आज हम देवी भगवती को चढ़ने वाले पत्र पुष्पों के बारे में बताएगें। भगवान शंकर की पूजा में जो पत्र पुष्प विहित है, वे सभी भगवती गौरी को प्रिय है अपामार्ग उन्हें विशष प्रिय है। भगवान शंकर पर चढाने के लिए जिन फूलों का निषेध है तथा जिन फूलों का नाम नहीं लिया गया है वे भी भगवती पर चढ़ाये जाते है। जितने लाल फूल है वे सभी भगवती को अभीष्ट है तथा समस्त सुगन्धित श्वेत फूल भी भगवती को विशेष प्रिय है।
बेला, चमेली, केसर, श्वेत और लाल फूल, श्वेत कमल, पलाश, तगर, अशोक, चंपा, मौल्शिरी, मंदार, कुंद लोध, कनेर, आक, शीशम, और अपराजिता( शंखपुष्पी)आदि के फूलों से देवी की भी पूजा की जाती है।
इन फूलों में आक और मंदार इन दोनों फूलों का निषेध भी मिलता है। अतः ये दोनों विहित भी है और प्रतिषिद्ध भी हैं। जब अन्य विहित फूल न मिलें तब इन दोनों का उपयोग करें। दुर्गा से भिन्न देवियों पर इन दोनों को न चढ़ाएं। किंतु दुर्गा जी पर चढ़ाया जा सकता है, क्यों कि पूजा में इन दोनों का विधान हैं।
शमी, अशोक, कर्णिकार( कनियार या अमलतास), गूमा, दोपहरिया, अगस्त्य, मदन, सिंदुवार, शल्लकी, माधवी आदि लताएँ, कुश की मंजरियाँ, बिल्वपत्र, केवड़ा, कदम्ब, भटकटैया, कमल, ये फूल भगवती को प्रिय है।
देवी के लिए विहीत-प्रतिषिद्ध
आक और मदार की तरह दूर्वा, तिलक, मालती, तुलसी भंगरैया और तमाल विहीत-प्रतिषिद्ध हैं अर्थात ये शास्त्र से विहित भी हैं और निषिद्ध भी हैं। विहित-प्रतिषिद्ध के सम्बन्ध में तत्व सागर संहिता का कथन है कि जब शास्त्रों से विहित फूल न मिल पायें तो विहीत-प्रतिषिद्ध फूलों से पूजा कर लेनी चाहियें
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