हास्य निबंध - मुलायम हमारी चड्डी है



चड्ढी की महिमा किसी से छिपी नहीं है। वह भी अगर चड्ढी मुलायम हो तो बात कि क्या? मुलायम देश की आन बान शान, रोशनी, अँधेरा, रोजी, मोना हो सकते है तो चड्ढी क्यों नहीं हो सकते? चड्ढी की महिमा किसी से छिपी नहीं है चाहे मंत्री हो या प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री हो या फिर सीएम का पीए या‍ गरीब से गरीब और अमीर से अमीर चड्ढी हमारे सभी के जीवन का अभिन्न अंग है चड्ढी रोजी, रोशनी और मोना की तरह।
आजकल के दौर में टीवी में एक चड्ढी में एक युवक पूरे देश में दिखता है, कोई और कारण नहीं है सिर्फ अपनी चड्ढी की वजह से एक लड़की उस पर फिदा भी हो जाती है। शायद विज्ञापन में चड्ढी की ताकत का एहसास दिलाने की कोशिश किया जाता है कि देख बेटा चड्ढी में कितना दम है? चड्ढी तो एक फैशन हो गया है तरह-तरह की कलात्मक चड्ढियां बाजार में आ रही है, कुछ तो ऐसी है कि पहनो न पहनो बराबर है, उनकी ही मांग बाजार में ज्यादा है लोगों कि सोच होगी मैं इसमें कैसा लगूँगा? मुझे भी इस तरह के अंडरवियर मे देख कर मेरी प्रेमिका टीवी वाले की तरह किस करेगी।
उत्तर प्रदेश के चुनाव में चड्ढी और भी महत्वपूर्ण हो जायेगी क्योंकि मुलायम हमारी चड्ढी जो ठहरा, भाई आप ही विचार कीजिए कोई अपनी सबसे मुलायम चड्ढी का विरोध कैसे कर सकता है। चुनावों में चड्ढी की भूमिका काफी बढ़ गई है हाल में आयोजित एक चड्ढी समारोह में प्रदेश के मुखिया ने अगली बार सत्ता में आने पर प्रत्येक नागरिकों को मुफ्त चड्ढी देने की घोषणा की है, घोषणा के ट्रायल के रूप में इस चुनाव में पार्टी कार्यकर्ता को चुनाव प्रचार के दौर केवल अण्‍डवियर में ही रहने के निर्देश जारी किये गये है। इस चुनाव के लिये कुछ नमूने के रूप में कुछ अण्‍डरवियर रखें गये है। जो पार्टी के कार्यकर्ताओं की इस इच्छा के अनुसार दिये जायेंगे। यहां धोषणा पत्र में कुछ चुनिन्‍दा चड्ढी ही रखी गई है। कुछ खास माडल के अण्‍डरवियर केवल कार्यालय में ही उपलब्ध है क्योंकि इनके चित्र घोषणा पत्र में छापने से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता। चुनाव कार्यालय अर्थात मुलायम अण्‍डरवियर केन्द्र है जहां पर कार्यकर्ता अपने मन की अन्य डिजायन की उपलब्ध है।

 
खास तौर पर युवा प्रत्‍याशियों के लिये
 
ये है वाम पंथी भाईयों की चड्डी





 
यह है खास तौर पर डाक्‍टर प्रत्‍यासियों के लिये
 
यह है बाहुबली प्रत्याशियों की चड्डी
 
कैजुअल चड्डी सेक्‍यूलर पार्टी के प्रत्‍याशियों के लिये

 
यह खास तौर पर उन प्रत्‍याशियों की चड्डी है जो आधुनिक है सफेद पोश नही रहना चहते है और जो कम कपडों के शौकिन है।


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विन्‍डोज लाइव राइटर का प्रयोग



काफी दिनों पहले इसके बारे में सुना था और प्रयोग करने की कोशिश भी किया किन्तु सफलता नहीं मिला। आज प्रात: श्री अफलातून जी ने फिर से इसके बारे में बताया और मैं इसका प्रयोग करने की ओर अग्रसर हुआ। आज यह पहला लेख इससे डालने जा रहा हूँ अभी सफलता की आशा कम ही है।
आज अफलातून जी ने बताया‍ कि इसमें ऑफ लाइन लिखकर आप अपने लेख को अपने ब्‍लाग पर डाल सकते है। यही देखने का प्रयास कर रहा हूँ कि यह चमत्कार होता है कि नहीं। मैं अकसर आनलाइन होकर लेख लिखता हूँ और बिना पढ़े उसे पोस्ट कर देता हूँ। जिसके कारण मेरे लेखों में व्याकरणात्मक अशुद्धियां देखने को मिलती है। लाइव राइटर के कारण अब इस प्रकार की अशुद्धियां कम देखने को मिल सकती है।
पहले तो मै अकसर माइक्रोसोफ्ट वर्ड पर लिख कर अपने ब्‍लाग पर जा कर पोस्ट कर देता था इससे भी गलतियां कम होती थी। ठीक है अब मैं इसे पोस्ट करने का प्रयास करता हूँ देखता हूँ कि यह होता है कि नहीं।



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एक भीनीं सी मुस्‍कान और भगवान के प्रति धन्‍यवाद



मैं प्रतापगढ़ जा रहा था एक रेलवे क्रासिंग पड़ती है उस समय अमृतसर से हाबड़ा जाने वाली ट्रेन का समय था। फाटक बंद था। मैं भी गाड़ी से उतर कर रेल को देखने पटरी की ओर चल दिया तभी देखता हूँ कि एक कुत्‍ता रेल की पटरी पर दौड़ रहा था उसके पीछे ट्रेन थी ट्रेन से भी तेज दौड़ने के प्रयास में कुत्‍ता और तेज दौड़ रहा था पर पर वह कुदरत की चाल से ट्रेन को पछाड़ पाने में असमर्थ था। ट्रेन का अगला हिस्सा आगे कि ओर कुछ ज्यादा झुका होता है ट्रेन से पहले कुत्‍ते का एक टक्कर मारी और कुत्‍ता नीचे की ओर लेट गया हो सकता हो पीड़ा के मारे ही क्यों न हो फिर बचने की प्रयास में खड़ा होता है और फिर वह डिब्बों के नीचे भाग से टकराया और फिर लेट गया। ट्रेन की गति इतनी तेज थी कि तीसरी बार जब वह उठा तो ट्रेन जा चुकी थी और वह पूर्ण रूपेण जीवित था। पर चोट तो लगी ही थी। जैसा कि मैंने इस दृश्य का देखने वाला पहला शख्स था मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये। मेरे मन ईश्वर से बस इतनी ही प्रार्थना थी कि वह बच जाये। कहते है कि भगवान से कुछ सच्चे हृदय से माँगो तो भगवान कभी इनकार नही करते और आज प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला। मेरी निगाह एक टक कुत्‍ते पर थी और वह लगड़ाते हुए जा रहा था। मेरे साथ वह कई दर्जन लोगों के मुख पर एक भीनीं सी मुस्कान और भगवान के प्रति धन्यवाद देखने को मिल रहा था। मैं भी अपने गन्तव्य की और चल दिया।


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