Unlimited Best Sad Shayari in Hindi




Unlimited Best Sad Shayari in Hindi


कुछ अधूरा पन था जो
पूरा हुआ नहीं,
कोई मेरा होकर भी मेरा
हुआ नहीं…!

परवाह करने वाले अक्सर रुला जाते है,
अपना कहकर पराया कर जाते है,
वफ़ा जितनी भी करो कोई फर्क नहीं,
“मुझे मत छोड़ना” कहकर खुद छोड़ जाते.!

किसी को चाहकर छोड़ देना
बहुत आसान है
किसी को छोड़कर भी चाहो तो
पता चलेगा मुहब्बत किसे कहते हैं.!

बरबाद करना था तो किसी और
तरीके से करते
जिन्दगी बनकर जिन्दगी से जिन्दगी
ही छीन ली तुमने.!

बहुत तकलीफ देती है न मेरी बातें
तुम्हें देख लेना मेरी खामोशी एक
दिन तुम्हें रुला देगी.!

सब कुछ करो बुरा भला कहलो
थप्पड़ मारलो, मगर याद रखो
दोराहे पर लाकर किसी का साथ मत
छोड़ो इंसान जीते जी मर जाता है

आजाद कर देंगे तुम्हें
अपनी चाहत की कैद से,
मगर वो शख्स तो लाओ,
जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी..

मरने वाले तो एक दिन बिना बताए
मर जाते है
रोज़ तो वो मरते है जो
खुद से ज़्यादा किसी को चाहते है.

मेरी मौत की खबर उसे न देना
मेरे दोस्तों घबराहट होती है
कही पागल न हो जाये
वो इस खुशी में🥹

कभी-कभी इंसान इतना
अकेला होता है
की वो बस अपने आँसूओं को ही
अपना सहारा समझता है!!

जब दर्द सहने की
आदत हो जाती है ना
तो आंसू आना
खुद ही बंद हो जाते है.!

कुछ यादें ऐसी होती हैं जिन्हें ना हम
भुला सकते हैं,
और ना ही किसी को
बता सकते हैं.!!

क्यूं शर्मिंदा करते हो रोज
हाल हमारा पूछ कर
हाल हमारा वही है जो तुमने
बना रखा है.!!

जो जाहिर करना पड़े
वो दर्द कैसा
और जो दर्द ना समझ सके
वो हमदर्द कैसा..!!

जिंदगी गुजर रही है,
इम्तिहानों के दौर से,
एक ज़ख्म भरता नही,
और दूसरा आने की जिद करता है।

चेहरे ” अजनबी” हो जाये तो
कोई बात नही, लेकिन
रवैये “अजनबी” हो जाये तो
बड़ी “तकलीफ” होती है!

जिंदगी की तलाश में मौत की
राह चलते गए,
समझ आया जब तक, तब तक
तनहाइयों में डूबते चले गए।

मोहब्बत जब रहती है
तब समझ नहीं रहती,
और जब समझ आती है तब
मोहब्बत नहीं रहती !!

ऐसा भी क्या जीना मेरा,
की पल पल तड़पता हूं मैं,
किसी की याद में किसी के इंतजार में,
रोज़ जीता रोज़ मरता हूं मैं ।💔

वक़्त पर सीखो
अपने प्यार की कदर करना
लोग वापस नहीं आते
एक बार चले जाने के बाद.!

सांसों से बंधी थी एक डोर
जो तोड़ दी हमने,
अब हम भी चैन से सोयेंगे,
मोहब्बत छोड़ दी हमने..!

बात वफ़ा की होती
तो कभी ना हारते
बात नसीब की थी
कुछ कर ना सके..!

मेरी तलाश का है जुर्म
या मेरी वफ़ा का कसूर,
जो दिल के करीब आया
वही बेवफा निकला।

भर जायेंगे जख्म मेरे भी तुम
जमाने से जिक्र मत करना,
मैं ठीक हूं तुम दुबारा कभी
मेरी फिक्र मत करना।

उसके दर पर दम तोड़ गईं
तमाम ख्वाहिशें मेरी,
मगर वो पूछ रहा है
तेरे रोने की वजह मैं तो नहीं।।

मुझे डर नहीं है अब
कुछ खोने का क्योंकि
मैंने अपनी जिंदगी में
जिंदगी को खोया है !!

उसने दोस्ती चाही
मुझे प्यार हो गया,
मै अपने ही कत्ल का
गुनहगार हो गया।

जिस फूल की परवरिश हम ने
अपनी मोहब्बत से की,
जब वो खुशबु के काबिल हुआ
तो औरो के लिए महकने लगा.।

तरसेगा जब तेरा दिल
मुझसे मिलने को,
तब हम तेरे ख्यालों में तो क्या
इस दुनिया में भी नहीं होंगे।

बड़े ही अजीब हैं ये जिंदगी के रास्ते,
अंजान मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते हैं,
मिलने की खुशी दें या न दें,
मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते हैं।

कुछ पल की ख़ुशी देकर
जिंदगी रुलाती क्यूं है
जो लकीरो में नहीं होते
जिंदगी उनसे मिलाती क्यूं है।

वो करीब तो बहुत हैं
मगर कुछ दूरियों के साथ
हम दोनों जी तो रहे हैं
मगर मजबूरियों के साथ.!

जिसने अपनों को बदलते देखा है
वो जिन्दगी में हर परिस्थिति का
सामना कर सकता है ।

यूँ ना कहो की
ये क़िस्मत की बात है
मुझे बर्बाद करने में तुम्हारा भी
हाथ है ।

आसूं आ जाते हैं रात को
यह सोच कर की
कोई था जो कहता था की पागल
सोना मत बात करनी हैं । 

ख़ुदा करें मैं मर जाऊँ
तुझे खबर तक ना मिले
तू ढूँढता रहे मुझे पागलों की तरह
पर तुझे कब्र तक ना मिले ।

हम उन हालातों से गुजरे है दोस्तों,
जहाँ सुनने वाला हिम्मत छोड़ देता है,
और देखने वाला दम…।

हमें रोता देखकर
वो ये कह के चल दिए की
रोता तो हर कोई है
क्या हम सबके हो जाए ।

आज खुद को
इतना तन्हा महसूस किया
जैसे लोग दफना कर चले गए
हों …। 

वो मिली भी तो क्या मिली बन के
बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे
सजा मिली।

रात भर जलता रहा ये दिल
उसी की याद में
समझ नहीं आता दर्द प्यार करने से
होता है या याद करने से । 

सब चले जाते हैं महफिल से
पर तेरी खुशबू नहीं जाती
जिंदगी गुजरी चली जाती है
पर तेरी यादें नहीं जाती । 

प्यार का मतलब सिर्फ उन्हें
पाना नहीं होता
उनकी खुशी के लिए खुद को
कुर्बान कर देना भी प्यार होता है ।

एक दिन हम भी कफन ओढ़ जाएंगे…
हर एक रिश्ता इस ज़मीन से तोड़े जाएंगे
जितना जी चाहे सता लो यारो,
एक दिन रुलाते हुए सबको छोड़ जाएंगे…। 

दर्द बताऊँ कब ज़्यादा
होता है दोस्तों
जब आपसे कोई झूट बोल रहा हो
और आपको सच पता हो ।  

जितने दिन तक जी गई
बस उतनी ही है जिन्दगी
मिट्टी के गुल्लकों की कोई उम्र
नहीं होती ।

एक बात बोलूं
अगर जिंदगी प्यारी है तो
ज़िन्दगी में कभी मोहब्बत मत करना ।

अगर मेरी कोई बात बुरी
लगी हो
तो दुआओं में मेरी मौत
मांग लेना ।


कहने वाले तो कुछ भी कह देते हैं,
कभी सोचा है…
सुनने वाले पर क्या गुजरती
है।

“ज़िंदगी” नहीं “रूलाती” है रुलाते तो वह,
“लोग” हैं जिन्हें हम अपनी …
ज़िन्दगी “समझ” बैठते हैं ..!!  
  

वो आएगी नहीं
मैं फिर भी इंतजार करता हूँ
एक तरफ ही सही पर सच्चा प्यार करता हूँ ।

दर्द बनकर ही रह जाओ
हमारे साथ
सुना है दर्द बहुत देर तक
साथ रहता है ।

आज़ाद कर देंगे तुझे
अपनी मोहब्बत की क़ैद से,
करे जो हमसे बेहतर कदर
पहले वो शख्स तो ढूंढ़ ! 

बचपन कितना खूबसूरत था
तब खिलौने ज़िन्दगी थे
आज
ज़िन्दगी खिलौना है…। 

नफरत करनी है तो
इस कदर करना
की हम दुनिया से चले जाए पर
तेरी आँख मे आंसू ना आए ।

ऐ मोहब्बत बता क्या दिल तोड़ना ही
तेरा पेशा है !
मर जाती है रूह
मैंने मोहब्बत में लाशों को चलते हुए देखा है !


टूट जायेगी तुम्हारी
जिद की आदत भी उस दिन,
जब पता चलेगा की
याद करने वाला अब याद बन गया ।  

क्या रोग दे गई है ये
नये मौसम की बारिश,
बहुत याद आ रहे हैं मुझे भूल
जाने वाले ।

आप हर रोज कहते हो मुझसे थोड़ी
देर में बात करेंगे
थोड़ी देर में हमारी आँख ही न खुली
तो आप क्या करेंगे । 

मेरी मौत की खबर उसे न देना
मेरे दोस्तों घबराहट होती है
कही पागल न हो जाये
वो इस खुशी में ।  

मरता नहीं कोई किसी के बग़ैर,
ये हक़ीक़त है, पर क्या सिर्फ
सांस लेने को ही जीना कहते
हैं! !

दर्द क्या होता है कोई उस शख्स से पूछो
जो अपनी मोहब्बत को किसी और की
बांहों में देखे । 
 

इतनी रात को जागते हुए
अहसास हुआ
अगर मोहब्बत ना होती तो हम भी
सौ जाते ।

बड़े ही अजीब हैं ये जिंदगी के रास्ते,
अंजान मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते हैं,
मिलने की खुशी दें या न दें,
मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते हैं ।

अपना बनाकर फिर कुछ दिनों मे
बेगाना बना दिया
भर गया दिल हमसे और मजबूरी का
बहाना बना दिया । 

इस नाज़ुक दिल में किसी के लिए
इतनी मोहब्बत आज भी है यारों
की हर रात जब तक आँखें ना भीग जाए
नींद नहीं आती ।

दिल को तोड़ कर जाने से
क्या हासिल हुआ तुमको
मार ही देते तो यूँ रात की तनहाई में
रोना नहीं पड़ता ।

अकेले रोना भी
क्या खूब कारीगरी है !
सवाल भी खुद के होते है
और जवाब भी खुद के ।  

लोग मुझसे पूछते हैं कि तुम्हारी
आंखें हमेशा लाल क्यूं रहती है
हम भी हंसकर कह देते हैं
हम नशा करते हैं किसी की यादों का । 

बहुत आसाँ है
इश्क़ में हार के खुदकुशी कर लेना,
कितना मुश्किल है जीना,
ये हमसे पूछ लेना…।

मुझे किसी के बदल जाने का
कोई गम नहीं
बस कोई था जिससे
ये उम्मीद नहीं थी । 

इतना दर्द तो मौत भी नहीं
देती,
जितना तेरी ख़ामोशी दे रही
है !  

औकात से ज्यादा
मोहब्बत करली
इसलिए बर्दाश्त से ज्यादा
दर्द मिला ।

झूठी मोहब्बत.. वफ़ा के वादे..
साथ निभाने की कसमें..
इतना सब किया तुमने,
सिर्फ मेरे साथ वक़्त गुजरने के लिए । 

तेरा हाल पूछे भी तो
किस तरह पूछे सुना है
मोहब्बत करने वाले बोला कम
और रोया ज़्यादा करते है ।  

अजीब है ये मोहब्बत का
दर्द… हँसता खेलता इंसान
दुआओं में मौत मांगने
लगता है…।

“जो फुर्सत मिले तो मुड़कर देख लेना मुझे
एक दफा तेरे प्यार में पागल होने की चाहत
मुझे आज भी है !”

