वियना संधि ( Vienna Convention ) क्या है ?



वियना संधि ( Vienna Convention ) क्या है ?
1961 में सबसे पहले आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधो को लेकर वियना कन्वेंशन हुआ था। जिसके तहत ऐसे अंतर्राष्टरीय संधि का प्रावधान हुआ जिसमें राजनयिकों को विशेष अधिकार दिए गए। वियना कन्वेंशन के दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे मिलती-जुलती एक और संधि का प्रावधान किया, जिसे ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ कहा गया। इसका ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था। जिसे 1964 में इसे लागू किया गया और तभी वियना संधि अस्तित्व में आई। इस संधि के प्रमुख प्रावधानों के तहत कोई भी देश दूसरे देश के राजनियकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है। इसके साथ ही राजनयिक के ऊपर मेजबान देश में किसी तरह का कस्टम टैक्स नहीं लगेगा।

  1. वियना संधि एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसमे अबतक लगभग 191 देशों ने अपनी सहमति जताकर हस्ताक्षर किए हैं।
  2. वियना संधि में कुल 54 आर्टिकल ( अनुच्छेद ) हैं।
  3. 1961 में वियना कन्वेंशन हुआ था जिसमे इस अंतराष्ट्रीय संधि का प्रावधान किया गया।
  4. इस संधि के तहत दूसरे देशों में जाकर कार्य कर रहे राजनयिकों को विशेष अधिकार दिया गया।
  5. इसके 2 वर्ष उपरांत संयुक्त राष्ट्र संघ ने " वियना कन्वेंशन ऑन कंसुलर रिलेशन्स " के नाम से नए संधि का प्रावधान किया जिसमें 179 देशों की सहमति अबतक बानी है और 79 अनुच्छेद हैं।
  6. भारत द्वारा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ( I.C.J. ) में इसी नए संधि के आधार पर जाधव वाला मामला उठाया गया है।
  7. इसके दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी संधि से मिलती जुलती एक और संधि का प्रावधान किया। इस संधि को वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’के नाम से जाना जाता है।
  8. भारत ने आईसीजे में इसी जाधव का मामला इसी संधि के तहत उठाया है। इस संधि पर अभी तक 179 देश सहमत हो चुके हैं। इस संधि के तहत कुल 79 आर्टिकल हैं।
  9. इस संधि के आर्टिकल 31 के तहत मेजबान देश दूतावास में नहीं घुस सकता है और उसे दूतावास के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उठानी है। इसके आर्टिकल 36 के तहत अगर किसी विदेशी नागरिक को कोई देश अपनी सीमा के भीतर गिरफ्तार करता है तो संबंधित देश के दूतावास को बिना किसी देरी के तुरंत इसकी सूचना देनी पड़ेगी।
  10. गिरफ्तार किए गए विदेशी नागरिक के आग्रह पर पुलिस को संबंधित दूतावास या राजनयिक को फैक्स करके इसकी सूचना भी देनी पड़ेगी। इस फैक्स में पुलिस को गिरफ्तार व्यक्ति का नाम, गिरफ्तारी की जगह और गिरफ्तारी की वजह भी बतानी होगी। यानी गिरफ्तार विदेशी नागरिक को राजनयिक पहुंच देनी होगी।
नोट - इसके प्रावधानों में संशोधन की मांग समय समय पर उठती रही राय क्योकि कई बार राजनयिक गलत फायदा उठाकर अपने देश भाग जाते हैं।


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