आयुर्वेद में अश्वगंधा को विशेष स्थान प्राप्त है। यह केवल एक पौधा ही नहीं, बल्कि कई बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने की औषधि भी है। इसकी जड़ों और पत्तियों से दवा बनाई जाती है। आयुर्वेदिक तरीके से उपचार में अश्वगंधा एक ऐसी रामबाण दवा है जो कई रोग ठीक करने में उपयोग की जाती है। अश्वगंधा वर्तमान समय में कैप्सूल, पाउडर और तेल के रूप में आता है जिसे बाबा रामदेव की पतंजलि शॅाप, पंसारी, जनरल स्टोर अथवा मेडीकल स्टोर से लिया जा सकता है। अश्वगंधा के सेवन से अनेक फायदे है जैसे कि यह लम्बाई बढ़ाने और वजन बढ़ाने में उपयोगी है।
भारत में अश्वगंधा अथवा असगंध जिसका वानस्पतिक नाम वीथानीयां सोमनीफेरा (Withania Somnifera) कहा जाता है। अश्वगंधा सदियों से प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में काफी महत्वपूर्ण रहा है। यह कई सदियों से इस्तेमाल की जा रही जड़ी बूटी है। अमेरिका और अफ्रीका के मूल निवासियों द्वारा संक्रमण के कई प्रकार को दूर रहने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा के पौधे और इसके औषधीय गुणों का वर्णन पारंपरिक चीनी चिकित्सा और आयुर्वेद दोनों में व्यापक रूप से किया गया है। अश्वगंधा एक ऐसा झाड़ीदार पौधा है, जिससे कई बीमारियों को इलाज किया जा जाता है। अश्वगंधा से थायरॉयड, त्वचा संबंधी रोग, शरीर की दुर्बलता इत्यादि को दूर किया जा सकता है। आयुर्वेद में बेहद महत्व रखने वाला अश्वगंधा, एक ऐसी औषधि है जो न केवल आपके तनाव को दूर करती है बल्कि सेहत और सौंदर्य से जुड़े कुछ फायदे भी देती है।
अश्वगंधा एक बलवर्धक रसायन मानी गयी है। इसके गुणों की चिर पुरातन समय से लेकर अब तक सभी विद्वानों ने भरपूर सराहना की है। इसे पुरातन काल से ही आयुर्वेदज्ञों ने वीर्य वर्धक, शरीर में ओज और कांति लाने वाले, परम पौष्टिक व सर्वांग शक्ति देने वाली, क्षय रोगनाशक, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ने वाली एवं वृद्धावस्था को लम्बे समय तक दूर रखने वाली सर्वोत्तम वनौषधि माना है। यह वायु एवं कफ के विकारों को नाश करने वाली अर्थात खांसी, श्वास, खुजली, आमवात आदि नाशक है। इसे वीर्य व पौरुष सामर्थ्य की वृद्धि करने, शरीर पर मांस निर्मित करने, स्तनों में दूध की वृद्धि करने, बच्चों को मोटा व चुस्त बनाने तथा गर्भधारण के लिये व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। महर्षि चरक ने अश्वगंधा को उत्कृष्ट औषधि माना है एवं समस्त प्रकार के जीर्ण रोगों से ग्रस्त रोगियों तथा क्षय रोग आदि से पीड़ित रोगियों के लिए उपयुक्त बताया है। वास्तव में आयुर्वेद के विद्वान पुष्टि व बलवर्धक के लिए अश्वगंधा से श्रेष्ठ किसी अन्य औषधि को नहीं मानते।
अश्वगंधा का इस्तेमाल गठिया, चिता, नींद ना आना (इंसोम्निया), ट्यूमर, टीबी, अस्थमा, त्वचा पर सफ़ेद दाग (ल्युकोडेर्मा), ब्रोंकाइटिस, पीठ में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, मासिक धर्म में समस्या, हिचकी आना और लम्बे समय से चली आ रहे लीवर रोग में किया जाता है। अश्वगंधा को दैनिक तनाव कम करने के साथ ही सामान्य टॉनिक की तरह भी उपयोग किया जाता है। कुछ लोग अश्वगंधा का इस्तेमाल अपनी सोचने शक्ति को बढ़ाने, सूजन और दर्द कम करने के साथ ही बढ़ती उम्र की समस्या को कम करने के लिए करते हैं। इसे महिलाओं और पुरुषों में बांझपन के इलाज के साथ कामेच्छा बढ़ाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा को त्वचा पर लगाने से घाव, पीठ का दर्द और शरीर के एक तरफ हुआ लकवा ठीक हो जाता है। अश्वगंधा में दिमाग को शांत करने वाले केमिकल होते हैं। ये सूजन घटाते हैं, बीपी कम करते हैं और रोग निरोधक शक्ति बढ़ाते हैं। अश्वगंधा (अश्वगंधा ) एक प्रकार का पौधा होता है जिसके द्वारा कई आयुर्वेदिक दवाइयां बनाई जाती है और इसका उपयोग हजारों सालों से होता आ रहा है। अश्वगंधा को असगंध या वाजीगंधा भी कहा जाता है।
अश्वगंधा की पहचान - Identity of Ashwagandha
