जब भी लंगोट का नाम आता है तो मन में हनुमान जी का नाम सबसे पहले आता है क्योंकि वे हमेशा लंगोट पहनते है, दूसरा लंगोट साधकों का भी प्रतीक है क्योंकि जब पहले के साधु साधना करते थे तो वे अपने शरीर पर लंगोट के अलावा कुछ भी धारण नहीं करते थे, ऐसे साधकों को आज भी देखा जा सकता है। इसके अलावा लंगोट ब्रह्मचर्य का भी प्रतीक है क्योंकि माना जाता है कि जो व्यक्ति लंगोट पहनता है उसका उसकी काम वासना पर नियंत्रण रहता है। लंगोट त्रिकोण आकार में बना एक अन्तः वस्त्र है और इसे अधिकतर कुश्ती करने वाले पहलवान व जिम जाने वाले व्यक्ति अपने अभ्यास के दौरान पहनते है। अभ्यास के दौरान ये अन्तः अंगों को ढके भी रखता है और उन्हें चोट से भी बचाए रखता है। इसके अलावा भी लंगोट की अन्य खासियत होती है। लंगोट में किसी खास तरह के रंग की प्राथमिकता नहीं दी जाती लेकिन फिर भी लाल रंग का लंगोट बहुत लोकप्रिय होता हैं। इसके पीछे लोगों के अपने अपने मत है कोई इसे आस्था से जोड़ता है तो कोई इसे चिकित्सा शास्त्र से। पहले के समय में अनेक लोग और साधु ब्रह्मचर्य का पालन करते थे जिसके कारण वे हमेशा लंगोट धारण किये हुए रखते थे क्योंकि उनका मानना है कि लंगोट कामेच्छा पर नियंत्रण बनाए रखने में बहुत सहायक होता है।
अकसर आपने पहलवान लोगों को लंगोट पहनते देखा होगा जो अखाड़े में जाते हैं। अखाड़े में जाने वाले लोग लंगोट पहनना जरूरी मानते हैं। लंगोट भारतीय पुरुषों द्वारा एक लुंगी या अंडरक्लॉकिंग के रूप में पहना जाने वाला एक अंडरगारमेंट है। मलयालम में, इसका नाम लैंकोटी / लंगोटी कहते है। लंगोट को “कौपीन” भी कहा जाता हैं। लेकिन लंगोट पहना अखाड़े में ही नहीं अब कुछ जिम्स में जटिल वर्कआउट के दौरान लंगोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। आइए जानते हैं कि लंगोट पहनना पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए कितना जरूरी है।
अखाड़े में वर्जिश या कुश्ती समय पुरुष लंगोट जरूर पहनते हैं। लंगोट आज से नहीं बल्कि वैदिक काल से हमारे देश में पुरुष अंडरवियर के तौर पर लंगोट पहनते आ रहे हैं। धीरे-धीरे पुरुषों का ये पारंपरिक अंतर्वस्त्र अखाड़े या योग तक ही सीमित कर रह गया है। इसे कई नाम से जाना जाता था। कौपिनम, कौपीन, लंकौटी, लंगौटी और लंगौट। आपको जानकर हैरानी होगी कि पारम्परिक तौर पर अंडरवियर के तौर पर लंगोट पहनना पुरुष के जननांगों के लिए बेहतरीन होता हैं। बल्कि ये सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता हैं।
इसका संबंध पुरुषों के स्वास्थ्य से भी है। लंगोट पहनना उनकी सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता है। इसलिए अब कुछ जिम में जटिल वर्कआउट के दौरान लंगोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। आपने अकसर उन लोगों को लंगोट पहनते देखा होगा जो अखाड़े में जाते हैं। अखाड़े में जाने वाले लोग लंगोट पहनना जरूरी मानते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि इसका संबंध पुरुषों के स्वास्थ्य से भी है। लंगोट पहनना उनकी सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता है। इसलिए अब कुछ जिम्स में जटिल वर्कआउट के दौरान लंगोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। आइए जानते हैं कि लंगोट पहनना पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए कितना जरूरी है।
अन्तःवस्त्र लंगोट द्वारा ऊर्जा संरक्षण, लंगोट बांधने का सबसे बड़ा फायदा पहुंचता है आपके टेस्टिल्स यानी अंडकोशों को। कई बार ज्यादा मेहनत करने की वजह से उनका साइज बढ़ जाता है। आम भाषा में हम ये भी कहते हैं कि उनमें पानी भर गया है। अगर एक बार ऐसा हो गया तो फिर वो आपरेशन से ही ठीक होता है। लंगोट आपके अंडकोशों को टाइट करके रखता है इससे पानी भरने की समस्या नहीं होती। इसके अलावा इससे लोवर एबडॉमिन की मसल्स को सपोर्ट मिलता है। जिनके पेट के निचले हिस्से में ज्यादा हैवी कसरत करने से सूजन आ जाती है उन्हें भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए। रनिंग करते वक्त भी लंगोट पहनना चाहिए इससे नीचे की चीजें इधर उधर नहीं भागतीं। वैसे तो लंगोट किसी भी कलर का हो सकता है मगर लाल लंगोट अनुशासन का प्रतीक होता है। लाल रंग बजरंग बली से भी जुड़ता है। अखाड़ों में आमतौर पर हनुमान जी की ही प्रतिमा लगी होती है। लाल रंग की निशानी भी होती है।
जिस तरह से हमारे पूर्वज लंगोट का इस्तेमाल करते थे उसे देखकर ये कहा जा सकता है कि लंगोट हमारी परम्पराओं में से एक है, किन्तु पीढ़ी को हमारे पुराने रिवाजों के बारे में पता नहीं हैं, जिसके फलस्वरूप वे इन सब चीजों से वंचित रह जाते हैं। हमारी पीढ़ी को लंगोट की महानता के बारे में कुछ नहीं पता और यही वजह है कि हम अपनी परम्परा को पीछे छोड़ते जा रहे हैं, जिसका खामियाजा हमें आने वाले समय में भोगना होगा। मांगलिक कार्यों खासकर रामचरितमानस के अखंड पाठ, किसी भी तरह का यज्ञ, महा यज्ञ आदि में जो ध्वज लगता है वह लंगोट के आकार का ही होता है जो ब्रह्मचर्य की ओर जाने का इशारा करता है, यानी ऊर्जा संरक्षण का संदेश देता है। कुल मिलाकर यह ऊर्जा संरक्षण का प्रतीक चिह्न है। आज भी यह बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी सहित अनेक देवताओं को चढ़ाया जाता है। मन्नतें पूरी होने पर अनेक देव स्थानों पर लंगोट चढ़ाने की परंपरा आज भी जीवित है।
वाराणसी घाट पर लंगोट पहना हुआ व्यक्ति
क्या है लंगोट - लंगोट असल में पुरुषों का अंडरगारमेंट है। इसे पुरुषों का अंत: वस्त्र भी कहा जाता है। यह अनस्टिच्ड यानी बिना सिला तिकोना कपड़ा होता है। जिसे विशेष तौर पर पुरुष जननांग यानी टेस्टिकल्स और पेनिस एरिया को ढकने के लिए बनाया जाता है। पर इसे बांधने का एक खास तरीका होता है। जिसके कारण यह पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
लंगोट का अर्थ - लंगोट दो शब्दों का मेल है। लंगोट को समझने के लिए इसको तोड़ कर इसका वास्तविक रूप देखा जा सकता हैं। लंगोट = लं + गोट मतलब जो लं.. और गोट दोनों को ही सम्हाल कर रखें, उनकी रक्षा करें वो लंगोट कहलाता है।
लंगोट कैसे पहनी जाती है - लंगोट देखने में भले ही साधारण लगे पर इसे बांधने का एक खास तरीका होता है। जिसे आप किसी भी जिम में जाकर सीख सकते हैं। लंगोट को टेस्टिकल्स और पेनिस एरिया पर इस तरह लपेटा जाता है कि उसे सपोर्ट मिले और अनावश्यक दबाव भी न बनें। यह अंडकोषों के आकार को संतुलित रखता है।
