वर्तमान संविधान में निम्नलिखित 12 अनुसूचियाँ हैं-
- प्रथम अनुसूची—इसमें भारतीय संघ के घटक राज्यों और संघीय क्षेत्रों का उल्लेख है।
- द्वितीय अनुसूची—इसमें भारतीय राज्य-व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों, यथा—राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और उपसभापति आदि के वेतन-भत्ते, पेंशन आदि का उल्लेख किया गया है। इस सूची में उल्लिखित पदों पर संवैधानिक गरिमा प्राप्त है।
- तृतीय अनुसूची—इसमें विभिन्न पदाधिकारियों जैसे—राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री आदि द्वारा ग्रहण की जानेवाली शपथ का उल्लेख है।
- चतुर्थ अनुसूची—राज्यसभा में विभिन्न राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व का विवरण इसमें दिया गया है।
- पंचम अनुसूची—इसमें विभिन्न अनुसूचित जातियों के बारे में उल्लेख है।
- एवं अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण के बारे में उल्लेख है।
- षष्ठम अनुसूची—इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में प्रावधान हैं।
- सप्तम अनुसूची—इसमें संघ-सूची, राज्य-सूची और समवर्ती-सूची के विषयों का उल्लेख है।
- अष्टम अनुसूची—भारत की 18 भाषाओं का उल्लेख इसमें किया गया है। आरंभ में इस सूची के अंतर्गत केवल 14 भाषाएँ थीं। सन् 1967 में सिंधी को और 1992 में कोंकड़ी, मणिपुरी तथा नेपाली भाषाओं को इस सूची में स्थान दिया गया।
- नवम अनुसूची—यह अनुसूची प्रथम संविधान-संशोधन अधिनियम (1951) द्वारा जोड़ी गई। इसके अंतर्गत राज्य तथा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इस अनुसूची में सम्मिलित विधियों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। इस अनुसूची में विभिन्न अधिनियमों को सम्मिलित किया जाता रहा है। आज इस अनुसूची में 284 से अधिक अधिनियमों को स्थान मिल गया है।
- दशम अनुसूची—यह अनुसूची संविधान में 52वें संविधान-संशोधन (1985) द्वारा जोड़ी गई है। इसमें दल-बदल निषेध से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है।
- एकादश अनुसूची—यह अनुसूची 73वें संविधान संशोधन (1993) द्वारा जोड़ी गई है। इसी के आधार पर पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। इस अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं को प्रदान किए गए 29 विषयों (अनुच्छेद 243 छ) का उल्लेख है।
- द्वादश अनुसूची—यह अनुसूची 74वें संविधान-संशोधन (1993) के आधार पर जोड़ी गई है। इस अनुसूची में नगरीय, स्थानीय, स्वशासन संस्थाओं का उल्लेख कर उन्हें संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। इसमें नगरीय स्थानीय निकायों को प्रदत्त 18 विषयों (अनुच्छेद 243 ब) का उल्लेख है।
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