स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986
Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986
स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986
(1986 का अधिनियम संख्यांक 60)
[23 दिसम्बर, 1986]
विज्ञापनों के माध्यम से या प्रकाशनों, लेखों, रंगचित्रों, आकृतियों में या किसी अन्य रीति से स्त्रियों के अशिष्ट रूपण का प्रतिषेध करने और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों के लिए
अधिनियम भारत गणराज्य के सैंतीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ—(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986 है।
(2) इसका विस्तार, जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय, संपूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख! को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।
2. परिभाषाएं इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
(क) “विज्ञापन” के अन्तर्गत कोई सूचना, परिपत्र, लेबल, रैपर या अन्य दस्तावेज है और इसके अंतर्गत प्रकाश, ध्वनि, धुआं या गैस के माध्यम से किया गया कोई दृश्य रूपण भी है ;
(ख) “वितरण” के अंतर्गत नमूने के तौर पर, चाहे मुफ्त या अन्यथा, वितरण भी है ;
(ग) “स्त्री अशिष्ट रूपण” से किसी स्त्री की आकृति, उसके रूप या शरीर या उसके किसी अंग का, किसी ऐसी रीति से ऐसे रूप में चित्रण करना अभिप्रेत है जिसका प्रभाव अशिष्ट हो, अथवा जो स्त्रियों के लिए अपमानजनक या निन्दनीय हो, अथवा जिससे, लोक नैतिकता या नैतिक आचार के विकृत, भ्रष्ट या क्षति होने की संभावना है ;
(घ) “लेबल” से कोई लिखित, चिह्नित, स्टाम्पित, मुद्रित या चित्रित विषय-वस्तु अभिप्रेत है जो किसी पैकेज पर चिपकाई गई है या उस पर दिखाई दे रही है ;
(ङ) “पैकेज” के अंतर्गत कोई बाक्स, कार्टन, टिन या अन्य पात्र भी है;
(च) “विहित” से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है।
3. स्त्री अशिष्ट रूपण अंतर्विष्ट करने वाले विज्ञापनों का प्रतिषेध कोई व्यक्ति, कोई ऐसा विज्ञापन जिसमें किसी भी रूप में स्त्रियों का अशिष्ट रूपण अंतर्विष्ट है, प्रकाशित नहीं करेगा या प्रकाशित नहीं करवाएगा अथवा उसके प्रकाशन या प्रदर्शन की व्यवस्था नहीं करेगा या उसमें भाग नहीं लेगा।
4. स्त्री अशिष्ट रूपण अंतर्विष्ट करने वाली पुस्तकों, पुस्तिकाओं, आदि के प्रकाशन या डाक द्वारा भेजने का प्रतिषेध कोई व्यक्ति, कोई ऐसी पुस्तक, पुस्तिका, कागज-पत्र, स्लाइड, फिल्म, लेख, रेखा-चित्र, रंगचित्र, फोटोचित्र, रूपण या आकृति का, जिसमें किसी रूप में स्त्रियों का अशिष्ट रूपण अंतर्विष्ट है, उत्पादन नहीं करेगा या उत्पादन नहीं करवाएगा, विक्रय नहीं करेगा, उसको भाड़े पर नहीं देगा, वितरित नहीं करेगा, परिचालित नहीं करेगा या डाक द्वारा नहीं भेजेगा : परन्तु इस धारा की कोई बात,
(क) किसी ऐसी पुस्तक, पुस्तिका, कागज-पत्र, स्लाइड, फिल्म, लेख, रेखाचित्र, रंगचित्र, फोटोचित्र, रूपण या आकृति को लागू नहीं होगी,
(i) जिसका प्रकाशन लोक कल्याण के लिए होने के कारण इस आधार पर न्यायोचित साबित हो जाता है कि ऐसी पुस्तक, पुस्तिका, कागज-पत्र, स्लाइड, फिल्म, लेख, रेखाचित्र, रंगचित्र, फोटोचित्र, रूपण या आकृति विज्ञान, साहित्य, कला अथवा विद्या या सर्वसाधारण संबंधी अन्य उद्देश्यों के हित में हैं ; या
(ii) जो सद्भावपूर्वक धार्मिक प्रयोजनों के लिए रखी या उपयोग में लाई जाती है ;
(ख) किसी ऐसे रूपण को लागू नहीं होगी जो
(i) प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेण अधिनियम, 1958 (1958 का 24) के अर्थ में किसी प्राचीन संस्मारक पर या उसमें ; या
(ii) किसी मंदिर पर या उसमें, या मूर्तियों के प्रवहण के उपयोग में लाए जाने वाले या किसी धार्मिक प्रयोजन के लिए रखे या उपयोग में लाए जाने वाले किसी रथ पर, तक्षित, उत्कीर्ण, रंगचित्रित या अन्यथा रूपित है;
(ग) किसी ऐसी फिल्म को लागू नहीं होगी जिसकी बाबत चलचित्र अधिनियम, 1952 (1952 का 37) के भाग 2 के उपबंध लागू होंगे।
5. प्रवेश करने और तलाशी लेने की शक्तियां (1) ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए, जो विहित किए जाएं, राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत कोई राजपत्रित अधिकारी, उस क्षेत्र की स्थानीय सीमाओं के भीतर, जिसके लिए वह इस प्रकार प्राधिकृत है,
(क) किसी ऐसे स्थान में, जिसमें उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किया गया है या किया जा रहा है, ऐसे सहायकों के साथ, यदि कोई हों, जिन्हें वह आवश्यक समझे, सभी उचित समयों पर, प्रवेश कर सकेगा और उसकी तलाशी ले सकेगा ;