अश्वगंधा प्राचीन काल से अश्वगंधा हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह एक औषधीय में उपयोग करने वाला एक पेड़ माना जाता है। ये शरीर को चुस्ती-फुर्ती प्रदान करता है। अश्वगंधा को एक टॉनिक कहा जाता है, क्योकि यह शारीरिक क्षमता और आरोग्य वृद्धि करता है। अश्वगंधा को अंग्रेजी में भारतीय जिनसेंग कहा जाता है। अश्वगंधा के पेड़ और इसके औषधीय गुणों का वर्णन पारम्परिक चीनी चिकित्सा और आयुर्वेद दोनों में किया गया है। अश्वगंधा प्रकृति का दिया हुआ एक ऐसा वरदान है जिसको हम कई प्रकार की बीमारियों एवं सौन्दर्य बढ़ाने वाले उत्पादों को बनाने में काम में लिया जाता है। अश्वगंधा बिलकुल टमाटर की तरह दिखती है। ये कम और ज्यादा तापमान में दोनों में जीवित रह सकता है। अश्वगंधा का अर्थ है घोड़े की गंध। इसका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी जड़ों में से आने वाली गंध घोड़े के पसीने की गंध जैसी होती है। इस जड़ी बूटी का प्रारंभ भारत में हुआ और यह शुष्क क्षेत्रों में सबसे अच्छी तरह बढ़ता है। यह एक मजबूत पौधा है जो बहुत उच्च तापमान और कम तापमान यानि 40 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस तक के अंतर में भी जीवित रहता है। इसके नियमित रूप से सेवन करने से शरीर की कई बीमारियों से लड़ता है।
प्रमुख रोगों में अश्वगंधा के फायदे - Advantages of Ashwagandha in Major Diseases
- अश्वगंधा का लाभ चयापचय मे (Ashwagandha for metabolism):-अश्वगंधा एंटीओक्सीडेंट का एक अच्छा श्रोत है ये चयापचय की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न मुक्त कण को साफ निष्कृत करने में बहुत प्रभावी है।
- अश्वगंधा के हार्ट स्वास्थ के लिए फायदे (Ashwagandha Benefits for Heart):- अश्वगंधा हमे हाइ कोलेस्ट्रॉल और हाई बीपी जैसे हृदय रोगों से बचाता है। इसके नियमित सेवन से खून के दौरा बेहतर होता है जो खून के थक्का जमने से रोकता है जो कई बार हार्टअटैक जैसे गम्भीर रोगो से बचाता है।
- संक्रमण दूर करने के लिए अश्वगंधा (Ashwagandha for Infection):- अश्वगंधा पुरुषों के लिए तो लाभदायक होता ही है साथ ही महिलाओं के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके पौधों के जड़ो में एंटीबाक्टेरियाल और एंटीफ़ंगल होता है जिससे ज़्यादातर संक्रमण को ख़त्म करने में असरदार माना जाता है। महिलाओं मे इन्फ़ैकशन होना आम बात है। गर्भाशय के सूजन को भी कम करने में ये आयुर्वेद हर्ब माना जाता है। जिन महिलाओं की योनि में से सफ़ेद चिपचिपा पदार्थ निकलता है उन्हें भी अश्वगंधा खाने से बहुत फायदा मिलता है।
- कैंसर का इलाज में अश्वगंधा का लाभ (Ashwagandha for Cancer):- कैंसर (cancer) के इलाज में भी ये औषधि काफी उपयोगी है। अश्वगंधा कैंसर के सेल्स को बढ़ने से रोकने का काम करती है। कैंसर के मरीज़ों के लिए लाभकारी है। एक शोध के मुताबिक़ अश्वगंधा कीमोथेरेपी के बुरे प्रभाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा नई कैंसर सेल्स को बनने से भी रोकता है। अश्वगंधा में एंटीजनिक गुण होता है जिससे ये कैंसर कोशिकाओं को नहीं रक्त वाहिकाओ के निर्माण से रोकती है जिससे कैंसर का इलाज करने में मदद मिलती है। कैंसर रोग को फैलने में कैंसर सेल का काफी हद तक ज़िम्मेवार होता है जो तेजी से बढ़ती है और अश्वगंधा इन सेल्स को रोकने में मदद करती है। जानवरों और टेस्ट-ट्यूब में की जाने वाली जांच से पता चला है कि अश्वगंधा खाने से एपोप्टोसिस बढ़ता है जो कैंसर कोशिकाओं को मारने की एक विधि है। ये कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने में भी रोक सकती है। अश्वगंधा "रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज़" (reactive oxygen species) बनता है जिससे कैंसर सेल ख़त्म होते हैं। इससे कैंसर सेल एपोप्टोसिस का सामना नहीं कर पाते और ख़त्म हो जाते हैं।
- तनाव दूर करने में अश्वगंधा का उपयोग (Ashwagandha for Tension):- आज कल की व्यस्त जीवन में अकसर देखा गया है की हमारी नींद गायब हो जाती है,हम टेंशन में रहने लगते है। काम काज के प्रेशर से होने वाली अनिद्रा एवं टेंशन को दूर करने के लिए अश्वगंधा बहुत ही सहायक माना गया है, अश्वगंधा चूर्ण या कैप्सुल लेने से ऐसे ऊर्जा का निर्माण हमारे मस्तिष्क में होता है जो हमें जल्दी सोने में मदद करती है और दिमाग को ठंडा रखने में भी। अश्वगंधा में तनाव को कम करने वाले गुण पाएं जाते हैं। परंपरागत रूप से, इसका उपयोग व्यक्ति पर सुखद और शांत प्रभाव देने के लिए किया जाता था। वह सक्रिय संघटक जो इस गतिविधि के लिए ज़िम्मेदार है वह अभी भी अज्ञात है, लेकिन विभिन्न अनुसंधान प्रयोगों में अश्वगंधा में तनाव विरोधी गुण देखे गए हैं। