Drinking Hot Water is a Medicine
ठण्डे पेय तथा फ्रीज में रखा अथवा बर्फ वाला पानी स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। स्वस्थ अवस्था में हमारे शरीर का तापक्रम 98.4 डिग्री फारहनाइट यानि 37 डिग्री सेन्टीग्रेड के लगभग होता है। जिस प्रकार बिजली के उपकरण एयर कंडीशनर, कू लर आदि चलाने से बिजली खर्च होती है। उसी प्रकार ठण्डे पेय पीने अथवा खाने से शरीर को अपना तापक्रम नियन्त्रित रखने के लिये अपनी संचित ऊर्जा व्यर्थ में खर्च करनी पड़ती है। अतः पानी यथा संभव शरीर के तापक्रम के आसपास तापक्रम जैसा पीना चाहिये।
आजकल सामूहिक भो जों में भोजन के पश्चात् आइसक्रीम और ठण्डे पेय पीने का जो प्रचलन है, वह स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक होता है। गर्मी स्वयं एक प्रकार की ऊर्जा है और शारीरिक गतिविधियों में उसका व्यय होता है। अतः जब कभी हम थकान अथवा कमजोरी का अनुभव करते हैं तब गरम पीने योग्य पानी पीने से शरीर में स्फूर्तिआती है। जिन व्यक्तियों को लगातार अधिक बोलने का अर्थात् भाषण अथवा प्रवचन देने का कार्य पड़ता है, जब वे थकान अनुभव करें, तब ऐसा पानी पीने से पुनः ऊर्जा का प्रवाह सक्रिय होता है। लम्बी तपस्या करने वालों के लिये ऐसा पानी विशेष उपयोगी होता है, जिससे शक्ति का संचार होता है।
गरम पानी सर्दी संबंधी रोगों में क्षीण ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने का सरलतम उपाय होता हैं। साधारणतया रोजाना पानी को उबालकर पीनेसे उसमें रोगाणुओं और संक्रामक तत्त्वों की संभावना नहीं रहती। अतः ऐसा पानी स्वास्थ्य के लिये अधिक उपयोगी होता है। खाली पेट गर्म पानी पीनेसे अम्लपित्त जनित हृदय की जलन और खट्टी डकारें आना दूर हो जाता है। गर्म जल सुखी खांसी की प्रभावशाली औषधि है।सहनीय एक गिलास गर्म जल में थोड़ा सेंधा नमक डालकर पीने से कफ पतला हो जाता है और अंत में खांसी का वेग बहुत कम हो जाता है। खाली पेट दो गिलास गर्म पानी पीने से मूत्र का अवरोध दूर होता है। जिनके मूत्र पीला अथवा लाल हो, मूत्र नली में जलन हो, उनको पीने योग्य गर्मजल पीना चाहिए।
आजकल सामूहिक भो जों में भोजन के पश्चात् आइसक्रीम और ठण्डे पेय पीने का जो प्रचलन है, वह स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक होता है। गर्मी स्वयं एक प्रकार की ऊर्जा है और शारीरिक गतिविधियों में उसका व्यय होता है। अतः जब कभी हम थकान अथवा कमजोरी का अनुभव करते हैं तब गरम पीने योग्य पानी पीने से शरीर में स्फूर्तिआती है। जिन व्यक्तियों को लगातार अधिक बोलने का अर्थात् भाषण अथवा प्रवचन देने का कार्य पड़ता है, जब वे थकान अनुभव करें, तब ऐसा पानी पीने से पुनः ऊर्जा का प्रवाह सक्रिय होता है। लम्बी तपस्या करने वालों के लिये ऐसा पानी विशेष उपयोगी होता है, जिससे शक्ति का संचार होता है।
गरम पानी सर्दी संबंधी रोगों में क्षीण ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने का सरलतम उपाय होता हैं। साधारणतया रोजाना पानी को उबालकर पीनेसे उसमें रोगाणुओं और संक्रामक तत्त्वों की संभावना नहीं रहती। अतः ऐसा पानी स्वास्थ्य के लिये अधिक उपयोगी होता है। खाली पेट गर्म पानी पीनेसे अम्लपित्त जनित हृदय की जलन और खट्टी डकारें आना दूर हो जाता है। गर्म जल सुखी खांसी की प्रभावशाली औषधि है।सहनीय एक गिलास गर्म जल में थोड़ा सेंधा नमक डालकर पीने से कफ पतला हो जाता है और अंत में खांसी का वेग बहुत कम हो जाता है। खाली पेट दो गिलास गर्म पानी पीने से मूत्र का अवरोध दूर होता है। जिनके मूत्र पीला अथवा लाल हो, मूत्र नली में जलन हो, उनको पीने योग्य गर्मजल पीना चाहिए।
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