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विद्यापति का जीवन परिचय एवं उनकी साहित्यिक विशेषताएं
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आयु वृद्धि के साथ रोग से छुटकारा प्राप्त करने का मंत्र
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यौन पहचान - Sexual Identity
- होमोसेक्सुअलटी (Homosexuality) समान लिंग के अन्य व्यक्तियों के प्रति आकर्षण के पैटर्न का वर्णन करती है। Lesbian शब्द का उपयोग आमतौर पर समलैंगिक महिलाओं को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, और Gay शब्द का उपयोग आमतौर पर समलैंगिक पुरुषों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, हालांकि होमोसेक्सुअलटी का उपयोग कभी-कभी महिलाओं को संदर्भित करने के लिए भी किया जाता है।
- उभयलिंगीता (Bisexuality) पुरुषों और महिलाओं दोनों के प्रति आकर्षण के एक पैटर्न का वर्णन करती है, या एक से अधिक सेक्स या लिंग के लिए। एक उभयलिंगी पहचान आवश्यक रूप से दोनों लिंगों के लिए समान यौन आकर्षण के बराबर नहीं है; आमतौर पर, जिन लोगों के पास एक लिंग के लिए दूसरे पर एक अलग लेकिन अनन्य यौन प्राथमिकता नहीं होती है, वे खुद को उभयलिंगी के रूप में भी पहचानते हैं।
- अलैंगिकता (Asexuality) दूसरों के प्रति यौन आकर्षण की कमी, या यौन गतिविधि में कम या अनुपस्थित रुचि या इच्छा है। इसे अलैंगिक उप-पहचान के व्यापक स्पेक्ट्रम को शामिल करने के लिए अधिक व्यापक रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है। अलैंगिकता यौन गतिविधि से दूर रहने और ब्रह्मचर्य से अलग है
- रोमांटिकतावाद (Aromanticism) को "दूसरों के प्रति बहुत कम या कोई रोमांटिक भावना नहीं होना: बहुत कम या कोई रोमांटिक इच्छा या आकर्षण का अनुभव करना" के रूप में परिभाषित किया गया है
- पैनसेक्सुअलिटी (Pansexuality) लोगों के प्रति आकर्षण का वर्णन करती है, चाहे उनकी सेक्स या लिंग पहचान कुछ भी हो। पैनसेक्सुअल लोग खुद को लिंग-अंधे के रूप में संदर्भित कर सकते हैं, यह कहते हुए कि लिंग और सेक्स दूसरों के लिए उनके रोमांटिक या यौन आकर्षण में कारक नहीं हैं। पैनसेक्सुअलिटी को कभी-कभी एक प्रकार की उभयलिंगीता माना जाता है।
- बहुलैंगिकता (Polysexuality) को "कई अलग-अलग प्रकार की कामुकता को शामिल करने या विशेषता रखने" के रूप में परिभाषित किया गया है, और कई, लेकिन सभी नहीं, लिंगों के लिए यौन आकर्षण के रूप में। जो लोग इस शब्द का उपयोग करते हैं, वे उभयलिंगी शब्द के प्रतिस्थापन के रूप में ऐसा कर सकते हैं, यह मानते हुए कि उभयलिंगी डिकोटोमी को पुनर्जीवित करता है। प्रमुख एकेश्वरवादी धर्म आम तौर पर बहुलैंगिक गतिविधि को प्रतिबंधित करते हैं, लेकिन कुछ धर्म इसे अपनी प्रथाओं में शामिल करते हैं। बहुलैंगिकता को उभयलिंगीता के लिए एक और शब्द भी माना जाता है, हालांकि उभयलिंगी के विपरीत, पॉलीसेक्सुअल आवश्यक रूप से एक ही लिंग के लोगों के प्रति आकर्षित नहीं होते हैं।