बरबाद कर देती है मोहब्बत हर
मोहब्बत करने वाले को
क्योंकि इश्क हार नहीं मानता और दिल
बात नहीं मानता ।


बहुत तकलीफ देते है
वो ज़ख़्म
जो बिना कसूर के
मिले हो ।

पलकों में आँसू और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालों को क्या पता रोनेवाला किस
कदर रोया है ।


अब ना करूँगा
दर्द को बयान किसी के सामने
जब दर्द मुझको सहना है
तो तमाशा क्यूं करना ।

किसी दिन नींद आएगी तो
हम सोयेंगे इस तरह की
तडप जाओगे मुझे जगाने के लिए ।

दिल तोड़कर ये मत सोचना की
तुमको भूल जायेंगे,
मोहब्बत की थी हमने तुम्हारी तरह
टाइमपास नही…। 

जीते जी कौन करता है
कदर किसी की
ये तो मौत ही है जो इंसान को
अनमोल बना देती है । 

उठाकर कफ़न
ना दिखाना चेहरा मेरा उसको
उसे भी तो पता चले की
यार का दीदार ना हो तो कैसा लगता है।

पागल हो जो अब तक
याद कर रहे हो उसे
उसने तो तेरे बाद भी हज़ारो को
भुला दिया ।



ज़िंदगी में खुद को कभी किसी
इंसान का आदी मत बनाना,
क्यूंकि इंसान केवल अपने मतलब से
ही प्यार करता है ।  

मैं उस किताब का आखरी
पन्ना था
मैं ना होता तो
कहानी खत्म न होती ….।

एक तेरा ही दिल नहीं पिघलता जालिम मेरे लफ्ज़ अब पत्थर को रुला देते हैं
मेरे दोस्त भी अब मेरे दर्द का मज़ा लेते हैं,
मुझे अक्सर तेरे नाम से बुला लेते हैं ।

दुआ करना
दम भी इस तरह निकले
जिस तरह
तेरे दिल से हम निकले ।

इंसान इसलिये अकेला हो जाता है
क्योंकि अपनों को छोड़ने की सलाह
गैरों से ले लेता है ।

एक साँस सबके हिस्से से
हर पल घट जाती हैं,
कोई जी लेता हैं ज़िन्दगी
किसी की कट जाती हैं.।  

हुनर मोहब्बत का
हर किसी को कहाँ आता है,
लोग हुस्न पर फ़िदा होकर
उसे इश्क़ कह देते हैं.।

नींद भी क्या गजब की चीज है
आ जाए तो सब कुछ भुला देती है
और ना आए तो
सब कुछ याद दिला देती है ।

जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है,
एक समंदर मेरी आंखों से बहा करता है !

मोहब्बत जिसे हो जाए
उसे मरने की ज़रूरत ही नहीं
ज़िन्दगी ख़ुद ही
अलविदा कह देगी ।

उसकी दर्द भरी आँखों ने जिस जगह कहा
था, अलविदा आज भी वही खड़ा है दिल
उसके आने के इंतजार में ।

आंसुओं की हमें ऐसी आदत हुई
के खुशियों से अब मन भरा ही नहीं
ग़म हमें सिर्फ इस बात का है सनम
तुमने वो भी कहा जो हुआ ही नहीं । 

सनम बेवफा है,
ये वक्त बेवफा है,
हम शिकवा करें भी तो किस्से,
कमबख्त ज़िन्दगी भी तो वेबफा है..!!

मुस्कुरा के दूर हुए वो
दिल ने मेरे रो दिया
ऐसा महसूस हुआ जैसे की
अपने जिस्म से मैंने जान खो दिया ।

हर किसी को नहीं मिलती
मोहब्बत में वफ़ा
कोई सोता है रात भर
कोई रोता है रात भर ।

झगडा तभी होता हैं जब
दर्द होता है,
और दर्द तब होता हैं
जब प्यार होता है

दुनिया का दस्तूर है ये
जिसे टूट कर चाहोगे
वही तोड़ कर जाएगा ।

किसी ने मुझसे पूछा
वादें ” और ” यादें” में क्या अन्तर है
मैंने कहा वादें इन्सान तोड़ता है
और यादें इन्सान को तोड़ती हैं..।

  

दर्द कम नहीं हुआ मेरा बस सहने
की आदत हो गयी हैं ।

सारी रात जागा जिसके लिए
वो अब
किसी और के लिए
जागने लगी है।

मुझे पता था कि,
आज नहीं तो कल तुम मेरा
साथ छोड़ ही दोगे,
लेकिन इतनी जल्दी छोड़ दोगे,
ये नहीं पता था ।

मोहब्बत अब नहीं रही
ज़माने मे
अब लोग इश्क़ नहीं
मज़ाक़ किया करते है..।

कहाँ छिपी है खुशियाँ हमारी,
कहाँ खोई है दुनियाँ हमारी,
समझ नहीं आ रहा है क्या करे
दर्द पर दर्द दे रही है जिंदगी हमारी …|

नसीब का प्यार और
गरीब की दोस्ती
कभी धोखा नही देतीं ।

आजकल धोरखा भी लोग
बड़े धोखे से देते हैं…
इधर प्यार जताते हैं
दिल कहीं और लगाते हैं.. !

हर कोई सो जाता है
अपने कल के लिए मगर
ये नहीं सोचते की आज जिसका दिल दुखाया
वो सोया होगा या नहीं । 

तड़पोगे तुम एक दिन यह सोच कर
की थी कोई जिद्दी चाहनेवाली…!
कहां चली गई अब वो
अपनी जिद छोडकर…!

मेरी ज़िन्दगी मुझे
ऐसे मोड़ पे लाकर खड़ा कर चुकी है
कि मजबूरी हैं जीने की
और चाहत है मरने की…।

कोई ठुकरा दे तो हंसकर जी लेना
क्योंकि
मोहब्बत की दुनिया में जबरदस्ती
नहीं होती ।

जिनके दिल पर
चोट लगती है ना…
वो लोग आँखों से कम और दिल से
ज्यादा रोते है…।

सब कुछ आसानी से मिल जाये,
ऐसा कभी मेरा नसीब ना रहा..
सुख दुःख में बराबर का हिस्सा बनें,
इतना कोई मेरे करीब ना रहा..।

न जाने इतना दर्द क्यों देती है
ये मोहब्बत
हँसता हुआ इंसान भी
दुआओ में मौत मांगता है ।

क़ाश कोई ऐसा हो, जो गले लगा कर
कहे…!! तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ
होती है

आज खुद को
इतना तन्हा महसूस किया
जैसे लोग दफना कर चले गए
हों …।

जिंदगी मे अगर कोई अच्छा लगे तो,
उसे सिर्फ चाहना प्यार मत करना,
क्योकि प्यार खतम हो जाता है
पर चाहत कभी नही खतम होती

मौत आ जाये पर जो नसीब में ना हो,
उस पर दिल कभी न आये..!! 

मोहब्बत का कानून अलग है
साहिब इसकी अदालत मे वफादार
सज़ा पाते है।  Boys

हर किसी को एक बार तो
प्यार करना ही चाहिए
ताकि उसको पता चल सके कि
प्यार क्यों नहीं करना चाहिए ।

याद रखना एक बात
किसी की आँख में आँसू दे
कर आप अपने खुद के सपने
कभी नहीं सजा सकते…।

मेरे अलावा काफ़ी लोग है उसकी
जिंदगी में,
अब मैं रहूं याँ ना रहूं क्या फ़र्क
पड़ता है।

दुनिया में सबसे
बेहतरीन भीख मोहब्बत की
होती है
और मैंने वो भी मांगी थी ।

मन से वहम निकाल दो कि
कोई याद करता है क्योंकि
जो रुला सकता है
वो भूला भी सकता है ।

अकेले ही गुजरती हैं जिंदगी,
लोग तसल्लियां तो देते हैं पर साथ नहीं…।

एक ही ईसान था जिंदगी में
जिसे देख कर लगता था
कि ये कभी साथ नहीं छोड़ेगा
लेकिन वो भी अकेला छोड़ दिया ।

काश आज मेरी साँस रुक जाए,
सुना है की साँस रुक जाए तो रूठे हुए भी
देखने आते है ।

जब तुम पर बीतेगी तो तुम भी
जान जाओगे कि
कितना दर्द होता है नज़र अंदाज़
करने से ।

मोहब्बत दोनों ही करते थे
में उसी से वो किसी और से ।

तन्हाई से तंग आकर हम मोहब्बत की
तलाश में निकले थे
लेकिन मोहब्बत भी ऐसी मिली की और
तनहा कर गयी ।

मन में जो दर्द छुपा था आँखों
से खली करने लगा हूँ…
और जब कोई उन आँसुओं कोई देख लेता है
उन्हें आँखों की खराबी कहने लगा हूँ ।

सुकून की तलाश में हम अपना दिल
बेचने निकले थे
खरीददार ऐसा मिला के
दर्द भी दे गया और दिल भी ले गया ।

जो दर्द समझता था
वही इंसान
जब दर्द देता है तो बहुत दर्द होता है…।

जिंदगी नहीं रुकती
किसी के बगैर
बस उस शख्स की जगह हमेशा
खाली रह जाती है ?

दर्द दो तरह के होते है
एक दर्द आपको दर्द देता है
और दूसरा दर्द आपको बदल देता है ।

जब मर्द की आंखों से
आंसू छलकने लगे
तो समझलो मुसीबत पहाड़ से भी
ज़्यादा बड़ी और संगीन है ।

ये जो तुम लफ़्ज़ों से बार बार
चोट देते हो ना
दर्द वही होता है जहां
तुम रहते है ।

कभी कभी सोचती हूँ यार
इतनी बूरी भी नही मैं
जितना मेरे साथ बूरा होता है…।

प्यार में दर्द पता है कब मिलता
है जब कोई पहले जी भर के प्यार करे
और बाद में बदल जाये तब
दिल नही हिम्मत टूट जाती है यार ।

तुम निभा न सके वो अलग बात है,
मगर वादे तुमने कमाल के किये थे।

मैने दिल से कहा थोड़ा कम याद किया कर उसे !!
दिल ने मुझसे कहा याद मैं कर रहा हु उसे !!
फिर तकलीफ क्या है तुझे।

ना मौत से दूर हूं, ना
जिंदगी के पास हूं, साँसे
चल रही हैं, एक जिंदा
लाश हूं.!!

अगर कोई अपना हो तो आइने
जैसा हो,
हंसे भी साथ और रोए भी
साथ..!

कुछ ना बचा मेरे इन,
दो खाली हाथों में,
एक हाथ से किस्मत रूठ गई,
तो दूसरे हाथ से मोहब्बत छूट गई ।।

मेरी निगाहो मे देखके कह दे
की हम तेरे काबिल नही
क़सम है तेरी चलती साँसों की
तेरी दुनिया ही छोड़ देंगे ।

बाज़ आजाओ मोहब्बत से
मोहब्बत करने वालों
हमने इसमे एक उम्र गुज़ारी
मिला कुछ भी नहीं ।

मोहब्बत सीखनी है तो
मौत से सीखो
जो एक बार गले लगा ले तो फिर
किसी का होने नहीं देतीं । 




उस से कहना तेरे भूल जाने से
कुछ भी तो नहीं बदला
बस पहले जहा दिल हुआ करता था
अब वहा दर्द होता है ।

जो लोग दूसरों की आँखों में
आँसूं भरते है
वो क्यूँ भूल जाते है की उनके पास भी
दो आँखें है…!!!

सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।

दिन हुआ है, तो रात भी होगी,
मत हो उदास, उससे कभी बात भी होगी।
वो प्यार है ही इतना प्यारा,
ज़िंदगी रही तो मुलाकात भी होगी।

वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।


होले होले कोई याद आया करता है,
कोई मेरी हर साँसों को महकाया करता है,
उस अजनबी का हर पल शुक्रिया अदा करते हैं,
जो इस नाचीज़ को मोहब्बत सिखाया करता है।

अब तेरे बिना जिंदगी गुजारना मुमकिन नही है,
अब और किसी को इस दिल में बसाना आसान नही है,
हम तो तेरे पास कब के चले आये होते सब कुछ छोड़ कर,
लेकिन तूने कभी हमे दिल से पुकारा ही नही है।

मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था,
एक मैं ही अकेला था, बाकि सारा काफिला भी उसका था,
एक साथ चलने की सोच भी उसकी थी,
और बाद में रास्ता बदलने का फैसला भी उसी का था।



चिंगारी का ख़ौफ़ न दिया करो हमे,
हम अपने दिल में दरिया बहाय बैठे है,
अरे हम तो कब का जल गये होते इस आग में,
लेकिन हमतो खुद को आंसुओ में भिगोये बैठे है।


कोई मिला ही नही हमे कभी हमारा बन कर,
वो मिला भी तो हमे सिर्फ किनारा बनकर,
हर ख्वाब बन कर टुटा है यहां,
अब बस इंतज़ार ही मिला है एक सहारा बन कर।  

हम जानते है आप जीते हो जमाने के लिए,
एक बार तो जीके देखो सिर्फ हमारे लिए,
इस नाचीज़ की दिल क्या चीज़ है,
हम तो जान भी देदेंगे आप को पाने के लिए।   

हम तो ख्वाबो की दुनिया में बस खोते गये,
होश तो था फिर भी मदहोश होते गये,
उस अजनबी चेहरे में क्या जादू था,
न जाने क्यों हम उसके होते गये।
 Top   

वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही,
मोहब्बत में प्रेमी कभी झुकता नही,
किसी की खुशियों के खातिर चुप है,
पर तू ये न समझना की मुझे दुःखता नही।   

हर पल साथ देने का वादा करते हैं तुझसे,
क्यों अपनापन इतना ज्यादा है तुझसे,
कभी ये मत सोचना भूल जायेंगे तुझे हम,
हर पल साथ निभाने का वादा है तुझसे।


तेरा यूँ मेरे सपनो में आना ये तेरा कसूर था,
और तुझ से दिल लगाना ये मेरा कसूर था,
कोई आया था पल दो पल को जिंदगी में,
और सर अपना समझ लेना वो मेरा कसूर था।

