भारतीय राज व्यवस्था से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न



Important questions related to Indian polity

  1. ‘पंथनिरपेक्ष ‘, ‘ समाजवाद ’ तथा ‘ अखंडता ‘शब्द संविधान की उद्देशिका में42वें संशोधन के द्वारा 1976 में जोड़े गए|
  2. ‘वन्दे मातरम’ के रचयिता श्री बंकिम चन्‍द्र चटर्जी हैं। यह गीत सर्वप्रथम सन् 1896 के कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया था।
  3. 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 के मध्य भारत- ब्रिटिश राष्ट्रकुल का एक अधिराज था |
  4. 21 जनवरी 1972 को किस राज्य का दर्जा मिला ?– सिक्किम को
  5. 26 जनवरी 2002 से ‘ध्‍वज संहिता भारत’ का स्थान ‘भारतीय ध्वज संहिता 2002’ ने ले लिया है। जिसके अनुसार आम नागरिकों, निजी संस्‍थाओं, शिक्षण संस्थाओं में राष्‍ट्रीय ध्‍वज का प्रदर्शन करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
  6. 26 नवंबर 1946 को संविधान के अनुच्छेदों को प्रस्तावित कर दिया गया जो नागरिकता निर्वाचन तथा अंतरिम संसद से संबंधित थे |
  7. 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति का गठन किया 15 नवंबर 1948 को संविधान के प्रारूप पर प्रथम वाचन प्रारंभ हुआ |
  8. 3 जून 1947 के भारत संविधान की योजना की घोषणा के बाद इनका पुनर्गठन हुआ तथा पुनर्गठित संविधान सभा की संख्या 299 थी |
  9. 4 अप्रैल 2007 को आंध्र प्रदेश में पुनः विधान परिषद का गठन किया गया |
  10. 42वें संविधान संशोधन अधिनियम स्वर्ण सिंह समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया था |
  11. 42वें संविधान संशोधन को लघु संविधान कहा जाता है |
  12. 42वें संविधान संशोधन द्वारा आपातकाल की अवधि को 6 माह से बढ़ाकर 1 वर्ष कर दिया गया है |
  13. 42वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में मूल कर्तव्य को शामिल किया गया है| इन्हें संविधान के भाग 4A और
  14. 52 वें संविधान संशोधन विधेयक 1985 दल बदल से संबंधित था |
  15. 86 वें संविधान संशोधन द्वारा एक मूल कर्तव्य और जोड़ा गया, जिससे इसकी संख्या 11 हो गई है |
  16. अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 तथा 30 द्वारा प्रत्याभूत मूल अधिकार केवल नागरिकों को ही प्रदान किया गया है, शेष सभी मूल अधिकार नागरिकों तथा अन्य व्यक्तियों को प्रदान की गई है |
  17. अनुच्छेद 51A में शामिल किया गया है |
  18. आकस्मिक निधि किसके व्‍ययाधीन होती है ? – राष्ट्रपति के
  19. आपातकाल में मूल अधिकारों का निलंबन किस देश के संविधान से प्रेरित है – जर्मनी
  20. उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार संविधान की उद्देशिका संविधान का एक भाग है और इसमें संशोधन किया जा सकता है ( केशवानंद भारती बनाम केरल 1973 ईस्वी ) |
  21. उपाधियों का अंत किस अनुच्छेद में वर्णित है? – अनुच्छेद-18
  22. उम्र के. आर. वेंकटरमन राष्ट्रपति बने |
  23. किस अधिकार को संविधान की आत्मा कहा गया? – संवैधानिक उपचारों का अधिकार
  24. किस अनुच्छेद के तहत कार्यपालिका को न्यायपालिका से अलग किया गया है ? – (अनुच्छेद 50 द्वारा)
  25. किस अनुच्छेद के तहत सिख कृपाण धारण कर सकते है ?– अनुच्छेद 25 द्वारा
  26. किस अनुच्छेद के द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है ? – अनुच्छेद 19 में
  27. किस अनुच्छेद के द्वारा बाल श्रम का निषेध किया गया? – अनुच्छेद-24 वें
  28. किस अनुच्छेद में एक समान नागरिक संहिता की बात कही गई है ? – अनुच्छेद 44 में
  29. किस कार्यवाहक राष्ट्रपति ने त्यागपत्र देकर चुनाव लड़ा और विजय हुआ - वी. वी. गिरी
  30. किस समिति की सिफारिश के आधार पर संविधान सभा का गठन हुआ – कैबिनेट मिशन
  31. केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होता है |
  32. कौन सा मूल अधिकार आपातकाल के समय भी निलंबित नहीं होता है ?– ( प्राण एवं दैहिक का अधिकार)
  33. गोवा को किस वर्ष भारतीय संघ का अंग बनाया गया – 1961 ई0
  34. छुआछूत का निषेध किस अनुच्छेद में वर्णित है? – अनुच्छेद-17
  35. जब भारत आजाद हुआ तो उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष जे पी कृपलानी थे |
  36. जब भारत आजाद हुआ तो उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली थे |
  37. जम्मू कश्मीर राज्य का अपना संविधान है, जो एक पृथक संविधान सभा द्वारा बनाया गया है और यह संविधान 26 नवंबर 1957 को लागू कर दिया गया |
  38. जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा में दो महिलाओं को राज्यपाल नामजद करते हैं |
  39. झंडा समिति के अध्यक्ष कौन थे – जे0बी0 कृपलानी
  40. डॉ भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार को संविधान का हृदय और आत्मा कहा है |
  41. देश में छ:ऐसे से राज्य हैं जहां पर विधान परिषदों का गठन किया गया है -उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर और आंध्र प्रदेश |
  42. देश में प्रथम बार आपातकाल कब लगाया गया ?–सन 1962 ई. में
  43. दो बार कार्यकारी प्रधानमंत्री के रूप में पद संभालने वाले व्यक्ति गुलजारीलाल नंदा थे |
  44. धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा को केवल सिफारिशी अधिकार है |
  45. धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जाता है |
  46. धार्मिक व्यय के लिए रखा गया धन किस अनुच्‍छेद के अन्‍तर्गत आयकर से मुक्त होता है ?-अनुच्छेद 27
  47. नये राज्यों के निर्माण का अधिकार किसे है – संसद को
  48. नियंत्रक अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है |
  49. नीति निदेशक तत्व कहाँ के संविधान से लिए गये हैं – आयरलैण्ड के संविधान से
  50. नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति बनने से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रह चुके थे |
  51. पहला संवैधानिक संशोधन 1951 मैं बनाया गया |
  52. प्रथम लोक सभा अध्यक्ष थे? – जे0बी0 मालवंकर
  53. प्रथम लोकसभा की पहली बैठक 13 मई 1952 को हुई और 4 अप्रैल 1957 को पहली लोकसभा राष्ट्रपति द्वारा विघटित कर दी गई |
  54. प्रथम वित्त आयोग का गठन 1951 में किया गया था |
  55. प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि संघ के शासन की जानकारी राष्ट्रपति को दें |
  56. प्रधानमंत्री पद पर सबसे कम दिन (13 दिन ) तक रहने वाले अटल बिहारी वाजपेई थे |
  57. प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने वाले पहले व्यक्ति मोरारजी देसाई थे |
  58. प्रधानमंत्री बनने के लिए न्यूनतम व अधिकतम आयु है – ( न्यूनतम 25 वर्ष अधिकतम कोई सीमा नहीं )
  59. प्रधानमंत्री लोकसभा के बहुमत दल का नेता होता है |
  60. प्रारूप समिति का गठन कब हुआ – 28 अगस्त 1947 को
  61. प्रारूप समिति का गठन किसके नेतृत्व में हुआ – डा0 बी0आर0 अम्बेडकर के
  62. भारत उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल थे |
  63. भारत उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है तथा इसी पद के कारण उसका वेतन दिया जाता है |
  64. भारत का राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख है |