- सैपियोसेक्सुअलिटी (Sapiosexuality) किसी अन्य व्यक्ति की बुद्धि के प्रति आकर्षण का वर्णन करती है। उपसर्ग सैपियो- लैटिन से "मेरे पास स्वाद है" या "मेरे पास ज्ञान है" के लिए आता है और किसी व्यक्ति की प्राथमिकताओं, प्रवृत्तियों और सामान्य ज्ञान को संदर्भित करता है। सैपियोसेक्सुअल-पहचान करने वाले व्यक्ति समलैंगिक, सीधे या उभयलिंगी भी हो सकते हैं। यह यौन अभिविन्यास नहीं है। इसने पहली बार 2014 में मुख्यधारा का ध्यान आकर्षित किया जब डेटिंग वेबसाइट Ok Cupid ने इसे कई नए यौन अभिविन्यास और लिंग पहचान विकल्पों में से एक के रूप में जोड़ा। लगभग 0.5% ओकेक्यूपिड उपयोगकर्ता सैपियोसेक्सुअल के रूप में पहचान करते हैं, और यह 31-40 वर्ष की आयु के लोगों में सबसे आम था। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में सैपियोसेक्सुअल के रूप में पहचानने की अधिक संभावना है। आलोचकों ने जवाब दिया कि सैपियोसेक्सुअलिटी "संभ्रांतवादी," "भेदभावपूर्ण" और "दिखावटी" है।
- संबंध अराजकता (Relationship Anarchy) बहुपत्नी और अराजक सिद्धांतों को जोड़ती है। इसके अभ्यास में कोई मानदंड नहीं है, लेकिन पश्चिमी संबंध मानदंडों की आलोचना, भागीदारों पर मांगों और अपेक्षाओं की अनुपस्थिति, और दोस्ती और रोमांटिक रिश्तों के पदानुक्रमित मूल्य के बीच अंतर की कमी की ओर जाता है।
- विषमलैंगिकता (Heterosexuality) विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रति आकर्षण के एक पैटर्न का वर्णन करती है। सीधे शब्द का उपयोग आमतौर पर विषमलैंगिकों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। विषमलैंगिक अब तक का सबसे बड़ा यौन पहचान समूह है।
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भीष्म द्वादशी महत्व, पूजन विधि एवं मंत्र
- भीष्म द्वादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- भगवान की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंच मृत, सुपारी, पान, तिल, मौली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग करें।
- पूजा के लिए दूध, शहद केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार कर प्रसाद बनाएं व इसका भोग भगवान को लगाएं।
- इसके बाद भीष्म द्वादशी की कथा सुनें।
- देवी लक्ष्मी समेत अन्य देवों की स्तुति करें तथा पूजा समाप्त होने पर चरणामृत एवं प्रसाद का वितरण करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दक्षिणा दें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करें और सम्पूर्ण घर-परिवार सहित अपने कल्याण धर्म, अर्थ, मोक्ष की कामना करें।
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जया एकादशी पौराणिक कथा, महत्व, व्रत व पूजा विधि
- एक समय फलाहारी भोजन ही किया जाता है। व्रत करने वाले को किसी भी तरह का अनाज सामान्य नमक, लाल मिर्च और अन्य मसाले नहीं खाने चाहिए।
- कुट्टू और सिंघाड़े का आटा, रामदाना, खोए से बनी मिठाइयां, दूध-दही और फलों का प्रयोग इस व्रत में किया जाता है और दान भी इन्हीं वस्तुओं का किया जाता है।
- एकादशी का व्रत करने के बाद दूसरे दिन द्वादशी को भोजन योग्य आटा, दाल, नमक,घी आदि और कुछ धन रखकर सीधे के रूप में दान करने का विधान है।
- जया एकादशी व्रत के नियम का पालन तीन दिनों तक चलता है। इसके नियम दशमी तिथि की शाम से शुरू होते हैं और द्वादशी तिथि तक चलते हैं।
- दशमी के दिन मांस, मीट, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल और चने की दाल वगैरह नहीं खाएं। सात्विक भोजन करें। द्वादशी के दिन व्रत का पारण करते समय भी इस बात का ध्यान रखें।
- जया एकादशी के दिन घर पर चावल किसी को भी न खाने दें। जया एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही है।
- दशमी से लेकर द्वादशी तक संयम के साथ ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। अगर लगाना ही है तो संभलकर लगाएं, जिससे किसी जीव को हानि न पहुंचे।