कितना दर्द है इस दिल में लेकिन हमे एहसास नही है,
कोई था बहुत खास पर वो पास नही है,
हमे उनके इश्क ने बर्बाद कर दिया,
और वो कहते है की ये कोई प्यार नही है।

इस दिल में आग सी लग गई जब वो खफा हुए,
फर्क तो तब पड़ा जब वो जुदा हुए,
हमे वो वफ़ा करके तो कुछ दे न सके,
लेकिन दे गये वो बहुत कुछ जब वो वेबफा हुए।

जब कोई ख्याल इस दिल से टकराता है,
तो दिल न चाहते हुए भी खामोश हो जाता है,
कोई सब कुछ कह कर भी कुछ नही कह पाता है,
और कोई बिना कुछ कह भी सब कुछ कह जाता है।

गम कितना है हम आपको दिखा नही सकते है,
ज़ख्म कितने गहरे है ये आपको दिखा नही सकते है,
जरा हमारे इन आंसुओ को तो देख लो,
ये आंसू गिरे है कितने ये हम आपको गिना नही सकते है।  

अब तो हम दर्द से खेलना सीख गये है,
अब तो हम वेबफाई के साथ जीना सीख गये है,
क्या बताये यारो की कितना दिल टूटा है हमारा,
अब तो हम मौत से पहले कफ़न ओढ़ कर सोना सीख गये है।
   

ये वक्त बदला और बदली ये कहानी है,
अब तो बस मेरे पास उनकी यादें पुरानी है,
न लगाओ मेरे ज़ख्मो पे मरहम,
क्योंकि मेरे पास बस उनकी यही बची हुई निशानी है।  

वो करते है मोहब्बत की बात,
लेकिन मोहब्बत के दर्द का उन्हें एहसास नही,
मोहब्बत तो वो चाँद है जो दिखता तो है सबको,
लेकिन उसको पाना सबके बस की बात नही।Top  

वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है,
जितनी किसी अपने के बदल जाने से तकलीफ होती है।
    
हर बात में आँसू बहाया नही करते,
हर बात दिल की हर किसी से कहा नही करते,
ये नमक का शहर है,
इसलिए ज़ख्म यहाँ हर किसी को दिखाया नही करते।

हम अगर खो गये तो कभी न पा सकोगे,
हम वहाँ चले जायेंगे जहाँ कभी नही आ सकोगे,
जिस दिन मेरी मोहब्बत का एहसास हो गया तुम्हे,
पछताओगे बहुत क्योंकि,
हम वहाँ चले जायेंगे जहाँ से फिर न बुला सकोगे।

उसे हमने बहुत चाहा था पर प न सके,
उसके सिवा ख्यालो में किसी और को ला न सके,
आँखों के आँसू तो सूख गये उन्हें देख कर,
लेकिन किसी और को देख कर मुस्कुरा न सके।

जब तक दर्द न हो किसी के आंसू आया नही करते,
बिना वजह किसी का दिल दुखाया नही करते,
ये बात सुन लो कान खोल कर,
किसी के सपने तोड़ कर अपने सपने सजाया नही करते।
   

चाहत इतनी थी की उनको दिखाई न गई,
चोट दिल पर लगी इसलिए दिखाई न गई,
हम चाहते तो थे सारी दूरियां मिटाना,
लेकिन दूरियां इतनी थी की मिटाई न गई।  

हमारी चाहत ने उस वेबफा को ख़ुशी देदी,
और उस वेबफा ने बदले में ख़ामोशी देदी,
मांगी तो उस रब से दुआ मरने की थी,
लेकिन उसने भी हमे तड़पने के लिए जिंदगी देदी।
    

जरूरी नही जीने के लिए सहारा हो,
जरूरी नही जिसे हम अपना माने वो हमारा हो,
कई कस्तियां बीच भबर में डूब जाया करती हैं,
जरूरी नही हर कस्ती को किनारा हो।Top   

जो पल बीत गये वो बापस आ नही सकते,
सूखे फूलो को बापस खिला नही सकते,
कभी ऐसा लगता है वो हमे भूल गये होंगे,
पर ये दिल कहता है वो हमे कभी भुला नही सकते।    

हम दुआएं करेंगे उनपर एतवार रखना,
न कोई हमसे कभी सवाल रखना,
अगर दिल में चाहत हो हमे खुश देखने की,
बस हमेशा मुश्कुराना और अपना ख्याल रखना।


कभी किसी को इतना सताया न करो,
अपने लिए कभी किसी को तड़पाया न करो,
जिनकी साँसे ही वो आपके लव्ज़ हो,
उन लफ़्ज़ों के लिए कभी किसी को तरसाया न करो।

हमे तो सिर्फ जिंदगी से एक ही गिला है,
क्यों हमे खुशियां न मिल सकी क्यों ये गम मिला है,
हमने तो उनसे इश्क-ए-वफ़ा की थी,
क्यों वफ़ा करने के बाद वेबफाई ही सिला है।

मुझे जिसने जिंदगी दी, वो मरता छोड़ गये,
जिससे मोहब्बत की वो मुझे तन्हा छोड़ गये,
थी हमे भी एक हमसफ़र साथ चलने को जरूरत,
जो साथ चलने बाले थे वही रास्ता मोड़ गये।

मोहब्बत उससे करो जो आपसे प्यार करे,
अपने आप से भी ज्यादा आप पर एतवार करे,
आप उससे एक बार दो पल के लिए रुकने को तो कहो,
और उन दो पलो के लिए सारी जिंदगी इंतज़ार करे।

प्यार मोहब्बत तो सब करते है,
इसको खोने से भी सब डरते है,
हम तो न प्यार करते है न मोहब्बत करते है,
हमतो बस आपकी एक मुस्कुराहट पाने को तरसते है।
  

हम आँखों से रोये और होठो से मुस्कुरा बैठे,
हमतो बस यूँ ही उनसे इश्क-ए-वफ़ा निभा बैठे,
वो हमे अपनी मोहब्बत का एक लम्हा भी न दे सके,
और हम उन पर यूही हर लम्हा लूट बैठे।   

प्यार हर किसी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सिखा देता है,
प्यार नही किया तो करके देखो,
ये हर दर्द सहना सिखा देता है।  

आज तेरी याद को सीने से लगा कर हम रोये,
हम तुझे तन्हाई में पास बुलाकर रोये,
पाना तो बहुत चाहा था हर बार तुझे,
पर हर बार तुझे न पाकर हम रोये।

Top   

वो नही आती पर अपनी निशानी भेज देती है,
ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देती है,
उसकी यादों के पल कितने भी मीठे हैं,
मगर कभी कभी आँखों में पानी भेज देती है।
    

इन आँखों में कभी हमारे आंसू आये न होते,
अगर वो पीछे मुड़ कर मुस्कुराये न होते,
उनके जाने के बाद यही गम रहेगा,
के काश वो हमारी जिंदगी में आये न होते।


अब तो हमे उदास रहना भी अच्छा लगता है,
किसी के पास न होना भी अच्छा लगता है,
अब मैं दूर हूँ तो मुझे कोई फर्क नही पड़ता,
क्योंकि मुझे किसी की यादो में आना भी अच्छा लगता है।


अगर कोई खता हो गई हो तो सजा बता दो,
क्यों है इतना दर्द बस इसकी वजह बता दो,
भले ही देर हो गई हो तुम्हे याद करने में,
लेकिन तुम्हे भूल जायेंगे ये ख्याल दिल से मिटा दो।

क्यों अनजाने में हम अपना दिल गवां बैठे,
क्यों प्यार में हम धोखा खा बैठे,
उनसे हम अब क्या शिकवा करे क्योंकि गलती हमारी ही थी,
क्यों हम वेदिल इंसान से दिल लगा बैठे।



इस इश्क की किताब से,
बस दो ही सबक याद हुए,
कुछ तुम जैसे आबाद हुए,
कुछ हम जैसे बर्बाद हुए।


हम तो आपसे पलके बिछा कर प्यार करते हैं,
ये वो गुनहा है जो हम बार बार करते हैं,
दिल में ख्वाइशों के कई चिराग जलाकर,
हम सुबहो शाम तेरे मिलने का इंतज़ार करते हैं।

जब कोई आपसे मजबूरी में जुदा होता है,
जरूरी नही वो इंसान वेबफा होता है,
जब कोई देता आपको जुदाई के आँसू,
तन्हाइयों में वो आपसे ज्यादा रोता है।

मुझे दिल से यूँ पुकारा न करो,
यूँ आँखों से हमे इशारा न करो,
दूर हूँ तुझसे मजबूरी है मेरी,
यूँ तन्हाइयों में मुझे तड़पाया न करो।

ये तेरी चाहत मुझे किस मोड़ पर ले आई,
इस दिल में गम है,और दुनिया में रुसबाई,
अब तो कटता है हर पल सदियों के बराबर,
अब तो लगता है के मार ही डालेगी तेरी ये जुदाई।

यादों में तेरी आहे भरता है कोई,
हर साँस के साथ तुझे याद करता है कोई,
मरना तो सभी को है वो एक हकीकत है,
लेकिन तेरी यादों में हर दिन मरता है कोई।   

हर घड़ी इस जिंदगी को आज़माया है हमने,
इस जिंदगी में सिर्फ गम पाया है हमने,
जिस ने हमारी कभी कदर ही न जानी,
उस वेबफा को इस दिल में बसाया है हमने।  

तुम हमे क्यों इतना दर्द देते हो,
जब जी में आये तब रुला देते हो,
लफ़्ज़ों में तीखा पन और नजरो में बेरुखी,
ये कैसा इश्क है जो तुम हमसे करते हो।

बीच सफर में तुम हमसे अलविदा कह गये,
पहले अपना बनाया फिर पराया कर गये,
जब जिंदगी की जरूरत सी बन गये,
तभी वो हमसे किनारा कर गये।

छोड़ने से पहले कहते तो आप,
दर्दे दिल एक बार हमे सुनाते तो आप,
ऐसी क्या मजबूरी थी आपकी,
जो हमे जिंदगी के सफर में छोड़ गये आप।

हमे दिल में बसाया था तो साथ निभाया क्यों नही,
जब नजरे मिलाई थी हमसे तो नजर में बसाया क्यों नही,
तूने तो हमसे जिंदगी भर साथ निभाने का वादा किया था,
तो छोड़ कर जाने से पहले एक बार बताया क्यों नही।

मेरे ख्यालो में सिर्फ तुम हो तुम्हे कैसे भुला दूँ,
इस दिल की धड़कन हो सिर्फ तुम, तुम्हे कैसे निकाल दूँ।

सच कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है,
और शिकवा करो तो उन्हें मज़ाक लगता है,
हम कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते है,
और एक वो हैं जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है।

ख्वाइशें तमाम पिघलने लगी है,
फिर से एक और शाम ढलने लगी है,
उनसे मुलाकात के इंतज़ार में बैठे है,
अब ये जिद भी तो हद से गुजर ने लगी है।

कितनी दूर निकल आये हम इश्क निभाते निभाते,
खुद को खो दिया हमने उनको पाते पाते,
लोग कहते है दर्द बहुत है तेरी आँखों में,
और हम दर्द छुपाते रहे मुस्कुराते मुस्कुराते।

किसी की चाहत पर हमे अब एतवार न रहा,
अब किसी भी ख़ुशी का हमे एहसास न रहा,
इन आँखों ने सपनो को टूटते देखा है,
इसलिए अब जिंदगी में किसी का इंतज़ार न रहा।

तू क्या जाने की क्या है तन्हाई,
टूटे हर पत्ते से पूंछो की क्या है जुदाई,
हमको तू कभी वे वेबफाई का इलज़ाम न देना,
तू उस वक्त से पूछ की मुझे तेरी याद कब नही आई।  

तू याद आता है बहुत इसलिए तेरी याद में खो लेते है,
तेरी याद जब आती है तो आंसुओ से रो लेते है,
नींद तो अब हमे आती नही,
तू हमारे सपनो में आयेगा ये सोच कर सो लेते है।  

कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ नही देखा,
तेरे जाने के बाद किसी और को नही देखा,
तेरा इंतज़ार करना तो है लाज़िम,
इसलिए कभी हमने घड़ी की तरफ नही देखा।   

सारे फासले मिटा कर तू हमसे प्यार रखना,
हमारा रिश्ता हमेशा बरकरार रखना,
अगर कभी इत्तेफाक से हम आपसे जुदा हो जाये,
तो कुछ पलों के लिए मेरा अपनी आँखों में इंतज़ार रखना।

वक्त नूर को बेनूर कर देता है,
छोटे से जख्म को नासूर कर देता है,
कोन चाहता अपनी मोहब्बत से दूर रहना,
लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता है।    

अपनी मोहब्बत की बस इतनी कहानी है,
डूबी हुई कस्ती और ठहरा हुआ पानी है।

यूँ सजा न दे मुझे बेकसूर हूँ मैं,
अपना ले मुझे गमों से चूर हूँ मैं,
तू छोड़ गई हो गया मैं पागल,
और लोग कहते है बड़ा मगरूर हूँ मैं।