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि अश्वगंधा के प्रयोग से चरम तापमान बदलाव में रखे पशुओं के तनाव के स्तर में भी उल्लेखनीय कमी आई। अध्ययन से पता चला है कि अश्वगंधा लेने से चूहों के दिमाग में केमिकल सिगनल पहुँचने से तनाव नहीं रहता। कुछ मनुष्यों पर जांच करने से पता चला है कि अश्वगंधा लेने से तनाव और चिंता की समस्या बहुत कम हो जाती है। तनाव, चिंता, थकावट, नींद की कमी जैसी समस्याओं का कारगर इलाज अश्वगंधा से किया जा सकता है। यह स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल के लेवल को कम करता है, जिससे स्ट्रेस कम होता है। हाई ब्लड प्रेशर के उपचार में भी ये काफी फायदेमंद है। हाई बीपी की बीमारी में अश्वगंधा चूर्ण दूध के साथ सेवन करें। इसका सेवन करने से तनाव भी कम होता है। लो बीपी होने पर इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है।
- त्वचा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए अश्वगंधा (Ashwagandha for Skin Problem):-त्वचा के रोगों को दूर करने में मदद करता है। ये न सिर्फ झुर्रियों को कम करता है, बल्कि चर्म रोग को भी ठीक करता है। अश्वगंधा का उपयोग त्वचा को युवा रखने के लिए किया जाता है। ये केराटोसिस के इलाज के लिए उपयोगी है। अश्वगंधा में उच्च श्रेणी के एंटीओक्सीडेंट होते है जो झुरियों, काले धब्बे जैसे उम्र बढ्ने के संकेतों से लड़ने में सहायक है। इसमें एंटिअजिंग होता है जिससे व्यक्ति जल्दी बूढ़ा नहीं होता है मतलब इसके सेवन से समय से पहले बुढ़ापा नहीं आता है।
- थायराइड के लिए अश्वगंधा के फायदे (Ashwagandha for Thyroid):-अश्वगंधा थायराइड ग्रन्थी को उत्तेजित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके प्रभाव पर एक अध्ययन में पता चला है की इसकी जड़ो का एक्सट्रेक्ट, अगर एक दैनिक आधार पर लिया जाए तो थायराएड हार्मोन के श्राव में वृद्धि होगी।
- बालों की समस्या में अश्वगंधा के फायदे (Aswagandha to Benefits In Hair) अश्वगंधा शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करके बालों के गिरने को नियंत्रित करता है। अश्वगंधा बालों में मेलेनिन की हानि को रोक कर समय से पहले बालों के भूरा होने को रोकता है। अश्वगंधा में टाइयरोसीन है जो एक एमिनो एसिड है और शरीर में मेलेनिन के उत्पादन को उत्तेजित करता है। अश्वगंधा से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। अश्वगंधा और नारियल तेल से बनाया गया टॉनिक रोज़ बालों पर लगाने से बाल नहीं झड़ते। अश्वगंधा को गिलोय में मिलाकर लगाने से हड्डियों को सहारा मिलता है और खोपड़ी बालों को संभालने के लिए मजबूत होती है। सामान्य से कम नींद मिलने पर तनाव होता है। कम सोने से तनाव और चिंता बढ़ती है जिससे ज़्यादा बाल झड़ते हैं। अश्वगंधा से अच्छी नींद आती है और वो चिंता को कम करता है जो बाल झड़ने का मुख्य कारण है। लम्बे समय से चले आ रहे तनाव से ग्रस्त वयस्कों का अध्ययन करने पर पता चला कि अश्वगंधा लेने से अनिद्रा और चिंता 69।7% कम होती है। वयस्क पुरुषों में अध्ययन करने से पता चला कि अश्वगंधा लेने से बालों में मेलानिन की मात्रा बढ़ी है।
- मधुमेह का इलाज है अश्वगंधा (to control diabetes):-लंबे समय से हमारे आयुर्वेद चिकित्सक अश्वगंधा को मधुमेह के लिए इस्तेमाल करते है। मधुमेह के उपचार में अश्वगंधा के उपयोग पर अनुसंधान ने सकारात्मक परिणाम का संकेत दिया है। इसके प्रयोग से ये पता चला है की अगर हम अश्वगंधा चार सप्ताह की अवधि के लिए ले तो तब उपवास और दोपहर के खाने के बाद रक्त शर्करा के स्तर में काफी कमी आती है।
- मांसपेशियों की शक्ति में सुधार लाने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली में लाभ के लिए अश्वगंधा ( Increase Muscular Strength and Immune System):-अश्वगंधा हमारे शरीर के निचले हिस्सों की मांसपेशियों की शक्ति में सुधार लाने और कमजोरी दूर करने में बहुत उपयोगी है। ये मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच समन्वय पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। साथ ही ये प्रतीक्षा प्रणाली मतलब इम्यून तंत्र को मजबूत बनाता है। कुछ लोग बड़ी जल्दी बीमार पढ़ जाते है उन्हें कुछ न कुछ छोटी बीमारी होती ही रहती है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना। उनके लिए तो अश्वगंधा एक बहुत ही अचूक दावा के जैसे काम करती है साथ ही अगर आपको जोरों का दर्द या घाव या चोट लगने पर भी ये रामबाण इलाज माना जाता है। शोध अध्ययनों से पता चला है कि अश्वगंधा का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। चूहों के ऊपर किए गए प्रयोग में पाया गया कि अश्वगंधा के सेवन से चूहों में लाल रक्त कोशिका और सफेद रक्त कोशिकाओं में भी वृद्धि हुई। इससे यह माना जा सकता है कि आदमी की लाल रक्त कोशिकाओं पर अश्वगंधा के सेवन से सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जिससे एनीमिया जैसी स्थितियों को रोकने में मदद मिल सकती है।