  65. भारत का राष्ट्रीय पंचांग शक संवत पर आधारित है। इसे 22 मार्च 1957 को अपनाया गया था।
  66. भारत का राष्‍ट्रीय पुष्‍प कमल (नेलंबो न्‍यूसिफेरा गार्टन), राष्ट्रीय पशु बाघ्‍ (पैंथर टाइग्रिस लिनेयस), राष्ट्रीय वृक्ष बरगद (फाइकस बेंघालेंसिस) राष्‍ट्रीय फल आम (मेंगीफेरा इण्डिका) राष्ट्रीय पक्षी मोर (पावो क्रिस्टेटस) और जलीय जीव डॉल्फिन है।
  67. भारत का राष्ट्रीय गीत ‘आनंदमठ’ नामक पुस्तक का अंश है।
  68. भारत की उद्देशिका में प्रयुक्त ‘ गणतंत्र ‘ शब्द का तात्पर्य यह है कि भारत का राज्य अध्यक्ष वंशानुगत नहीं होगा |
  69. भारत के 2 राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन तथा फखरुद्दीन अली अहमद की अपने कार्यकाल के दौरान ही मृत्यु हुई थी |
  70. भारत के उपराष्ट्रपति की तुलना संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति से की जा सकती है |
  71. भारत के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्ला ने दो बार कार्यकारी राष्ट्रपति के पद का निर्वहन किया था |
  72. भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ के रचनाकार गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर हैं।
  73. भारत के राष्ट्रपति की संवैधानिक स्थिति ब्रिटेन की महारानी से मिलती जुलती है |
  74. भारत में उच्च न्यायालय की संख्या है ? -- 21
  75. भारत में केवल दो संघ शासित राज्यों में विधान सभाएं हैं ? --दिल्ली और पांडिचेरी
  76. भारत में केवल नीलम संजीव रेड्डी ही निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए |
  77. भारत में गणतंत्रात्मक व्यवस्था किस देश के संविधान से प्रेरित है – फ्रांस के संविधान से
  78. भारत संविधान संशोधन की प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से ली गई है |
  79. भारतीय ध्वज में केसरिया रंग साहस, बल, त्‍याग, निस्वार्थ भावना, सफेद रंग वीरता और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है।
  80. भारतीय पंचांग का प्रथम माह चैत्र और अंतिम माह फाल्गुन होता है।
  81. भारतीय संविधान 22 भागों में विभाजित किया गया है |
  82. भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भारत की शासन की सर्वोच्च सत्ता भारतीय जनता में निहित है |
  83. भारतीय संविधान के अनुसार केंद्र की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होता है |
  84. भारतीय संविधान के प्रवर्तित होने के बाद पहली बार राष्ट्रपति शासन पंजाब में लागू किया गया |
  85. भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की स्थगन संबंधी कार्यपालिका के अधिकारों को जर्मनी के
  86. भारतीय संविधान में इकहरी नागरिकता कहां के संविधान से लिया गया है – ब्रिटिश संविधान से
  87. भारतीय संविधान में नागरिकता शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है तथा इसके संबंध में अनुच्छेद 5 से 11 तक में प्रावधान किया गया है |
  88. भारतीय संविधान में सर्वाधिक बार संशोधन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुए |
  89. भारतीय संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन प्रस्तावों के अनुसार किया गया |
  90. भारतीय संसद, राष्ट्रपति भवन एवं सर्वोच्‍च न्‍यायालय पर वर्ष भर राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराने की व्यवस्था की गई है।
  91. भाषायी आधार पर बनने वाला सबसे पहला राज्‍य कौन सा है – आंध्र प्रदेश
  92. भाषायी आधार पर राज्यों का निर्माण कब हुआ – 1956 ई0 में
  93. मंत्रिपरिषद का कोई सदस्य बिना किसी सदन का सदस्य रहे छह माह तक मंत्री का पद धारण कर सकता है |
  94. मंत्रिपरिषद किसके प्रति उत्तरदायी होती है?– लोकसभा के
  95. मंत्रिपरिषद में तीन स्तर की मंत्री होते हैं -1)कैबिनेट 2) राज्य 3) उपमंत्री
  96. मूल अधिकार एवं राष्ट्रपति पर महाभियोग किस संविधान से लिया गया है – अमेरिका के संविधान से
  97. मूल अधिकारों की रक्षा कौन सा न्यायालय करता है ? – उच्चतम न्यायालय व उच्‍च न्‍यायालय
  98. मूल कर्तव्य व पंचवर्षीय योजना की अवधारणा किस देश के संविधान से लिया गया है – भूतपूर्व सोवियत संघ
  99. मूल कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन द्वारा 1976 में जोड़ा गया |
  100. मूल संविधान में लोकसभा की संख्या 525 निर्धारित की गई है |
  101. राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव राज्यसभा की सदस्य करते हैं |
  102. राज्य के नीति निदेशक तत्व एक ऐसा चेक है जो बैंक की सुविधा अनुसार अदा किया जाएगा -के. टी. शाह
  103. राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित संविधान के भाग 4 के प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य के विषय में लागू नहीं होते हैं |
  104. राज्य के विधानसभा सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 60 होगी |
  105. राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 द्वारा भाषाई आधारों पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया |
  106. राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 में पारित किया गया और इसके अध्यक्ष फजल अली थे |
  107. राज्य विधानमंडल में राज्यपाल तथा विधानसभा और विधान परिषद शामिल होता है |
  108. राज्य सभा की पहली बैठक 13 मई 1952 को हुई |
  109. राज्यपाल विधानमंडल के सत्रावसान काल में अध्यादेश जारी कर सकता है यह अध्यादेश 6 माह तक प्रभावी रहता है |
  110. राज्यसभा का गठन 3 अप्रैल 1952 को हुआ |
  111. राज्यसभा के सदस्यों के पहले समूह की सेवानिवृत्ति 2 अप्रैल 1954 को हुई |
  112. राज्यसभा तथा लोकसभा के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है |
  113. राज्यसभा में सर्वाधिक प्रतिनिधि उत्तर प्रदेश के हैं |
  114. राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है |
  115. राज्यों की मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से सामूहिक रुप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होता है तथा प्रत्येक मंत्री व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल के प्रति उत्तरदायी होता है |
  116. राष्ट्रपति कार्यपालिका का प्रधान होता है, ये किस अनुच्छेद में वर्णित है ? – अनुच्छेद 53 में
  117. राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में कौन-कौन शामिल होता है?– ( लोकसभा, राज्यसभा व विधानसभा के निर्वाचित सदस्य )
  118. राष्ट्रपति के पद की रिक्त होने से छह माह के भीतर अगले राष्ट्रपति का चुनाव हो जाना चाहिए |
  119. राष्ट्रपति के वेतन एवं भत्ते आयकर मुक्त है |
  120. राष्ट्रपति जम्मू कश्मीर के संबंध में वित्तीय आपात की घोषणा नहीं कर सकते |
  121. राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश संसद का सभा प्रारंभ होने की 6 सप्ताह तक प्रभावी रहता है |
  122. राष्ट्रपति पद पर सबसे कम उम्र का राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य नीलम संजीव रेड्डी को प्राप्त हुआ तथा सबसे अधिक
  123. राष्‍ट्रपति पर महाभियोग किस सदन में चलाया जा सकता है ? – राज्यसभा तथा लोकसभा दोनों में
  124. राष्ट्रपति प्रत्येक 5 वें वर्ष वित्त आयोग का गठन करता है |