न जाने क्यों ये लहरे समंदर से टकराती है,
और फिर समंदर में लौट जाती है,
कुछ समझ नही पाते की किनारों से वेबफाई करती है,
या समंदर से वफ़ा निभाती है।

कभी गम तो कभी वेबफाई मार गई,
कभी उनकी याद आई तो जुदाई मार गई,
जिसको हमने बेइन्तहा मोहब्बत की,
आखिर में हमे उसी की वेबफाई मार गई।
  

उनके इश्क की पहचान अभी बाकी है,
नाम उसका लवो पर है और मुझ में जान बाकी है,
वो हमे देख कर मुँह फेर लेते है तो क्या हुआ,
कम से कम उनके चेहरे की पहचान तो बाकि है।  

कभी दूर तो कभी पास थे वो,
न जाने किस किस के करीब थे वो,
हमे तो उन पर खुद से भी ज्यादा भरोसा था,
लेकिन ठीक ही कहता था ये जमाना, वेबफा थे वो।   

हमने तो देखा है खुद को कई बार आजमा कर,
अक्सर लोग धोखा देते है करीब आकर,
इस जमाने ने समझाया था लेकिन दिल नही माना,
छोड़ जाओगे एक दिन हमे अपना बना कर।

तुझे मोहब्बत करना नही आता,
और मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ नही आता,
जिंदगी जीने के दो ही तरीकें है,
एक तुझे नही आता, और दूसरा मुझे नही आता।     

“सजा न दे मुझे बे-कसूर हूँ मैं,
थाम ले मुझको गमो से चूर हूँ मैं,
तेरी दूरी ने कर दिया है पागल मुझे,
और लोग कहते हैं कि मगरूर हूँ मैं।”

   
“दूरियाँ बहुत है पर इतना समझ लो,
पास रहकर कोई रिस्ता खास नहीं होता,
तुम मेरे दिल के इतने हो पास के,
मुझे दूरियों का एहसास नहीं होता।”  –  

“तेरे लिए खुद को मजबूर कर लिया,
जख्मो  को अपने हमने नासूर कर लिया,
मेरे दिल में क्या था ये जाने बिना,
तूने खुद  को हमसे कितना दूर कर लिया।”

“गलतियों से जुदा तू भी नहीं और में भी नहीं,
दोनों इंसान हैं खुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं,
गलत-फह्मिओं ने कर दी दोनों में पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा तू भी  नहीं मैं भी नहीं।”


“मिलना इत्तेफाक था बिछड़ना नसीब था,
वो उतना ही दूर चला गया जितना करीब था,
हम उसको देखने के लिए तरसते रहे,
जिस शख्स कि हथेली पे हमारा नसीब था।”

“दूर रहना आपका हमसे सहा नहीं जाता,
जुदा हो के आपसे हमसे रहा नहीं जाता,
अब तो वापस लौट आईये हमसे  पास,
दिल  का हाल अब किसी से कहा नहीं जाता।”


“मोहब्बत ऐसी थी कि बतायी न गयी,
चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी,
चाहते नहीं थे उनसे दूर रहना,
दूरी इतनी थी उनसे के मिटायी न गयी।”


“मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ
जीने की तमन्ना कौन करे..
ये दुनिया हो या वो दुनिया अब
ख़्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे।”  –  


“हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।”

   
“चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल,
इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं,
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम,
अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।”


“सपनों से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के कि कोई मनाने नहीं आएगा,
अब हमको रूठ जाने की आदत नहीं रही।”


“मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया,
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया,
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे,
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया।”


“हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह​,
लोग निकले ही नहीं ढूढ़ने वालों की तरह​,
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते​,
तुमने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह​।”


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बडगुजर या बढ़गुजर राजपूत Badgujar Rajputs



बडगूजर (राघव) भारत की सबसे प्राचीन सूर्यवंशी राजपूत जातियों में से एक है। वे प्राचीन भारत के सबसे सम्मानित राजवंशो में से हैं। उन्होंने हरावल टुकड़ी या किसी भी लड़ाई में आगे की पहली पंक्ति में मुख्य बल गठित किया। बडगुजर ने मुस्लिम राजाओं की सर्वोच्चता को प्रस्तुत करने के बजाय मरना चुना। मुस्लिम शासकों को अपनी बेटियों को न देने के लिए कई बडगूजरों की मौत हो गई थी। कुछ बडगुजर उनके कबीले नाम बदलकर सिकरवार को उनके खिलाफ किए गए बड़े पैमाने पर नरसंहार से बचने के लिए बदल दिया।
Badgujar Rajputs

वर्तमान समय में एक उपनिवेश को शरण मिली, जिसे राजा प्रताप सिंह बडगूजर के सबसे बड़े पुत्र राजा अनूप सिंह बडगूजर ने स्थापित किया था। उन्होंने सरिस्का टाइगर रिजर्व में प्रसिद्ध नीलकांत मंदिर समेत कई स्मारकों का निर्माण किया, कालीजर में किला और नीलकंठ महादेव मंदिर शिव उपासक हैं; अंबर किला, अलवर, मच्छारी, सवाई माधोपुर में कई अन्य महलों और किलों; और दौसा का किला। नीलकंठ बडगूजर जनजाति की पुरानी राजधानी है। उनके प्रसिद्ध राजाओं में से एक राजा प्रताप सिंह ने कहा बडगूजर था, जो पृथ्वीराज चौहान के भतीजे थे और मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में सहायता करते थे, जिनका नेतृत्व 1191 में मुहम्मद ऑफ घोर ने किया था। वे मेवार और महाराणा के राणा प्रताप के पक्ष में भी लड़े थे) हम्मर अपने जनरलों के रूप में। उनमें से एक, समर राज्य के राजा नून शाह बडगुजर ने अंग्रेजों के साथ लड़ा और कई बार अपनी सेना वापस धकेल दिया लेकिन बाद में 1817 में अंग्रेजों के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर किए। बडगूजर हेपथलाइट्स, या हंस के साथ उलझन में नहीं हैं, क्योंकि वे केवल 6 वीं शताब्दी की ओर आए थे। इस बडगूजर की एक शाखा, राजा बाग सिंह बरगुजर विक्रमी संवत 202 मे, जो एडी.145 से मेल खाते थे, अंतर 57 वर्ष है। इस जगह को 'बागोला' भी कहा जाता था। उन्होंने उसी वर्ष सिलेसर झील के पास एक झील भी बनाई और जब इसे लाल पानी खोला गया, जिसे कंगनून कहा जाता था।
महाराजा अचलदेव बड़गूजर के लिए कहा जाता है कि जब खलीफा -अल- मामून ने 880 विक्रम संवत भारत पर चढ़ाई करि थी तो मेवाड़ के महाराणा खुम्मान के नेतृत्व में भारत के सभी राजपूत राजाओं ने मिलकर उससे युद्ध किया था, उस सेना की एक टुकड़ी का नेतृत्व महाराज अचलदेव बड़गूजर ने किया था। राजस्थान में जालौर जिले में स्थित भीनमाल प्राचीन गुर्जर देश (गुर्जरात्रा) की राजधानी थी, जिसका वास्तविक नाम "श्रीमाल" था, जो बाद में भिलमाल और फिर भीनमाल हुआ।
गल्लका लेख के अनुसार अवन्ति के राजा नागभट्ट प्रतिहार ने 7 वी सदी में गुर्जरो को मार भगाया और गुर्जर देश पर कब्जा किया, गुर्जर देश पर आधिपत्य करने के कारण ही नागभट्ट प्रतिहार गुरजेश्वर कहलाए जैसे रावण लंकेश कहलाता था। यही से इनकी एक शाखा दौसा,अलवर के पास राजौरगढ़ पहुंची, राजौरगढ़ में स्थित एक शिलालेख में वहां के शासक मथनदेव पुत्र सावट को गुर्जर प्रतिहार लिखा हुआ है जिसका अर्थ है गुर्जरदेश से आए हुए प्रतिहार शासक। इन्ही मथंनदेव के वंशज 12 वी सदी से बडगूजर कहलाए जाने लगे क्योंकि राजौरगढ़ क्षेत्र में पशुपालक गुर्जर/गुज्जर समुदाय भी मौजूद था जिससे श्रेष्ठता दिखाने और अंतर स्पष्ट करने को ही गुर्जर प्रतिहार राजपूत बाद में बडगूजर कहलाने लगे।
पशुपालक शूद्र गुर्जर/गुज्जर समुदाय का राजवंशी बडगूजर क्षत्रियों से कोई सम्बन्ध नहीं था। पशु पालक गुज्जर/गुर्जर दरअसल बडगूजर (गुर्जर प्रतिहार) राजपूतों के राज्य में निवास करते थे। राजा रघु के वंशज (क्योंकि श्रीराम और लक्ष्मण जी दोनों रघु के वंशज थे) होने के कारण ही इन्होंने राघव/रघुवंशी पदवी धारण की, इनकी वंशावली में एक अन्य शासक रघु देव के होने के कारण भी इनके द्वारा राघव टाइटल लिखा जाना बताया जाता है। इस प्रकार बडगूजर राजपूत वंशावली में श्रीमाल (गुर्जरदेश की राजधानी भीनमाल का प्राचीन नाम) का होना तथा राजौरगढ़ शिलालेख में बड़गुजरो के पूर्वज मथनदेव को गुर्जर प्रतिहार सम्बोधित किया जाना आधुनिक बडगूजर राजपूत वंश को प्रतिहार राजपूत वंश की ही शाखा होना सिद्ध करता है।

बड़गूजर वंश की कुलदेवी :- मां आशावारी
राजौरगढ के महाराजा अचलदेव बड़गूजर जी ने कुलदेवी मां आशावारी का भव्य गढ़ ( मन्दिर ) बनवाया था। महाराज अचलदेव बड़गूजर मेवाड़ के महाराणा खुम्मान के समकालीन थे। महाराज अचलदेव बड़गूजर ने 9 वी शताब्दी के अंदर राजौरगढ का दुर्ग , कुलदेवता नीलकंठ महादेव जी का मंदिर , कुलदेवी आशावारी माँ का मंदिर बनवाया। महाराजा अचलदेव बड़गूजर ने कई जैन मंदिर का निर्माण करवाया। कहा जाता है कि अचलदेव बड़गूजर के समय में राजौरगढ को काशी की संज्ञा दी जाती थी। जबकि राजौरगढ ( राजगढ़ ) तो महाराज बाघराज बड़गूजर के वंशज राजदेव बड़गूजर ने अपने नाम पर तीसरी सदी में बसाया ओर सम्पूर्ण ढूंढाड़ क्षेत्र में बड़गूजर राजपुतो की स्थिति को मजबूत किया।
कछवाहा राजपूतों के आगमन से पूर्व सम्पूर्ण ढूँढाड़ बड़गूजर राजपुतो के अधिकार में था। बड़गूजर राजपुतो के शासन काल के कई किले एवं महल बनवाये गए जिसे कछवाह के आगमन के बाद वो सभी उनके अधिकार में चले गये। पहले माताजी का छोटा सा मन्दिर था और मूर्ति खंडित अवस्था मे थी परंतु वर्तमान में देवती , राजौरगढ , माचेड़ी से निकले बड़गूजर जागीरदारों ने पुनः मन्दिर का निर्माण करवाया और पुनः शक्ति केंद्र के रूप में उभारा है। मुगल - बड़गूजर युद्ध और कछवाहा - बड़गूजर युद्ध मे मन्दिर को बहुत हानि उठानी पड़ी है इसके बावजूद भी बड़गूजर राजपूतों ने अपनी प्राचीन राजधानी को वर्तमान समय तक कायम रखा। समाज के कुछ लोगो ने मिलकर सभी को एक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष माताजी के गढ़ ( मन्दिर ) में मिलन समारोह का आयोजन किया जाता है। वर्तमान समय मे बड़गूजर राजपूतों की राजौरा शाखा का बहुत योगदान रहा है।


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राठौड़ क्षत्रिय वंश की सभी शाखाओं का इतिहास



राठौड़ क्षत्रिय वंश की सभी शाखाओं का इतिहास


राठौड़ वंश के गोत्राचार
  1. वंश -सूर्यवंश
  2. गोत्र-गोतम
  3. गुरु- वशिष्ट
  4. निकास -अयोध्या
  5. ईष्ट -सीताराम ,लक्ष्मीनारायण
  6. नदी -सरयू
  7. पहाड़ -गांगेय
  8. कुण्ड -सूर्य
  9. वृक्ष-नीम
  10. पितृ -सोम
  11. कुलदेवी -नागणेचा
  12. भेरू-मंडोर, कोडमदेसर
  13. कुलदेवी स्थान -नागाणा जिला -बाड़मेर
  14. चिन्ह -चिल
  15. क्षेत्र -नारायण
  16. पूजा -नीम
  17. बड-अक्षय
  18. गाय-कपिला
  19. बिडद-रणबंका
  20. उपाधि -कमधज
  21. शाखा -तेरह में से दानेसरा राजस्थान में है
  22. निशान -पचरंगा
  23. घाट -हरिद्वार
  24. शंख -दक्षिणवर्त
  25. सिंहासन -चन्दन का
  26. खांडा-जगजीत
  27. तलवार -रणथली
  28. घोड़ा -श्यामकर्ण
  29. माला -रतन
  30. शिखा -दाहिनी
  31. बंधेज -वामी (बाया)
  32. पाट-दाहिना
  33. पुरोहित -सेवड
  34. चारण -रोहडिया
  35. भाट-सिगेंलिया
  36. ढोली-देहधड़ा
  37. ढोल -भंवर
  38. नगारा- रणजीत
राठोड़ों के प्रमुख राज्य
राजपुताना – जोधपुर, बीकानेर, कुशलगढ़, किशनगढ़ .
मालवा- रतलाम, सैलाना, अलीराजपुर, ईडर, झाबुआ, जोबेट, काछी, मुलयान, बड़ोदा व अमझेरा.
संयुक्त प्रान्त (उ प्र) – रायपुर (एटा), खिमशेपुर, विजयपुर, मांडा ढहिया.
बिहार – खरसवां, सिंगभूमि .
उड़ीसा – बोनई, रेसखोल.
हिमाचल – जुब्बल, चम्बा.
हरियाणा – जहाजगढ़.

