कानपुर के एक मन्दिर है जहॉं एक ऐसा पत्थर है जो बिना किसी धोखे के 15 दिन पूर्व ही बारिश की जानकारी दे देता है। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर के बेहटा बुजुर्ग गांव में एक ऐसा पत्थर है जिससे मानसून आने से 15 दिन पूर्व ही पानी टपकने लगता है। पुरातात्विक विरासत को समेटे इस गांव में विशिष्ट वास्तु शैली में बने जगन्नाथ मंदिर के दो उन्नत शिखर विलक्षणता का आभास करा देते हैं। मुख्यद्वार पर प्राचीन पट है जिससे सूर्य के मुख से जंजीर निकलती दिखाई देती है। जंजीर की आखिरी कड़ी से तीन कडि़यों और फिर उससे नौ कडि़यों का विस्तार होता चला जाता है। मंदिर के गर्भगृह में दिन में भी अंधेरा छाया रहता है और इसी गर्भगृह में ही ऊपर वह पत्थर स्थित है जिसे यहां के लोग मानसून पत्थर कहते हैं। रहस्य को समेटे मानसून पत्थर की सूचना पर आस-पास के लोग खेती के बारे में निर्णय लेते हैं। मंदिर के गर्भगृह के दोनों ओर बनी छोटी छोटी कोठरियों में भगवान विष्णु की प्रतिमा है, इन्हीं में से एक में पुरावशेषों के ढेर हैं। गांव वालों का मत है कि अगर इस मंदिर और आस पास के क्षेत्र में खुदाई की जाए तो पुरातात्विक दृष्टि से कई महत्वपूर्ण चीजें भी मिल सकती हैं।
- मानसून की सटीक भविष्यवाणी -कानपुर शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर एक इलाका है घाटमपुर तहसील सिथत बेहटा बुजुर्ग गांव में अदभुत और विलक्षण एक मंदिर है, जो मानसून की सटीक भविष्यवाणी के लिए देश व प्रदेश में विख्यात है। मई माह में भीषण गर्मी के चलते आमशहरी परेशान थे, तो वहीं अन्नदाता भी बारिश न होने के चलते निराश थे। सैकड़ों किसान भगवान् जगन्नाथ,सुभद्रा और बलभद्र एक शिलाखंड की प्रतिमा और उसके ठीक ऊपर छत पर लगे चमत्कारी पत्थर पर के पास आकर इसी आस में बैठ जाते थे, कि कब पानी की बूंदे टपगेंगी, और कब बरसात होगी। लेकिन एक से लेकर 9 मई तक मंदिर पर रखे पत्थर पर अभी कोई चहलकदमी नहीं दिखी। पत्थर में ओस की एक भी बूंद नजर नहीं आई। जिससे मंदिर प्रबंधक का मानना है कि इसबार मौसम जून में आएगी और 1 से लेकर 5 जून के बीच बारिश हो सकती है।
- चमत्कारी पत्थर - यह अनूठा मंदिर पूरे उत्तर प्रदेश में मानसून की दिशा और दशा बताने वाला मंदिर कहलाता है। मंदिर के अन्दर भगवान् जगन्नाथ जी की प्रतिमा के ठीक ऊपर छत में एक चमत्कारी पत्थर भी है जो उत्तर प्रदेश में मानसून आने की भविष्यवाणी करता है। मंगलवार को मंदिर के अन्दर भगवान् जगन्नाथ,सुभद्रा और बलभद्र एक शिलाखंड की प्रतिमा और उसके ठीक ऊपर छत पर लगे चमत्कारी पत्थर से पानी यी ओश नहीं दिखी। मोतियों की तरह पत्थर पर छलकने वाली पानी की बूंदे अभी दस्तक नहीं दी हैं। किसानों का कहना है कि मंदिर ने अभी मौसम की भविष्यवाणी नहीं की। जिसके चलते खेतों में खड़ी फसल की कटाई आराम से हो जाएगी। पिछले साल मई में बारिश हो गई थी और इस साल भी बुधवार को हल्की बारिश हुई पर मंदिर के पत्थर से बूंदे नहीं टपकी। किसान सुबह और शाम को मंदिर में आकर पूजा-पाठ करते हैं और पत्थ्र की तरफ देखकर मौसम की जानकारी करते हैं।
- तो बूंदों का टपकना बंद हो जाता -मंदिर के पुजारी ने बताया कि मोतियों के सामान पानी की बूंदों का टपकना तब तक जारी रहता है जब तक उत्तर प्रदेश में मानसून नहीं आ जाता और जब मानसून आ जाता है तो बूंदों का टपकना बंद हो जाता है । पुजारी के मुताबिक अगर पत्थर से पानी की बूंदें न टपकी तो पूरे प्रदेश में सूखा पड़ेगा और अगर पानी की बूंदों ने अंगड़ाई ली तो क्या मजाल कि मानसून 15 दिन के अन्दर ना आये। यह भविष्यवाणी भगवान् जगन्नाथ महाराज के आदेश पर ही पत्थर से होती है और इसी भविष्यवाणी पर आस पास के 100 गांवों के किसान अपनी फसलों की सुरक्षा के साथ फसलों और खेतों की सफाई-बुआई की तैयारी शुरू करते हैं। मंदिर की इस भविष्यवाणी पर विश्वास करने वाले लोग आज के वैज्ञानिक युग में मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणियों पर भरोसा नहीं करते और उन्हें इस मंदिर में लगे पत्थर के सामने फेल बताते हैं।
- साइंटिस्ट भी नहीं लगा पाए पता - पुरातन काल के इतिहास को संजोये और मौसम विज्ञान और साइंस को चुनौती देता आ रहा है। बहुत सारे साइंटिस्ट आए, लेकिन पानी की बूंदे कहां से आती हैं इसका पता नहीं लगा पाए। पत्थर के आस पास क्या दूर तक कहीं भी पानी का कोई स्रोत नहीं होता फिर भी कडकती धूप में पत्थर से पानी की बूंदे छलकती हैं कोई नहीं जानता कि पानी की यह बूंदे कहां से आती हैं। सीएसए के साथ ही देश के कई साइंटिस्टों ने मंदिर में आकर पानी की बूंदों की खोज की पर पता लगाने में असफल रहे। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक अनिरुद्ध दुबे भी कहते हैं कि हां जगन्नाथ भगवान के मंदिर का इस रहस्य से आज तक कोई पर्दा नहीं उठा सका। हम भी कई बार जा चुके है पर पानी की बूंदें कहां से आती हैं इसकी खोज नहीं कर पाए।
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