- मोतियाबिंद से लड़ने के अश्वगंधा का उपयोग(Ashwagandha for Cataract) :-त्यागराजन एक्ट एल द्वारा किए गए सोध के अनुसार यह पता चाला है की अश्वगंधा के एंटीओक्सीडेंट एवं साइटोप्रोटेक्टिव गुण मोतियाबिंद रोग से लड़ने के लिए अच्छे है।
- लम्बाई बढ़ाने में अश्वगंधा के फायदे (Aswagandha to Increase Height):- अश्वगंधा कद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। अगर आपका हाइट समय से पहले बढ़ाना रुक गया हो तो आप अश्वगंधा का प्रयोग कर सकते है।
- सेक्स पावर बढ़ाने के लिए अश्वगंधा (Ashwagandha to Increase Sex Power):- शताब्दियों से माना गया है कि अश्वगंधा में कामोद्दीपक गुण है और लोगों ने इसे एक दवा के रूप में इस्तेमाल किया ताकि उनकी जीवन शक्ति और प्रजनन क्षमता में सुधार हो। हाल ही के एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह दर्शाया गया कि अश्वगंधा कामोद्दीपक दवा के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अच्छी तरह से वीर्य की गुणवत्ता में सुधार लाता है। अश्वगंधा का सेवन करने से प्रजनन में इजाफा होता है। इससे स्पर्म काउंट बढ़ता है और वीर्य भी अच्छी मात्रा में बनता है। अश्वगंधा, शरीर को जोश देता है जिससे पूरे शरीर में आलस्य नहीं रहता है और सेक्स करते समय थकान भी नहीं आती है। यह पूरे शरीर में तनाव भी कम कर देता है। अश्वगंधा के सेवन से सेक्स पावर बढ़ती है वीर्य की गुणवत्ता बढ़ती है और वीर्य ज्यादा मात्र में बनता है साथ ही आप अगर संभोग के दौरान जल्दी थक जाते है तो अश्वगंधा एक प्रभावशाली औषधि है।
अश्वगंधा और दूध के फायदे - Ashwagandha Benefits with Milk
- बांझपन की समस्या में दूध के साथ अश्वगंधा का सेवन करें। दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को दिन में दो बार लें। इसी गर्म दूध और थोड़ी से मिश्री के साथ लें।
- अश्वगंधा और दूध अस्थिसंधिशोथ में फायदे मंद है। इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, एक ग्राम मुलेठी को गर्म दूध के साथ लें।
- अश्वगंधा और दूध साथ लेने से शरीर ह्रष्ट पुष्ट बनता है। यदि आप कमजोर हैं, तो आपको इसका नियमित सेवन करना चाहिए। इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को 125 ग्राम त्रिकाटू पाउडर के साथ लें। त्रिकाटू में सुखी असर्क, काली मिर्च और लम्बी मिर्च होती है, जो काफी फायदेमंद होती है। इन्हें दिन में दो बार दूध के साथ लें।
- उक्त रक्तचाप को सामान्य करने के लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को 125 ग्राम मोटी पिसती के साथ दिन में दो बार लें। इनका सेवन दूध के साथ करें।
- ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या काफी गंभीर होती है। इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक ग्राम अर्जुन छाल पाउडर के साथ दिन में दो बार लें। इनका सेवन दूध के साथ करें।
- बच्चों में पोषकता की कमी होने पर उन्हें यह दें। इसके लिए आप अश्वगंधा की चाय बनाएं। अश्वगंधा की चाय बनाने के लिए आधा गिलास पानी लें और आधा गिलास दूध एक बर्तन में लें। इसमें एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण डालें और इसे उबाल लें। इसमें चीनी मिला लें और इसका सेवन करें।
- सामान्य जीवन में भी कर सकते हैं अश्वगंधा और दूध का सेवन किया जा सकता है। यदि आपको कोई बीमारी या समस्या नहीं है, तब भी आप अश्वगंधा को दूध के साथ ले सकते हैं।
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे और घरेलू उपाय - Ashwagandha Powder Benefits
- अगर आप पित्त की समस्या से ग्रसित व्यक्ति हैं और आपके बाल असमय सफेद होने के साथ ही झड़ने भी लगे हैं, तो आपको अश्वगंधा का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे आपकी समस्या का जरूर समाधान हो जाएगा।
- अगर आपको नींद न आने की समस्या है और आपकी रात सिर्फ करवटें बदलने में ही निकल जाती है, तो अश्वगंधा आपके लिए एक प्रभावशाली दवा की तरह काम करता है और आप चैन की नींद सो पाते हैं। अर्थात यह अनिद्रा की शिकायत को दूर करता है।
