जी- 4 चार राज्यों भारत, जर्मनी, जापान, तथा ब्राजील का संगठन है। यह एक मात्र उद्देश्य के लिए बनाया गया है और यह उद्देश्य है - संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में चारों राज्यों द्वारा स्थायी स्थान प्राप्त करना इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु चारों राज्यों ने अपनी घोषणा द्वारा एक दूसरे देशों के इस दावेदारी का समर्थन किया है। यह संगठन 2004 में आस्तित्व में आया। जी-4 के देशों ने सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की औपचारिक रुप से दावेदारी संयुक्त राज्य के महासभा के 59वे सत्र के आरम्भ में 22 सितम्बर 2004 को संयुक्त रुप में पेश की। इस दावेदारी को पेश करते हुए इन देशों ने संयुक्त रुप से यह कहा कि अब संयुक्त राष्ट्र संघ की निर्णय प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी तथा प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाने का समय आ गया है। पिछले 50 वर्षों में दुनिया में आए बदलावों के कारण वर्तमान चुनौतियों और खतरों से निपटने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ में बुनियादी परिवर्तन आवश्यक है। 1945 के बाद से अब तक संयुक्त राष्ट्र में चार गुना सदस्यता वृद्धि हुई है, अतः सुरक्षा परिषद् में भी अस्थायी और स्थायी सदस्य बढ़ाए जाने चाहिए।
24 अक्टूबर 1945 के समय संयुक्त राष्ट्र का उद्भव महज 51 राज्यों के साथ हुआ था, जबकि आज यह सदस्य संख्या बढ़कर 193 तक जा पहुँची है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भी अस्थायी सदस्य 1965 में 6 से बढ़ाकर 10 कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, चीन, फ्रांस तथा ब्रिटेन उस समय की महान शक्तियां थी। वही तकनीकी, अर्थव्यवस्था एवं अर्थव्यवस्था के आकार के रुप में भारत एवं ब्राजील भी विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखते है। आज इन देशों की मांग एवं मान्यता यही है कि उन्हें सुरक्षा परिषद् का स्थायी हिस्सा बनाकर ही संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका वास्तविक एवं लोकतान्त्रिक आधार ले सकती है। जी-4 के सदस्य देश इस बात के लिए कृत संकल्प है कि उन्हें आज की विश्व व्यवस्था में अनुकूल एवं सम्मान जनक स्थान मिले।
जी-4 के द्वारा किये जा रहे प्रयासों में विभिन्न समस्याएं उभर कर सामने आयी है। राष्ट्रों की प्रतिस्पर्धा, आपसी तनावपूर्ण संबंध जी-4 के देशों की स्थायी सदस्यता के मार्ग में सबसे बडी़ बाधा है। जहाँ चीन, जापान की सदस्यता के खिलाफ है, वही इटली जर्मनी की सदस्यता के, पाकिस्तान भारत के सदस्यता के और अर्जेंटीना एवं अन्य अमेरिकी देश ब्राजील के सदस्यता के विरोध में उठ खड़े हुए हैं। अमेरिका एवं चीन इन राज्यों की स्थायी सदस्यता के पक्ष में नहीं है।
24 अक्टूबर 1945 के समय संयुक्त राष्ट्र का उद्भव महज 51 राज्यों के साथ हुआ था, जबकि आज यह सदस्य संख्या बढ़कर 193 तक जा पहुँची है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भी अस्थायी सदस्य 1965 में 6 से बढ़ाकर 10 कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य देश संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, चीन, फ्रांस तथा ब्रिटेन उस समय की महान शक्तियां थी। वही तकनीकी, अर्थव्यवस्था एवं अर्थव्यवस्था के आकार के रुप में भारत एवं ब्राजील भी विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखते है। आज इन देशों की मांग एवं मान्यता यही है कि उन्हें सुरक्षा परिषद् का स्थायी हिस्सा बनाकर ही संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका वास्तविक एवं लोकतान्त्रिक आधार ले सकती है। जी-4 के सदस्य देश इस बात के लिए कृत संकल्प है कि उन्हें आज की विश्व व्यवस्था में अनुकूल एवं सम्मान जनक स्थान मिले।
जी-4 के द्वारा किये जा रहे प्रयासों में विभिन्न समस्याएं उभर कर सामने आयी है। राष्ट्रों की प्रतिस्पर्धा, आपसी तनावपूर्ण संबंध जी-4 के देशों की स्थायी सदस्यता के मार्ग में सबसे बडी़ बाधा है। जहाँ चीन, जापान की सदस्यता के खिलाफ है, वही इटली जर्मनी की सदस्यता के, पाकिस्तान भारत के सदस्यता के और अर्जेंटीना एवं अन्य अमेरिकी देश ब्राजील के सदस्यता के विरोध में उठ खड़े हुए हैं। अमेरिका एवं चीन इन राज्यों की स्थायी सदस्यता के पक्ष में नहीं है।
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