रात्रि चर्या में अंतिम एवं महत्वपूर्ण कर्म शमन या नींद लेना होता है। शरीर के स्वास्थ को बनाये रखने के लिए नींद का बहुत बड़ा योगदान है। सारे दिन की विभिन्न क्रियाओं के पश्चात जब मनुष्य का शरीर एवं मस्तिष्क बहुत थक जाता है अतः शरीर के सभी अंगों एवं मन को आराम देने के लिए नींद अति आवश्यक है, मन, मस्तिष्क एवं ज्ञानेन्द्रिय जब शिथिल हो जाता है तथा निष्क्रिय हो जाता है उसे नींद कहते है या मन की ऐसी स्थिति जिसमें उसका संपर्क ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों से दूर जाता है वह अवस्था निद्रा कहलाता है। जब मन एवं मस्तिष्क थक जाते है तो स्वतः ही कर्मेन्द्रिय एवं ज्ञानेंद्रिय से उसका संपर्क टूट जाता है परिणाम स्वरूप कर्मेन्द्रिय एवं ज्ञानेन्द्रिय स्वयं निष्क्रिय हो जाती है। इस अवस्था में श्वास-प्रश्वास तथा रक्त संचार, हृदय की गति, पाचन जैसे महत्वपूर्ण क्रियाओं चलती होती है। शरीर की ऊर्जा में वृद्धि होती है तथा व्यक्ति अपने आप को स्वस्थ, ताजा व उत्साहित महसूस करता है। इस दौरान शरीर के कोशिकाओं का नया निर्माण भी होता है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए नींद अत्यंत आवश्यक कर्म है। जिन व्यक्तियों को नींद नहीं आती। वे अनेक शारीरिक एवं मानसिक रोगों से पीड़ित होते है एवं अनिद्रा रोग से ग्रसित होते है। ठीक इससे विपरीत, ज्यादा नींद भी आलस्य, निष्क्रियता, कफ प्रकोप, मोटापा, मन्दाग्नि आदि रोगों से पीड़ित होते है। एवं कुपोषण, दुर्बलता, अजीर्ण विषाक्तता आदि उत्पन्न होता है। अवस्था भेद से नींद का समय:-
- नवजात शिशु को 24 में 20 घंटा सोना आवश्यक है क्योंकि इससे उनकी शारीरिक वृद्धि तीव्र गति से होती है।
- साधारण स्वस्थ व्यक्ति को 6-8 घंटा का नींद पर्याप्त है।
- वृद्धजनों को चार से छः घंटे की नींद पर्याप्त है।
- स्वच्छ एवं हवादार कमरा हो, जहां वर्षा में पानी ठंड में ठंडी हवा तथा ग्रीष्म ऋतु में गर्म हवा का शीध्र प्रवेश न हो।
- साथ सुथरे-बिछावन हो, सुगन्धित द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए।
- रूचि अनुसार संगीत सुनना या साहित्य पढ़ना।
- बिछावन में सिर दिशा पूर्व या दक्षिण की ओर होना चाहिए।
- मन को शांत रखे, आदि।
- सोते समय शरीर पर मालिश, दूध, मिठाई आदि खाना चाहिए।
शारीरिक दोषों में कफ दोष की तथा मानसिक दोषों में तमस दोष की प्रधानता होने पर नींद आती है। रात्रि का समय निद्रा के लिए अनुकूल होता है क्योंकि इस समय, अंधकार, शोर की कमी, वातावरण शीतल होने से नींद जल्दी और अच्छी आती है इसी तरह अच्छी नींद के लिए जहां शारीरिक श्रम, थकावट का होना भी आवश्यक है। वहीं मानसिक रूप से पूर्णतः शांत रहना अर्थात क्रोध, शोक, भय, चिन्ता आदि मानसिक विकारो से मुक्ती भी होना चाहिए। यह बात सभी लोग जानते है कि भोजन का गहरा सम्बन्ध नींद से होता है भोजन का सही पाचन न होने पर, नींद में बाधा उत्पन्न होती है। अतः रात्रि में यथा संभव जल्दी भोजन कर लेना चाहिए। भोजन के समय एवं सोने के समय के बीच कम से कम एक घंटा का अंतर होना चाहिए। रात्रि का भोजन सुपाच्य एवं हल्का होना चाहिए। भोजन के पश्चात कुछ दूर पैदल भ्रमण करना चाहिए। इससे भोजन का पाचन अच्छा होता है और नींद भी अच्छी आती है।
रात्रि में दही का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह शरीर के अंदर स्थित स्रोतों में रुकावट उत्पन्न करता हैं। चूंकि रात्रि भोजन के बाद व्यक्ति सो जाता है और पाचन क्रिया सोये अवस्था में चलती जाती है जो धीमी होती है परिणामतः स्रोतों में अवरोध होने से नींद बाधित होता है पाचन की क्रिया बाधित होती है।
रात्रि के समय अध्ययन के लिए यह आवश्यक है कि उचित प्रकाश की व्यवस्था हो। कम प्रकाश की उपस्थिति में नेत्रों पर जोर पड़ने से नेत्र ज्योति प्रभावित होती है। दर्शन शक्ति कम होती जाती है जहां तक हो सके रात में कम से कम पढ़ना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर लेखन कार्य करे। परंतु कई विद्वानों का मत है कि सोते समय अध्ययन करना नींद अच्छी आती है। अतः सोते समय मन पसन्द साहित्यों का अध्ययन जरूर करना चाहिए।
महत्वपूर्ण लेख
- बकुची - कुष्ठ रोग, दंत कृमि, श्वास, पीलिया एवं अर्श की रामबाण औषधि
- बढ़ते बच्चों का दैनिक आहार (The Daily Diet of Growing Children)
- उत्तम रोगनाशक रामबाण औषधि - रससिंदूर (Ras Sindoor)
- गुर्दे की पथरी का औषधीय चिकित्सा (Pharmacological Therapy of Kidney Stones)
- स्वप्नदोष रोकने का आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक इलाज
- हाथ और बाँह की सुन्दरता के लिए प्राकृतिक उपचार
- उच्च रक्तचाप के लिए घरेलू उपचार
- सतावर के प्रमुख औषधीय उपयोग
- रात्रि भोजन एवं शयन के मुख्य नियम
- मधुमेह नाशिनी जामुन के अन्य लाभ
- स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है बरगद, पीपल और गूलर
- जटिल समस्या के लिए अचूक औषधि है अलसी
- औषधीय गुणों से युक्त अदरक
- हिस्टीरिया (Hysteria) : कारण और निवारण
- जड़ी बूटी ब्राह्मी - एक औषधीय पौधा
- घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज
Share:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें