राजपूत - क्षत्रिय वंश की कुलदेवियाँ List Of The Kuldevi

राजपूत - क्षत्रिय वंश की कुलदेवियां
List Of The Kuldevi Of Rajputs

List Of The Kuldevi Of Rajputs

राजपूत शब्द संस्कृत शब्द ‘राजपुत्र’ का अपभ्रंश है। प्राचीन समय में भारत में वर्ण व्यवस्था थी जिसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र इन चार वर्णों में बाँटा गया था। जब राजपूत काल आया तब यह वर्ण व्यवस्था समाप्त हो गई तथा इन वर्णों के स्थान पर कई जातियाँ व उपजातियाँ बन गई। राजपूत युग की वीरता व पराक्रम का भारतीय इतिहास में अद्वितीय स्थान है। क्षत्रियों का कार्य समाज की रक्षा करना था। कालांतर में ये ही क्षत्रिय राजपुत्र कहलाये। राजपूताने में पुत्र को पूत कहा जाता है और ये राजपूत नाम से प्रसिद्ध हुए।  राजपूत भारतीय उपमहाद्वीप की बहुत प्रभावशाली जाति है और यह जाति सदैव ही शासक रही है। राजपूत समाज की अपनी कुल देवियों की मान्यता है जिनकी यह पूजा करते है और जिनसे उन्हें शक्ति मिलती है। इन सभी कुल शाखाओं ने  नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखने के लिए कुल देवियों को स्वीकार किया। ये कुलदेवियां कुल के अनुसार निम्नलिखित हैं-
  1. खंगार - गजानन माता
  2. चावड़ा - चामुंडा माता
  3. छोकर  - चण्डी केलावती माता
  4. धाकर - कालिका माता
  5. निमीवंश - दुर्गा माता
  6. परमार - सच्चियाय माता
  7. पुरु - महालक्ष्मी माता
  8. बुन्देला - अन्नपूर्णा माता
  9. इन्दा - चामुण्डा माता
  10. उज्जेनिया - कालिका माता
  11. उदमतिया - कालिका माता
  12. कछवाहा - जमवाय माता
  13. कणड़वार - चण्डी माता
  14. कलचूरी - विंध्यवासिनी माता
  15. काकतिय - चण्डी माता
  16. काकन - दुर्गा माता
  17. किनवार - दुर्गा माता
  18. केलवाडा - नंदी माता
  19. कौशिक - योगेश्वरी माता
  20. गर्गवंश कालिका माता
  21. गोंड़ - महाकाली माता
  22. गोतम - चामुण्डा माता
  23. गोहिल - बाणेश्वरी माता
  24. चंदेल - मेंनिया माता
  25. चंदोसिया - दुर्गा माता
  26. चंद्रवंशी - गायत्री माता
  27. चुड़ासमा -अम्बा भवानी माता
  28. चौहान - आशापूर्णा माता
  29. जाडेजा - आशपुरा माता
  30. जादोन - कैला देवी (करोली )
  31. जेठंवा - चामुण्डा माता
  32. झाला - शक्ति माता
  33. तंवर - चिलाय माता
  34. तिलोर - दुर्गा माता
  35. दहिया - कैवाय माता
  36. दाहिमा - दधिमति माता
  37. दीक्षित - दुर्गा माता
  38. देवल - सुंधा माता
  39. दोगाई - कालिका(सोखा)माता
  40. नकुम - वेरीनाग बाई
  41. नाग - विजवासिन माता
  42. निकुम्भ - कालिका माता
  43. निमुडी - प्रभावती माता
  44. निशान - भगवती दुर्गा माता
  45. नेवतनी - अम्बिका भवानी
  46. पड़िहार - चामुण्डा माता
  47. परिहार - योगेश्वरी माता
