भारतीय दंड संहिता जमानतीय और अजमानतीय अपराध का वर्गीकरण किया गया है जो निम्न है-
जमानती अपराध Bailable Offense
किसी व्यक्ति द्वारा किया गया जमानतीय अपराध वह अपराध है जो दंड प्रक्रियासंहिता के प्रथम अनुसूची में निरदिष्ट है और सक्षम अधिकारी द्वारा जमानत पर अभियुक्त को छोड़े जाने का प्राविधान करता है.
किसी व्यक्ति द्वारा किया गया जमानतीय अपराध वह अपराध है जो दंड प्रक्रियासंहिता के प्रथम अनुसूची में निरदिष्ट है और सक्षम अधिकारी द्वारा जमानत पर अभियुक्त को छोड़े जाने का प्राविधान करता है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 2 (a) के अनुसार जमानतीय अपराध की परिभाषा दी गई है जमानती अपराध से तात्पर्य ऐसे अपराध से है जो प्रथम सूची में जमानती अपराध के रूप में दिखाया गया हो या जो तब समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा जमानतीय अपराध बनाया गया हो या जो जमानती अपराध से भिन्न अन्य कोई अपराध हो। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की प्रथम अनुसूची में जमानतीय एवं अजमानतीयअपराधों का उल्लेख किया गया है जो अपराध जमानतीय बताया गया है उसमें अभियुक्त को जमानत स्वीकार करना पुलिस अधिकारी एवं न्यायालय का कर्तव्य है।
अजमानती अथवा गैर जमानती अपराध Non-Bailable Offense
अजमानती अथवा गैर जमानती वह अपराध होते है जो जमानतीयअपराध नहीं होते है अर्थात वे सभी अपराध जोजमानतीय अपराध नहीं होते है वो अजमानतीय अपराध कहे जाते है. कुछ अपवादों के अतिरिक्त वे अपराध जिनमे 3 या 3 वर्ष से अधिक कारावास से दण्डित किये जाने वाले अपराधों को अजमानतीय अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
जबकि दंड प्रक्रिया संहिता में अजमानतीय (गैर जमानती) अपराध की परिभाषा नहीं दी गई है अतः यह कहा जा सकता है कि जो अपराध जमानतीय नहीं है एवं जिसे प्रथम अनुसूची में अजमानतीय अपराध के रूप में स्वीकार किया गया है वह अजमानतीय अपराध है। वास्तव में गंभीर प्रकृति के अपराधों को अजमानतीय अपराध बताया गया है ऐसे अपराधों में जमानत स्वीकार करना या नहीं करना मजिस्ट्रेट के विवेक पर निर्भर करता है।
भारतीय विधि से संबधित महत्वपूर्ण लेख
- आईपीसी (इंडियन पैनल कोड) की धारा 354 में बदलाव
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय का इतिहास
- RTI मलतब सूचना का अधिकार के अंतर्गत आरटीआई कैसे लिखे
- उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1956
- बलात्कार (Rape) क्या है! कानून के परिपेक्ष में
- प्रथम सूचना रिपोर्ट/देहाती नालिशी, गिरफ्तारी और जमानत के सम्बन्ध में नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144
- धारा 50 सी.आर.पी.सी. के अधीन हिरासत व जमानत सम्बन्धित अधिकार
- वाहन दुर्घटना के अन्तर्गत मुआवजा
- भरण-पोषण का अधिकार अंतर्गत धारा 125 द.प्र.स. 1973
- हिन्दु उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) 1956
- अवैध देह व्यापार से संबंधी कानून
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 108
- भारतीय दंड संहिता की धारा 188
- जमानतीय एवं गैर जमानती अपराध
- विवाह, दहेज और कानून
- भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498 व 498 ए
- भारतीय दंड संहिता (I.P.C.) की महत्वपूर्ण धाराएं
- IPC में हैं ऐसी कुछ धाराएं, जिनका नहीं होता इस्तेमाल
- RTI मलतब सूचना का अधिकार के अंतर्गत आरटीआई कैसे लिखे
- क्या है आईपीसी की धारा 377 और क्या कहता है कानून
- भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत बलात्कार पर कानून और दंड
- भारतीय दंड संहिता की धारा 503, 504 व 506 के अधीन अपराध एवं सजा
- विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत दंड प्रविधान
- दहेज एवं दहेज हत्या पर कानून
- भारतीय संसद - राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा
- भारतीय सविधान के अनुसार राज्यपाल की स्थिति
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 का दर्द
- भारतीय संसद के तीन अंग राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा
- भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान के प्रश्न उत्तर
- जनहित याचिका / Public Interest Litigation
- संवैधानिक उपबंध सार
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 243 और उसके महत्व
Share:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें