हाल में ही एक सिंधी परिवार में जाना हुआ। एक 75 से ज्यादा वर्ष के वृद्ध पुरुष कि यह बात यह बात सुन का दिल को काफी आघात पहुँचा की देश के बंटवारे में बंगालियों का आधा बंगाल, पंजाबियों को आधा बंगाल दिया गया। किन्तु सिन्धियों को क्या मिला? हमें हमारी मातृभूमि से महरूम कर दिया गया।
मेरे लूकरगंज मोहल्ले मे 35 से अधिक सिन्धी आबादी है जो आजादी के समय सिन्ध से अपना सब कुछ छोड आये और इस मोहल्ले में बस गये। वृद्ध पुरुष से अपनी सारी व्यथा कर वर्णन किया जो उन्होंने ने 1947 में देखा और सहा था, उनके आंखों में आँसू के साथ-साथ मेरी आँखें भी नम हो गई थी।
वृद्ध द्वारा यह प्रश्न उठाना सही भी था। हाल में चुनावी दौरे मे कांग्रेसी स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान बनवाने में उनके परिवार का हाथ है और उसका सम्पूर्ण श्रेय मेरी दादी इन्दिरा गांधी को जाता है। राहुल गांधी क्यों भूलते है पाकिस्तान को बटवाने के साथ-साथ भारत विभाजन का भी पूरा श्रेय इसी परिवार को जाता है। आज राहुल के बयान से यही प्रतीत हो रहा है कि बिल्लियों ने जो चूहे 1947 से लेकर 1975 तक खाये थे उसके डकार आज इनके नाती-पोते ले रहे है।
राहुल गांधी क्यों भूलते है कि देश की दुर्दशा के लिए अगर आज सबसे जिम्मेदार कोई है तो वह यही कांग्रेस और गांधी परिवार है। जिसने अपने राजनीतिक लाभ के लिये देश विभाजन तक को स्वीकार कर लिया। उस समय का सबसे समृद्ध समुदायों में से एक सिंधी समाज बीच चौराहे पर आ खड़ा हुआ। आखिर सिन्धियों के लिए आधे सिंध की मांग क्यों नहीं किया गया। क्या सिंधी समाज भारतीय जनमानस का अंग नहीं था। देश में उन्हें शरणार्थियों की तरह छोड़ दिया गया। यह वह समाज था जो पाकिस्तान निर्माण के समय सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। गांधी जी को पाकिस्तान को रुपये देने की सुध थी किन्तु इन सिन्धियों की कोई सुध नहीं थी जिनके नाम पर आज भी पाकिस्तान में सिन्ध प्रान्त है। कांग्रेस चाहती तो सिन्धु नदी के तरफ का भारत की ओर का सिंध प्रांत की मांग कर सकती थी किन्तु कांग्रेस कि इस भूल के कारण यह समुदाय अपने अपनी अरबों खरबों से ज्यादा की संपत्ति छोड़ने पर विवश हुई। आखिर आजादी के समय इस धर्म को हितों की अनदेखी करना किसकी भूल थी? इस समाज को इनके घर से ऐसा निकाला गया कि जैसे किसी कुत्ते के सामने एक रोटी का टुकड़ा डाल कर बुलाओ और फिर जोर एक लाठी मार दों। बड़ा कष्ट होता है अपनी मातृभूमि को छोड़ने की। क्या बीतता होगा इन पर? किसी ने इनकी खबर ली? मुस्लिमों के लिये खच्चर सच्चर कमेटी का गठन आवश्यक है किन्तु सिंधी समाज की तरह अन्य वह धर्म व समुदाय जो वास्तव में अल्पसंख्यक है उनके लिये किसी प्रकार की योजना कभी कांग्रेस ने नहीं बनाई। आखिर क्यों? कारण साफ है कि मुस्लिमों के लिये कार्य करने पर 20% वोट बैंक जो दिखाई देता है देश की एक चौथाई लोक सभा क्षेत्रों में मुस्लिम मत निर्णायक जो होते है। आखिर प्रश्न उठता है कि जो धर्म अथवा समुदाय 20% होकर भी 25 से ज्यादा प्रतिशत को प्रभावित करने की क्षमता रखता है वह अल्पसंख्यक कैसे हो सकता है ?
जो काम अंग्रेजों ने आजादी से पहले किया वही काम अंग्रेजों द्वारा बनाई गई पार्टी कांग्रेस आजादी के बाद कर रही है। आज कांग्रेस भी ''फूट डालो राज करो'' की नीति लागू करना चाहती है। वह परोक्ष रूप से देश में ''नेहरू-गांधी'' परिवार का राजतंत्र लाना चाहती है। और इसी राजतंत्र के सपने आज गांधी परिवार के युवराज देख रहे है। कांग्रेस द्वारा धर्मनिरपेक्षता का फटा नगाड़ा बजा कर देश को पुरानी गति पर लाना चाहती है। आज देश गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है किन्तु इस पार्टी के नेताओं को वोट बैंक की राजनीति दिख नहीं है। लोक सभा चुनाव तो 2009 में प्रस्तावित है किन्तु इस सरकार के नुमाइंदों को इसके विखंडन की रूपरेखा दिखने लगी है और इसी का परिणाम है सच्चर कमेटी का गठन। क्या धर्मनिरपेक्षता में केवल मुस्लिम समुदाय का हित दिखता है ? कभी कई धर्मों की पैदाइश राहुल गांधी को सिन्धी-बौद्ध-जैन-पारसी की भी सुध आई कि इस धर्म समुदाय के लोग भी इस देश में रहते है ओर ये भी देश के एक मतदाता है। कारण है कि यह समुदाय केवल मतदाता है कि वोट बैंक नहीं है नहीं तो इनके उत्थान के लिये भी योजनाएं बनाई जाती है।
आज ऐसे कई धर्म और समाज अपने अस्तित्व को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे है किन्तु गांधी एंड सन्स को इनकी ओर कोई खबर नहीं है। ऐसा नहीं है कि इनकी खबर इनको नहीं है चूंकि यह एक सशक्त वोट बैंक नहीं है इस लिये इनकी ओर ध्यान देना अपने चुनावी समय को खराब करना है।
राजनीति अपनी जगह पर है, किन्तु देश का यह सबसे सभ्य समाज कभी भी अपनी उपेक्षा और मातृभूमि के अपमान के लिये कांग्रेस और कांग्रेसी परिवार को माफ नहीं करेगा। क्या राहुल गांधी भारत विभाजन का भी श्रेय लेने की हिम्मत रखते है ?
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