- अश्वगंधा एक चमत्कारी हर्ब है। इसे आयुर्वेद में अहम स्थान प्राप्त है। अल्ज़ाइमर का इलाज करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
- अश्वगंधा एक प्रकार का पौधा है जिससे पाउडर और कैप्सूल के रूप में कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाई जाती है, इसके साथ-साथ कई घरेलू नुस्खे में इस औषधि का प्रयोग किया जाता है।
- अश्वगंधा का सेवन करने से कुछ लोगों का शारीरिक तापमान बढ़ जाता है नतीजा, बुखार तक पहुंच सकता है। यदि आपको अश्वगंधा के रोजाना सेवन से प्रतिदिन शरीर के तापमान में बढ़ोत्तरी दिखाई देती है तो आपको तुरंत इसका सेवन करना बंद कर देना चाहिए अन्यथा आपको इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं और बुखार की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- अश्वगंधा की पत्तियों का सेवन करने वाले लोगों को पेट संबंधी समस्याएं होने की आशंका भी बनी रहती हैं। दरअसल अश्वगंधा की पत्तियों का सेवन करने से गैस बनने लगती है। अधिक मात्रा में अश्वगंधा के सेवन से दस्त और उल्टियां भी हो जाती हैं। इतना ही नहीं जिन लोगों को अल्सर की समस्या होती है उन्हें खाली पेट या फिर केवल अश्वगंधा का सेवन नुकसान पहुंचा सकता है।
- अश्वगंधा कैप्सूल और पाउडर के फायदे, कुछ और रोग भी है जिनके उपाय में अश्वगंधा का उपयोग किया जा सकता है जैसे की वेट लॉस, बॉडी बनाना, गठिया, कफ, अस्थमा, खांसी, स्किन के लिए, बालों के लिए, लीवर के रोग और बॉडी इम्यूनिटी बढ़ाना।
- अश्वगंधा खाने से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा कम हो जाती है जिससे हृदय की बीमारी होने की सम्मभावना कम हो जाती है।
- अश्वगंधा खाने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है। अश्वगंधा में पेट को साफ करने का गुण होता है जिससे पाचन क्रिया स्वत: दुरुस्त हो जाती है।
- अश्वगंधा निचले अंगों की मांसपेशियों की शक्ति में सुधार लाने और कमज़ोरी दूर करने में उपयोगी पाया गया है। यह मस्तिष्क और माँसपेशियों के बीच समन्वय पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। अध्ययन से पता चला है कि अश्वगंधा से शरीर की संरचना और ताकत बढ़ती है। पुरुषों में अश्वगंधा खाने से मांसपेशियां तंदुरुस्त होती हैं, शरीर के चर्बी घटती है और ज़ोर बढ़ता है।
- अश्वगंधा मेल हार्मोन लेवल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को इंप्रूव करता है। ये पुरुषों की फर्टिलिटी बढ़ाने में मदद करता है। इसके सेवन से स्पर्म काउंट बढ़ता है। टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन को बढ़ाने में मदद करता है। यह सेक्स के दौरान होने वाली थकान को कम करता है और एनर्जी देता है। अश्वगंधा से कई शक्तिवर्धक दवाएं बनाई जाती हैं, जो सेक्स से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा दिलाती हैं।
- अश्वगंधा लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में मधुमेह के उपचार के लिए इस्तेमाल किया गया है। मधुमेह के उपचार में अश्वगंधा के उपयोग पर अनुसंधान ने सकारात्मक परिणाम का संकेत दिया है। प्रयोगों ने दर्शाया कि जब अश्वगंधा का सेवन चार सप्ताह की अवधि के लिए किया गया, तब उपवास और दोपहर के खाने के बाद रक्त शर्करा के स्तर में काफी कमी आई। बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि अश्वगंधा खाने से ब्लड शुगर स्तर कम होता है। एक टेस्ट ट्यूब स्टडी में देखा गया था की अश्वगंधा खाने से इन्सुलिन की मात्रा शरीर में बढ़ती है और मांसपेशियों में इन्सुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है। मनुष्यों पर अध्ययन करने से पता चला है कि अश्वगंधा खाने से स्वस्थ और मधुमेह रोगियों में ब्लड शुगर स्तर कम हो जाता है।
- अश्वगंधा संधि वात की समस्याओं के लिए प्रभावी पाया गया है। यह जड़ी बूटी सूजन और दर्द को कम करने के लिए जानी जाती है। अश्वगंधा, अपने सूजन कम करने के गुण, एंटीऑक्सीडेंट और तनाव कम करने के गुणों के साथ, हृदय स्वास्थ्य की समस्याओं के लिए अच्छा है। यह हृदय की मांसपेशियों को मज़बूत बनता है।
- आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए अश्वगंधा, आंवला और मुलेठी को बराबर मात्रा में मिला कर इस पाउडर का 1 चम्मच रोजाना ले।