- जया एकादशी का दिन बेहद पुण्य दायी और भगवान की आराधना का दिन होता है इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। शाम के समय सोना नहीं चाहिए। अगर संभव हो तो एकादशी की रात में भी जागरण करके भगवान के भजन और कीर्तन करने चाहिए।
- व्रत का तात्पर्य है आपके मन की शुद्धि और इन्द्रियों पर नियंत्रण। इसलिए किसी के लिए भी मन में द्वेष की भावना न लाएं। न ही किसी की बुराई करें और न ही किसी का दिल दुखाए। किसी से झूठ न बोलें।
- इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए और न ही किसी से ज्यादा बात करनी चाहिए। ज्यादा बोलने से एनर्जी बर्बाद होती है, साथ ही कई बार गलत शब्द मुंह से निकलने का डर रहता है। ऐसे में मौन रहकर भगवान का मनन करें।
- यदि संभव हो तो दिन में किसी समय गीता का पाठ करें या सुनें। द्वादशी के दिन स्नान के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन खिलाएं और दान दक्षिणा दें, इसके बाद ही व्रत खोलें।
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खान पान से गंभीर से गंभीर बीमारी को कहें अलविदा
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घरेलू धनिये के सर्वश्रेष्ठ औषधीय फायदे
धनिये के औषधीय फायदे -(Medicinal Benefits of Coriander In Hindi) :
- एनीमिया में फायदेमंद (Dhaniya Goods For Anemia)
अगर किसी व्यक्ति को किसी कारण वश खून की कमी हो जाती है तो उसके लिए धनिया के बीजों का सेवन बहुत अधिक लाभदायक होता है क्योंकि धनिया में आयरन की मात्रा पाई जाती है जो खून में हीमोग्लोबिन बनाता है इसलिए धनिया के बीजों के सेवन से खून की कमी नहीं होती है। - ऑस्टियोपोरोसिस में फायदेमंद (Dhaniya Goods For Osteoporosis)
आप धनिया के पानी के सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस के होने से बच सकते हैं क्योंकि धनिया के पानी में विटामिन ए और विटामिन के पाई जाती हैं जो कैल्शियम संश्लेषण में मदद करती हैं। इसके सेवन से हड्डियों को कैल्शियम मिल जाता है और हम ऑस्टियोपोरोसिस रोग के खतरे से बच जाते हैं। - कोलेस्ट्रोल कम करने में फायदेमंद (Dhaniya Goods For Reduce Cholesterol)
आज के समय में बहुत से ऐसे कारण होते हैं जिसकी वजह से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है और हमें बहुत से रोगों का शिकार होना पड़ जाता है लेकिन आप धनिया का प्रयोग करके खराब कोलेस्ट्रोल को कम कर सकते हैं जिससे बहुत से रोगों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। विशेषज्ञों के एक प्रयोग से यह पता चला है कि धनिया के बीज में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रोल को कम कर सकते हैं। अगर आपको हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या है तो आप धनिया के बीजों को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर पिएं। इस पानी को पीने से हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या ठीक हो जाएगी। - डायबिटीज में फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Diabetes)
जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है उनके लिए धनिया का सेवन बहुत अधिक लाभकारी होता है क्योंकि धनिया का सेवन शरीर में शुगर लेवल को कम कर देता है और इंसुलिन की मात्रा को बढ़ा देता है जिससे हमारे शरीर का शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है और हमें कोई परेशानी नहीं होती। आप धनिया का सेवन अपना भोजन पकाते समय भोजन में कर सकते हैं इससे भी बहुत लाभ होगा। - थायराइड में फायदेमंद-(Dhaniya Good For Thyroid)