  48. बड़गूजर - कालिका(महालक्ष्मी)माँ
  49. बनाफर - शारदा माता
  50. बिलादरिया - योगेश्वरी माता
  51. बैस - कालका माता
  52. भाटी - स्वांगिया माता
  53. भारदाज - शारदा माता
  54. भॉसले - जगदम्बा माता
  55. यादव - योगेश्वरी माता
  56. राउलजी - क्षेमकल्याणी माता
  57. राठौड़ - नागणेचिया माता
  58. रावत - चण्डी माता
  59. लोह - थम्ब चण्डी माता
  60. लोहतमी - चण्डी माता
  61. लोहतमी - चण्डी माता
  62. वाघेला - अम्बाजी माता
  63. वाला - गात्रद माता
  64. विसेन - दुर्गा माता
  65. शेखावत - जमवाय माता
  66. सरनिहा - दुर्गा माता
  67. सिंघेल - पंखनी माता
  68. सिसोदिया - बाणेश्वरी माता
  69. सीकरवाल - कालिका माता
  70. सेंगर - विन्ध्यवासिनि माता
  71. सोमवंश - महालक्ष्मी माता
  72. सोलंकी - खीवज माता
  73. स्वाति - कालिका माता
  74. हुल - बाण माता
  75. हैध्य - विंध्यवासिनी माता
  76. मायला  - इन्जु माता (पाठक के सुझाव पर)
सिकरवार क्षत्रियों की कुलदेवी कालिका माता
हरदोई के भवानीपुर गांव में कालिका माता का प्राचीन मंदिर है। सिकरवार क्षत्रियों के घरों में होने वाले मांगलिक अवसरों पर अब भी सबसे पहले कालिका माता को याद किया जाता है। यह मंदिर नैमिषारण्य से लगभग 3 किलोमीटर दूर कोथावां ब्लाक में स्थित है। कहा जाता है कि पहले गोमती नदी मंदिर से सट कर बहती थी। वर्तमान में गोमती अपना रास्ता बदल कर मंदिर से दूर हो गयी है, लेकिन नदी की पुरानी धारा अब भी एक झील के रूप में मौजूद है। बुजुर्ग बताते हैं कि पेशवा बाजीराव द्वितीय को 1761 में अहमद शाह अब्दाली ने युद्ध क्षेत्र में हरा दिया था। इसके बाद बाजीराव ने अपना शेष जीवन गोमती तट के इस निर्जन क्षेत्र में बिताया। चूंकि वह देवी के साधक थे। इस कारण मंदिर स्थल को भवानीपुर नाम दिया गया। पेशवा ने नैमिषारण्य के देव देवेश्वर मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया था। अब्दाली से मिली पराजय के बाद उनका शेष जीवन यहां माता कालिका की सेवा और साधना में बीता। उनकी समाधि मंदिर परिसर में ही स्थित है। यहां नवरात्र के दिनों में मेला लगता है। मेला में भवानीपुर के अलावा जियनखेड़ा, महुआ खेड़ा, काकूपुर, जरौआ, अटिया और कोथावां के ग्रामीण पहुंचते हैं। यहां सिकरवार क्षत्रिय एकत्र होकर माता कालिका की विशेष साधना करते हैं।
नोट - कृप्या क्षत्रिय राजपूतो से मेरा अनुरोध है कि सभी लोग अपनी अपनी कुलदेवी का नाम जरूर लिखे, जिस किसी की कुलदेवी का नाम छूट गया है, ताकि उसे भी जोड़ा जा सके।
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127 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. Sambar se shakambhari mata kin rajputo ki kuldevi hai?