- आयुर्वेदिक चिकित्सा ग्रंथों के अनुसार, अश्वगंधा मानव में बैक्टीरिया के संक्रमण को नियंत्रित करने में प्रभावी है। भारत में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जैव प्रौद्योगिकी के केंद्र में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि अश्वगंधा में जीवाणुरोधी गुण हैं और मौखिक रूप से इसके सेवन किए जाने पर यह मूत्रजनन, जठरांत्र और श्वसन तंत्र के संक्रमण में बहुत प्रभावी है। इसकी जड़ों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।
- इसके अलावा मधुमेह रोगियों, पाचन संबंधी बीमारियों से परेशान व्यक्ति, अल्सर पीडि़त व्यक्ति, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अश्वगंधा के सेवन से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इसीलिए भी मना किया जाता है ताकि उनके होने वाले बच्चे को कोई नुकसान ना हो। बहरहाल, आपको अश्वगंधा के सेवन और इस्तेमाल से पहले अपने चिकित्सक से सलाह-मशविरा जरूर करना चाहिए।
- उसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स एजिंग प्रोसेस को स्लो करता है। त्वचा को फ्री रैडिकल्स से बचाता है। अश्वगंधा को टोनर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। स्काल्प सर्कुलेशन को इंप्रूव करता है और बालों को मज़बूत बनाता है। डैंड्रफ से छुटकारा दिलाता है।बालों के रंग के लिए ज़िम्मेदार मेलिनन के प्रोडक्शन को बढ़ाता है और स़फेद बालों को फिर से काला कर देता है।
- एंटीइंफ्लामेट्री गुणों की वजह से ये कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड लेवल को कम करता है और हृदय को स्वस्थ रखता है।
- एंटीबैक्टेरियल गुणों के कारण अश्वगंधा कई बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बचाता है।
- एक अध्ययन में कैंसर को खत्म करने के लिए ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में, विकिरण चिकित्सा और रसायन चिकित्सा के साथ अश्वगंधा को एक उभरता हुआ सहयोगी विकल्प है। यह ट्यूमर सेल को खत्म करने की गतिविधि के साथ बिना हस्तक्षेप किए कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए जाना जाता है।
- ऐसा कई लोगों का अनुभव है कि अश्वगंधा का सेवन करने के बाद उन्हें हर समय नींद आती रहती है। हालांकि विशेषज्ञों का इस बाबत कहना है कि जो लोग लगातार अश्वगंधा का लंबे समय तक सेवन करते हैं उनको फिर इसका सेवन करने के बाद नींद नहीं आती। शुरूआत में अश्वगंधा का सेवन थोड़ा सा कष्ट देने वाला होता है। ऐसे में आपको चाहिए कि आप इसकी खुराक शुरूआत के कुछ दिनों में रात को सोने से पहले लें। या फिर ऐसे समय में लें जब आप दिन में कुछ देर सो सके।
- जिन लोगों को सेक्स के दौरान थकान होने लगती है, उन्हें अश्वगंधा के सेवन से काफी लाभ मिलता है। अश्वगंधा में जवानी को बरकरार रखने की काफी शक्ति होती है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
- पुरुषों के लिए भी अश्वगंधा चूर्ण से होने वाले फायदे अनेक है। इसके सेवन से men की प्रजनन क्षमता बढ़ती है, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ती है, शारीरिक थकान, कमजोरी दूर होती है, शरीर में जोश आता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जो लोग अनिद्रा के रोग से परेशान है और गहरी नींद नहीं ले पाते उनके लिए अश्वगंधा एक अचूक दवा है।
- बालों की जड़ों व स्कैल्प संबंधी समस्याओं में भी यह काफी फायदेमंद है। जड़ों को मजबूती देने के साथ ही यह अन्य समस्याओं जैसे डैंड्रफ आदि से भी बचाता है।
- भारत में अश्वगंधा पारंपरिक रूप से आयुर्वेद में शारीरिक और मानसिक दोनों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। भारत में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में चिकित्सा विज्ञान संस्थान में, मानसिक स्वास्थ्य पर अश्वगंधा के प्रभाव को, विशेष रूप से अवसाद में, अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन ने चिंता और अवसाद के संबंध में अश्वगंधा के लाभों का वर्णन किया है।
- यदि आप किसी गंभीर बीमारी से निजात पाने के लिए अश्वगंधा का सेवन कर रहे हैं तो क्या आप जानते हैं, कि आप पर अन्य दवाएं बेअसर हो सकती हैं। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से अन्य दवाओं के बारे में अच्छी तरह से बातचीत करके ही दवाओं का सेवन करना चाहिए।