अगर आपको थायराइड की समस्या है तो आप धनिया का सेवन कर सकते हैं। आप रात के समय धनिया को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह के समय उस पानी को पी लें इससे आपकी थायराइड की समस्या ठीक हो जाएगी। - पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Digestive System)
किसी व्यक्ति का पूरा शरीर उसके पाचन तंत्र पर निर्भर करता है क्योंकि पाचन तंत्र की वजह से ही शरीर को पूरी ऊर्जा मिलती है और अगर वह सही तरह से काम न करें तो बहुत सी समस्याएं हो जाती हैं जैसे कब्ज, गैस, अपच, पेट दर्द, उल्टी, दस्त आदि। ऐसे में धनिया का सेवन आपके लिए बहुत अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि धनिया के सेवन से बहुत सी बीमारियों को दूर किया जा सकता हैं। आप थोडा सा धनिया पाउडर लें और उसमें हींग और काला नमक मिला लें। अब इस मिश्रण को एक गिलास पानी में घोलकर पिएं इससे आपकी पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाएंगी। - मासिक धर्म में फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Menstrual Cycle)
जब किसी महिला को मासिक धर्म से संबंधित कोई परेशानी होती है या मासिक धर्म बहुत अधिक होता है तो वह धनिया का सेवन करें यह उसके लिए बहुत अधिक लाभकारी होगा। आप थोड़े से धनिया का बिज लें और उन्हें पानी में डालकर उबालें। अब उस पानी को छान लें और उसमें अपने हिसाब से चीनी मिलाकर सेवन करें। इस पानी के सेवन से मासिक धर्म की समस्या ठीक हो जाएगी। - वजन कम करने में फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Weight Loss)
अगर आपका वजन बहुत अधिक है और आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो आप धनिया का सेवन कर सकते हैं क्योंकि धनिया का सेवन करने से आपका वजन बहुत कम हो जाएगा। अपने वजन को कम करने के लिए सबसे पहले आप धनिया के कुछ बीज लें। अब इन बीजों को एक गिलास पानी में डाल दें और गैस पर उबालने के लिए रख दें। जब पानी की मात्रा आधे गिलास के बराबर हो जाए तो उसे छान लें और इस पानी ओ दिन में दो बार पिएं। इसके सेवन से आपका वजन बहुत अधिक कम हो जाएगा। - सर्दी जुकाम में फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Cold)
सर्दियों और बरसात के मौसम में अक्सर देखा जाता है कि लोगों को सर्दी जुकाम की समस्या हो जाती है जो कुछ जीवाणुओं की वजह से होती है अगर आपको भी यह समस्या है तो आप धनिया का सेवन कर सकते हैं क्योंकि धनिया में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं जो जीवाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं।
- आप दाल और सब्जी में हरा धनिया के पत्तियां महीन काटकर मिलाएं। ध्यान रखें सब्जी बनने और दाल पकने के बाद धनिया मिलाया जाता है। धनिया मिलाकर इन्हें नहीं पकाते हैं। क्योंकि ऐसा करने से धनिया के प्राकृतिक गुणों में कमी आती है।
- धनिए की चटनी बनाकर खाएं। हरा धनिया के साथ प्याज और हरी मिर्च को पीसकर चटनी तैयार करें बाद में इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर इसका सेवन करें। यह पाचन को दुरुस्त करती है और गैस, बदहजमी जैसी समस्याओं से बचाती है।