- लंगोट बांधने के लिए लंगोट के तीन हिस्से होते है,
- ऊपर की और दो पतली रस्सी होती है।
- उनको कमर पर बांधा जाता है, की तरफ से उसके पश्चात तीसरे हिस्से को पीछे की तरफ रखते है।
- उसको नीचे की तरफ से प्राइवेट पार्ट के साथ ऊपर की बंदी दो रसिया के बीच में से निकलकर वापस पीछे की तरफ लेकर जाना होता है।
- इस प्रकार पीछे की तरफ दोनों रस्सियों के मध्य लगा देते है।
लंगोट कैसे पहनें
लंगोट एक प्रकार का अंडरवियर जो पारंपरिक रूप से भारतीय उप महाद्वीप में पुरुष पहनते है। जॉकस्ट्रैप के समान, यह कपड़े के त्रिकोण से बना होता है जिसमें शीर्ष पर टाई होती है और नीचे से कपड़े की एक लंबी पट्टी लटकती है। एक बार जब आप इसे अपनी जगह पर स्थापित कर लेते हैं, तो पट्टियों को सही ढंग से लपेटना और बांधना एक साधारण बात है। कुछ लोग वजन उठाते समय, योग करते समय, या कुश्ती जैसे खेल में लंगोट पहनते हैं, जहां उन्हें जननांगों की सुरक्षा में इसको पहनते है।
लंगोट बांधना
1. लंगोट एक तरफ ऐसा होना चाहिए जहां आप सीम को महसूस कर सकें और एक तरफ जहां आप नहीं कर सकें। इसे और अधिक आरामदायक बनाने के लिए, जब आप इसे अपनी जगह पर लगाना शुरू करें तो इसका निर्बाध भाग आपके शरीर की ओर होना चाहिए।
2. त्रिकोण के लंबे, सपाट किनारे को, जिसमें से दो पट्टियाँ फैली हुई होनी चाहिए, अपनी पीठ के शीर्ष पर रखें। प्रत्येक हाथ में एक पट्टा पकड़ें और प्रत्येक को सामने की ओर लाएँ ताकि आप कपड़े को खींच सकें। आपका तल कपड़े की लंबी पट्टी, या त्रिकोण का बिंदु, आपके पीछे और आपके पैरों के बीच लटका होना चाहिए।
3. कपड़े के लंबे टुकड़े को अपने पैरों से होते हुए अपने कंधे के ऊपर खींचें। अपने पैरों के बीच पहुंचें और कपड़े को पकड़ें। इसे अपने पैरों के बीच खींचें, यह सुनिश्चित करते हुए कि आप इसे सीधा और चिकना रखें। इसे अपनी कमर तक लाएँ और सिरे को अपने कंधे पर फेंकें। कपड़े को कस कर खींचते समय, सुनिश्चित करें कि आपके गुप्तांग आपके शरीर से टिके हुए हैं और पीछे की ओर निर्देशित हैं। लंबे टुकड़े को अपने कंधे पर फेंकने से जब आप अपना लंगोट सामने बांधेंगे तो वह रास्ते से हट जाएगा।
4. डोरियों को अपने सामने लाएँ और उन्हें एक बार पार करें। उन्हें चारों ओर खींचें ताकि वे कस जाएं और फिर एक धागे को दूसरे के ऊपर लपेटें जैसे कि आप एक चौकोर गाँठ बाँधना शुरू कर रहे हों, या जैसे आप अपने जूते बाँधना शुरू कर रहे हों। यह आपकी प्राकृतिक कमर के बराबर होना चाहिए।
5. पीछे की ओर डोरियों को फिर से क्रास करें। डोरियों को कस कर खींचते हुए, उन्हें अपनी पीठ के चारों ओर लपेटें। उन्हें एक-दूसरे के पास से गुजारें और विपरीत दिशा में फिर से सामने लाएँ। जब आप ऐसा कर रहे हों तो तारों को कस कर रखें।
6. डोरियों को सामने एक सुरक्षित धनुष में बाँधें। डोरियों को अपने शरीर के केंद्र की बजाय अपने कूल्हों के एक तरफ थोड़ा सा बांधें - इससे लंगोट बंधने के बाद थोड़ा अधिक आरामदायक हो जाएगा। फिर, डोरियों को कसकर खींचें और फिर एक धनुष बांधें, जैसे कि आप जूते के फीते बांध रहे हों। इससे लंगोट सुरक्षित हो जाएगा और आप चौकोर गाँठ भी बाँध सकते हैं ।