राठौड़ वंश की सभी शाखाओं का इतिहास
राजपूतों के इतिहास में राठौड़ों का विशेष स्थान है। संस्कृत अभिलेखों, ग्रंथों आदि से राठौड़ों को राष्ट्रकूट लिखा है। कहीं-कहीं रट्ट या राष्ट्रोड भी लिखा है। राठौर राष्ट्रकूट का प्राकृत रूप है। चिन्तामणि विनायक वैद्य के अनुसार यह नाम न होकर एक सरकारी पद था। इस वंश का प्रवर्तक राष्ट्रकूट (प्रांतीय शासक) था।
राठौड़ अथवा राठौड एक राजपूत गोत्र है जो उत्तर भारत में निवास करते हैं। राठौड़ अपने को राम के कनिष्ठ पुत्र कुश का वंशज बताते हैं। इस कारण वे सूर्यवंशी हैं। वे पारम्परिक रूप से राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र मारवाड़ में शासन करते थे। इनका प्राचीन निवास कन्नौज और बदायू था। जहाँ से सीहा मारवाड़ में ई. सन् 1243 के लगभग आया। राजस्थान के सम्पूर्ण राठौड़ो के मूल पुरुष राव सीहा जी माने जाते है जिन्होंने पाली से राज प्रारम्भ किया उनकी छतरी पाली जिले के बिटु गांव में बनी हुई है।
सीहा के वंशज चूण्डा ने पहले मण्डोर पर और उसके पौत्र जोधा ने जोधपुर बसाकर वहाँ अपनी राजधानी स्थापित की। मुग़ल सम्राटों ने अपनी आधी विजयें ‘लाख तलवार राठोडान‘ अर्थात एक लाख राठोड़ी तलवारों के बल पर प्राप्त की थी क्योंकि युद्ध के लिए 50000 बन्धु बान्धव तो एक मात्र सीहाजी के वंशज के ही एकत्रित हो जाते थे। राठौड़ों का विरुद रणबंका है अर्थात वे लड़ने में बांके हैं। 1947 से पूर्व भारत में अकेले राठौड़ो की दस से ज्यादा रियासतें थी और सैकड़ों ताजमी ठिकाने थे जिनमें मुख्य जोधपुर, मारवाड़, किशनगढ़, बीकानेर, ईडर, कुशलगढ़, सैलाना, झाबुआ, सीतामऊ, रतलाम, मांडा, अलीराजपुर वही पूर्व रियासतों में मेड़ता, मारोठ और गोड़वाड़ घाणेराव मुख्य थे।
राठौड़ वंश की कुलदेवी नागणेचिया माता - राठौड़ो की कुलदेवी नाग चेचियाजी है जिसका पहले नाम राठेश्वरी था। नाग चेचियाजी का पुराना मंदिर नागाना तहसील पचपदरा में हैं। दुसरा मंदिर जोधपुर के किले में जनानी ड्योढ़ी में हैं। गांवों में नागनेचियाजी का थान सामान्यतः नीम के वृक्ष के नीचे होता है। इसी कारण राठौड़ नीम का पेड़ काटते या जलाते नहीं हैं।
राठौड़ वंश की शाखाएं – धांधल, भडेल, धूहड़िया, हटडिया, मालावत, गोगादेव, महेचा, राठौड़, बीका, मेडतिया, बीदावत, बाल चांपावत, कांधलोत, उदावत, देवराजोत, गहड़वाल, करमसोत, कुम्पावत, मंडलावत, नरावत आदि।

राठौड़ों का प्राचीन इतिहास वृत :- राम के पुत्र कुश के कुल में सुमित्र अयोध्या का अंतिम राजा था। नंद वंश के महापद्मनंद ने अयोध्या राज्य को मगध साम्राज्य में मिला लिया। सुमित्र के बाद यशोविग्रह तक के मुख्य व्यक्तियों के नाम ही बडुवों (बहीभट्टों) की बहियों से तथा अन्य साहित्यिक स्त्रोतों से प्राप्त होते हैं। अतः इन साधनों के आधार पर सुमित्र से आगे की वंश परम्परा दी जा रही है। सुमित्र के दो वंशजों में कूर्म के वंशज रोहितास (बिहार), निषिध, ग्वालियर और नरवर होते हुए राजस्थान में आये जो कछवाह कहलाते हैं। दूसरे वंशज विश्वराज के वंशधर क्रमशः मूलराय व राष्ट्रवर के नाम से इनके वंशज राष्ट्रवर (राठौड़) कहलाये। बाद के संस्कृत साहित्य में कहीं कहीं राष्ट्रवर (राठौड़ों) का संस्कृतनिष्ठ शब्द ‘राष्ट्रकूट’ या ‘राष्ट्रकूटियो’ भी लिखा है।

