नारद जी आप पुन: बधाई के पात्र है ..
सर्वप्रथम गिरिराज जी ने नारद के समर्थन में एक पोस्ट लिखी, फिर मैंने लिखा उसके बाद लिखा ब्लाग जगत में काफी हंगामा हुआ। गिरिराज को तो कोसा गया मुझे भी किसी ने काफी कुछ सुनाने में पुरोधा पीछे नही रहे, जो आपके सामने था। किन्तु जो परदे के पीछे हुआ उससे आप सभी लोग अन्जान है।
काफी दिनों से व्यस्त था और कह नही पा रहा था किन्तु आज समय आ गया है कि यह बात भी आपके सामने रखी जाये। उस सर्मथन भरी साहसी पोस्ट का परिणाम यह हुआ कि मेरे पास एक मेल आया।
मै हिन्दी ब्लाग का काफी सक्रिय ब्लागर हूँ, तथा मै आपकी निर्भिकता और सच्चाई देख कर काफी अहलादित हूँ। तथा चाहता हूँ कि आप मेरे साथ विवाह का प्रस्ताव स्वीकार करें। मै आपका का हार्दिक आभारी रहूँगीं। आप चाहें तो आपने परिवार जन से बात कर या मेरी बात हमारी करवा सकते हो। मै आपना चित्र भेज रही हूँ। तुम्हारी शुभ चिन्तक एक हिन्दी ब्लगर
मै भी आश्चर्य में था कि यह क्या हो रहा है? यह सब मेरे समझ के परे था। फिर मैने भी काफी सोच समझकर जवाब दिया -
काफी दिनों से व्यस्त था और कह नही पा रहा था किन्तु आज समय आ गया है कि यह बात भी आपके सामने रखी जाये। उस सर्मथन भरी साहसी पोस्ट का परिणाम यह हुआ कि मेरे पास एक मेल आया।
मै हिन्दी ब्लाग का काफी सक्रिय ब्लागर हूँ, तथा मै आपकी निर्भिकता और सच्चाई देख कर काफी अहलादित हूँ। तथा चाहता हूँ कि आप मेरे साथ विवाह का प्रस्ताव स्वीकार करें। मै आपका का हार्दिक आभारी रहूँगीं। आप चाहें तो आपने परिवार जन से बात कर या मेरी बात हमारी करवा सकते हो। मै आपना चित्र भेज रही हूँ। तुम्हारी शुभ चिन्तक एक हिन्दी ब्लगर
मै भी आश्चर्य में था कि यह क्या हो रहा है? यह सब मेरे समझ के परे था। फिर मैने भी काफी सोच समझकर जवाब दिया -
आदरणीय महोदया सादर नमस्कार मैने आपके प्रस्ताव को पढ़ा काफी प्रसन्न और आश्चर्य में हूँ। कि नारद के समर्थन के यह भी परिणाम हो सकता है। आप गलत फहमी में कि कि मै विवाह योग्य हूं। मेरी उम्र इस समय विवाह योग्य नही है अत: आप किसी अन्य वर की तलाश करें। आप मेरी बातों से मेरी उम्र का अनुमान लगा पाने में असफलता प्राप्त की है। भारतीय कानून के अर्न्तगत 21 साल से पहले विवाह करना कानूनन जुर्म है।अत: आपसे निवेदन है कि मेरी तरफ से इस प्रस्ताव को वापस समझे। एक बात और जैसा कि आपने ने नारद के समर्थन के कारण और मेरी जुझारू पोस्ट के कारण यह कदम उठाया है, तो मै एक सलाह देने की दृष्टता करना चाहूँगा। मेरी नारद के प्रति समर्थन के पोस्ट के ठीक पहले मेरे एक मित्र गिरिराज की भी एक जोशिली जुझारू पोस्ट आई थी। जिसमें उन्होंने लेख में और फिर लेख के बाद टिप्पणी के काफी जोश खरोस के साथ मोहड़ा लिया था। मै यह भी स्पष्ट कर दूँ कि जिस प्राकर नारद के गिरिराज ने प्रथम बार अपना खुला