मूल विधि। Mool Vidhi। भारतीय दंड विधान, 1860 परीक्षोपयोगी प्रश्न
- एक जल्लाद जो मृत्युदंड निष्पादित करता है, भारतीय दंड संहिता की धारा 78 के अंतर्गत आपराधिक दायित्व से मुक्त है।
- जम्मू - कश्मीर राज्य में कौन सी दंड संहिता लागू होती है ? - रणबीर दंड संहिता
- जयदेव बनाम स्टेट वाद का संबंध आत्मरक्षा के अधिकार से है।
- भारतीय दंड संहिता किस राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत पर लागू होती है ? - जम्मू कश्मीर
- भारतीय दंड संहिता की धारा 1 संबंधित है - संहिता के नाम और उसके परिवर्तन के विस्तार से
- भारतीय दंड संहिता की धारा 120 -ए मेंआपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा दी गई है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 120 -बी में आपराधिक षड्यंत्र के लिए दंड का प्रावधान दिया गया है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 124 -ए राजद्रोह को परिभाषित करती है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 141 में विधि विरुद्ध जमाव को परिभाषित किया गया है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के अनुसार - जो व्यक्ति भारत के राज्य क्षेत्र के अंतर्गत अपराध करता है वह इस संहिता द्वारा दंडित किया जाएगा।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार - विशेष विधि वह विधि है जो किसी विशिष्ट विषय पर लागू हो।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 42 के अनुसार - स्थानीय विधि वह विधि है जो भारत के किसी विशिष्ट भाग में लागू हो।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 53 में निम्न प्रकार के दंड बताए गए हैं : - मृत्युदंड, आजीवन कारावास, कारावास (कठोर श्रम के साथ कारावास तथा सादा कारावास ) , संपत्ति का समपहरण, जुर्माना।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 57 के अंतर्गत आजीवन कारावास को 20 वर्ष के कारावास के तुल्य गिना जाएगा।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 73 के अनुसार अभियुक्त को एकांत परिरोध में रखने की अधिकतम अवधि 3 माह की है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 76 से 95 तक की धाराएं क्षमा योग्य बचाओ से संबंधित हैं।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 78 के अंतर्गत न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य अपराध नहीं है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 80 में वर्णित है कि कोई बात अपराध नहीं है जो दुर्घटना से घटित होता है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 82 के अंतर्गत कोई बात अपराध नहीं है जो 7 वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 83 के अंतर्गत 7 वर्ष के ऊपर किंतु 12 वर्ष से कम आयु की अपरिपक्व समझ के ' शिशु ' को आपराधिक दायित्व से उन्मुक्त प्राप्त है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 84 के अंतर्गत विकृत चित्त व्यक्ति के कार्य को अपराध नहीं माना जाता है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 85 में अनैच्छिक (अपनी इच्छा के विरुद्ध ) मत्तता के आधार पर आपराधिक दायित्व से प्रतिरक्षा का प्रावधान करती है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 86 संबंधित है - स्वैच्छिक मत्तता
- भारतीय दंड संहिता की धारा 96 से 106 तक की धाराएं न्यायोचित प्रतिरक्षा से संबंधित हैं।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 96 से 106 तक में व्यक्ति के शरीर तथा संपत्ति संबंधी प्रतिरक्षा के अधिकारों का वर्णन किया गया है।
- भारतीय दंड संहिता की धाराएं 121, 132, 194, 302, 305, 307, 364 -क और 396 में मृत्युदंड दिए जाने का प्रावधान है।
- भारतीय दंड संहिता को कब लागू किया गया ? - 1 जनवरी 1862 में
- विधि विरुद्ध जमाव : धारा 141 के अनुसार, 5 या अधिक व्यक्तियों का जमाव विधि विरुद्ध जमाव कहा जाता है।
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