भारत, संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुसत्तासम्पन्न, समाजवादी धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यह गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है। भारत का संविधान संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ।भारत का संविधान दुनिया का सबसे बडा लिखित संविधान है। इसमें अब 450 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 भागों में विभाजित है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद निम्नलिखित है जिन्हे प्रत्येक भारतीय को जानना बहुत आवाश्यक है-
- अनुच्छेद 1 : यह घोषणा करता है कि भारत राज्यों का संघ है।
- अनुच्छेद 3: संसद विधि द्वारा नए राज्य बना सकती है तथा पहले से अवस्थित राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं एवं नामों में परिवर्तन कर सकती है।
- अनुच्छेद 5: संविधान के प्रारंभ होने के, समय भारत में रहने वाले वे सभी व्यक्ति यहां के नागरिक होंगे, जिनका जन्म भारत में हुआ हो, जिनके पिता या माता भारत के नागरिक हों या संविधान के प्रारंभ के समय से भारत में रह रहे हों।
- अनुच्छेद 13:-- मौलिक अधिकारों को असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियों के बारे में
- अनुच्छेद 14:- कानून के समक्ष समानता
- अनुच्छेद 16:- सरकारी नौकरियों में सभी को अवसर की समानता
- अनुच्छेद 17:- अस्पृश्यता का उन्मूलन
- अनुच्छेद 19:- “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” के बारे में कुछ अधिकारों का संरक्षण
- अनुच्छेद 21:- प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
- अनुच्छेद 21A:- प्राथमिक शिक्षा का अधिकार
- अनुच्छेद 25:- अंतरात्मा की स्वतंत्रता, मनचाहा काम और धर्म के प्रचार-प्रसार की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 30:- अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थानों को स्थापित करने, उनका प्रशासन करने का अधिकार
- अनुच्छेद 31C: - कुछ निर्देशक सिद्धांतों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्याख्या
- अनुच्छेद 32:- मौलिक अधिकारों को लागू के लिए “रिट” सहित अन्य उपचार
- अनुच्छेद 38:- राज्य, लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक सामाजिक व्यवस्था को बनाएगा
- अनुच्छेद 40:- ग्राम पंचायतों का संगठन
- अनुच्छेद 44:- नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता
- अनुच्छेद 45:- 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान
- अनुच्छेद 46:- अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातिओं और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा
- अनुच्छेद 50:- कार्यपालिका से न्यायपालिका को अलग किया जाना
- अनुच्छेद 51:- अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना
- अनुच्छेद 51A: - मौलिक कर्तव्य
- अनुच्छेद 53: संघ की कार्यपालिका संबंधी शक्ति राष्ट्रपति में निहित रहेगी।
- अनुच्छेद 64: उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पढ़ें अध्यक्ष होगा।
- अनुच्छेद 74: एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसके शीर्ष पर प्रधानमंत्री रहेगा, जिसकी सहायता एवं सुझाव के आधार पर राष्ट्रपति अपने कार्य संपन्न करेगा। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद के लिए किसी सलाह के पुनर्विचार को आवश्यक समझ सकता है, पर पुनर्विचार के पश्चात दी गई सलाह के अनुसार वह कार्य करेगा। इससे संबंधित किसी विवाद की परीक्षा किसी न्यायालय में नहीं की जाएगी।
- अनुच्छेद 76: राष्ट्रपति द्वारा महान्यायवादी की नियुक्ति की जाएगी।
- अनुच्छेद 78: प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य होगा कि वह देश के प्रशासनिक एवं विधायी मामलों तथा मंत्रिपरिषद के निर्णयों के संबंध में राष्ट्रपति को सूचना दे, यदि राष्ट्रपति इस प्रकार की सूचना प्राप्त करना आवश्यक समझे।
