वर्ष 2008 मेरी ब्लागिंग के लिये अब तक अच्छा ही जा रहा है। काफी कुछ अच्छा ही अच्छा घटित हो रहा है। आज श्री समीर लाल जी से मेरी बात हुई। पिछले दो दिनों से उनकी टिप्पणी का रैला देख कर लग रहा था कि उड़न तश्तरी कनाड़ा पहुँच गई। मन में गुस्सा तो बहुत था कि इतने वायदे किया आज तक एक भी पूरा नही किया। चाहे वह कनाड़ा की बर्फ की तस्वीर हो, या हर पोस्ट पर टिप्पणी करने का वायदा या फिर भारत यात्रा के दौरान मिलने का, एक भी पूरा नही किया। गुस्से के मारे मन कर रहा था कि लालों के लाल श्री समीर लाल जी पर पोस्ट लिख दूँ किन्तु समय ही नहीं मिल रहा था। किन्तु आज एक फोन आया मुझे लगा कि यह कवि कुलवंत जी का होगा क्योंकि वह आज ही आने वाले थे और पहुँचते ही फोन करने को कहा था, किन्तु जब आवाज आई कि मैं समीर लाल बोल रहा हूँ तो खुशी का ठिकाना नहीं था। मेरी कुशल क्षेम पूछी और कुछ इधर उधर की गपशप हुई। अन्त में 27 तारीख को इलाहाबाद से गुजरेंगे और फिर होगी एक और ब्लागर मीट इलाहाबाद जंक्शन पर। :) श्री समीर लाल जी ने ज्ञानजी को भी सूचित करने को कहा है रात काफी हो गई है अब उनको फोन कल ही करूँगा। पोस्ट खत्म होते होते कवि कुलवंत जी का भी फोन आ गया कल 11 बजे हिन्दुतानी एकेडमी में उनसे मिलने का कार्यक्रम बना है, जहां उन्हें सम्मानित किया जाना है। उन्हे सम्मानित किये जाने की हार्दिक बधाई।
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