सूरज प्रकाश के लेखक करणीदान व टॉड के अनुसार तेरह खांपों की उत्पत्ति इस प्रकार हुई – (सूरजवंश प्रकाश-करणीदान पृ. 84 से 194)
  1. दानेश्वरा :- धर्मविम्ब एक दानी व्यक्ति हुआ। अतः इनके वंशज दानेश्वरा कहलाये। इनको कमधज भी कहा जाता था।
  2. अभैपुरा :- पुंज के दूसरे पुत्र भानुदीप कांगड़ा (हि. प्र.) के पास था। देवी ज्वालामुखी ने उसे अकाल के भय से रहित कर दिया अर्थात अभय बना दिया। इस कारण उसके वंशज अभयपुरा कहलाये।
  3. कपालिया :- पुंज के तीसरे पुत्र वीरचंद थे। इसने शिव को कपाल चढ़ा दिया था। इस कारण इनके वंशज कपालिया कहलाये।
  4. कुरहा :- पुंज के पुत्र अमरविजय ने परमारों से कुरहगढ़ जीता। संभवतः कुरह स्थान के नाम से कुरहा कहलाये।
  5. जलखेड़ा :- पुंज के पुत्र सजनविनोद ने तंवरों को परास्त किया और जलंधर की सहायता से जल प्रवाह में बहा दिया। अतः इसके वंशज जलखेड़ा कहलाये।
  6. बुगलाणा :- पुंज के पुत्र पदम ने बुगलाणा स्थान के नाम से बुगलाणा कहलाये।
  7. अहर :- पुंज के पुत्र अहर के वंशज ‘अहर’ कहलाये। बंगाल की तरफ चले गए।
  8. पारकरा :- पुंज के पुत्र वासुदेव ने कन्नौज के पास कोई पारकरा नामक नगर बसाया अतः उसके वंशज ‘पारकर’ कहलाये।
  9. चंदेल :- दक्षिण में पुंज के पुत्र उग्रप्रभ ने चंदी व चंदावर नगर बसाये अतः चंदी स्थान के नाम से चंदेल कहलाये। (चंदेल-चंद्रवंशी इनसे भिन्न हैं।)
  10. वीर :- सुबुद्धि या मुक्तामान बड़ा वीर हुआ। इसे वीर की उपाधि दी। इस कारण इनके वंशज वीर राठौड़ कहलाये।
  11. दरियावरा :- भरत ने बरियावर स्थान पर राज्य किया। स्थान के नाम से ये ‘बरियावर’ कहलाये।
  12. खरोदिया :- कृपासिंधु (अनलकुल) खरोदा स्थान के नाम से खरोदिया राठौड़ कहलाये।
  13. जयवंशी :- चंद्र व इसके वंशज जय पाने के कारण जयवंशी कहलाये।
राठौड़ों की खांपें और उनके ठिकाने
राठौड़ों की प्राचीन तेरह खांपें थी। राजस्थान में आने वाले सीहाजी राठौड़ दानेश्वरा खांप के राठौड़ थे। सींहाजी के वंशजों से जो खांपें चली वे इस प्रकार हैं –
  1. ईडरिया राठौड़ :- सोगन (पुत्र सीहा) ने ईडर पर अधिकार जमाया। अतः ईडर के नाम से सोगन के वंशज ईड़रिया राठौड़ कहलाये। (टॉड कृत राजस्थान-अनु केशवकुमार ठाकुर पृ. 356)
  2. हटुण्डिया राठौड़ :- सोगन के वंशज हस्तिकुण्डी (हटूंडी) में रहे। वे हटुण्डिया राठौड़ कहलाये। (अ) (टॉड) कृत राजस्थान-अनु. केशवकुमार ठाकुर पृ. 356) (ब) जोधपुर इतिहास में ओझा लिखते है कि सीहाजी से पहले हस्तिकुण्डी (हटकुण्डी) में राष्ट्रकूट बालाप्रसाद राज करता था। उसके वंशज हटुण्डिया राठौड़ है।
  3. बाढेल (बाढेर) राठौड़ :- सीहाजी के छोटे पुत्र अजाजी के दो पुत्र बेरावली और बिजाजी ने द्वारका के चावड़ों को बाढ़ कर (काट कर) द्वारका (ओखा मण्डल) पर अपना राज्य कायम किया।इस कारण बेरावलजी के वंशज बाढेल राठौड़ हुए। आजकल ये बाढेर राठौड़ कहलाते है। गुजरात में पोसीतरा, आरमंडा, बेट द्वारका बाढेर राठौड़ो के ठिकाने थे।
  4. बाजी राठौड़ :- बेरावलजी के भाई बीजाजी के वंशज बाजी राठौड़ कहलाते है। गुजरात में महुआ, वडाना आदि इनके ठिकाने थे। बाजी राठौड़ आज भी गुजरात में ही बसते है।
  5. खेड़ेचा राठौड़ :- सीहा के पुत्र आस्थान ने गुहिलों से खेड़ जीता। खेड़ नाम से आस्थान के वंशज खेड़ेचा राठौड़ कहलाते है। 
  6. धुहड़िया राठौड़ :- आस्थान के पुत्र धुहड़ के वंशज धुहड़िया राठौड़ कहलाते है।
  7. धांधल राठौड़ :- आस्थान के पुत्र धांधल के वंशज धांधल राठौड़ कहलाये। पाबूजी राठौड़ इसी खांप के थे। इन्होंने चारणी को दिये गये वचनानुसार पाणिग्रहण संस्कार को बीच में छोड़ चारणी की गायों को बचाने के प्रयास में शत्रु से लड़ते हुए वीर गति प्राप्त की। यही पाबूजी लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं।
  8. चाचक राठौड़ :- आस्थान के पुत्र चाचक के वंशज चाचक राठौड़ कहलाये।
  9. हरखावत राठौड़ :- आस्थान के पुत्र हरखा के वंशज।
  10. जोलू राठौड़ :- आस्थान के पुत्र जोपसा के पुत्र जोलू के वंशज।
  11. सिंघल राठौड़ :- जोपसा के पुत्र सिंघल के वंशज। ये बड़े पराक्रमी हुए। इनका जैतारण पर अधिकार था। जोधा के पुत्र सूजा ने बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से हटाया।
  12. ऊहड़ राठौड़ :- जोपसा के पुत्र ऊहड़ के वंशज।
  13. मूलू राठौड़ :- जोपसा के पुत्र मूलू के वंशज।
  14. बरजोर राठौड़ :- जोपसा के पुत्र बरजोर के वंशज।
  15. जोरावत राठौड़ :- जोपसा के वंशज।
  16. रैकवाल राठौड़ :- जोपसा के पुत्र राकाजी के वंशज है। ये मल्लारपुर, बाराबकी, रामनगर, बडनापुर, बैहराइच (जि. रामपुर) तथा सीतापुर व अवध जिले (उ.प्र.) में हैं। बोडी, रहका, मल्लापुर, गोलिया कला, पलवारी, रामनगर, घसेड़ी, रायपुर आदि गांव (उ.प्र.) में थे।
  17. बागड़िया राठौड़ :- आस्थानजी के पुत्र जोपसा के पुत्र रैका से रैकवाल हुए। नौगासा बांसवाड़ा के एक स्तम्भ लेख बैशाख वदि 1361 में मालूम होता है कि रामा पुत्र वीरम स्वर्ग सिधारा। ओझाजी ने इसी वीरम के वंशजों को बागड़िया राठौड़ माना जाता है (जोधपुर राज्य का इतिहास-ओझा पृ. 634) क्योंकि बांसवाड़ा का क्षेत्र बागड़ कहलाता था।
  18. छप्पनिया राठौड़ :- मेवाड़ से सटा हुआ मारवाड़ की सीमा पर छप्पन गांवों का क्षेत्र छप्पन का क्षेत्र है। यहाँ के राठौड़ छप्पनिया राठौड़ कहलाये। यह खांप बागड़िया राठौड़ों से ही निकली है। (जोधपुर का राज्य इतिहास-ओझा पृ. 134) उदयपुर रियासत के कणतोड़ गांव की जागीर थी। (राजपूताने का इतिहास प्रथम भाग-गहलोत पृ. 347)
  19. आसल राठौड़ :- आस्थान के पुत्र आसल के वंशज आसल राठौड़ कहलाये।
  20. खोपसा राठौड़ :-आस्थान के पुत्र जोपसा के पुत्र खीमसी के वंशज।
  21. सिरवी राठौड़ :- आस्थान के पुत्र धुहड़ के पुत्र शिवपाल के वंशज।
  22. पीथड़ राठौड़ :- आस्थान के पुत्र धुहड़ के पुत्र पीथड़ के वंशज।
  23. कोटेचा राठौड़ :- आस्थान के पुत्र धुहड़ के पुत्र रायपाल हुए। रायपाल के पुत्र केलण के पुत्र कोटा के वंशज कोटेचा हुए। बीकानेर जिले में करणाचण्डीवाल, हरियाणा में नाथूसरी व भूचामण्डी, पंजाब में रामसरा आदि इनके गांव है।
  24. बहड़ राठौड़ :- धुहड़ के पुत्र बहड़ के वंशज।
  25. ऊनड़ राठौड़ :- धुहड़ के पुत्र ऊनड़ के वंशज।
  26. फिटक राठौड़ :- रायपाल के पुत्र केलण के पुत्र थांथी के पुत्र फिटक के वंशज फिटक राठौड़ हुए। (जोधपुर राज्य की ख्यात जिल्द 1 पृ 21 )
  27. सुण्डा राठौड़ :- रायपाल के पुत्र सुण्डा के वंशज।
  28. महीपालोत राठौड़ :- रायपाल के पुत्र महिपाल के वंशज। (दयालदास की ख्यात जिल्द 1 पृ 54 )
  29. शिवराजोत राठौड़ :- रायपाल के पुत्र शिवराज के वंशज। (दयालदास की ख्यात जिल्द 1 पृ 54 )
  30. डांगी :-रायपाल के पुत्र डांगी के वंशज। (दयालदास की ख्यात जिल्द 1 पृ 54 ) ढोलिन से शादी की अतः इनके वंशज डांगी ढोली हुए।
  31. मोहणोत :- रायपाल के पुत्र मोहण ने एक महाजन की पुत्री से शादी की। इस कारण मोहण के वंशज मुहणोत वैश्य कहलाये। मुहणोत नैणसी इसी खांप से थे।
  32. मापावत राठौड़ :- रायपाल के वंशज मापा के वंशज।
  33. लूका राठौड़ :- रायपाल के वंशज लूका के वंशज।
  34. राजक :- रायपाल के वंशज राजक के वंशज।
  35. विक्रमायत राठौड़ :- रायपाल के पुत्र विक्रम के वंशज। (राजपूत वंशावली -ईश्वरसिंह मढाढ ने रादां, मूपा और बूला भी रायपाल के पुत्रों से निकली हुई खांपें मानी जाती है। )
  36. भोवोत राठौड़ :- रायपाल के पुत्र भोवण के वंशज। (नैणसी भाग 2 पृ. 476)
  37. बांदर राठौड़ :- रायपाल के पुत्र कानपाल हुए। कानपाल के जालण और जालण के पुत्र छाड़ा के पुत्र बांदर के वंशज बांदर राठौड़ कहलाये। घड़सीसर (बीकानेर राज्य) में बताये जाते है।
  38. ऊना राठौड़ :- रायपाल के पुत्र ऊना के वंशज। (नैणसी भाग 2 पृ. 476)
  39. खोखर राठौड़ :- 
  40. सिंहमकलोत राठौड़ :- छाड़ा के पुत्र सिंहल के वंशज। अलाउद्दीन के सातलेक के समय सिवाना पर चढ़ाई की।
  41. बीठवासा उदावत राठौड़ :- रावल तीड़ा के पुत्र कानड़दे के पुत्र रावल के पुत्र त्रिभवन के पुत्र उदा के ‘बीठवास’ जागीर था। अतः उदा के वंशज बीठवासिया उदावत कहलाये। उदाजी के पुत्र बीरमजी बीकानेर रियासत के साहुवे गांव से आये। जोधाजी ने उनको बीठवासिया गांव की जागीर दी। इस गांव के अतिरिक्त वेगडियो व धुनाडिया गांव भी इनकी जागीर में थे। (मा. प. वि. भाग तृतीय पृ. 496)
  42. सलखावत :- छांडा के पुत्र तीड़ा के पुत्र सलखा के वंशज सलखाखत राठौड़ कहलाये।
  43. जैतमालोत :- सलखा के पुत्र जैतमाल के वंशज जैतमालोत राठौड़ कहलाये। (जो. राज्य का इतिहास प्रथम भाग ओझा पृ.184 ) ये बीकानेर रियासत में भी कहीं 2 निवास करते है।
  44. जुजाणिया :- जैतमाल सलखावत के पुत्र खेतसी के वंशज है। गांव थापणा इनकी जागीर में था।
  45. राड़धडा :- जैतमाल के पुत्र खींवा ने राड़धडा पर अधिकार किया। अतः उनके वंशज राड़धडा स्थान के नाम से राड़धडा राठौड़ कहलाये। (जो. राज्य का इतिहास प्रथम भाग ओझा पृ. 184 )
  46. महेचा :- 
  47. बाढ़मेरा :- मल्लीनाथ के छोटे पुत्र अरड़कमल ने बाड़मेर इलाके नाम से इनके वंशज बाढ़मेरा राठौड़ कहलाये।
  48. पोकरण :- मल्लीनाथ के पुत्र जगमाल के जिन वंशजों का पोकरण इलाके में निवास हुआ। वे पोकरण राठौड़ कहलाये। नीमाज का इतिहास- पं. रामकरण आसोपा पृ. 4 क्ष. जा. सूची पृ. 22 )
  49. खाबड़िया :- मल्लीनाथ के पुत्र जगमाल के पुत्र भारमल हुए। भारमल के पुत्र खीमूं के पुत्र नोधक के वंशज जामनगर के दीवान रहे इनके वंशज कच्छ में है। भारमल के दूसरे पुत्र मांढण के वंशज माडवी (कच्छ) में रहते है वंशज, खाबड़ (गुजरात) इलाके के नाम से खाबड़िया राठौड़ कहलाये।
  50. कोटड़िया :- जगमाल के पुत्र कुंपा ने कोटड़ा पर अधिकार किया अतः कुंपा के वंशज कोटड़िया राठौड़ कहलाये। (जोधपुर राज्य का इतिहास प्रथम भाग ओझा पृ. 191 ) जगमाल के पुत्र खींवसी के वंशज भी कोटडिया राठौड़ कहलाये।
  51. गोगादे :- सलखा के पुत्र विराम के पुत्र गोगा के वंशज गोगादे राठौड़ कहलाते है। (जोधपार राज्य का इतिहास प्रथम भाग ओझा पृ. 195-197) केतु (चार गांव) सेखला (15 गांव) खिराज आदि इनके ठिकाने थे।
  52. देवराजोत :- बीरम के पुत्र देवराज के वंशज देवराजोत राठौड़ कहलाये। (जोधपुर राज्य का इतिहास प्रथम भाग ओझा पृ. 195-197) सेतरावों इनका मुख्य ठिकाना था। सुवालिया आदि भी इनके ठिकाने थे।
  53. चाड़देवोत :- वीरम के पौत्र व देवराज के पुत्र चाड़दे के वंशज चाड़देवोत राठौड़ हुए। जोधपुर परगने का देछु इनका मुख्य ठिकाना था। गीलाकोर में भी इनकी जागीर थी।
  54. जैसिधंदे :- वीरम के पुत्र जैतसिंह के वंशज।
  55. सतावत :- चुण्डा वीरमदेवोत के पुत्र सत्ता के वंशज।
  56. भींवोत :- चुण्डा के पुत्र भींव के वंशज। खाराबेरा (जोधपुर) इनका ठिकाना था।
  57. अरड़कमलोत :- चुण्डा के पुत्र अरड़कमल वीर थे। राठौड़ो और भाटियों के शत्रुता के कारण शार्दूल भाटी जब कोडमदे मोहिल से शादी कर लौट रहा था, तब अरड़कमल ने रास्ते में युद्ध के लिए ललकारा और युद्ध में दोनों ही वीरता से लड़े। शार्दूल भाटी ने वीरगति पाई और कोडमदे सती हुई। अरड़कमल भी उन घावों से कुछ दिनों बाद मर गए। इस अरड़कमल के वंशज अरड़कमलोत राठौड़ कहलाये।
  58. रणधीरोत :- चुण्डा के पुत्र रणधीर के वंशज है। फेफाना इनकी जागीर थी।
  59. अर्जुनोत :- राव चुण्डा के पुत्र अर्जुन वंशज। (राजपूत वंशावली – ठा. ईश्वरसिंह मढाढ पृ. 82 )
  60. कानावत :-चुण्डा के पुत्र कान्हा वंशज कानावत राठौड़ कहलाये।
  61. पूनावत :- चुण्डा के पुत्र पूनपाल के वंशज है। गांव खुदीयास इनकी जागीर में था।
  62. जैतावत राठौड़ :- राव रणमलजी के जयेष्ठ पुत्र अखैराज थे। इनके दो पुत्र पंचायण व महाराज हुए। पंचायण के पुत्र जैतावत कहलाते है।
    १.) पिरथीराजोत जैतावत :- जैताजी के पुत्र पृथ्वीराज के वंशज पिरथीराजोत जैतावत कहलाते हैं। बगड़ी (मारवाड़) व सोजत खोखरों, बाली आदि इनके ठिकाने थे।
    २.) आसकरनोत जैतावत :- जैताजी के पौत्र आसकरण देइदानोत के वंशज आसकरनोत जैतावत है। मारवाड़ में थावला, आलासण, रायरो बड़ों, सदामणी, लाबोड़ी मुरढावों आदि इनके ठिकाने थे।
    ३.) भोपतोत जैतावत :- जैताजी के पुत्र देइदानजी भोपत के वंशज भोपतोत जैतावत कहलाते हैं। मारवाड़ में खांडों देवल, रामसिंह को गुडो आदि इनके ठिकाने थे।
  63. कलावत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र अखैराज, इनके पुत्र पंचारण के पुत्र कला के वंशज कलावत राठौड़ कहलाते हैं। कलावत राठौड़ों के मारवाड़ में हूण व जाढ़ण दो गांवों के ठिकाने थे।
  64. भदावत :- राव रणमल के पुत्र अखैराज के बाद क्रमशः पंचायत व भदा हुए। इन्हीं भदा के वंशज भदावत राठौड़ कहलाये। देछु (जालौर) के पास तथा खाबल व गुडा (सोजत के पास) इनके मुख्य ठिकाने थे।
  65. पावत :- 
  66. जोधा राठौड़ :- 
  67. उदावत राठौड़ :- 
  68. बीदावत राठौड़ :- 
  69. मेड़तिया राठौड़ :- 
  70. चाँपावत राठौड़ :- 
  71. मण्डलावत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र मण्डलाजी ने वि. सं. 1522 में सारूंडा (बीकानेर राज्य) पर अधिकार कर लिया था। यह इनका मुख्य ठिकाना था। इन्हीं मण्डला के वंशज मण्डलावत राठौड़ है।
  72. खरोत :- बाला राठौड़ – राव रिड़मल (रणमल) के पुत्र भाखरसी के वंशज भाखरोत कहलाये। इनके पुत्र बाला बड़े बहादुर थे। इन्होनें कई युद्धों में वीरता का परिचय दिया। चित्तौड़ के पास कपासण में राठौड़ों और शीशोदियों में युद्ध हुआ। इस युद्ध में बाला घायल हुए। सिंघलों से वि. सं. 1536 में जोधपुर का युद्ध मणियारी नामक स्थान हुआ। इस युद्ध में चांपाजी मारे गए। बाला ने सिंघलो को भगाकर अपने काकाजी का बदला लिया। इन्हीं बाला के वंशज बाला राठौड़ कहलाये। मोकलसर (सिवाना) नीलवाणों (जालौर) माण्डवला (जालौर) इनके ताजमी ठिकाने थे। ऐलाणों, ओडवाणों, सीवाज आदि इनके छोटे छोटे ठिकाने थे।
  73. पाताजी राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र पाता भी बड़े वीर थे। वि. सं. 1495 में कपासण (चित्तौड़ के पास) स्थान पर शीशोदियों व राठौड़ों में युद्ध हुआ। इस युद्ध में पाताजी वीरगति को प्राप्त हुआ। इनके पातावत राठौड़ कहलाये। पातावतों के आऊ (फलौदी- 4 गांव) करण (जोधपुर) पलोणा (फलौदी) ताजीम के ठिकाने थे। इनके अलावा अजाखर, आवलो, केरलो, केणसर, खारियों (मेड़ता) खारियों (फलौदी) घंटियाली, चिमाणी, चोटोलो, पलीणो, पीपासर भगुआने श्री बालाजी, मयाकोर, माडवालो, मिठ्ठियों भूंडासर, बाड़ी, रणीसीसर, लाडियो, लूणो, लुबासर, सेवड़ी आदि छोटे छोटे ठिकाने जोधपुर रियासत में थे।
  74. रूपावत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र रूपा ने बीका का उस समय साथ दिया जब वे जांगल देश पर अधिकार रहे थे। इन्हीं रूपा के वंशज रूपावत राठौड़ हुए। मारवाड़ में इनका चाखू एक ताजीमी ठिकाना था। दूसरा ताजीमी ठिकाना भादला (बीकानेर राज्य) था। इनके अतिरिक्त ऊदट (फलौदी) कलवाणी (नागौर) भेड़ (फलौदी) मूंजासर (फलौदी) मारवाड़ में तथा सोभाणो, उदासर आदि बीकानेर राज्य के छोटे छोटे ठिकाने थे।
  75. करणोत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र करण के वंशज करणोत राठौड़ कहलाये। इसी वंश में दुर्गादास (आसकरणोत) हुए। जिन पर आज भी सारा राजस्थान गर्व करता है। अनेकों कष्ट सहकर इन्होनें मातृभूमि की इज्जत रखी। अपनी स्वामिभक्ति के लिए ये इतिहास में प्रसिद्ध रहे है।
  76. माण्डणोत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र मांडण के वंशज माण्डणोत राठौड़ कहते हैं। मारवाड़ में अलाय इनका ताजीमी ठिकाना था। इनके अतिरिक्त गठीलासर, गडरियो, गोरन्टो, रोहिणी, हिंगवाणिया आदि इनके छोटे छोटे ठिकाने थे।
  77. नाथोत राठौड़ :- नाथा राव रिड़मल के पुत्र थे। राव चूंडा नागौर के युद्ध में भाटी केलण के हाथों मारे गए। नाथाजी ने अपने दादा का बेर केलण के पुत्र अक्का को मार कर लिया। इन्हीं नाथा के वंशज नाथोत राठौड़ कहलाते हैं। पहले चानी इनका ठिकाना था।नाथूसर गांव इनकी जागीर में था।
  78. सांडावत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र सांडा के वंशज।
  79. बेरावत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र बेरा के वंशज। दूधवड़ इनका गांव था।
  80. अडवाल राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र अडवाल के वंशज। ये मेड़ता के गांव आछोजाई में रहे। राव रिड़मल के पुत्र ;-
  81. खेतसिंहोत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र जगमाल के पुत्र खेतसी के वंशज। इनको नेतड़ा गांव मिला था
  82. लखावत राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र लखा के वंशज।
  83. डूंगरोज राठौड़ :- राव रिड़मल के पुत्र डूंगरसी के वंशज डूंगरसी को भाद्रजूण मिला था।
  84. भोजाराजोत राठौड़ :- राव रिड़मल के पौत्र भोजराज जैतमालोत के वंशज। इन्हें पलसणी गांव मिला था। (राव रिड़मल के पुत्र हापा, सगता, गोयन्द, कर्मचंद और उदा के वंशजों की जानकारी उपलब्ध नहीं। उदा के वंशज बीकानेर के उदासर आदि गांव में सुने जाते हैं )