- अनुच्छेद 86: इसके अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा संसद को संबोधित करने तथा संदेश भेजने के अधिकार का उल्लेख है।
- अनुच्छेद 108: यदि किसी विधेयक के संबंध में दोनों सदनों में गतिरोध उत्पन्न हो गया हो तो संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 110: धन विधेयक को इसमें परिभाषित किया गया है।
- अनुच्छेद 111: संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के पास जाता है। राष्ट्रपति उस विधेयक को सम्मति प्रदान कर सकता है या अस्वीकृत कर सकता है। वह सन्देश के साथ या बिना संदेश के संसद को उस पर पुनर्विचार के लिए भेज सकता है, पर यदि दोबारा विधेयक को संसद द्वारा राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो वह इसे अस्वीकृत नहीं करेगा।
- अनुच्छेद 112: प्रत्येक वित्तीय वर्ष हेतु राष्ट्रपति द्वारा संसद के समक्ष बजट पेश किया जाएगा।
- अनुच्छेद 123: संसद के अवकाश (सत्र नहीं चलने की स्थिति) में राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 124: इसके अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय के गठन का वर्णन है।
- अनुच्छेद 129: सर्वोच्च न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय है।
- अनुच्छेद 143:- सुप्रीम कोर्ट से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 148: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
- अनुच्छेद 149:- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की शक्तियां
- अनुच्छेद 155:- राज्यपाल की नियुक्ति
- अनुच्छेद 161:- क्षमा को कम करने, टालने और निलंबित करने की राज्यपाल की शक्ति
- अनुच्छेद 163: राज्यपाल के कार्यों में सहायता एवं सुझाव देने के लिए राज्यों में एक मंत्रिपरिषद एवं इसके शीर्ष पर मुख्यमंत्री होगा, पर राज्यपाल के स्वविवेक संबंधी कार्यों में वह मंत्रिपरिषद के सुझाव लेने के लिए बाध्य नहीं होगा।
- अनुच्छेद 165:- राज्य के महाधिवक्ता
- अनुच्छेद 167:- राज्यपाल को जानकारी देने के लिए मुख्यमंत्री के कर्तव्य
- अनुच्छेद 168:- राज्यों में विधानमंडलों की व्यवस्था
- अनुच्छेद 169: राज्यों में विधान परिषदों की रचना या उनकी समाप्ति विधान सभा द्वारा बहुमत से पारित प्रस्ताव तथा संसद द्वारा इसकी स्वीकृति से संभव है।
- अनुच्छेद 170:- राज्यों में विधान सभाओं की संरचना
- अनुच्छेद 171:- राज्यों में विधान परिषदों की संरचना
- अनुच्छेद 172:- राज्य विधान मंडलों की अवधि
- अनुच्छेद 173:- राज्य विधानमंडल की सदस्यता के लिए योग्यता
- अनुच्छेद 174:- राज्य विधायिका का सत्र, सत्रावसान और राज्य विधायिका का विघटन
- अनुच्छेद 178:- विधान सभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर
- अनुच्छेद 194:- महाधिवक्ता की शक्तियां, विशेषाधिकार और प्रतिरोधक क्षमता
- अनुच्छेद 200: राज्यों की विधायिका द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। वह इस पर अपनी सम्मति दे सकता है या इसे अस्वीकृत कर सकता है। वह इस विधेयक को संदेश के साथ या बिना संदेश के पुनर्विचार हेतु विधायिका को वापस भेज सकता है, पर पुनर्विचार के बाद दोबारा विधेयक आ जाने पर वह इसे अस्वीकृत नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्त वह विधेयक को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भी भेज सकता है।
- अनुच्छेद 202:- राज्य विधानमंडल का वार्षिक वित्तीय विवरण (राज्य बजट)
- अनुच्छेद 210:- राज्य विधानमंडल में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा
- अनुच्छेद 212:- न्यायालयों को राज्य विधानमंडल की कार्यवाही के बारे में पूछताछ करने का अधिकार नहीं
- अनुच्छेद 213: राज्य विधायिका के सत्र में नहीं रहने पर राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है।
- अनुच्छेद 214: सभी राज्यों के लिए उच्च न्यायालय की व्यवस्था होगी।
