नौकासन क्या है ?
नौकासन पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्ण योगासन है। इस आसन के अभ्यास के समय व्यक्ति का आकार नाव के समान हो जाता है, इसलिए इसे नौकासन (Naukasana) कहते हैं। इस आसन के अभ्यास से नाभि पर बल अधिक पड़ता है तथा शरीर का पूरा भार नाभि पर रहता है। इसको नावासन के नाम से भी जाना जाता है। इसके फायदे अद्भुत हैं। यह पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहुत ही प्रवभाशाली योगाभ्यास है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और साथ ही साथ सिर से लेकर पैर की अंगुली तक फायदा पहुँचाता है। इसके जितने भी लाभ गिनाये जाए कम है। इसलिए चाहिए कि हर योग साधक नियमित रूप से इस योगासन का अभ्यास करना चाहिए।
लाभ - Benefits
इस आसन में शरीर की आकृति नाव के समान हो जाती है। इसलिए इसे नौकासन कहा जाता है। इस आसन में पूरे शरीर का भार पेट पर आ जाता है। बाकी शरीर आगे-पीछे से ऊपर उठ जाता है, जिससे पेट की मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है व पाचन संस्थान स्वस्थ व बलिष्ठ हो जाता है। आमाशय, लिवर, आंतें, पेडू़, पेन्क्रियाज व किडनी को बल मिलता है। यह जठराग्नि को तीव्र करने में सहायक है। इससे हृदय व फेफड़ों को बल मिलता है। शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से होने लगता है। कमर पीछे की ओर मोड़ने के कारण उसकी शक्ति व लचीलापन बढ़ता है और कमर की मांसपेशियों को बल मिलता है। कमर दर्द की रोकथाम होती है व नर्वस सिस्टम स्वस्थ बना रहता है। यह अभ्यास हनिर्या की रोकथाम में भी मददगार है।
हिंदी में नौकासन के फायदे : Naukasana Ke Fayde in Hindi
नौकासन की विधि : Naukasana Ki Vidhi
नौकासन पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्ण योगासन है। इस आसन के अभ्यास के समय व्यक्ति का आकार नाव के समान हो जाता है, इसलिए इसे नौकासन (Naukasana) कहते हैं। इस आसन के अभ्यास से नाभि पर बल अधिक पड़ता है तथा शरीर का पूरा भार नाभि पर रहता है। इसको नावासन के नाम से भी जाना जाता है। इसके फायदे अद्भुत हैं। यह पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहुत ही प्रवभाशाली योगाभ्यास है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और साथ ही साथ सिर से लेकर पैर की अंगुली तक फायदा पहुँचाता है। इसके जितने भी लाभ गिनाये जाए कम है। इसलिए चाहिए कि हर योग साधक नियमित रूप से इस योगासन का अभ्यास करना चाहिए।
लाभ - Benefits
इस आसन में शरीर की आकृति नाव के समान हो जाती है। इसलिए इसे नौकासन कहा जाता है। इस आसन में पूरे शरीर का भार पेट पर आ जाता है। बाकी शरीर आगे-पीछे से ऊपर उठ जाता है, जिससे पेट की मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है व पाचन संस्थान स्वस्थ व बलिष्ठ हो जाता है। आमाशय, लिवर, आंतें, पेडू़, पेन्क्रियाज व किडनी को बल मिलता है। यह जठराग्नि को तीव्र करने में सहायक है। इससे हृदय व फेफड़ों को बल मिलता है। शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से होने लगता है। कमर पीछे की ओर मोड़ने के कारण उसकी शक्ति व लचीलापन बढ़ता है और कमर की मांसपेशियों को बल मिलता है। कमर दर्द की रोकथाम होती है व नर्वस सिस्टम स्वस्थ बना रहता है। यह अभ्यास हनिर्या की रोकथाम में भी मददगार है।
हिंदी में नौकासन के फायदे : Naukasana Ke Fayde in Hindi