- तीसरी विधि है कि आप हरे धनिए का रायता बनाकर खाएं। इसे पीसकर रायते में मिला लें। या फिर पिसे हुए हरे धनिया को छाछ, जलजीरा, आम पना इत्यादि में मिलाकर इसका सेवन करें।
धनिये के अन्य फायदे -(Dhaniya Ke Fayde) :
- अनिद्रा के लिए : आप नींद लाने वाली दवाइयों के सेवन की जगह पर धनिया का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इससे आपको नींद भी आ जाएगी और आपको किसी भी तरह की कोई मानसिक हानि नहीं होगी जबकि दवाइयों का प्रयोग करने से मानसिक रोग होने का खतरा रहता है इसलिए आपके लिए दवाइयों की जगह पर धनिया का प्रयोग करना बहुत लाभकारी होता है।
- आँखों के लिए : धनिया में विटामिन ए की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो आँखों की रौशनी बढ़ाने में मदद करती है। आप धनिया को अपने खाने में मिलाकर सेवन कर सकते हैं इससे आपको बहुत अधिक फायदा होगा।
- कमजोरी के लिए : धनिया का सेवन करने से कमजोरी और चक्कर आने की समस्या दूर हो जाती है। आप रात के समय में धनिया पाउडर और आंवला पाउडर को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह के समय उसका सेवन करें।
- जलन के लिए : जब किसी वजह से आपकी आँखों हाथों और पैरों में जलन होती है तो आपको धनिया का सेवन करना चाहिए इससे आपको आँखों, पेट, हाथों और पैरों में जलन होनी बंद हो जाएगी। सबसे पहले आप सौंफ, मिश्री और साबुत धनिया को समान मात्रा में लें और उन्हें पीस लें। भोजन करने के बाद आप एक चम्मच या दो चम्मच उस पाउडर का सेवन करें इससे आपकी जलन की समस्या बिलकुल ठीक हो जाएगी।
- त्वचा के लिए : धनिया के सेवन से हमारी त्वचा साफ होने के साथ-साथ ग्लो भी करने लगती है। धनिया का सेवन करके आप त्वचा के बहुत से रोगों से छुटकारा पा सकते हैं क्योंकि धनिया में कीटाणुनाशक, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं जो त्वचा के रोगों को दूर करते हैं।
- नकसीर के लिए : हरे धनिये की बीस से इक्कीस ग्राम पत्तियां लें और उसमें चुटकी भर कपूर को मिला लें और पीस लें। इसे पिसने के बाद इसका रस निकालकर छान लें। अब इस रस को एक-एक बूंद करके अपने नाक में डालें इससे आपकी नाक से निकलने वाला खून रुक जाएगा और नकसीर की समस्या ठीक हो जाएगी।
- पथरी के लिए : धनिया के प्रयोग से पथरी को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है। आप सुबह के समय हरे धनिया को पानी में उबाल लें और ठंडा होने पर उसे छान लें। आप इस पानी का सेवन प्रतिदिन सुबह के समय खाली पेट करें। इस पानी के सेवन से पथरी यूरिन के साथ बाहर निकल जाएगी और आपकी पथरी की समस्या ठीक हो जाएगी।
- पेट की बिमारियों के लिए : धनिया के कुछ पत्ते और जीरा लेकर थोड़े से पानी में डालें। इसके थोड़ी देर बाद उसमें चाय की पत्ती और सौंफ डाल दें और अपने स्वादनुसार उसमें चीनी और अदरक डालें। इसे थोड़ी देर उबालने के बाद ठंडा होने के लिए रख दें। हल्का गर्म रहने पर आप इस काढ़े का सेवन करें इससे आपकी पेट से संबंधित समस्या जैसे गैस ठीक हो जाएगी।
- मुंह के छालों के लिए : धनिया में किट्रोनेलोल नाम का एक एंटीसेप्टिक पाया जाता है जो मुंह के छालों और घावों को ठीक करने में मदद करता है। धनिया का प्रयोग बहुत से टूथपेस्ट में भी किया जाता है क्योंकि यह आपको खुलकर सांस लेने में बहुत मदद करता है और मुंह से बदबू को भी समाप्त कर देता है।