  125. राष्ट्रपति बनने से पूर्व कौन लोकसभा अध्यक्ष रहा ?– श्री नीलम संजीव रेड्डी
  126. राष्ट्रपति पद पर सर्वाधिक समय तक रहने वाले डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद थे एवं सबसे कम समय तक रहने वाले
  127. राष्ट्रीय आपात की स्थिति में मौलिक अधिकारों का हनन हो जाता है |
  128. राष्‍ट्रीय गान को आधिकारिक मान्यता 24 जनवरी 1950 को प्राप्त हुई है।
  129. राष्ट्रीय गान प्रथम बार कलकत्ता अधिवेशन में 27 दिसम्बर 1911 को गाया गया। राष्ट्रगान गाये जाने का निर्धारित समय 52 सेकंड है।
  130. राष्ट्रीय गीत को सर्वप्रथम यदुभाव भट्टाचार्य ने स्वरबद्ध किया था।
  131. राष्‍ट्रीय ध्‍वज की लम्बाई व चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।
  132. राष्‍ट्रीय ध्‍वज के डिजाइनर थे – पिंगली वेंकैया
  133. राष्‍ट्रीय ध्‍वज को लाहौर अधिवेशन में अपनाया गया था।
  134. राष्ट्रीय प्रतीक पर अंकित हाथी, घोड़े एवं सांड आदि पशुओं का सम्बन्ध महात्मा बुद्ध के जीवन से है।
  135. राष्ट्रीय प्रतीक में ‘सत्यमेव जयते’ शब्द ‘मुंडकोपनिषद’ से लिया गया है। राष्ट्रीय प्रतीक में यह सबसे नीचे अंकित है।
  136. राष्ट्रीय प्रतीक में सिंहों की संख्या 4 है |
  137. लोकसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 2026 ईस्वी तक अपरिवर्तित रहेगी |
  138. लोकसभा के परिक्षेत्र का परिसीमन आयोग द्वारा किया जाता है |
  139. लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर थे | पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें संसद का पिता या जनक कहा था |
  140. लोकसभा संसद का निम्न सदन तथा राज्यसभा उच्च सदन है |
  141. वर्तमान में लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 245 है |
  142. वर्तमान में संविधान में 444 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं |
  143. विधानसभा की गणपूर्ति संख्या कुल सदस्यों का 1/10 है परंतु यह किसी भी दशा में 10 सदस्य से कम नहीं होगी |
  144. विधि के समक्ष समानता का प्रावधान किस अनुच्छेद में है – अनुच्छेद 14 में
  145. शासन का प्रमुख मंत्रिपरिषद और प्रधानमंत्री होता है |
  146. श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनने से पूर्व कौन सी मंत्री थी ? – सूचना एवं प्रसारण मंत्री
  147. संघ सूची, राज्यसूची, व समवर्ती सूची में कितने विषय हैं ?– क्रमशः: 99, 62 व 52
  148. संघीय मंत्रिपरिषद से त्यागपत्र देने वाले पहले मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे |
  149. संघीय शासन व्यवस्था किस देश के संविधान से लिया गया है – कनाडा
  150. संघीय संविधान समिति के अध्यक्ष कौन थे –पं0 जवाहरलाल नेहरू
  151. संचित निधि किस अनुच्छेद में वर्णित है ? – अनुच्छेद 266
  152. संयुक्त संसदीय समिति में लोकसभा को दो तिहाई तथा राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य होते हैं |
  153. संविधान किस भाग को मैग्नाकार्टा कहा जाता है ?– भाग-3 को
  154. संविधान के 44वें संशोधन द्वारा संपत्ति के मूल अधिकार को समाप्त करके इस अनुच्छेद 300 (क) के अंतर्गत रखा गया है, अब यह केवल एक विधिक अधिकार रह गया है |
  155. संविधान के अनुच्छेद 123 के अंतर्गत राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करता है |
  156. संविधान के अनुच्छेद 370 द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है |
  157. संविधान के अनुसार कुल पद केवल भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित हैं, जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, महान्यायवादी, राजपाल एवं महाधिवक्ता का पद |
  158. संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था |
  159. संविधान के प्रारूप को कब अंगीकृत किया गया – 26 नवम्बर 1949 को
  160. संविधान को कब लागू किया गया – 26 जनवरी 1950
  161. संविधान में 10 मौलिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया है,मूल कर्तव्य ( अनुच्छेद 51 क ) को42वें संविधान
  162. संविधान में नीति निर्देशक तत्वों को शामिल करने का उद्देश्य सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना करना था |
  163. संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता का अलग से प्रबंध नहीं किया गया है, यह अनुच्छेद 19 (1)A से अंतर्निहित है |
  164. संविधान में सर्वप्रथम संशोधन कब किया गया – 1951 ई0 में
  165. संविधान संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान कौन से देश के संविधान से प्रेरित है – दक्षिण अफ्रीका
  166. संविधान सभा का अंतिम दिन 24 जनवरी 1950 था और उसी दिन संविधान पर संविधान सभा के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर कर दिया गया |
  167. संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई – 9 दिसम्बर 1946
  168. संविधान सभा की प्रथम बैठक के अस्‍थाई अध्‍यक्ष थे – डा0 सच्चिदानंद सिन्‍हा
  169. संविधान सभा के गठन के लिए जुलाई - अगस्त 1946 में चुनाव हुआ |
  170. संविधान सभा के गठन में कितने सदस्य थे – 389
  171. संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के पद पर बी. एन. राव को नियुक्त किया गया |
  172. संविधान सभा के सलाहकार कौन थे – वी0एन0 राय
  173. संविधान सभा द्वारा भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को 22 जुलाई 1947 को मान्यता दी गयी थी। संविधान सभा के अंतर्गत झंडा समिति के अध्यक्ष जे० बी० कृपलानी थे।
  174. संविधान सभा द्वारा राष्ट्रगान कब स्वीकृत किया गया – 15 जनवरी 1950
  175. संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज कब स्वीकार किया गया – 22 जुलाई 1947
  176. संविधान सभा में कितने निर्वाचित सदस्य थे – 296
  177. संविधान से लिया गया है |
  178. संशोधन 1976 में जोड़ा गया |
  179. संसद के तीन अंग होते हैं - लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति |
  180. सफेद पट्टी के मध्य में नीले रंग का एक 24 तीलियों वाला चक्र अंकित है। यह धर्मचक्र 24 घंटों को दर्शाता है।
  181. सबसे अधिक उम्र के राष्ट्रपति कौन था ? – श्री वी0वी0 गिरि
  182. सबसे अधिक समय तक लोकसभा अध्यक्ष कौन रहा ?– बलराम जाखड़
  183. सबसे कम उम्र में भारत का प्रधानमंत्री राजीव गांधी बने और सबसे अधिक उम्र में मोरारजी देसाई |
  184. सबसे कम समय तक लोकसभा अध्यक्ष कौन रहा ? – बलिराम भगत
  185. संपत्ति के मूल अधिकार को किस संविधान संशोधन द्वारा समाप्त किया गया – 44वें संविधान संशोधन द्वारा
  186. सरकार के तीन अंग होते हैं - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका |
  187. सर्वाधिक समय तक राष्ट्रपति रहने का गौरव डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को है |
  188. हमारा राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम’ है जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जन-जन की प्रेरणा स्रोत था।
  189. हमारा राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ से लिया गया जिसे आधिकारिक रूप से 26 जनवरी, 1950 को मान्यता मिली।