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    2. भारदाज के वंश की देवी कोन है तथा भारदाज वंश के बारे में बताइए

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    3. Bachgoti thakur ki kuldevi ka naam kya hai?

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    4. कांडमार मतलब कणडेरा लिख ही क्या भाई apne

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    5. चौराहे वाली माता जो की शीतला माता के रूप में पूजी जाती हैं जिनको सताक्षि माता का रूप माना जाता है जो की शकुम्भरी देवी, भीमा देवी , भ्रामरि देवी, और सताक्षि देवी हैं ये किस क्षत्रिय वंश की कुल देवी है

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    6. उत्तर प्रदेश सहारनपुर में स्थित शकुम्भरी देवी किस क्षत्रिय जाती ki कुल देवी हैं

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    7. खंगार कब से क्षत्रिय हो गए इनको बुंदेलखंड में चोर लुटेरी जाति बोला गया है इतिहास चोरों को क्षत्रिय घोषित करने का ठेका ले लिया है???

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    8. अहीर जो यादव लिख रहे हैं वो कब से क्षत्रिय हो गए और खंगार कब से क्षत्रिय हो गए खंगार, अहीर, लोधी, ये सब इतिहास चोर है

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  2. आमेर शिला देवी किनकी कुल देवी है

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  3. शिला देवी माता किनकी कुल देवी है?

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    1. जयपुर के राजपरिवार की कुल देवी है

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  4. रघुवंशियो की कुल देवी बड़ी देवकाली(महाकाली,महालक्ष्मी,महासरस्वती)चण्डिका देवी है।जो फैजाबाद में विराजमान है।महाराज रघु कुल देवी की पूजा कर द्विगविजय के लिए निकले थे। तथा माता कौशल्या ने इसी मंदिर में भगवान राम की मुंडन करवाई थी।द्वापरयुग में राजा सुदर्शन ने भी अपनी कुलदेवी बड़ीदेव काली मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। जो बड़ी देवकाली(महाकाली,महालक्ष्मी,महासरस्वती)फैजाबाद में आज भी वर्त्तमान है। छोटीदेव जो अयोध्या में है। जब माता सीता शादी के बाद अयोध्या आयी तो जनक की कुल देवी गिरजा देवी की प्रतिमा माता सीता अपने साथ लेती आई। जिसे राजा दशरथ ने सप्त सागर तलाव पर स्थापना किया जो छोटी देव काली के नाम से जानी जाती है,सप्तसागर तलाव को कोरप्रेसन ने पटवा दिया है। लेकिन छोटी काली का मंदिर आज भी वर्त्तमान है।

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    1. जादौन राजपूतों की कुलदेवी माता अंजनी है जो करौली में है पांचना बांध पर हिंडौन रोड के ऊपर पहाड़ी पर माता विराजमान है

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    2. उचित कहा आपने बड़े भैया हमारी कुल देवी मां देवकाली हैं

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    3. हिंगलाज और खोडियार माता किस राजपूत की कुलदेवी थी

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    4. हिंगलाज माता डाबी वंश की कुलदेवी हैं

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    5. और गायकवाड़ राजपूतों का ?

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    6. सुरवार हूं, गोत्र गर्ग तथा वंश सूर्य है।कुलदेवी बताने का कष्ट करें।

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    7. सुरवार हूं, कृपया कुलदेवी का नाम बताएं

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  5. संचौरा चौहान की कुलदेवी मां आशापुरा (भराड़ी माता)

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  6. सांचौरा चौहान की कुलदेवी मां आशापुरा (भराड़ी माता)

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  7. मायला Rajput जिनकी कुल देवी का नाम इन्जु माता है

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  8. अन्दोत्रा, श्री राज राजेश्वरी मां कैला देवी (कैला-चामुंडा देवी भवन- करौली, राजस्थान।)

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  9. भदौरिया कुल की कुलदेवी कोन सी माता है

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    1. माँ भद्रकाली (लखना,इटावा,उत्तर प्रदेश) एवं गुजरात में मुख्य मंदिर है

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  10. Bhai Parihar ki Kul Devi पिलखिन देवी‌ है

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    1. Jodhpur Rathoad vansh ke kul guru aur kul devta aur kul bherav kon hai maa naganechya kul devi hai kul guru aur kul devta bataiye

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  12. प्रवीण कुमार सिंह मेरा गोत्र भारद्वाज है राजस्थान के किस राज्य में पाए जाते हैं

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  13. सिसोदिया गोत्र की आशापुर माता (बागेश्वरी)

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  14. निकुम्भ की कुल देवी शमे माता है।