- यदि आप सूजन कम करने, गठिया के रोग को दूर करने, आर्थराइटिस इत्यादि रोगों से लड़ने के लिए अश्वगंधा का प्रयोग कर रहे हैं तो आपको ऐसी स्थिति में अश्वगंधा का सेवन बंद कर देना चाहिए। दरअसल अश्वगंधा के नियमित सेवन से आपकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक बढ़ जाती है जिससे शरीर के विपरीत काम करना शुरू कर देती है।
- यह घाव भरने और उसके इलाज के लिए बहुत उपयोगी है। अश्वगंधा की जड़ों को पीस कर पानी के साथ एक चिकना पेस्ट बना लें। राहत के लिए घावों पर इस पेस्ट को लगाएं।
- यह जड़ी बूटी शरीर में रक्तचाप को बिलकुल सही रखती है। इसे खाने से तनाव भी कम होता है। इस औषधि में डायबटीज को कम करने और कोलेस्ट्रॉल को घटाने की क्षमता होती है।
- यह बड़ी उम्र के हिसाब से भी बालों में पोषण का एक बेहतरीन जरिया है जो जड़ों तक पोषण देकर बालों को सफेद होने से बचाता है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखता है।
- वजन बढ़ाना है तो इसमें भी अश्वगंधा का सेवन काफी फायदेमंद होता है। अश्वगंधा और शतावरी को मिलाकर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाये और रात को सोने से पहले या कसरत के बाद इसका 1 चम्मच पाउडर खाये और ऊपर से गरम दूध पिए। 1 महीना ये उपाय करने पर वजन बढ़ने लगेगा।
- सफेद पानी (लिकोरिया) की वजह से महिलाओं के शरीर में कमजोरी आने लगती है और साथ ही प्रजनन क्षमता पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। अश्वगंधा के सेवन से महिलाओं को इस रोग से काफी राहत मिलती है। ब्रेस्ट का साइज़ बढ़ाने के लिए अश्वगंधा शतावरी के साथ ले।
- सूजन और दर्द को कम करने लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
- हाइपोथायरायडिज़्म के मामलों में, अश्वगंधा का इस्तेमाल थाइरोइड ग्रंथि को उत्तेजित करने के लिए किया जा सकता है। थायरॉयड ग्रंथि पर अश्वगंधा के प्रभाव पर एक अध्ययन से पता चला है कि इसकी जड़ों का एक्सट्रैक्ट, अगर प्रतिदिन लिया जाए, तो थायराइड हार्मोन के स्राव में वृद्धि होगी।
अश्वगंधा के नुकसान – Ashwagandha Side Effects
- अगर किसी व्यक्ति को अश्वगंधा खाने से बुखार हो जाता हो तो उन्हें अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अगर कोई और बीमारी हो और उसके साथ अश्वगंधा का सेवन कर रहे हो तो यह दूसरे दवाओं के असर को प्रभावित कर सकती है।
- अगर कोई महिला अपने बच्चे को स्तन पान करा रही हो तो उन्हें भी अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अश्वगंधा का उपयोग करते समय डॉक्टर सावधानी रखने की सलाह देते हैं क्योंकि अश्वगंधा सामान्य रूप से ली जा रही दवाइयों के साथ हस्तक्षेप कर सकता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो मधुमेह, हाई बीपी, चिंता, अवसाद और अनिद्रा जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।
- अश्वगंधा का सेवन अधिक करने से शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते है, जैसे शरीर का तापमान बढ़ना और बुखार आना। आप को अगर कोई समस्या हो तो इस का सेवन बंद करे और परेशानी ज्यादा होने लगे तो डॉक्टर से मिले।
- अश्वगंधा की टैबलेट या पाउडर बिना डॉक्टरी सलाह के न लें।
- अश्वगंधा के ज्यादा सेवन से हमें ज्यादा नींद आती है।
- अश्वगंधा के नुस्खे पेट के लिए काफी फायदेमंद है पर इसका सेवन अधिक करने पर ये फायदा करने की बजाय नुकसान कर सकती है, जैसे की दस्त लगना, पेट में गैस बनना और उलटी आना।
- अश्वगंधा तो हमारे शरीर के लिए अच्छा ही होता है पर हर चीज़ को इस्तेमाल करने से पहले उसके बारे में सब कुछ जान लेना चाहिए की उसके कोई नुकसान तो नहीं है न।
- ऑटोइम्यून डिसीज़ से पीड़ित लोगों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती महिला को अश्वगंधा का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को अश्वगंधा का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें गर्भ गिराने वाले गुण हैं।
- जिन लोगों को अल्सर की समस्या हो उन्हें खाली पेट में या केवल अश्वगंधा का सेवन नहीं खाना चाहिए।
- जो लोग थायरॉइड की दवाइयां खा रहे हैं, उन्हें भी अश्वगंधा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे थायरॉइड हार्मोन लेवल बढ़ सकता है। साथ ही इसके सेवन से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इसके सेवन से पहले डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि दवाओं का डोज़ बदलना पड़ेगा।