(ख) कोई ऐसा विज्ञापन अथवा कोई ऐसी पुस्तक, पुस्तिका, कागज-पत्र, स्लाइड, फिल्म, लेख, रेखाचित्र, रंगचित्र, फोटोचित्र, रूपण या आकृति अभिगृहीत कर सकेगा, जिसके बारे में उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि वह इस अधिनियम के किन्हीं उपबंधों का उल्लंघन करती है।
(ग) खंड (क) में उल्लिखित किसी स्थान में पाए गए किसी अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या अन्य किसी भौतिक पदार्थ की परीक्षा कर सकेगा और, यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उससे इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध के किए जाने का साक्ष्य प्राप्त हो सकता है तो उसे अभिगृहीत कर सकेगा : परन्तु इस उपधारा के अधीन कोई प्रवेश किसी प्राइवेट निवास-गृह में वारंट के बिना नहीं किया जाएगा :
परन्तु यह और कि इस उपधारा के अधीन अभिग्रहण की शक्ति का प्रयोग, किसी ऐसे दस्तावेज, वस्तु या चीज के लिए, जिसमें ऐसा कोई विज्ञापन अन्तर्विष्ट है, उस दस्तावेज, वस्तु या चीज की अन्तर्वस्तु सहित, यदि कोई हो, किया जा सकेगा, यदि वह विज्ञापन समुद्भुत होने के कारण या अन्यथा, उस दस्तावेज, वस्तु या चीज से, उसकी समग्रता, उपयोगिता या विक्रय मूल्य पर प्रभाव डाले बिना, अलग नहीं किया जा सकता है।
(2) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबंध इस अधिनियम के अधीन किसी तलाशी या अभिग्रहण को, जहां तक हो सके, वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उक्त संहिता की धारा 94 के अधीन जारी किए गए वारंट के प्राधिकार के अधीन ली गई किसी तलाशी या किए गए किसी अभिग्रहण को लागू होते हैं।
(3) जहां कोई व्यक्ति उपधारा (1) के खंड (ख) या खंड (ग) के अधीन किसी वस्तु का अभिग्रहण करता है वहां वह यथाशक्य शीघ्र, निकटतम मजिस्ट्रेट को उसकी इत्तिला देगा और उस वस्तु की अभिरक्षा के संबंध में उससे आदेश प्राप्त करेगा।
6. शास्ति—कोई व्यक्ति, जो धारा 3 या धारा 4 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा, तथा द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि की दशा में, कारावास से जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी किन्तु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
7. कंपनियों द्वारा अपराध—(1) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है वहां प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिए उस कम्पनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कम्पनी भी ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएंगे और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने के भागी होंगे :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को दंड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए सभी सम्यक् तत्परता बरती थी। (2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है
जाता है कि वह अपराध कम्पनी के किसी निदेशक प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहां ऐसे निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी और तदनुसार उसे दंडित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण इस धारा के प्रयोजनों के लिए,
(क) “कम्पनी” से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम भी है ; तथा
(ख) किसी फर्म के संबंध में, “निदेशक” से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है।
8. अपराधों का संज्ञेय और जमानतीय होना—(1) दंड प्रकिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध जमानतीय होगा।
(2) इस अधिनियम के अधीन दंडनीय कोई अपराध संज्ञेय होगा।
9. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण—इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार अथवा केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के किसी अधिकारी के विरुद्ध नहीं होगी।
10. नियम बनाने की शक्ति—(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात् :
(क) वह रीति जिससे विज्ञापनों या अन्य वस्तुओं का अभिग्रहण किया जाएगा और वह रीति जिससे अभिग्रहण-सूची तैयार की जाएगी और उस व्यक्ति को दी जाएगी जिसकी अभिरक्षा से कोई विज्ञापन या अन्य वस्तु अभिगृहीत की गई है;
(ख) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या विहित किया जाए।
(3) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त अनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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