सर्मथन दिया। और पहली बार में ही सबको अपने विरोधी उग्र स्वाभव से परिचय करवाया। आपको जो खूबी मुझमे दिखती है निश्चित रूप से गिरि में कई गुना खूबियॉं है। वह मेरी तरह मेरे श्रेष्ठ कवि है, तो अब एक श्रेष्ठ जवाव देने वाले शक्श भी बन गये है। अत: मुझे लगता है कि गिरिराज जी से अच्छा विकल्प आपको नही मिलेगा। एक विकल्प आपके सामने और है श्रीष जी व प्रतीक जी किन्तु मै उसके लिये आपको राय नही दूँगा क्योकि उनके उनके अन्दर जुझारू पन तो है किन्तु कवि नही है। आगर आपकी इच्छा हो तो मुझे सूचित करने का कष्ट करें। मै मध्यस्ता करने को तैयार हूँ। आप मुझे सूचित करें।
उस स्त्री ब्लागर की तरफ से मेल आया कि ----
प्रमेन्द्र जी मै क्षमा चाहूँगीं कि मुझे आपको पहचाने में भूल हुई। मुझे आपकी उम्र का अन्दाज ही नहीं लगा पाई। मै आपकी राय से सहमत हूँ, गिरिराज जी मुझे पसंद है, प्रतीक जी और श्रीश जी भी चल सकते है, बात रही कविता की तो मै विवाह के बाद कविता करना सिखा ही दूँगी। मै आप को अपने विवाह के लिये अधिकृत एजेंट घोषित करती हूँ। कि आप गिरिराज जी बात करें और उन्हें प्रस्ताव भेजे साथ ही उनकी एक नवीनतम फोटो भी अच्छा रहेगा।
मैने उत्तर दिया
हॉं मै ऐसा करता हूँ अगर गिरिराज जी से बात सफल नहीं होती है तो अन्य विकल्प पर भी नजर रखूँगा। शेष कुशल
गिरिराज जी को पत्र
मित्र मेरे पास एक आपके लिये एक विवाह प्रस्ताव आया है, जो आपके नारद वाले लेख से काफी प्रभावित है। अगर आपको यह प्रस्ताव स्वीकार हो तो मेरे पास एक अपनी फोटो भेज दीजिए। आपका शुभकाक्षी व विवाह का प्रस्तावक प्रमेन्द्र
गिरिराज जी का उत्तर
मित्र ही मित्र के काम आतें है
जिनकी शादी न होती हो,
वे उनकी भी शादी करवाते है।
मै आपके प्रयास से काफी खुश हूँ,
और सच्ची मित्रता की बधाई देता हूँ।
मै उस प्रस्ताव को करना हूँ स्वीकार,
और भेज रहा हूँ अपनी तस्वीरें चार,
आशा करता हूँ वो कर लेगी स्वीकार।
मित्र मै कैसे करूँ आपका धन्यवाद,
जो रखा आपने इस समय मुझको याद।
देता हूँ वचन मै भी मित्रता निभाऊंगा,
समय आने पर आपकी भी शादी करवाऊँगा।
गिरिराज जी के उत्तर के पश्चात बात पक्की हो गई, और आगें की प्रक्रिया चालू हो चुकी है जल्द ही आपको शुभ सुचना मिलेगी। प्रतीक जी और श्रीश जी आशा है आप बुना नही मानेगें। अत: आप भी इस निर्णय को स्वीकार करें और पहले ब्लागर सगाई के घराती और बराती होने का सौभाग्य प्राप्त करें।
इसी के साथ नारद जी पुन: बधाई के पात्र है कि उनके कारण एक ब्लागर का परिवार बस रहा है। इसी विश्वास के साथ नारद जी को समर्थन जारी रहेगा, हो सकता है कि ............।
इस तरह महाशक्ति की 100वीं पोस्ट बोले तो शतक पूरा होता है। अत: भूल-चूक लेनी देनी।
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चिट्ठाकारी में महाशक्ति के एक साल