- अनुच्छेद 217:- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की शर्तें
- अनुच्छेद 226: मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उच्च न्यायालय को लेख जारी करने की शक्तियां।
- अनुच्छेद 233: जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय के परामर्श से की जाएगी।
- अनुच्छेद 235: उच्च न्यायालय का नियंत्रण अधीनस्थ न्यायालयों पर रहेगा।
- अनुच्छेद 239: केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा होगा। वह यदि उचित समझे तो बगल के किसी राज्य के राज्यपाल को इसके प्रशासन का दायित्व सौंप सकता है या प्रशासन की नियुक्ति कर सकता है।
- अनुच्छेद 239A: - दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 243B: - पंचायतों का गठन
- अनुच्छेद 243C: - पंचायतों की संरचना
- अनुच्छेद 243G: - पंचायतों की जिम्मेदारियां, शक्तियां और अधिकार
- अनुच्छेद 243K: - पंचायतों के चुनाव
- अनुच्छेद 245: संसद संपूर्ण देश या इसके किसी हिस्से के लिए तथा राज्य विधानपालिका अपने राज्य या इसके किसी हिस्से के ले कानून बना सकता है।
- अनुच्छेद 248: विधि निर्माण संबंधी अवशिष्ट शक्तियां संसद में निहित हैं।
- अनुच्छेद 249: राज्यसभा विशेष बहुमत द्वारा राज्य सूची के किसी विषय पर लोक सभा को एक वर्ष के लिए कानून बनाने के लिए अधिकृत कर सकती है, यदि वह इसे राष्ट्रहित में आवश्यक समझे।
- अनुच्छेद 262: अंतरराज्यीय नदियां या नदी घाटियों के जल के वितरण एवं नियंत्रण से संबंधित विवादों के लिए संसद द्वारा निर्णय कर सकती है।
- अनुच्छेद 263: केंद्र राज्य संबंधों में विवादों का समाधान करने एवं परस्पर सहयोग के क्षेत्रों के विकास के उद्देश्य राष्ट्रपति एक अंतरराज्यीय परिषद की स्थापना कर सकता है।
- अनुच्छेद 265:- कानून के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना
- अनुच्छेद 266: भारत की संचित निधि, जिसमें सरकार की सभी मौद्रिक अविष्टियां एकत्र रहेंगी, विधि समस्त प्रक्रिया के बिना इससे कोई भी राशि नहीं निकली जा सकती है।
- अनुच्छेद 267: संसद विधि द्वारा एक आकस्मिक निधि स्थापित कर सकती है, जिसमें अकस्मात उत्पन्न परिस्थितियां के लिए राशि एकत्र की जाएगी।
- अनुच्छेद 275: केंद्र द्वारा राज्यों को सहायक अनुदान दिए जाने का प्रावधान।
- अनुच्छेद 280: राष्ट्रपति हर पांचवें वर्ष एक वित्त आयोग की स्थापना करेगा, जिसमें अध्यक्ष के अतिरिक्त चार अन्य सदस्य होंगें तथा जो राष्ट्रपति के पास केंद्र एवं राज्यों के बीच करों के वितरण के संबंध में अनुशंषा करेगा।
- अनुच्छेद 300 क: राज्य किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं करेगा। पहले यह प्रावधान मूल अधिकारों के अंतर्गत था, पर संविधान के 44 वें संशोधन, 1978 द्वारा इसे अनुच्छेद 300 (क) में एक सामान्य वैधानिक (क़ानूनी) अधिकार के रूप में अवस्थित किया गया।
- अनुच्छेद 311:- संघ या किसी राज्य के अधीन सिविल क्षमताओं में कार्यरत व्यक्तियों के रैंक में कमी बर्खास्तगी।
- अनुच्छेद 312: राज्यसभा विशेष बहुमत द्वारा नई अखिल भारतीय सेवाओं की स्थापना की अनुशंसा कर सकती है।
- अनुच्छेद 315: संघ एवं राज्यों के लिए एक लोक सेवा आयोग की स्थापना की जाएगी।
- अनुच्छेद 320:- लोक सेवा आयोगों के कार्य
- अनुच्छेद 323-A: - प्रशासनिक न्यायाधिकरण
- अनुच्छेद 324: चुनावों के पर्यवेक्षण, निर्देशन एवं नियंत्रण संबंधी समस्त शक्तियां चुनाव आयोग में निहित रहेंगी।
- अनुच्छेद 326: लोक सभा तथा विधान सभाओं में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा।
- अनुच्छेद 331: आंग्ल भारतीय समुदाय के लोगों का राष्ट्रपति द्वारा लोक सभा में मनोनयन संभव है, यदि वह समझे की उनका उचित प्रतिनिधित्व नहीं है।
- अनुच्छेद 332: अनुसूचित जाति एवं जनजातियों का विधानसभाओं में आरक्षण का प्रावधान।
- अनुच्छेद 333: आंग्ल भारतीय समुदाय के लोगों का विधान सभाओं में मनोनयन।