- मुंहासों के लिए : आप धनिया का जूस बनाकर उसमें हल्दी पाउडर मिलाकर लेप बना लें अब इस लेप को दिन में दो बार अपने चेहरे पर लगाएं और कुछ देर बाद इसे पानी से धो दें। इस क्रिया को करने से आपके चेहरे के दाग-धब्बे और मुंहासे ठीक हो जाएंगे और आपके चेहरे का ग्लो भी वापस आ जाएगा। अगर आपको घमोरिया हो गया है तो आप धनिया का पानी लेकर उससे स्नान करें आपकी घमोरिया की परेशानी ठीक हो जाएगी।
- रक्तचाप के लिए : धनिया हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम की सहायता से रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। धनिया रक्तचाप में दवा की तरह काम करता है जिसकी वजह से बहुत से रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
- संक्रमण के लिए : धनिया के प्रयोग से बहुत से संक्रमण के कणों को अपने शरीर से दूर रखा जा सकता है। जब आप प्रतिदिन धनिया का सेवन करते हैं तो आपकी संक्रमण रोगों से रक्षा होती है क्योंकि इसके सेवन में पेट में होने वाले कीड़े और बैक्टीरिया मर जाते हैं जिससे पेट को आराम और ठंडक मिलती है।
- सेमोलिना बैक्टीरिया के लिए : धनिया में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो इस बैक्टीरिया को दूर रखने में मदद करते हैं। आप धनिया का प्रयोग अपने भोजन में कर सकते हैं इससे भी आपको लाभ होगा।
- हृदय के लिए : धनिया का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रण में रहता है और रक्तचाप भी ठीक रहता है जिससे हृदय की बहुत सी बीमारियों से हमारा बचाव होता है। धनिया में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हृदय के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। धनिया के सेवन से दिल के दौरे की समस्या भी ठीक हो जाती है।
- एलर्जी : हो सकता है कि धनिया का सेवन करने से आपको चक्कर, सूजन, रैशेज, साँस लेने में कठिनाई आदि समस्याएं हो सकती हैं इसलिए धनिया का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
- कैंसर : धनिया का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से त्वचा पर सनबर्न की समस्या हो जाती है जिसके लंबे समय तक होने पर कैंसर का कारण भी बन सकती है।
- गर्भवती महिला : जब धनिया का सेवन अधिक हो जाता है तो शरीर की ग्रंथिय प्रभावित हो जाती है इसलिए गर्भवती महिलाएं और दूध पिलाने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उनके भ्रूण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- लीवर : एक नजर से देखा जाए तो धनिया हमारे शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है लेकिन जब धनिया का जरूरत से ज्यादा सेवन किया जाता है तो उससे पित्त पर दवाब पड़ता है जिससे लीवर की परेशानी हो सकती है।
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परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद
साल 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी दुश्मनों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी। उन्होंने पाकिस्तान के 7 पैटर्न टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए थे। इसी दौरान वह शहीद हो गए थे।
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एक अंग्रेज जिलाधिकारी पर श्री राम कृपा
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लंगोट पहनने के फायदे और लाभ