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मुस्लिम संत हरिदास ठाकुर यवन की कृष्ण भक्ति



श्री हरिदास जी का जन्म वर्तमान जैसोर जिले के बूढ़न नामक ग्राम में एक संभ्रान्त मुसलमान के घर हुआ था। किसी पूर्व संस्कार के कारण बाल्यकाल से ही हरिदास को हरि नाम बड़ा प्यारा लगता था, श्रीकृष्ण की लीलाओं को वे बड़े चाव से सुना करते, धीरे-धीरे हरिदास का मन मुसलमानी मजहब से (कुछ लोगों का कहना है कि हरिदास जी का जन्म हिन्दू कुल में हुआ था और वे पीछे से मुसलमान हो गये थे) हट गया और उन्होंने अपना जीवन श्रीकृष्ण के चरणारविन्दों में समर्पण कर दिया, दिन रात उच्च स्वर से हरिनाम कीर्तन करने लगे। उनका विश्वास था कि जो भूल से भी हरिनाम ले लेता या सुन लेता है वह नरक से बच जाता है। मनुष्य की तो बात ही क्या है यदि नीच से नीच पशुओं के कानों में भी हरिनाम सुना दिया जाय तो उनका भी उद्धार हो सकता है। इसी कारण वे जोर जोर से हरि कीर्तन किया करते थे। यही तो सच्ची शुद्धि है। जो विश्वास पूर्वक सच्चे मन से भगवद् भक्त होकर हिन्दू धर्म को मानना चाहता है उसे जगत्‌ में कौन रोक सकता है ? अस्तु !


बेफायोल के वन में हरिदास जी ने कुटिया बना रखी थी, हरिनाम अधिक लेने के कारण इनका नाम हरिदास पड़ गया था, चारों ओर इस बात की ख्याति हो गयी थी। भक्त की बड़ी कठिन परीक्षा हुआ करती है। इंद्रिय भोगों के बड़े बड़े लुभावने पदार्थ उसके सामने आकर उसके मन को डिगाना चाहते हैं, इसी के अनुसार उस देश के दुरात्मा जमीदार रामचंद्र खां के मन में हरिदास का तप नाश करने की प्रवृत्ति हुई और उसने इस काम के लिये एक परम सुन्दरी वेश्या को हरिदास की कुटिया पर भेजा। वेश्या ने तीन रात तक लगातार बड़ी चेष्टा की परन्तु वह हरिदास के हरि चरण लीन चित्त में जरा सी भी चंचलता उत्पन्न नहीं कर सकी। जिसका मन एक बार उस अलौकिक रूप सुधा का रस आस्वादन कर चुका है वह विलास रसिका के रसालाप की ओर कैसे खींच सकता है ? हरिदास जी प्रतिदिन तीन लाख नाम जप किया करते थे, वेश्या ने तीन रात तक कीर्तन किया। उसके पापों का बहुत सा संचित नष्ट हो गया। मन में शुभ स्फुरणा हुई। वेश्या ने सोचा कि मेरे बिना बुलाये ही सैकड़ों मनुष्य मेरे रूप दर्शन की लालसा से मेरे घर पर आ और मेरे रूप पर मोहित होकर अपना सर्वस्व दे जाते हैं, पता नहीं हरिदास किस रस में डूब रहा है, न मालूम किस अनूप रूप पर मोहित हो रहा है जो इतनी चेष्टा करने पर भी मेरी ओर नहीं ताकता। धन्य है इस हरिदास को जो भोगों की वासना को इस प्रकार पददलित कर भगवन्नाम अमृत पान में उन्मत्त हो रहा है, मैंने तो अपना जीवन केवल पापों के बटोरने में लगाया, मेरी क्या गति होगी ? यों सोचते सोचते वेश्या का अंतर पिघल गया। उसके नेत्रों से आँसू बहने लगे और वह तुरंत दौड़कर संत के चरणों में गिर पड़ी और बोली कि प्रभो ! बिना समझे प्रमाद से मैंने बड़ा अपराध किया हैं, मेरा उद्धार कीजिये 1 वेश्या पर इतनी भगवत् कृपा देखकर भक्त हरिदास का हृदय भर आया, उन्होंने उसे हरिनाम मन्त्र देकर कहा कि जाओ, अपनी धन-सम्पति गरीबों को लुटा दो और इसी कुटिया में बैठकर साधन करो। मैं जाता हूँ। वेश्या साधन में लग गयी उसका नरक हृदय साक्षात् वैकुण्ठ धाम बन गया। भगवान उसमें निवास करने लगे, साधु सङ्ग से सूखा वृक्ष हरा भरा हो गया। वेश्या परम भक्तिमती होकर परमात्मा को पा गयी।

वहाँ से हरिदास जी चांदपुर के जमीदार के कुल पुरोहित बलरामाचार्य के घर पर आये; बलराम और उनके दोनों जमींदार शिष्य हरिदास जी की भक्ति देखकर मुग्ध हो गए और उनको गुरु सदृश मानने लगे। भक्त को कौन नहीं मानता ? जिसको भगवान ने अपनाया उसको जगत् ने अपना लिया।
गरल सुधा रिपु करै मिताई।
गोपद सिन्धु अनल सितलाई ॥
जमीदार पुत्र रघुनाथ ने इसी समय भक्ति प्राप्त की और आगे चलकर वे परम भक्त हुए। हरिदास जी एक दिन कह रहे थे कि हरि नाम से मुक्ति होती हैं, हरिनाम के आभास से ही मुक्ति होती है। इस बात को सुनकर गोपाल चक्रवर्ती नामक एक मनुष्य ने ब्यङ्ग करके कहा कि इसकी बात किसी को नहीं माननी चाहिये, जो फल योग और तप से नहीं मिलता वह केवल हरिनाम से कभी नहीं मिल सकता, यदि ऐसा हो तो मेरी नाक कट जाये। हरिदास जी ने कहा कि 'यदि ऐसा न होता होगा तो मेरी नाक कट जायेगी' बड़े आश्चर्य की बात है कि थोड़े ही दिनों बाद कुष्ठ रोग से गोपाल की नाक गलकर गिर पड़ी। हरिदास जी चांदपुर से आकर फुलिया नामक ग्राम में रहने लगे। यहाँ के मुसलमान काजी को मालूम हुआ कि हरिदास मुसलमान होकर भी काफिरों के आचरण करता है। अतएव उसने हरिदास को अपने मत के अनुसार सीधे रास्ते पर लाना चाहा, हरिदास की दूसरी कठोर परीक्षा का प्रारम्भ हुआ। हरिदास जी पकड़े जाकर विचार के लिये काजी साहब के सामने लाये गये। काजी ने कहा "तैंने मुसलमान होकर काफिरों का मजहब कैसे मंजूर किया ? जाओ, इस बेवकूफी को छोड़कर फिर कलमा पढ़ लो नहीं तो कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।" इन शब्दों को सुनकर हरिदास जी को जरा सा भी भय नहीं हुआ। भयहारी भगवान के भक्त-सुलभ चरण कमलों की आश्रित यमराज से भी नहीं डरता, प्राणों की आहुति तो वह पहले दे चुकता है। भगवान ने गीता में कहा है" यस्मिन्स्थितो न दुःखेन गुरुणानि विचाल्यते। "जिसमें स्थित होकर वह बड़े भारी दुःख से भी विचलित नहीं होता।
हरिदास जी ने निर्भयता परन्तु स्वभाव सुलभ नम्रता के साथ काजी से कहा “भाई ! ईश्वर एक है, अखण्ड और अव्यय है, वह हिंदू मुसलमान के लिये अलग अलग नहीं होता, उसकी जैसी प्रेरणा होती है मनुष्य वैसे ही करता है, मुझे कृष्ण नाम प्यारा लगता है इसी से मैं इसे लेता हूँ इसमें तुम्हारा क्या बिगड़ता है? ”
हरिदास जी की इन बातों से काजी कुछ नरम हुआ परन्तु उसके मंत्रियों ने कहा कि यदि इसको दंड नहीं दिया जाएगा तो इसकी देखा देखी और भी मुसलमान हिंदू हो जायेंगे। अतएव काजी ने हरिदास के बाइस बाजारों में बेंत लगाने का दंड दिया। दुष्ट मन्त्रियों ने सोचा कि बेतों की मार से भी यदि हरिदास बच जायगा और नाम नहीं छोड़ेगा तब समझेंगे कि इसका हरिनाम सत्य है। काजी ने हरिदास जी को फिर समझाकर हरिनाम छोड़ने के लिये कहा। परन्तु हरिदास ने स्वीकार नहीं किया वे बोले टुकड़े टुकड़े देह हो प्राण जाय सुर धाम। तब भी मैं छाँड़ों नहीं पावन हरि का नाम। काजी को यह सुनकर बड़ा क्रोध हुआ और उसने प्राण दण्ड की आज्ञा दे दी। फाँसी पर चढ़ाकर या गोली मारकर प्राण लेने की जगह निर्दयतापूर्वक बाजारों में घुमा घुमा कर बेंते मार मारकर प्राण लेने की व्यवस्था की गयी। हरिदास जी किंचित भी नहीं घबराये ! एक बाजार में लाकर उनको बांध दिया गया और बड़ी निर्दयता से उन पर कोड़े लगने लगे। परंतु हरिदास जी का हरिनाम संकीर्तन ज्यों का त्यों जारी रहा उधर हरिदास जी बड़े जोर से बोलते "हरि"। उधर दुष्ट बड़े जोर से बेंत मारता। यों एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे करके बाइस बाजारों में हरिदास जी की पीठ पर बेतें मारी गयी। चमड़ा उड़ गया, रक्त की धारा से सारा शरीर भीज गया और लाल हो गया। इधर प्रेमाश्रुओं की धारा भी बह चली, पीठ से काजी के पाप की नदी और आगे से भक्त के प्रेम की निर्मल नदी बहने लगी। हरिदास जी नामोच्चारण और भी बड़े जोर जोर से करने लगे, गाँव भर में हाहाकार मच गया। बड़ी भीड़ हो गयी, सब लोग शाप देने लगे। कोई कहता था ईश्वर इस अन्याय को नहीं सहेंगे। कोई कहता था इस अन्याय से पृथ्वी काँप उठेगी, कोई कहता था काजी का समूल वंश नाश हो जाएगा। इधर हरिदास जी का मन दूसरी ही चिंता में मग्न था। उन्हें अपने ऊपर मार पड़ने और कष्ट पाने के लिये क्षोभ नहीं था उन्हें यह विश्वास था कि अभी ये लोग मुझ पर जितना अत्याचार कर रहे हैं समय आने पर न्यायकर्ता परमेश्वर की ओर से इन लोगों को इससे भी अधिक कष्टदायक दण्ड भोगना पड़ेगा। उनके भावी कष्ट की भावना से संत हरिदास का चित्त द्रवित हो गया। पापों से हटाने के लिये हरिदास जी ने उन लोगों से कहा कि भाई ! शांत हो ओ, मुझे मारने से तुम्हें क्या लाभ होगा ? तुम मुझे क्यों मार रहे हो ? मैंने तुम्हारा कोई नुकसान नहीं किया, हिंदू हो या मुसलमान परन्तु यह तो सभी को मानना पड़ेगा कि निर्दोष जीव को सताना पाप है, भगवान साक्षी हैं मैं ये बातें इसलिए नहीं होता कि: बेतों की चोट से मुझे दर्द हो रहा है परन्तु इसीलिए कहता हूं कि तुम लोग भ्रम से अपना भविष्य बड़ा दुःख मय बना रहे हो !
हरिदास जी के इन शब्दों से उन लोगों पर कुछ असर तो हुआ परन्तु उन्होंने अपना काम छोड़ा नहीं। हरिदास जी को बड़ी दया आयी। उनके नेत्रों से आँसुओं की धारा बहने लगी, उन्होंने अपना हृदय खोलकर दयामय भगवान के सामने रखा और बड़े जोर से बोले, कि हे मेरे कृष्ण ! हे मेरे स्वामी ! हे दयासिन्धु ! इन गरीबों पर दया करो, इनके इस अपराध को क्षमा कर दो, बेचारे भूले हुए जीव हैं अपना भला बुरा सोचने में असमर्थ हैं इन पर कृपा करो यों कहकर हरिदास जी रोने लगे, भीड़ के लोगों ने कहा कि हरिदास क्या कह रहे हैं ? पागल तो नहीं हो गये ? मारने वाले के लिये ईश्वर से क्षमा याचना करना कहाँ का धर्म है ? यूं कहते कहते लोग भक्त की महिमा से प्रेम में भर गये और हरि नाम ले लेकर नाचने लगे। इधर हरिदास जी को प्रेम-मूर्च्छा हो गयी। भगवान ! धन्य है क्या आपने इसलिए कहा है तजता नहीं मुझे जो हरिजन पाकर भी अतिशय संतान। पदवी अपनी देव दुर्लभ देता हूं उसको मैं आप प्रेममत्त हरिदास जी के भावावेश से काजी के सेवकों ने समझा कि इसकी मृत्यु हो गयी। इसलिये उसी अवस्था में उन्हें उठाकर गङ्गा जी में बहा दिया। गंगा में बहते बहते हरिदास को चेत हो गया और वे किनारे पर आकर बाहर निकल आये। लोगों की अपार भीड़ लगी हुई थी। काजी ने जब इनके जीने की बात सुनी तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। वह दौड़कर आया और सन्त हरिदास जी के चरणों में गिर पड़ा। उसने क्षमा प्रार्थना की और अन्त में वह परम भक्त बन गया। हरिदास जी हरि ध्वनि करते हुए चल दिये।
इसके बाद श्री हरिदास जी नवद्वीप में आये और वहाँ अद्वैताचार्य से मिले, इसी समय नवद्वीप में भगवान चैतन्य प्रकट हुए और बंगाल के हरि भक्ति की सुधा-धारा में प्लावित कर दिया। हरिदास का शेष जीवन श्री चैतन्य महाप्रभु के संग में बीता ! बोलो भक्त और उनके भगवान की जय !


