हे, भगवान घोर कलयुग आ गया है, आज ईमेल पर एक नवभारत टाइम्स की एक खबर पढ़ने को मिली "कुत्ते का 'रेप करने वाले' को नहीं मिली जमानत" हंसी भी आयी और थोड़ा शर्म भी, कि अब मुझे भी लगने लगा था कि हमारा जनरेशन में बदलाव हो गया है। और तो और जब पेज पर जाकर कमेन्ट्स पढ़ा तो और भी हंसी आई।
एक सज्जन कहते है कि - यह कोई नयी बात नहीं है,, मेरे कुछ हरियाणा के दोस्त बताते है कि नयी उमर में मादा डंकी के साथ सेक्स करने पर पिंपल्स नहीं निकलते , इसलिए यह हरियाणा में काफ़ी प्रचलित है अब पता नही कि कितना सही है वैसे मैने सुना है कि शेर के साथ सेक्स करने के एड्स और हाथी के साथ कैंसर भी ठीक हो जाता है, कोई रोगी हो और किसी मे इनसे सेक्स करने बूता हो सच्चाई का पता चले। :)
खैर आप उस खबर को पढ़ये और आनंद लीजिए और शर्म आये तो मन ही मन अथवा खुल कल हँस लीजिए!
यह रही नवभारत टाइम्स की खबर
यह अपने आप में अनोखा होने के साथ-साथ भारतीय कानून-कायदे के इतिहास में इस तरह का शायद पहला मामला है। कुत्ते का बलात्कार करने के आरोप में 30 अगस्त से जेल में बंद मुंबई के टैक्सी ड्राइवर की जमानत याचिका सेशन कोर्ट ने खारिज हो गई है। आरोपी ड्राइवर का तर्क है कि उसे बेल दे दी जानी चाहिए क्योंकि पुलिस पीड़ित का बयान रेकॉर्ड नहीं कर सकी है।
एक महिला द्वारा अपने पालतू कुत्ते से बलात्कार की शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद मुंबई पुलिस ने काफी पसोपेश के बाद ताड़देव से आरोपी टैक्स ड्राइव महेश कामत को गिरफ्तार कर लिया था। कुत्ते का मेडिकल कराने के बाद पुलिस ने पुलिस ने कामत के खिलाफ धारा-377 ( अप्राकृतिक सेक्स का मामला) और जानवरों के खिलाफ क्रूरता रोकने के कानून के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
इस मामले लगभग पिछले एक महीने से जेल में बंद कामत का तर्क है कि उन पर जानवरों के खिलाफ क्रूरता का मामला नहीं बनता है क्योंकि जिस कुत्ते के बलात्कार का आरोप है वह पालतू नहीं है। कामत का यह भी कहना है कि पूरे मामले में उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है।
कोर्ट ने कामत की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उसके खिलाफ काफी सबूत हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि कामत के ऊपर जिस अपराध का आरोप है वह इलाके के लोगों को व्यथिक करने वाला है और यह जानवरों के खिलाफ क्रूरता भी है।
इस मामले में सबूत के तौर पर पुलिस के पास कुत्ते की मेडिकल रिपोर्ट और कुत्ते की मालकिन होने का दावा करने वाली एकमात्र गवाह का बयान है। इस मामले में पीड़ित का बयान दर्ज करना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर है। पुलिस और कानून विशेषज्ञों का मानना है कि केवल सबूतों के आधार पर मामला चलाने का यह शायद पहला उदाहरण होगा। इसलिए पुलिस ने इस मामले में कामत को कोर्ट में घेरने के लिए डीएनए और फॉरेन्सिक सबूत भी जुटाए हैं।
वैसे इस पोस्ट मे कुछ भी वयस्क श्रेणी वाला तत्व नही है किन्तु ब्लाग जगत मे भुकुटी तानने वालो की कमी नही है, सो चेतावनी दे दे रहा हूँ। :)
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