जब भी लंगोट का नाम आता है तो मन में हनुमान जी का नाम सबसे पहले आता है क्योंकि वे हमेशा लंगोट पहनते है, दूसरा लंगोट साधकों का भी प्रतीक है क्योंकि जब पहले के साधु साधना करते थे तो वे अपने शरीर पर लंगोट के अलावा कुछ भी धारण नहीं करते थे, ऐसे साधकों को आज भी देखा जा सकता है। इसके अलावा लंगोट ब्रह्मचर्य का भी प्रतीक है क्योंकि माना जाता है कि जो व्यक्ति लंगोट पहनता है उसका उसकी काम वासना पर नियंत्रण रहता है। लंगोट त्रिकोण आकार में बना एक अन्तः वस्त्र है और इसे अधिकतर कुश्ती करने वाले पहलवान व जिम जाने वाले व्यक्ति अपने अभ्यास के दौरान पहनते है। अभ्यास के दौरान ये अन्तः अंगों को ढके भी रखता है और उन्हें चोट से भी बचाए रखता है। इसके अलावा भी लंगोट की अन्य खासियत होती है। लंगोट में किसी खास तरह के रंग की प्राथमिकता नहीं दी जाती लेकिन फिर भी लाल रंग का लंगोट बहुत लोकप्रिय होता हैं। इसके पीछे लोगों के अपने अपने मत है कोई इसे आस्था से जोड़ता है तो कोई इसे चिकित्सा शास्त्र से। पहले के समय में अनेक लोग और साधु ब्रह्मचर्य का पालन करते थे जिसके कारण वे हमेशा लंगोट धारण किये हुए रखते थे क्योंकि उनका मानना है कि लंगोट कामेच्छा पर नियंत्रण बनाए रखने में बहुत सहायक होता है।
- लंगोट बांधने के लिए लंगोट के तीन हिस्से होते है,
- ऊपर की और दो पतली रस्सी होती है।
- उनको कमर पर बांधा जाता है, की तरफ से उसके पश्चात तीसरे हिस्से को पीछे की तरफ रखते है।
- उसको नीचे की तरफ से प्राइवेट पार्ट के साथ ऊपर की बंदी दो रसिया के बीच में से निकलकर वापस पीछे की तरफ लेकर जाना होता है।
- इस प्रकार पीछे की तरफ दोनों रस्सियों के मध्य लगा देते है।
- लंगोटी शारीरिक व्यायाम या योग अभ्यास के दौरान हड्डी और अंग के विस्थापन और तंत्रिकाओं पर खिंचाव को रोकता हैं।
- लंगोट पहनने से पुरुषों के टेस्टिल्स यानी अंडकोषों की सेहत अच्छी रहती है। कई बार ज्यादा वर्कआउट या मेहनत करने की वजह से उनका आकार बढ़ जाता है। जिससे उनमें दर्द होने लगता है।
- वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रजनन क्षमता बनाए रखने के लिए टेस्टिकल्स की सेहत का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। कई बार इनमें पानी भर जाने की समस्या भी हो जाती है। जो सेक्स लाइफ पर बुरा असर डालती है।
- यह ऊर्जा को पूरे शरीर में सही और सही अनुपात में प्रवाहित करने में सक्षम बनाता है।
- लंगोटी के उपयोग से व्यायाम या योग अभ्यास के दौरान ऊर्जा, शक्ति और सहनशक्ति मिलती है।
- लंगोट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सादा सूती कपड़े यानी कॉटन का बना होता है। जिससे किसी भी तरह के रैशेज या अन्य समस्या नहीं होती। इसे स्किन फ्रेंडली माना जाता है। जिससे अनावश्यक हीट जनरेट नहीं होती। इसलिए भी लंगोट पहनना पुरुषों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
- जब भी आप कोई हैवी एक्सरसाइज या वर्कआउट करते है तो लंगोट पहनना एक तरह मदद करता है। इसे पहनने से एक्सरसाइज के दौरान पुरुषों के प्राइवेट पार्ट पर ज्यादा दबाव नहीं बनता है और पुरुष इसमें ज्यादा आराम महसूस करते हैं।
- पारम्परिक तौर पर अंडरवियर के तौर पर लंगोट पहनना पुरुष के जननांगों के लिए बेहतरीन होता हैं। बल्कि ये सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता हैं।
- अंत:वस्त्र लंगोट काम वासना पर नियंत्रण तो करता ही है, इसे पहनने वाले को कभी हाइड्रोशील की बीमारी नहीं होती और अंडकोश को यह चोट से बचाता है, ख़ासकर साइकिल, मोटर साइकिल आदि से गिरने पर लगने वाली चोट से। दौड़ने, चलने, योगासन व व्यायाम में सुविधाजनक है।
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