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भारतीय दंड विधान, 1860 से परीक्षोपयोगी प्रश्न



 
मूल विधि। Mool Vidhi। भारतीय दंड विधान, 1860 परीक्षोपयोगी प्रश्न
  1. एक जल्लाद जो मृत्युदंड निष्पादित करता है, भारतीय दंड संहिता की धारा 78 के अंतर्गत आपराधिक दायित्व से मुक्त है।
  2. जम्मू - कश्मीर राज्य में कौन सी दंड संहिता लागू होती है ? - रणबीर दंड संहिता
  3. जयदेव बनाम स्टेट वाद का संबंध आत्मरक्षा के अधिकार से है।
  4. भारतीय दंड संहिता किस राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत पर लागू होती है ? - जम्मू कश्मीर
  5. भारतीय दंड संहिता की धारा 1 संबंधित है - संहिता के नाम और उसके परिवर्तन के विस्तार से
  6. भारतीय दंड संहिता की धारा 120 -ए मेंआपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा दी गई है।
  7. भारतीय दंड संहिता की धारा 120 -बी में आपराधिक षड्यंत्र के लिए दंड का प्रावधान दिया गया है।
  8. भारतीय दंड संहिता की धारा 124 -ए राजद्रोह को परिभाषित करती है।
  9. भारतीय दंड संहिता की धारा 141 में विधि विरुद्ध जमाव को परिभाषित किया गया है।
  10. भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के अनुसार - जो व्यक्ति भारत के राज्य क्षेत्र के अंतर्गत अपराध करता है वह इस संहिता द्वारा दंडित किया जाएगा।
  11. भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार - विशेष विधि वह विधि है जो किसी विशिष्ट विषय पर लागू हो।
  12. भारतीय दंड संहिता की धारा 42 के अनुसार - स्थानीय विधि वह विधि है जो भारत के किसी विशिष्ट भाग में लागू हो।
  13. भारतीय दंड संहिता की धारा 53 में निम्न प्रकार के दंड बताए गए हैं : - मृत्युदंड, आजीवन कारावास, कारावास (कठोर श्रम के साथ कारावास तथा सादा कारावास ) , संपत्ति का समपहरण, जुर्माना।
  14. भारतीय दंड संहिता की धारा 57 के अंतर्गत आजीवन कारावास को 20 वर्ष के कारावास के तुल्य गिना जाएगा।
  15. भारतीय दंड संहिता की धारा 73 के अनुसार अभियुक्त को एकांत परिरोध में रखने की अधिकतम अवधि 3 माह की है।
  16. भारतीय दंड संहिता की धारा 76 से 95 तक की धाराएं क्षमा योग्य बचाओ से संबंधित हैं।
  17. भारतीय दंड संहिता की धारा 78 के अंतर्गत न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य अपराध नहीं है।
  18. भारतीय दंड संहिता की धारा 80 में वर्णित है कि कोई बात अपराध नहीं है जो दुर्घटना से घटित होता है।
  19. भारतीय दंड संहिता की धारा 82 के अंतर्गत कोई बात अपराध नहीं है जो 7 वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है।
  20. भारतीय दंड संहिता की धारा 83 के अंतर्गत 7 वर्ष के ऊपर किंतु 12 वर्ष से कम आयु की अपरिपक्व समझ के ' शिशु ' को आपराधिक दायित्व से उन्मुक्त प्राप्त है।
  21. भारतीय दंड संहिता की धारा 84 के अंतर्गत विकृत चित्त व्यक्ति के कार्य को अपराध नहीं माना जाता है।
  22. भारतीय दंड संहिता की धारा 85 में अनैच्छिक (अपनी इच्छा के विरुद्ध ) मत्तता के आधार पर आपराधिक दायित्व से प्रतिरक्षा का प्रावधान करती है।
  23. भारतीय दंड संहिता की धारा 86 संबंधित है - स्वैच्छिक मत्तता
  24. भारतीय दंड संहिता की धारा 96 से 106 तक की धाराएं न्यायोचित प्रतिरक्षा से संबंधित हैं।
  25. भारतीय दंड संहिता की धारा 96 से 106 तक में व्यक्ति के शरीर तथा संपत्ति संबंधी प्रतिरक्षा के अधिकारों का वर्णन किया गया है।
  26. भारतीय दंड संहिता की धाराएं 121, 132, 194, 302, 305, 307, 364 -क और 396 में मृत्युदंड दिए जाने का प्रावधान है।
  27. भारतीय दंड संहिता को कब लागू किया गया ? - 1 जनवरी 1862 में
  28. विधि विरुद्ध जमाव : धारा 141 के अनुसार, 5 या अधिक व्यक्तियों का जमाव विधि विरुद्ध जमाव कहा जाता है।


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जीवन को नई दिशा देने वाले बोध वाक्य