7. कपड़े के लंबे टुकड़े को पीठ में सुरक्षित करने के लिए अपने पैरों के माध्यम से पीछे खींचें। कपड़े के लंबे टुकड़े को अपने कंधे से खींच लें और इसे उस गाँठ पर लटका दें जिसे आपने अभी बाँधा है। पीछे से अपने पैरों के माध्यम से पहुंचें और इसे अपने पैरों के माध्यम से खींचने के लिए पकड़ें। इसे तना हुआ खींचें, और फिर सिरे को पीछे त्रिकोण के शीर्ष पर दबा दें।
कार्डियो के समय है जरूरी - जब भी आप कोई जटिल एक्सरसाइज या वर्कआउट करें तो उस समय लंगोट जरूर पहने। यह पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की हेल्थ के लिए जरूरी है। इससे उस पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। कार्डियो करते समय भी आप इस तरह अपना ख्याल रख सकते हैं।
सेहत से है लंगोट का संबंध - इससे पुरुषों के टेस्टिकल्स यानी अंडकोशों की सेहत अच्छी रहती है। कई बार ज्यादा वर्कआउट या मेहनत करने की वजह से उनका आकार बढ़ जाता है। जिससे उनमें दर्द होने लगता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रजनन क्षमता बनाए रखने के लिए टेस्टिकल्स की सेहत का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। कई बार इनमें पानी भर जाने की समस्या भी हो जाती है। जो सेक्स लाइफ पर बुरा असर डालती है। इन सब समस्याओं से बचाने में लंगोट काफी मददगार है।
स्किन फ्रेंडली - लंगोट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सादा सूती कपड़े यानी काटन का बना होता है। जिससे किसी भी तरह के रैशेज या अन्य समस्याएं नहीं होती। इसे स्किन फ्रेंडली माना जाता है। जिससे अनावश्यक हीट जनरेट नहीं होती। इसलिए भी लंगोट पहनना पुरुषों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
क्या लंगोट बांधना जरूरी है - लंगोट बांधने के क्या फायदे होते हैं ये हमने आपको बता दिए हैं। बहुत से ऐसे लोग हैं जो सालों से जिम कर रहे हैं और लंगोट भी नहीं बाँधते और उन्हें कोई प्रॉब्लम भी नहीं हुई है। आप सपोर्टर या टाइट अंडरवियर पहनकर भी काम चला सकते हैं, लेकिन ये जरूरी तो नहीं कि अगर बाकी लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई है तो आपको भी नहीं होगी। दूसरी बात ये भी है कि अकसर लोग ये बताते ही नहीं हैं कि उनके अंडकोषों में पानी भर गया है। अगर आपको लंगोट बांधने से एलर्जी नहीं है तो फिर इसे बांधने में हिचकिचाहट कैसी। ये आपकी तैयारी का एक हिस्सा होता है। अगर आप स्पोर्ट्स शूज नहीं पहनेंगे तब भी उतनी ही बेंच प्रैस लगाएंगे जितनी शूज पहनकर मगर शूज, ट्रैक पैंट, टी शर्ट हमारी तैयारी का हिस्सा होता है। इसी तरह से लंगोट हमारी तैयारी का हिस्सा होता है। आप भारतीय हैं तो इसका सम्मान करें और कसरत से पहले लंगोट पहने। इससे आपका माइंड और बॉडी कड़ी मेहनत के लिए तैयार हो जाएंगे।
लंगोट पहनने के फायदे
- लंगोटी शारीरिक व्यायाम या योग अभ्यास के दौरान हड्डी और अंग के विस्थापन और तंत्रिकाओं पर खिंचाव को रोकता हैं।
- लंगोट पहनने से पुरुषों के टेस्टिल्स यानी अंडकोषों की सेहत अच्छी रहती है। कई बार ज्यादा वर्कआउट या मेहनत करने की वजह से उनका आकार बढ़ जाता है। जिससे उनमें दर्द होने लगता है।
- वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रजनन क्षमता बनाए रखने के लिए टेस्टिकल्स की सेहत का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। कई बार इनमें पानी भर जाने की समस्या भी हो जाती है। जो सेक्स लाइफ पर बुरा असर डालती है।
- यह ऊर्जा को पूरे शरीर में सही और सही अनुपात में प्रवाहित करने में सक्षम बनाता है।
- लंगोटी के उपयोग से व्यायाम या योग अभ्यास के दौरान ऊर्जा, शक्ति और सहनशक्ति मिलती है।
- लंगोट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सादा सूती कपड़े यानी कॉटन का बना होता है। जिससे किसी भी तरह के रैशेज या अन्य समस्या नहीं होती। इसे स्किन फ्रेंडली माना जाता है। जिससे अनावश्यक हीट जनरेट नहीं होती। इसलिए भी लंगोट पहनना पुरुषों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
- जब भी आप कोई हैवी एक्सरसाइज या वर्कआउट करते है तो लंगोट पहनना एक तरह मदद करता है। इसे पहनने से एक्सरसाइज के दौरान पुरुषों के प्राइवेट पार्ट पर ज्यादा दबाव नहीं बनता है और पुरुष इसमें ज्यादा आराम महसूस करते हैं।
- पारम्परिक तौर पर अंडरवियर के तौर पर लंगोट पहनना पुरुष के जननांगों के लिए बेहतरीन होता हैं। बल्कि ये सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता हैं।
- अंत:वस्त्र लंगोट काम वासना पर नियंत्रण तो करता ही है, इसे पहनने वाले को कभी हाइड्रोशील की बीमारी नहीं होती और अंडकोश को यह चोट से बचाता है, ख़ासकर साइकिल, मोटर साइकिल आदि से गिरने पर लगने वाली चोट से। दौड़ने, चलने, योगासन व व्यायाम में सुविधाजनक है।
लंगोट पहनने के कोई नुकसान नहीं हैलंगोट बांधने का सबसे बड़ा फायदा पहुंचता है आपके टेस्टिल्स यानी अंडकोशों को कई बार ज्यादा मेहनत करने की वजह से उनका साइज बढ़ जाता है। आम भाषा में हम ये भी कहते हैं कि उनमें पानी भर गया है। अगर एक बार ऐसा हो गया तो फिर वो आपरेशन से ही ठीक होता है। लंगोट आपके अंडकोशों को टाइट करके रखता है इससे पानी भरने की समस्या नहीं होती। इसके अलावा इससे लोवर एबडॉमिन की मसल्स को सपोर्ट मिलता है। जिनके पेट के निचले हिस्से में ज्यादा हैवी कसरत करने से सूजन आ जाती है उन्हें भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए। रनिंग करते वक्त भी लंगोट पहनना चाहिए इससे नीचे की चीजें इधर उधर नहीं भागतीं। वैसे तो लंगोट किसी भी कलर का हो सकता है मगर लाल लंगोट (lal langot) अनुशासन का प्रतीक होता है। लाल रंग बजरंग बली से भी जुड़ता है। अखाड़ों में आमतौर पर हनुमान जी की ही प्रतिमा लगी होती है। लाल रंग की निशानी भी होती है।
वर्तमान समय में लंगोट के स्थान पर ज़्यादातर लोग लंगोट की जगह इलास्टिक स्प्पोर्टर को उपयोग करते है। जो लंगोट की तरह ही होता है। उसे बांधने की जरूरत नहीं होती है। इसका उपयोग लंगोट की तरह ही होता है। ये लंगोट से भिन्न है। लंगोट और सपोटर दोनों उसे प्रकार है। जिस प्रकार अंडरवियर और निक्कर अब कपडे दोनों ही पहनने के परन्तु अलग अलग यूज़ है दोनों का। सपोर्टर के ऊपर की तरफ एक इलास्टिक रबर होता है। उसके अलावा उसके अंदर की तरफ ग्रोइन एरिया में डबल लेयर होती है कपड़े की जिसका यूज़ ग्रोइन गार्ड डालने में किया जाता है। बाकी इसकी संरचना अंडरवियर की तरह ही होती है।
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