- ज़्यादा अश्वगंधा खाने से उलटी आना, पेट ख़राब होना या डायरिया जैसी समस्या हो सकती है। कुछ लोगों को अश्वगंधा से एलर्जी भी हो सकती है।
- डॉक्टर के बताए अनुसार ही डोज़ लें। इसके ज़्यादा सेवन से डायरिया, उल्टी या पेट ख़राब हो सकता है।
- नींद नहीं आने की समस्या को दूर करने में ये काफ़ी उपयोगी है पर इस दवाई का सेवन अधिक करने पर जादा नींद आना या फिर नींद ना आना जैसी समस्याएं होने लगती है जिसका दुष्प्रभाव सेहत पर पड़ता है।
- प्रेग्नेंट महिलाएं या वो महिलाएं जो स्तनपान कराती हैं, वो अश्वगंधा का सेवन न करें।
- बड़ी मात्रा में अश्वगंधा की खपत से बचें क्योंकि ऐसा करने पर दस्त, पेट की ख़राबी और मतली जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
- लम्बे समय तक इस के सेवन से दूसरी मेडिसिन शरीर पर जल्दी असर नहीं कर पाती, ऐसे में किसी दूसरी बीमारी के इलाज में ली जाने वाली दवा से जल्दी लाभ नहीं मिलता।
- शुगर (मधुमेह), ब्लड प्रेशर व गठिया जैसे रोग के उपचार के लिए अगर अश्वगंधा पाउडर का सेवन करते है तो ध्यान रहे आप इस का सेवन अधिक मात्रा में ना करे।
अश्वगंधा को सेवन कैसे करे How to take Ashwagandha
- अगर किसी बीमारी के उपचार के लिए आप कोई देसी दवा या मेडिसिन ले रहे है तो अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलकर सलाह जरूर ले।
- अश्वगंधा को आप 2 से 5 ग्राम तक रोजाना खा सकते हैं। इसके लिए आप 100 ग्राम अश्वगंधा को 100 ग्राम मिश्री में मिला कर रख लीजिये, इसक एक चम्मच रात को सोते समय दूध के साथ सेवन करें।
- अश्वगंधा को कैसे खाये ये इस बात पर निर्भर करता है की किस रोग के इलाज के लिए आप इसका सेवन करना चाहते है व आप की उम्र क्या है। बड़ों के मुकाबले बच्चों के लिए इसकी मात्रा कम होती है।
- अश्वगंधा चूर्ण और कैप्सूल दोनों रूप में आता है जो आप बाबा रामदेव पतंजलि के स्टोर पर सर्वसुलभ है अथवा मेडिकल स्टोर या पंसारी की दुकान से ले सकते है।
- अश्वगंधा प्रकृति का दिया हुआ अमूल्य वरदान है जिसे कई तरह के रोगों के लिए आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल करते है पर इसका सेवन करने का तरीका हमें मालूम होना चाहिए। बाज़ार में अश्वगंधा के जड़ पाउडर में या तो सूखे रूप में या ताज़ा जड़ के रूप में उपलब्ध होते है आजकल तो पतंजलि के भी अश्वगंधा कैप्सुल या पाउडर बाज़ार में उपलब्ध होते है।
- आज कल के समय में, लोग अश्वगंधा के कैप्सूल लेना ज़्यादा पसंद करते हैं क्योंकि इनका सेवन करना आसान होता है। इनकी क़्वालिटी भी अच्छी होती है और ये ज़्यादा मात्रा में मिल जाते हैं। अश्वगंधा के रोज़ 1-2 कैप्सूल, 2 बार लेने चाहिए।
- आप 10 मिनट के लिए पानी में अश्वगंधा पाउडर को उबालकर अश्वगंधा की चाय बना सकते है पर एक कप पानी में एक चम्मच से अधिक न दे। आप सोने से पहले अश्वगंधा जड़ के पाउडर को गरम दूध के एक गिलास के साथ भी ले सकते है। अश्वगंधा शरीर में आयरन को बढ़ा देता है,हर दिन तीन बार 1-1 मिली ग्राम सेवन करने से शरीर में खून की मात्रा बढ़ सकती है। इससे हमारे शरीर का पाचनशक्ति अच्छा होता है।
- किसी रोग के इलाज के लिए अगर आप इसका उपयोग करना चाहते है तो अश्वगंधा को खाने का तरीका उस रोग से जुड़े लेख में जाने।
- गैस, अल्सर व प्रेगनेंसी के दौरान अश्वगंधा कैप्सूल और पाउडर का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- यदि अश्वगंधा 3 से 6 ग्राम की मात्रा में चूर्ण एक माह तक दूध, घी, तेल या ताज़ा पानी के साथ बच्चों को सेवन करा दिया जाए तो जिस प्रकार वर्षा के पश्चात वनस्पतियों की पुष्टि होती है उसी प्रकार से बच्चों का शरीर पुष्ट हो जाता है। अगर वृद्ध भी शरद् ऋतु में इसका सेवन एक महीने तक कर लें तो वो भी पुनः जवानी का अनुभव करते हैं।
- लगभग 40 से 45 दिनों तक 1 चम्मच अश्वगंधा के चूर्ण को 1 गिलास दूध में मिला कर के उसमें थोड़ा सा गुड़ या चीनी भी मिला कर पीने से इंसान का कद बढ़ता है।
- वैसे तो आयुर्वेदिक दवा से नुकसान ना के बराबर होते है पर जब इन को सही तरीके से ना ले या अधिक मात्रा में इसका उपयोग करें तो ये नुकसान भी कर सकते है। इसलिए इनके सेवन से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिले और इसे लेने का सही तरीका और सही मात्रा के बारे में विस्तार से जाने।
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1 टिप्पणी:
Very nice tm
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