  1. अगर किसी देश को भ्रष्टाचार–मुक्त और सुन्दर-मन वाले लोगों का देश बनाना है तो समाज के तीन प्रमुख सदस्य ये काम कर सकते हैं- पिता, माता और गुरु।
  2. अगर कोई आपके साथ बुरा करता है तो उसे दंड ज़रूर दें। कैसे? बदले में उसके साथ अच्छा व्यवहार करके उसे शर्मिंदा करें और फिर उसके द्वारा की गयी बुराई और खुद की अच्छाई दोनों को भूल जाएँ।
  3. अधिक संपन्न होने पर भी जो असंतुष्ट रहता है, वह सदा निर्धन है और धन से रहित होने पर भी जो संतुष्ट है, वह सदा धनी है।
  4. अपने अंदर से अहंकार को निकाल कर स्वयं को हल्का करें, क्योंकि ऊँचा वही उठता है जो हल्का होता है।
  5. आदमी जन्म के साथ महान नहीं होता, वह संस्कारों की अग्नि में तपता है, तब महान बनता है, संस्कार जीवन की संपदा हैं। संस्कारों से ही हमारा जीवन सुंदर और संपन्न बनता है।
  6. एक मिनट में जिंदगी नहीं बदलती, पर एक मिनट सोच कर लिया हुआ फ़ैसला पूरी ज़िंदगी बदल देता है।
  7. कामयाब आदमी को खुशी भले ही ना मिले पर हमेशा खुश रहने वाले आदमी के कामयाबी कदम चूमती है।
  8. किसी काम का ना आना बुरी बात नहीं है, बल्कि सीखने की कोशिश ना करना बुरी बात है।
  9. किसी के अहित की भावना करना अपने अहित को निमंत्रण देना है।
  10. कुपथ्य का त्याग और पथ्य का सेवन करना तथा संयम से रहना— ये तीनों बातें दवाइयों से भी बढ़कर रोग दूर करने वाली हैं।
  11. कुसंगति में रहने की अपेक्षा अकेले रहना अधिक उत्तम है। अत्यधिक समझदार व्यक्ति पर भी कुसंग अपना प्रभाव दिखा ही देता है।
  12. केवल अपने सुख से सुखी होना और अपने दुःख से दुःखी होना- यह पशुता है तथा दूसरे के सुख से सुखी होना और दूसरे के दुःख से दुःखी होना- यह मनुष्यता है।
  13. केवल वही आलसी नहीं है, जो कुछ नहीं करता, वह भी आलसी है जो बेहतर कर सकता था, लेकिन उसने प्रयत्न नहीं किया।
  14. कैसा आश्चर्य है कि लोग बुरा करने से नहीं डरते, किंतु बुरा कहलाने से डरते हैं। झूठ बोलते हैं, किंतु झूठा कहलाना नहीं चाहते। बेईमानी करते हैं, किंतु बेईमान कहलाना नहीं चाहते। सारांश यह है कि बुरे काम से घृणा नही, किंतु बुरे नाम से घृणा है।
  15. कोई भी व्यक्ति सच्चाई, ईमानदारी तथा लोक- हितकारिता के राजपथ पर पूरी निष्ठा के साथ चलता रहे तो उसे कोई भी बुराई क्षति नहीं पहुँचा सकती।
  16. क्षणभर का समय है ही क्या, ऐसा सोचने वाला मनुष्य मूर्ख होता है और एक कौड़ी है ही क्या, यह सोचने वाला दरिद्र हो जाता है।
  17. ग़लती करने में कोई नुकसान नहीं है, परंतु अहंकारवश गलती न मानना पतन का कारण बन जाता है।
  18. जब आप जीवन में सफल होते हैं तो आपके अपनों को पता चलता है कि आप कौन हैं। जब आप जीवन में असफल होते हैं तो आपको पता चलता है कि आपके अपने कौन हैं।
  19. जब व्यक्ति आत्म-मंथन कर स्वयं अपनी गलतियां दूर करता है, तब उसकी सफलता में कोई संदेह नहीं रह जाता।
  20. जब हम क्रोध की अग्नि में जलते हैं तो इसका धुँआ हमारी ही आँखों में जाता है।
  21. जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं। पहले वे जो सोचते हैं, पर करते नहीं; दूसरे वे जो करते हैं, पर सोचते नहीं।
  22. जुनून आपसे वह करवाता है, जो आप कर नहीं सकते; हौसला आपसे वह करवाता है जो आप करना चाहते हैं, और अनुभव आपसे वह कराता है जो आपको करना चाहिए। इन तीन गुणों का मेल हो तो कार्य की कीर्ति दासों दिशाओं में गूँजती है।
  23. जैसे किसी कंपनी का काम अच्छा करने से उसका मालिक प्रसन्न हो जाता है, ऐसे ही संसार की सेवा करने से उसका मालिक (भगवान) प्रसन्न हो जाता है, इसलिए हमें यथासंभव परोपकार करते रहना चाहिए।किसी काम को करने के बाद पछताने से बेहतर है कि काम करने से पहले उसके अच्छे-बुरे के बारे में सोच लिया जाए।
  24. जैसे सूखी लकड़ियों के साथ मिली होने से गीली लकड़ी भी जल जाती है, उसी तरह पापियों के संपर्क में रहने से धर्मात्माओं को भी उनके समान दंड भोगना पड़ता है।
  25. जो अपनी शक्ति के अनुसार दूसरों का भला करता है, उसका भला भगवान अपनी शक्ति के अनुसार करते हैं।
  26. जो उपदेशों से कुछ नही सीखता, उसे तकलीफ़ों की आँधी से ही सीख मिलती है।
  27. जो क्रोध को क्षमा से दबा लेता है, वही श्रेष्ठ पुरुष है। जो क्रोध को रोक लेता है, निंदा सह लेता है और दूसरों के सताने पर भी दुखी नहीं होता, वही पुरुषार्थ का स्वामी होता है। एक मनुष्य सौ वर्ष तक यज्ञ करे और दूसरा क्रोध न करे तो क्रोध न करने वाला ही श्रेष्ठ कहलाता है।
  28. जो गीता अर्जुन को केवल एक बार सुनने को मिली, वही गीता हमें प्रतिदिन पढ़ने-सुनने को मिल रही है, यह भगवान की कितनी विलक्षण कृपा है, फिर भी हम उसके ज्ञान को अपने अंदर नही उतार पा रहे हैं।लोगों ने गीता को कंठ में रखा हुआ है, इसलिए इसकी दयनीय स्थिति बनी हुई है। इस स्थिति से उबरने के लिए गीता को कंठ से नीचे उतारना होगा, यानी उसे आचरण में लाना होगा, इससे हमारा जीवन आनन्द से भर जाएगा।
  29. ज्ञानी हमें सीख देता है कि हमें क्या करना चाहिए, जबकि अज्ञानी हमें सीख देता है कि हमें क्या नहीं करना चाहिए।
  30. तुम्हारे चरित्र को तुम्हारे अपने कर्मों के सिवाय और कोई कलंकित नहीं कर सकता।
  31. दूसरों का सहयोग कीजिए, परंतु इतना भी सहज मत हो जाइए कि दूसरा आपको गुलाम समझे।
  32. दूसरों के जो आचरण हमें पसंद नही, वैसा आचरण हमें दूसरों के साथ भी नही करना चाहिए।
  33. दूसरों को देखना हो तो उन्हे उन्हीं के दृष्टिकोण से और उन्हीं की परिस्थिति में पहुँच कर देखो, फिर उनकी गलतियां उतनी नही दिखाई देंगी।