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श्रीराम की पुनः लंका - यात्रा और सेतु भंग



पद्म पुराण के अनुसार एक समय भगवान श्रीराम को राक्षस राज विभीषण का स्मरण हो आया। उन्होंने सोचा कि ‘विभीषण धर्म पूर्वक शासन कर रहा है कि नहीं ? देव - विरोधी व्यवहार ही राजा के विनाश का सूत्र है। मैं विभीषण को लंका का राज्य दे आया हूँ, अब जाकर उसे सम्हालना भी चाहिए। कहीं राज मद में उससे अधर्माचरण तो नहीं हो रहा है। अतएव मैं स्वयं लंका जाकर उसे देखूँगा और हितकर उपदेश दूँगा, जिससे उसका राज्य अनन्त काल तक स्थायी रहेगा। ' श्रीराम यों विचार कर ही रहे थे कि भरतजी आ पहुँचे। भरत जी  के नम्रता से पूछने पर श्रीराम ने कहा -‘भाई ! तुमसे मेरा कुछ भी गोपनीय नहीं है, तुम और यशस्वी लक्ष्मण मेरे प्राण हो। मैंने निश्चय किया है कि मैं लंका जाकर विभीषण से मिलूँ, उसकी राज्य - पद्धति को देखूँ और उसे कर्तव्य का उपदेश दूँ। 'भरत ने कभी लंका नहीं देखी थी, इससे उसने भी साथ चलने की इच्छा प्रकट की, श्रीराम ने स्वीकार कर लिया और लक्ष्मण को सारा राज्य का कार्यभार सौंप कर दोनों भाई पुष्पक विमान पर चढ़ लंका के लिये विदा हुए।

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पहले भरत के दोनों पुत्रों की राजधानी में जाकर उनसे मिले और उनके कार्य का निरीक्षण किया, तदनंतर लक्ष्मण के पुत्रों की राजधानी में गये और वहाँ छः दिन ठहर कर सब कुछ देखा - भाला। इसके बाद भारद्वाज और अत्रि के आश्रमों को गये। फिर आगे चलकर श्रीराम ने चलते हुए विमान पर से वह सब स्थान दिखलाये जहाँ श्री सीताजी का हरण हुआ था, जटायु की मृत्यु हुई थी, कबन्ध को मारा था और बालि का वध किया था। तत्पश्चात किष्किंधापुरी में जाकर राजा सुग्रीव से मिले। सुग्रीव ने राजघराने के सब स्त्री पुरुषों, नगरी के समस्त नर नारियों समेत श्री राम और भरत का बड़ा भारी स्वागत किया। फिर सुग्रीव को साथ लेकर विमान पर से भरत को विभिन्न स्थान दिखाया और उनकी कथा सुनाते हुए लंका में जा पहुंचे, राजा विभीषण को उनके दूतों ने यह शुभ समाचार सुनाया।

श्री राम के लंका पधारने का संवाद सुनकर विभीषण को बड़ी प्रसन्नता हुई | सारा नगर बात की - बात में सजाया गया और अपने मंत्रियों को साथ लेकर विभीषण अगवानी के लिये चला। सुमेरु स्थित सूर्य की भांति विमानस्थ श्रीराम को देखकर साष्टांग प्रणाम पूर्वक विभीषण ने कहा —'प्रभो ! आज मेरा जन्म सफल हो गया, आज मेरे सारे मनोरथ सिद्ध हो गये। क्योंकि आज मैं जगद्बन्ध अनिन्द्य आप दोनों स्वामियों के चरण - दर्शन कर रहा हूँ। आज स्वर्गवासी देवगण भी मेरे भाग्य की श्लाघा कर रहे हैं। मैं आज अपने को त्रिदश पति इन्द्र की अपेक्षा भी श्रेष्ठ समझ रहा हूँ। ' सर्वरत्न सुशोभित उज्ज्वल भवन में महोत्तम सिंहासन पर श्रीराम विराजे, विभीषण अर्घ्य देकर हाथ जोड़ भरत और सुग्रीव की स्तुति करने लगा। लंका निवासी प्रजा की राम दर्शनार्थ भीड़ लग गयी। प्रजा ने विभीषण को कहलाया, ' प्रभो ! हमको इस अनोखी रूप माधुरी को देखे बहुत दिन हो गये। युद्ध के समय हम सब देख भी नहीं पाए थे। आज हम दीनों पर दया का हमारा हित करने के लिये करुणामय हमारे घर पधारे हैं, अतएव शीघ्र ही हम लोगों को उनके दर्शन कराइये। ' विभीषण ने श्रीराम से पूछा और दयामय की आज्ञा पाकर प्रजा के लिये द्वार खोल दिये। लंका के नर-नारी श्री राम-भरत की झांकी देखकर पवित्र और मुग्ध हो गये। यों तीन दिन बीते। चौथे दिन रावण माता कैकसी ने विभीषण को बुलाकर कहा, ' बेटा ! मैं भी श्रीराम के दर्शन करूँगी। उनके दर्शन से महामुनि गण भी महा पुण्य के भागी होते हैं। श्रीराम साक्षात् सनातन विष्णु हैं, वही यहाँ चार रूपों में अवतीर्ण हैं। सीता जी स्वयं लक्ष्मी हैं। तेरे भाई रावण ने यह रहस्य नहीं जाना। तेरे पिता ने कहा था कि रावण को मारने के लिये भगवान विष्णु रघुवंश में दशरथ के यहाँ प्रादुर्भूत होंगे। ' विभीषण ने कहा – ' माता ! आप नये वस्त्र पहन कर कंचन - थाल में चंदन, मधु, अक्षत, दधि, दूर्वा का अर्घ्य सजाकर भगवान श्रीराम का दर्शन करें। सरमा ( विभीषण - पत्नी ) को आगे कर और अन्यान्य देव कन्याओं को साथ लेकर आप श्रीराम के समीप जाये। मैं पहले ही वहां चला जाता हूँ।'
विभीषण ने श्रीराम के पास जाकर वहाँ से सब लोगों को बिल्कुल हटा दिया और श्रीराम से कहा, ‘देव ! रावण, कुम्भ कर्ण और मेरी माता कैकसी आपके चरण कमलों के दर्शनार्थ आ रही हैं, आप कृपापूर्वक उन्हें दर्शन देकर कृतार्थ करें। ' श्रीराम ने कहा, 'भाई ! तुम्हारी मां तो मेरी ' मां ' ही है। मैं ही उनके पास चलता हूँ, तुम जाकर उनसे कह दो, इतना कहकर विभु श्रीराम उठकर चले और कैकसी को देखकर मस्तक से उसे प्रणाम किया तथा बोले- आप मेरी धर्म माता हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूँ। अनेक पुण्य और महान तप के प्रभाव से ही मनुष्य को आपके ( विभीषण - सदृश भक्तों की जननी के ) चरण - दर्शन का सौभाग्य मिलता है। आज मुझे आपके दर्शन से बड़ी प्रसन्नता हुई। जैसे श्री कौशल्या जी हैं, वैसे ही मेरे लिये आप हैं। ' बदले में कैकसी ने मातृ भाव से आशीर्वाद दिया और भगवान श्रीराम को विश्व पति जानकर उनकी स्तुति की। इसके बाद 'सरमा' ने भगवान की स्तुति की। भरत को सरमा का परिचय जानने की इच्छा हुई, उनके इशारे को समझ कर 'इङ्गित विद’ श्री राम ने भरत से कहा, ' यह विभीषण की साध्वी भार्या हैं, इनका नाम सरमा है। यह महाभागा सीता की प्रिय सखी हैं, और इनकी सखिता बहुत दृढ़ है। ' इसके बाद सरमा को समायोचित उपदेश दिया। फिर विभीषण को विविध उपदेश देकर कहा कि ' हे निष्पाप ! देवताओं का प्रिय कार्य करना, उनका अपराध कभी न करना। लंका में कभी मनुष्य आवे तो उनका कोई राक्षस वध न करने पावें। ' विभीषण ने आज्ञानुसार चलना स्वीकार किया।

तदनंतर वापस लौटने के लिये सुग्रीव और भरत सहित श्रीराम विमान पर चढ़े। तब विभीषण ने कहा ' प्रभु ! यदि लंका का पुल ज्यों - का - त्यों बना रहेगा तो पृथ्वी के सभी लोग यहाँ आकर हम लोगों को तंग करेंगे, इसलिए क्या करना चाहिये ? ' भगवान ने विभीषण की बात सुनकर पुलको बीच में से तोड़ डाला और दश योजन के बीच के टुकड़े के फिर तीन टुकड़े कर दिये। तदनंतर उस एक - एक टुकड़े के फिर छोटे - छोटे टुकड़े कर डाले, जिससे पुल टूट गया और यों लंका के साथ भारत का मार्ग पुनः विछिन्न हो गया।


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