के कारण वो अपना ध्यान खो रही हो।
इस बार उसने बड़े प्यार और जोश के साथ पूछा, ”अगर मैं तुम्हे एक स्ट्रॉबेरी दूँ, फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूँ, और फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूँ, तो तुम्हारे पास कितने स्ट्रॉबेरी हो जाएँगी ?”
शिक्षक को खुश देख कर, लक्ष्मी भी खुश हो गई आैर अपनी उँगलियों पर जोड़ने लगी- ण्ण्ण् । अब उसके ऊपर कोई दबाव नहीं था बल्कि शिक्षक को ही चिंता थी कि उसका नया तरीका काम कर जाए।
उत्तर देते समय लक्ष्मी फिर थोड़ा झिझकी और बोली, ”तीन !!!”
शिक्षक खुश हो गए, उनका तरीका काम कर गया था। उन्हें लगा कि अब लक्ष्मी समझ चुकी हैं और अब वह इस तरह के किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सकती है।
“अच्छा बेटा तो बताओ, अगर मैं तुम्हे एक सेब दूँ, फिर एक और सेब दूँ, और फिर एक और सेब दूँ, तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जाएँगे?”
पिछला जवाब सही होने से लक्ष्मी का आत्मविश्वास बढ़ चुका था, उसने बिना समय गँवाए उत्तर दिया, ”चार”।
शिक्षक क्रोधित हो गए, ”तुम्हारे पास दिमाग नहीं है क्या, जरा मुझे भी समझाओ कि चार सेब कैसे हो जाएँगे”।
लड़की डर गई और टूटते हुए शब्दों में बोली , ”क्योंकि मेरे बैग में पहले से ही एक सेब है”।
कई बार ऐसा होता है कि सामने वाले का जवाब हमारे अनुकूल नहीं होता तो हम अपना गुस्सा करने लगते हैं, पर जरूरत इस बात की है कि हम उसके जवाब के पीछे का कारण समझें। विभिन्न माहौल में पले-बढ़े होने के कारण एक ही चीज़ को अलग-अलग तरीकों से देख-समझ सकते हैं, इसलिए जब अगली बार आपको कोई अटपटा जवाब मिले तो एक बार जरूर सोच लीजियेगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आप भी छुपे हुए सेब को नहीं देख पा रहे हैं।
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