  34. दो तरह से चीज़ें देखने से छोटी नजर आती हैं - एक दूर से और दूसरी गुरूर से।
  35. धन के रहते हुए तो मनुष्य संत बन सकता है, पर धन की लालसा रहते हुए मनुष्य संत नहीं बन सकता।
  36. धर्म परिवर्तन केवल धर्म का ही परिवर्तन नहीं, अपितु माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कारों और उनकी सीख का भी परिवर्तन है।
  37. धूर्त व्‍यक्ति सच्ची मानसिक शांति का आनंद कभी प्राप्त नही कर सकता। अपने छल-कपट से वह स्वयं ही उलझनों में फँसा रहता है।
  38. धैर्य एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति की कार्यक्षमता में वृद्धि करता है, उसे आगे ले जाता है तथा उसे पूर्णता प्रदान करता है।
  39. नफरत बहुत सोच-समझकर करनी चाहिए, क्योंकि नफ़रत करते-करते एक दिन हम भी वही बन जाते हैं, जिससे नफ़रत कर रहे हैं।
  40. नेतृत्व उस व्यक्ति को मिलता है जो खड़ा होकर अपने विचार व्यक्त कर सके।
  41. पक्षपात ही सब अनर्थ का मूल है। यदि तुम किसी के प्रति दूसरे की तुलना में ज़्यादा प्रेम प्रदर्शित करोगे तो उससे कलह ही बढ़ेगा।
  42. प्रार्थना के लिए सौ बार हाथ जोड़ने के बजाय, दान देने के लिए एक बार हाथ खोलना अधिक महत्वपूर्ण है।
  43. बड़ों का अनुसरण करने की इच्छा हो तो धनवानों को नहीं, बल्कि सज्जनों और परोपकारियों को सामने रखना चाहिए।
  44. बुद्धिमान व्यक्ति को क्रोध ऐसे त्याग देना चाहिए, जैसे सांप अपनी केंचुली को त्याग देता है।
  45. बुराइयां जीवन में आए, उससे पहले उन्हें मिट्टी में मिला दो, अन्यथा वो तुम्हें मिट्टी में मिला देंगी।
  46. बोलना तो वह है जो सुनने वालों को वशीभूत कर दे और न सुनने वालों में भी सुनने की इच्छा उत्पन्न कर दे।अगर अपनी संतान से सुख चाहते हो तो अपने माता-पिता को सुख पहुँचाओ, उनकी सेवा करो।
  47. भगवान को हम जानें, ये ज्ञान है। भगवान हमें जानें, ये भक्ति है।
  48. मनुष्य दूसरे के जिस कर्म की निंदा करे, उसको स्वयं भी न करे। जो दूसरे की निंदा करता है, किंतु स्वयं उसी निन्द्य कर्म में लगा रहता है, वह उपहास का पात्र बनता है।
  49. माता-पिता और बड़ों का आशीर्वाद हमारे मानसिक व शारीरिक विकास के लिए ज़रूरी है। यदि हम अपने माता-पिता को खुश नही रख सके तो परमपिता परमेश्वर को कैसे प्रसन्न रख पाएँगे?
  50. मूर्खों की सफलताओं की अपेक्षा बुद्धिमानों की ग़लतियाँ अधिक मार्गदर्शक होती हैं।
  51. यदि आप सही हैं तो आपको गुस्सा होने की ज़रूरत नहीं और यदि आप ग़लत हैं तो आपको गुस्सा होने का कोई हक नहीं।
  52. यदि दरवाजा पश्चिम की ओर खुलता हो तो सूर्योदय दर्शन असंभव है। इसी प्रकार मनोवृत्ति नकारात्मक हो तो मन की प्रसन्नता असंभव है।
  53. यह बड़े आश्चर्य की बात है कि परमात्मा की दी हुई चीज तो अच्छी लगती है, पर परमात्मा अच्छे नही लगते।
  54. रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कभी रास्ते पे चलते-चलते रिश्ते बन जाते हैं और कभी रिश्ते निभाते-निभाते रास्ते बदल जाते हैं।
  55. वक्त और हालात दोनों इंसान की ज़िंदगी में कभी एक जैसे नहीं होते। वक्त इंसान की ज़िंदगी बदल देता है और हालात बदलने में वक्त नहीं लगता।
  56. वास्तव में वही पुरुष धन्य है और वही मानव कहलाने योग्य है, जो जहाँ है, जिस स्थिति में है, वहाँ उसी स्थिति में रहकर यथाशक्ति, यथायोग्य समाज के हित के लिए सोचते-बोलते और करते हैं।
  57. व्यक्ति अपने गुणों से ऊपर उठता है। ऊँचे स्थान पर बैठ जाने से वो ऊँचा नहीं हो जाता है।
  58. शिष्टाचार शारीरिक सुंदरता के अभाव (कमी) को पूर्ण कर देता है। शिष्टाचार के अभाव में सौंदर्य का कोई मूल्य नही रहता।
  59. संतोष से बढ़कर अन्य कोई लाभ नहीं, जो मनुष्य इस विशेष सदगुण से संपन्न है वह त्रिलोकी में सबसे धनी व्यक्ति है।
  60. संसार की कामना से पशुता का और भगवान की कामना से मनुष्यता का आरंभ होता है।
  61. संसार की वस्तुएँ कुछ भी, कितनी भी, कैसी भी पाकर शांति का अनुभव नहीं हो सकता, क्योंकि सामान से सुविधाएं मिल सकती हैं, शांति नहीं। शांति तो सदविचारों से मिलती है।
  62. सच्चा मित्र वह है जो आप के अतीत को समझता हो, आप के भविष्य में विश्वास रखता हो, और आप जैसे है वैसे ही आप को स्वीकार करता हो।
  63. सबसे गुणी और सबसे मेहनती नही, बल्कि वह इंसान ज़्यादा प्रगति करता है, जो बदलाव को आसानी से स्वीकार कर लेता है।
  64. समय और समझ दोनों एक साथ खुशकिस्मत लोगों को ही मिलते हैं क्योंकि अक्सर समय पर समझ नही आती और समझ आने पर समय निकल जाता है।
  65. हम मन के हीन विचारों के कारण ही दीन बने रहते हैं। दरिद्रता से अधिक हमारे दरिद्रता पूर्ण विचार हैं जो एक कुत्सित वातावरण की रचना करते हैं।
  66. हम लोकप्रिय तो बनना चाहते हैं, पर लोकहित करना नही चाहते।
  67. हमारे देश में नैतिक चेतना जाग्रत करने की सख्त ज़रूरत है और इसे बचपन से बच्चों में संस्कारित करना होगा, तभी हमारा देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो सकता है।
  68. हर किसी को खुश रखने के चक्कर में इंसान को अपने कार्यों से समझौता नहीं करना चाहिए।
  69. हर व्यक्ति दुनिया को बदलने की सोचता है, लेकिन कोई भी व्यक्ति स्वयं को बदलने की नहीं सोचता।
  70. हिंसा और हथियारों से किसी को हराया तो जा सकता है, पर जीता नहीं जा सकता। जीतना तो हृदय परिवर्तन से ही संभव है, जो अहिंसा नामक दिव्य अमृत का कार्य है।
  71. हिन्दी की बात मत करो, हिन्दी में बात करो। तभी हम अपनी मातृभाषा को उसका सही स्थान दिला पाएंगे।