- अनुच्छेद 335: अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं पिछड़े वर्गों के लिए विभिन्न सेवाओं में पदों पर आरक्षण का प्रावधान।
- अनुच्छेद 343: संघ की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी होगी।
- अनुच्छेद 347: यदि किसी राज्य में पर्याप्त संख्या में लोग किसी भाषा को बोलते हों और उनकी आकांक्षा हो कि उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को मान्यता दी जाए तो इसकी अनुमति राष्ट्रपति दे सकता है।
- अनुच्छेद 351: यह संघ का कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार एवं उत्थान करे ताकि वह भारत की मिश्रित संस्कृति के सभी अंगों के लिए अभिव्यक्ति का माध्यम बने।
- अनुच्छेद 352: राष्ट्रपति द्वारा आपात स्थिति की घोषणा, यदि वो समझता हो कि भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा युद्ध, बाह्य आक्रमण या सैन्य विद्रोह के फलस्वरूप खतरे में है।
- अनुच्छेद 356: यदि किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को यह रिपोर्ट दी जाए कि उस राज्य में संवैधानिक तंत्र असफल हो गया है तो वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 360: यदि राष्ट्रपति यह समझता है की भारत या इसके किसी भाग की वित्तीय स्थिरता एवं साख खतरे में है तो वह वित्तीय आपात स्थिति की घोषणा कर सकता है।
- अनुच्छेद 365: यदि कोई राज्य केंद्र द्वारा भेजे गए किसी कार्यकारी निर्देश का पालन करने में असफल रहता है तो राष्ट्रपति द्वारा यह समझा जाना विधि समस्त होगा कि उस राज्य में संविधान तंत्र के अनुरूप प्रशासन चलने की स्थिति नहीं है और वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 368: संसद को संविधान के किसी भी भाग का संशोधन करने का अधिकार है।
- अनुच्छेद 370: इसके अंतर्गत जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति का वर्णन है।
- अनुच्छेद 371: कुछ राज्यों के विशेष क्षेत्रों के विकास के लिए राष्ट्रपति बोर्ड स्थापित कर सकता है, जैसे - महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, मणिपुर आदि।
- अनुच्छेद 394 क: राष्ट्रपति अपने अधिकार के अंतर्गत इस संविधान का हिंदी भाषा में अनुवाद कराएगा।
- अनुच्छेद 395: भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947, भारत सरकार अधिनियम, 1953 तथा इनके अन्य पूरक अधिनियमों को, जिसमें प्रिवी कौंसिल क्षेत्राधिकार अधिनियम शामिल नहीं है, यहां रद्द किया जाता है।
भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ
- प्रथम अनुसूची राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों का वर्णन
- दूसरी अनुसूची राष्ट्रपति , राज्यों के राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति तथा उपसभापति, विधान सभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति तथा उप-सभापति, उच्चतम तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों एवं भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के संबंध में उपबंध
- तीसरी अनुसूची शपथ या प्रतिज्ञान के प्रारूप
- चौथी अनुसूची राज्यसभा में सीटों का आबंटन
- पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उपबंध
- छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उपबंध
- सातवीं अनुसूची संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची
- आठवीं अनुसूची मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची
- नौवीं अनुसूची विशिष्ट अधिनियमों और विनियमों के सत्यापन के प्रावधान
- दसवीं अनुसूची दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता के बारे में उपबंध
- ग्यारहवीं अनुसूची पंचायतों के अधिकार, प्रधिकार और दायित्व ।
- बारहवीं अनुसूची नगर पालिकाओं की के अधिकार, प्रधिकार और दायित्व ।
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