- नौकासन पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहुत ही उम्दा योगाभ्यास है। इसका नियमित रूप से अभ्यास किया जाये तो बहुत जल्द पेट की चर्बी से निज़ात पाया जा सकता है।
- नौकासन का नियमित अभ्यास करने से पेट की चर्बी ही कम नहीं होती बल्कि पुरे शरीर का वजन घटता है और आप मोटापा को कंट्रोल कर सकते हैं।
- नौकासन ऐसा योग है जो किडनी को लाभ पहुंचाता है, नियमित रूप से इस आसन को करने से किडनी स्वस्थ रहता है और साथ ही साथ शरीर का यह अंग बेहतर तरीके से काम करता है।
- नौकासन योगाभ्यास आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पाचन से संबंधित रोग जैसे कब्ज, एसिडिटी, गैस आदि से छुटकारा दिलाता है।
- नौकासन का आरंभिक अभ्यास पहले कमर में थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है लेकिन धीरे धीरे यह आपके कमर को मजबूत बनाता है।
- नौकासन कब्ज को कम करने में बहुत मददगार है क्योंकि एंजाइम के स्राव में बड़ी भूमिका निभाता है।
- नौकासन रीढ़ की हड्डी के लिए यह बहुत लाभकारी है। यह आपके मेरुदंड को लचीला बनाता है।
- नौकासन हर्निया के लिए बहुत ही लाभदायक है।
- नौकासन पूरे शरीर को सिर से लेकर पैर तक फायदा पहुंचाता है।
- नौकासन मधुमेह (डायबटीज) दूर करने, पाचनक्रिया को ठीक करने, शरीर में स्फूर्ति लाने तथा भूख को बढ़ाने में भी यह आसन लाभकारी है।
- नौकासन फेफड़े व सांस से सम्बन्धित बीमारियों को दूर कर फेफड़ों में शुद्ध ऑक्सीजन को पहुंचाता है।
- नौकासन शरीर के सभी अंगों में खून के बहाव को तेज करता है, जिससे मांसपेशियां लचीली बनती है।
- नौकासन जिगर व तिल्ली के दोषों को दूर कर शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है।
- नौकासन से कमर व गर्दन का दर्द ठीक होता है।
- नौकासन के अभ्यास के लिए सर्वप्रथम जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
- इसके पश्चात् अपने दोनों हाथों को आपस में नमस्कार की स्थिति में जोड़कर सिर की सीध में आगे की ओर करके रखें और एड़ियों व पंजों को मिलाकर व तानकर रखे।
- फिर सांस लेते हुए धीरे-धीरे पैर तथा शरीर के अगले हिस्से को जितना संभव हो ऊपर उठाएं। (लगभग 30 डिग्री)
- इस तरह शरीर को इतना उठाएं कि शरीर का पूरा भार नाभि पर रहें तथा पैर व सिर ऊपर की ओर रखें। इस स्थिति में शरीर का आकार ऐसा हो जाना चाहिए, जैसे किसी नाव का आकार होता है।
- इसके बाद पहले हाथों को हिलाएं फिर पैरों को भी हिलाएं। परंतु शरीर का आकार नाव की तरह ही बनाएं रखें। सांस को जितनी देर तक अंदर रोक सकते हैं, रोक कर इस स्थिति में रहे और फिर शरीर को धीरे-धीरे नीचे सामान्य स्थिति में लाकर सांस को छोड़ते हुए पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें। इस तरह से इस क्रिया को 3 बार करें।
- जब कमर में दर्द हो तो नौकासन नहीं करनी चाहिए।
- हर्निया के रोगियों को यह आसन किसी विशेषज्ञ के निगरानी में करनी चाहिए।
- रीढ़ की हड्डी में कोई समस्या हो तो इस आसन को करने से बचें।
- नौकासन करने के बाद भुजंगासन करनी चाहिए।
- इस आसन का अभ्यास अल्सर, कोलाइटिस वाले रोगियों को नहीं करना चाहिए।
- शुरुआत में शरीर को पूर्ण रूप से ऊपर उठाने में कठिनाई हो सकती है इसलिए शुरू में अपनी क्षमता के अनुसार ही शरीर को ऊपर की ओर उठाएं।
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