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भारतीय विधि और संविधान पर आधारित महत्वपूर्ण लेख




 
महाशक्ति पर भारतीय विधि और संविधान पर आधारित महत्वपूर्ण लेख


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उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और उनके विभाग



 केबिनेट मंत्री उ.प्र. सरकार 

मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ  : गृह, आवास एवं शहरी नियोजन, राजस्व, खाद्य एवं रसद, नागरिक आपूर्ति, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, अर्थ एवं संख्या, भूतत्व एवं खनिजकर्म, बाढ़ नियंत्रण, कर निबंधन, कारागार, सामान्य प्रशासन, सचिवालय प्रशासन, गोपन, सतर्कता, नियुक्ति, कार्मिक, सूचना, निर्वाचन, संस्थागत वित्त, नियोजन, राज्य संपत्ति, नगर भूमि, उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय, प्रशासनिक सुधार, कार्यक्रम कार्यान्वयन, राष्ट्रीय एकीकरण, अवस्थापना, भाषा, वाह्य सहायतित, परियोजना, अभाव, सहायता एवं पुनर्वास, लोक सेवा प्रबंधन, किराया नियंत्रण, उपभोक्ता संरक्षण, बाट माप विभाग, प्रोटोकाल।
उपमुख्यमंत्री  
  1. केशव प्रसाद मौर्य : लोक निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर, सार्वजनिक उद्यम 
  2. डॉ. दिनेश शर्मा :  माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी।
कैबिनेट मंत्री
  1. सूर्यप्रताप शाही : कृषि, कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान। 
  2. सुरेश कुमार खन्ना : वित्त, संसदीय कार्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग। 
  3. स्वामी प्रसाद मौर्य : श्रम, सेवायोजन, समन्वय। 
  4. सतीश महाना : औद्योगिक विकास। 
  5. दारा सिंह चौहान : वन, पर्यावरण व जंतु उद्यान। 
  6. रमापति शास्त्री : समाज कल्याण व अनुसूचित जाति, जनजाति कल्याण।
  7.  जय प्रताप सिंह : चिकित्सा व स्वास्थ्य परिवार कल्याण, मातृ एवं शिक्षा कल्याण।
  8.  ब्रजेश पाठक : विधायी, न्याय, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा।
  9.  लक्ष्मी नारायण चौधरी : पशुधन, मत्स्य व दुग्ध विकास।
  10.  चेतन चौहान : सैनिक कल्याण, होमगार्ड, प्रांतीय रक्षक दल, नागरिक सुरक्षा।
  11.  श्रीकांत शर्मा : ऊर्जा, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत।
  12.  राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह : ग्राम्य विकास, समग्र ग्राम विकास। 
  13. सिद्धार्थ नाथ सिंह : खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, वस्त्रोद्योग, एमएसएमई, निर्यात प्रोत्साहन, एनआरआइ, निवेश प्रोत्साहन। 
  14. मुकुट बिहारी वर्मा : सहकारिता। 
  15. आशुतोष टंडन : नगर विकास, शहरी समग्र विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन। 
  16. नंदगोपाल गुप्ता नंदी : नागरिक उड्डयन, राजनीतिक पेंशन, अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ, हज। 
  17. डॉ. महेंद्र सिंह : जल शक्ति। 
  18. सुरेश राणा : गन्ना विकास, चीनी मिलें। 
  19. भूपेंद्र सिंह : पंचायती राज। 
  20. अनिल राजभर : पिछड़ा वर्ग कल्याण, दिव्यांगजन सशक्तीकरण। 
  21. राम नरेश अग्निहोत्री : आबकारी, मद्यनिषेध। 
  22. कमल रानी वरुण : प्राविधिक शिक्षा।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  1. उपेंद्र तिवारी : खेल, युवा कल्याण। पंचायती राज मंत्री से सम्बद्ध। 
  2. डॉ. धर्म सिंह सैनी : आयुष, मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  3. स्वाती सिंह : महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार। 
  4. नीलकंठ तिवारी : पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य। मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  5. कपिल देव अग्रवाल : व्यवसायिक शिक्षा व कौशल विकास। 
  6. सतीश द्विवेदी : बेसिक शिक्षा। 
  7. अशोक कटारिया : परिवहन। संसदीय कार्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  8. श्रीराम चौहान : उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार, कृषि निर्यात। 
  9. रविंद्र जायसवाल : स्टांप तथा न्यायालय शुल्क, पंजीयन।
राज्य मंत्री
  1. गुलाब देवी : माध्यमिक शिक्षा। 
  2. जयप्रकाश निषाद : पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास। 
  3. जयकुमार सिंह जैकी : मुख्यमंत्री से सम्बद्ध। 
  4. अतुल गर्ग : चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण तथा मातृ एवं शिशु कल्याण। 
  5. रणवेंद्र प्रताप सिंह धुन्नी सिंह : मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  6. मोहसिन रजा : अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज मंत्री। 
  7. गिरीश चंद्र यादव : मुख्यमंत्री से सम्बद्ध। 
  8. बलदेव औलख : जल शक्ति। 
  9. मनोहर लाल मन्नू कोरी : श्रम एवं सेवायोजन। 
  10. संदीप सिंह : वित्त व चिकित्सा शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा। 
  11. सुरेश पासी : गन्ना विकास एवं चीनी मिलें। 
  12. अनिल शर्मा : वन एवं पर्यावरण तथा जंतु उद्यान। 
  13. महेश गुप्ता : नगर विकास, शहरी समग्र विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन। 
  14. आनंद स्वरूप शुक्ला : संसदीय कार्य, ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम्य विकास। 
  15. विजय कश्यप : मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  16. डॉ. गिर्राज सिंह धर्मेश : समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण। 
  17. लाखन सिंह राजपूत : कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान। 
  18. नीलिमा कटियार : उच्च शिक्षा तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी। 
  19. उदयभान सिंह : एमएसएमई, खादी व ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, वस्त्रोद्योग व निर्यात प्रोत्साहन। 
  20. चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय : लोकनिर्माण। 
  21. रमाशंकर सिंह पटेल : ऊर्जा, अतिरिक्त उर्जा स्रोत। 
  22. अजित सिंह पाल : इलेक्ट्रानिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी।
अपडेट 23 Aug 2019 तक


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दहेज एवं दहेज हत्या पर कानून



