रैकवार क्षत्रिय वंश कुल देवी
रैकवार वंश के आदि पुरुष महाराजा राकादेव जी हैं। महाराजा राकादेव जी की इष्ट देवी माता दुर्गा जी है। रैकवार वंश की कुलदेवी दुर्गा जी को इसीलिए मानते हैं। महाराजा राकदेवजी ने रैकागढ़ बसाया था तथा अपनी कुलदेवी की पूजा भाद्रपद (भादों) मास के अंतिम बुधवार को पूजा किया करते थे। रैकवार वंश में बालक के जन्म व बालक-बालिका की शादी विवाह व सभी शुभ कामों में कुलदेवी की पूजा हल्दी, अच्छत, सुपाड़ी, लौंग तथा पीला चावल से परिवार,घर के कुलदेवी की पूजा कुल के क्रमशः जेष्ठ पुत्र, जेष्ठ पौत्र, जेष्ठ प्रपौत्र तथा जेष्ठ पड़पौत्र एवं उनकी धर्मपत्नीयों के द्वारा किया जाता है। रैकवार वंश का विस्तार धीरे धीरे महाराजा राका जी के वंशज रैकागढ़ स्टेट से महाराजा सल्देव जी, महाराजा बल्देव जी व भैरवानंद जी के रामनगर धमेढ़ी (बाराबंकी) एवं बहराईच बौड़ी, रेहुवा, चहलरी तथा हरिहरपुर में रैकवार वंशीय राज्य व तालुकेदारी स्थापित किया था।
रैकवार वंश की कुलदेवी माता दुर्गा की पूजा सदा से परिवार के कुलदेवी की पूजा कुल के क्रमशः जेष्ठ पुत्र, जेष्ठ पौत्र, जेष्ठ प्रपौत्र तथा जेष्ठ पड़ पौत्र एवं उनकी धर्मपत्नीयों के द्वारा किया जाता है। वैसे भागीदारी पूरे परिवार की रहती है। हमारे पूर्वजों की यही परंपरा हर जगह आज भी मौजूद है, सभी शुभ दिनों में कुलदेवी दुर्गा माता की पूजा होती है। कुलदेवी, माता दुर्गा जी की अपार कृपा दृष्टि अपने भक्तों पर रहती है। अपने पूर्वजों ने जब युद्ध लड़े तो कुलदेवी की पूजा करके ही मोर्चा में मैदान पर जाते थे। महाराजा प्रताप शाह व महाराजा बाल भद्र सिंह व राजा नरपति सिंह व बख्तावर सिंह जी 1857 में अंग्रेजों से युद्ध लड़े थे, तो माता कुलदेवी दुर्गा जी की पूजा पहले किया था।
शास्त्रों में बताया गया है कि जिस कुल यानी वंश में कुलदेवी प्रसन्न रहती हैं, वहां की सात पीढ़ियों में खुशहाली जीवन व्यतीत करती हैं। शास्त्रों के अनुसार हर वंश की एक देवी होती है, जिसकी विशेष मौकों पर पूजा की जाती है। उन्हें खुश रखने का सबसे आसान तरीका होता है, विशेष मौकों पर पूरे परिवार द्वारा विधिपूर्वक पूजा करना। इसके अलावा श्राद्ध पक्ष के दौरान पितृ तर्पण की परम्परा का पालन भी जरूर करना चाहिए, इससे पितृ पक्ष का आशीर्वाद बना रहता है।
धन्यवाद सभी जानकारी के लिए हम बस्ती जिले से हैं रैकवार क्षत्रिय जय मां विंध्यवासिनी 🚩🚩🚩🙏
जवाब देंहटाएंहम लोग सुल्तानपुर जिले से है।
हटाएंRakwar logo ka gotra kya hai
हटाएंIss bans kisi jati kya hai
हटाएंअत्यंत सराहनीय एवं ऐतिहासिक महत्व की जानकारी देने हेतु आपका हार्दिक आभार।। हम रामनगर बाराबंकी से हैं, जहां से रैकवार राजपूतों की वंश बेल बहराइच, सीतापुर एवं अन्य जनपदों में फैली।। महराजा धीराज प्रतापशाह की समाधि हमारे ग्राम अमोली कला में है।हर विजय दशमी को विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।।
हटाएंराजेंद्र प्रताप सिंह
Raikwar 👑👑❤️🔥
जवाब देंहटाएंJai भवानी jai maa दुर्गे ❤️❤️🙏💪💪💐💐
जवाब देंहटाएंहम सब सुल्तानपुर जिले से है धन्यवाद
जवाब देंहटाएंAadarsh Singh Thakur
जवाब देंहटाएंCast
जवाब देंहटाएंJay mata di ❤️🙏
जवाब देंहटाएंDEEPAK RAIKWAR
Motihari bihar
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जानकारी देने के लिए हम टीकमगढ़ जिले के मचखेरा गांव से | रैकवार क्षत्रिय जय मां विंध्यवासिनी 🚩🚩🚩🙏
जवाब देंहटाएंकिशोरी रैकवार
अच्छा आपकी ससुराल बीना में है क्या
हटाएंरैकवारो का गोत्र भारद्वाज है
जवाब देंहटाएंMera to vaishishtya gotra he
हटाएंMai Omprakash raikwar Indore se
जवाब देंहटाएंHam Bahraich jila raikwar kshtriya Bhardwaj gotra Suryavanshi kshtriy Hain
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर,कृपया बताएं कि कुल देवी कहां विराजमान हैं।
जवाब देंहटाएंSantosh Singh raikwar bihar ke Sonepur gangajal villages se 🚩 जय जय भवानी 🚩
जवाब देंहटाएंमैं अम्बेडकर नगर से हूँ
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