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  15. हमारे समाज की हरण गाय गोत्र है हमारी देवी बड़ी बिजासन देवी है यह नाम जोड़ने की कृपा करें धन्यवाद

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    1. जमुवाय माता जी संपूर्ण कछवाहों की हैं, किसी भी खाप के लिए कुलदेवी नही बदलती

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  17. कुल दोड गोत्र भार्गव परवार कि कुल देवी कोनस ह

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  18. चंद्रसेन गोत्र की कुलदेवी कौन है
    कृपया बताएं

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  19. डोडिया की कुलदेवी माता मां चामुण्डा है

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  20. ननवग क्षत्रिय वंश गोत्र की कुलदेवी कौन है

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  21. सर जी छानवाल किस किस गोत्र में आते है. बताया जाता है कि छानवाल की कुलदेवी कैलामाता (करौली राजस्थान) है.

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  22. उमट वंशज का गौत्र क्या है ओर कुलदेवी ऊमिया देवी है

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  23. हम अग्निवंशी राजपूत वत्स गोत्री चौहान से निकले राजपूत जो की राजकुमार राजपूत के नाम से जाने जाते है हमारे कुलदेवी माता फूलमती देवी है और हमारी उपदेवी जो मारी माता के नाम से जानी जाती है जो गोमती नदी के किनारे पापर में उनका मंदिर है जय राजपुताना जय मां भवानी

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    1. Hum bhi Chouhan hai ,hamari kuldevi bhi phulmati mata hai

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    2. बनाफर वंश की कुलदेवी जय माता शारदा देवी

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  24. पंवार शाखा.. कश्यप गोत्र.. धेकाहा की कुलदेवी का मंदिर कहा है और कौनसी है

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  25. कालिका माता नगरी हैं पवार वंश की कुलदेवी माता सिटी धार

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  26. खंगार वंश की कुलदेवी गजानन माता

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  27. खंगार वंश की कुलदेवी गजानन माता

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  28. भाई सोमवंश का गोत्र बैयकृत होता है

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  29. धनवस्त की कुलदेवी कौन हैं। डॉ जनार्दन प्रसाद सिंह सुरेरी जौनपुर।

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    उत्तर
    1. धनवस्तों की कुलदेवी माँ कटेश्वरी(कर्णॆश्वरी) भवानी हैं।

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  30. दोनवार् वंश, कुलदेवी माता शती

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  31. राठौर
    कुलदेवी - बड़ी बिजासनी मां

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  32. भाई क्षत्रिय रोहिल्ला राजपुतो कि कुलदेवी नही लिखी आपने

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  33. चण्डी केलावती माता कहा विराजमान है ? जो छोंकार वंश की कुलदेवी है ??

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  34. हम रौतेला राजपूत हैं और कुम्मेरगढ़ से जिला सिवनी सन 1900 ई0 के लगभग आये हैं और हम अपने को सूर्य वंशी राजपूत सामान वर्ग मानते हैं और हमारी कुलदेवी सिंहवाहिनी दुर्गा माता है कृपया रौतेला राजपूतों की संपूर्ण वंशावली ,,,

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  35. पचरुखा माता जो निकुंभ राजपूतों की कुल देवी थी।
    इनका मंदिर उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से ३० किमी की दूरी पर गायघाट नामक गांव में एक टीले पर उपस्थित है।

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  36. नरवनी वंश, की कुलदेवी कहां की हैं ,और कौन हैं?

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  37. चंदेल ठाकुर राजपूतो कि कुल देवी कोणसी है

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  38. Pawagadh ki kuldevi ka kya name h jo panwar rajputane ki h

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  41. डाबी गोत्र की कुलदेवी कहाँ पर स्थित है (जोधपुर वाले माता नहीं )

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  42. डाबी गोत्र की कुलदेवी कहां है पर विराजमान है

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  43. मनवा कुर्मी, आडील धुरंधर की कुल देवी या देवता कौन हैं?

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  44. कठेरिया राजपूत की कुल देवी बताएं

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