 
दहेज पर कानून 
दहेज प्रतिशोध अधिनियम, 1961 के अंतर्गत इस विषय पर कानून बना है। इसके अंतर्गत जब शादी से संबंधित जो भी उपहार दबाव या जबरदस्ती के कारण दूल्हे या दुल्हन को दिये जाते हैं, उसे दहेज कहते है। उपहार जो मांग कर लिया गया हो उसे भी दहेज कहते हैं।
  • दहेज लेना या देना या लेने देने में सहायता करना अपराध है। शादी हुई हो या नहीं इससे फर्क नहीं पड़ता है। इसकी सजा है पाँच साल तक की कैद, पन्द्रह हजार रुपये जुर्माना या अगर दहेज की रकम पन्द्रह हजार रुपये से ज्यादा हो तो उस रकम के बराबर जुर्माना।
  • दहेज मांगना अपराध है और इसकी सजा है कम से कम छः महीनों की कैद या जुर्माना।
  • दहेज का विज्ञापन देना भी एक अपराध है और इसकी सजा है कम से कम छः महीनों की कैद या पन्द्रह हजार रूपये तक का जुर्माना।


 दहेज हत्या पर कानून 
भारतीय दंड संहिता की धारा 304ख व 306 दहेज हत्या पर दंड का प्रविधान है इसके अंतर्गत यदि-
  • शादी के सात साल के अन्दर अगर किसी स्त्री की मृत्यु हो जाए
  • गैर प्राकृतिक कारणों से, जलने से या शारीरिक चोट से, आत्महत्या की वजह से हो जाए-और उसकी मृत्यु से पहले उसके पति या पति के किसी रिश्तेदार ने उसके साथ दहेज के लिए क्रूर व्यवहार किया हो, तो उसे दहेज हत्या कहते हैं। दहेज हत्या के संबंध में कानून यह मानकर चलता है कि मृत्यु ससुराल वालों के कारण हुई है।
इन अपराधों की शिकायत कौन कर सकता हैः-
  1. कोई पुलिस अफसर
  2. पीडि़त महिला या उसके माता-पिता या संबंधी
  3.  यदि अदालत को ऐसे किसी केस का पता चलता है तो वह खुद भी कार्यवाई शुरू कर सकता है।
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विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत दंड प्रविधान



 विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत दंड प्रविधान
विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत धारा 493 से 498 के प्रावधान है - 
  •  धारा 493 -धारा 493 के अंतर्गत बताया गया है कि विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास की स्थिति में, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। 
  • धारा 494 - धारा 494 के अंतर्गत पति या पत्नी के जीवित रहते हुए विवाह करने की स्थिति अगर वह विवाह शून्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। बहुविवाह के लिए आवश्यक है कि दूसरी शादी होते समय शादी के रस्मो-रिवाज पर्याप्त ढंग से किए जाएं। 
  • धारा 494 क - इस धारा के अंतर्गत बताया गया है कि वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ पश्चात्वर्ती विवाह किया जाता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी। 
  • धारा 496 - धारा 496 में बताया गया है कि विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्ण विवाह कर्म पूरा कर लेने की स्थिति में से वह दोनों में किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। 
  • धारा 497 - व्यभिचार की स्थिति में वह व्यक्ति जो यह कार्य करता है वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा। ऐसे मामलों में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी। 
  • धारा 498 - धारा 498 के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाता है या ले आना या निरूञ्द्घ रखना है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा। 
  • धारा 498 क - सन्‌ 1983 में भारतीय दण्ड संहिता में यह संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत अध्याय 20 क, पति या पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता के विषय में, अंत स्थापित किया गया इस अध्याय के अन्तर्गत एक ही धारा 498-क है, जिसके अन्तर्गत बताया गया है कि किसी स्त्री के पति या पति के नातेदारों द्वारा उसके प्रति क्रूरता करने की स्थिति में दण्ड एवं कारावास का प्रावधान है इसके अंतर्गत बताया गया है कि जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, उसे कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
    क्रूरता 
    मानसिक तथा शारीरिक क्रूरता - शारीरिक क्रूरता का अर्थ है महिला को मारने या इस हद तक शोषित करना कि उसकी जान, शरीर या स्वास्थ्य को खतरा हो।मानसिक क्रूरता जैसे- दहेज की मांग या महिला को बदसूरत कहकर बुलाना इत्यादि। 
    • किसी महिला या उसके रिश्तेदार या संबंधी को धन-संपति देने के लिये परेशान किया जाना भी क्रूरता है। 
    • अगर ऐसे व्यवहार के कारण औरत आत्महत्या कर लेती है तो वह भी क्रूरता कहलाती है। 
    • यह धारा हर तरह की क्रूरता पर लागू है चाहे कारण कोई भी हो केवल दहेज नहीं।
भारतीय विधि से संबधित महत्वपूर्ण लेख


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भारतीय दंड संहिता की धारा 503, 504 व 506 के अधीन अपराध एवं सजा



भारतीय दंड संहिता की धारा 503, 504 व 506 के अधीन अपराध एवं सजा
 
आईपीसी की धारा 503 - आपराधिक अभित्रास 
सजा/दंड - जो कोई किसी अन्य व्यक्ति के शरीर, ख्याति या सम्‍पत्ति को या किसी ऐसे व्यक्ति के शरीर या ख्याति को, जिससे कि वह व्यक्ति हितबद्ध हो कोई क्षति करने की धमकी उस अन्य व्यक्ति को इस आशय से देता है कि उसे संत्रास कारित किया जाए, या उससे ऐसी धमकी के निष्पादन का परिवर्जन करने के साधन स्वरूप कोई ऐसा कार्य कराया जाए, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध न हो, या

किसी ऐसे कार्य को करने का लोप कराया जाए, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से हकदार हो, वह आपराधिक अभित्रास करता है । स्पष्टीकरण--किसी ऐसे मॄत व्यक्ति की ख्याति को क्षति करने की धमकी जिससे वह व्यक्ति, जिसे धमकी दी गई है, हितबद्ध हो, इस धारा के अन्तर्गत आता है ।
 
आईपीसी की धारा 504 - लोकशांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से साशय अपमान
सजा/दंड -  जो कोई किसी व्यक्ति को साशय अपमानित करेगा और तद्द्वारा उस व्यक्ति को इस आशय से, या यह सम्भाव्य जानते हुए, प्रकोपित करेगा कि ऐसे प्रकोपन से वह लोक शान्ति भंग या कोई अन्य अपराध कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
 
आईपीसी की धारा 506 - आपराधिक अभित्रास के लिए सजा (आपराधिक धमकी )
सजा/दंड - जो कोई आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जायेगा या
यदि धमकी मृत्यु या घोर उपहति कारित करने की या अग्नि द्वारा किसी संपत्ति का नाश कारित करने की या मृत्युदंड से या आजीवन कारावास से या सात वर्ष की अवधि तक के कारावास से दंडनीय अपराध कारित करने की, या
किसी स्त्री पर असतीत्व का लांछन लगाने की हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जायेगा।

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