आज (30 जून) मुझे ब्लॉगिंग की दुनिया में आये एक साल हो रहे है। आज के ही दिन मैंने कई पोस्ट एक साथ पब्लिस की थी। जिसमें से आज केवल दो का ही अस्तित्व है। कुछ पोस्ट विकिपीडिया से कॉपी करके किया था, कुछ आपत्तियों के बाद मैंने उसे हटा दिया था, पर खेद की उसके साथ मेरी कई अनमोल टिप्पणी का अस्तित्व समाप्त हो गया। अर्थात न पहली पोस्ट रही और न ही पहली टिप्प्णी।
मै ब्लॉगिंग की दुनिया मे कैसे आया मुझे नहीं पता, और जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की तो मुझे पता भी नही था जो मै कर रहा हूँ उसे ब्लॉगिंग के नाम से परिभाषित किया जाता है। शायद मै पहला शक्स रहा हूँगा कि जो बिना किसी उद्देश्य के इस क्षेत्र में आया था। मुझे कम्प्यूटर पर हिन्दी पढ़ना काफी अच्छा लगता था। और मै विकी से कोई एक यूनीकोड शब्द कॉपी करके उसे गूगल सर्च के खोजता था, और इस तरह मुझे काफी माल मसाला पढ़ने को मिल जाता था। चूंकि हिन्दी ब्लॉग में ही सर्वाधिक यूनिकोड का प्रयोग होता था। और सबसे अधिक पढ़ने को मिलता था ब्लॉग। फिर अचानक एक दिन अचानक ब्लॉग के ऊपर Create Blog और | Sign In शब्द मिला और मैंने रजिस्टर करके विकी से कुछ लेख डाल दिया। फिर अचानक एक दिन भूचाल आ गया और मेरे पास कई वरिष्ठों की ईमेल आई, जो काफी धमकी भरी थी। फिर देखा तो लेखों पर टिप्पणी भी आई थी। तब मुझे पता चला कि लेखों को पढ़ने के बाद यह औपचारिक भी निभानी होती है। खैर यह विवाद मेरे लिये काफी अच्छा और मनभावन था जिसे मैने पूर्ण रूप से इनज्वाय किया। मुझे इस विवाद का कई शोक नही है शायद यह विवाद न होता तो मै भी न होता। इसलिये जो होता है अच्छा ही होता है। मेरे ख्याल से प्रमेन्द्र जीतू विवाद मेरे बचकाने पन से ज्यादा कुछ नही था।
फिर अचानक एक दिन जन-गण-मन को लेकर अमित जी से काफी लंबी चर्चा हुई। और परिचर्चा पर मुझे बुलाया। और परिचर्चा तो मेरे लिये एक प्रकार से संजीवनी थी एक अच्छा मंच था। यह दूसरी बात है कि व्यक्तिगत व्यवहार के कारण काफी दिनों तक सक्रिय न रह सका और वहां का माहौल मेरे कारण खराब न हो इस लिये लगा कि पलायन की सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। आखिर एक दिन विवादों के कारण अनूप जी से सम्पर्क हुआ और उन्होंने मुझसे मेरा फोन नंबर मांग कहा कि मै तुमसे बात करना चाहता हूँ। फिर मैंने गूगल के जरिए खोजा कि आखिर ये महाशय कौन है? पता चला कि हिन्दनी पर लिखते है। काफी लंबी और विस्तृत बात हुई।
फिर धीरे धीरे समीर लाल जी, सागर भाई, प्रतीक जी, संजय और पंकज भाई, शैलेश जी, गिरिराज जी डा0 प्रभात जी और कई बंधुओं से संपर्क हुआ। नाम की लिस्ट बहुत बड़ी है लिखते लिखते कई पेज भर सकते है। मुझे विवाद कभी प्रिय नहीं रहा किंतु मुझे लगा कि कई बार मुझे खुद ही विवादों के लिये उकसाया भी गया, मैने भी सहर्ष स्वीकार किया। क्योंकि विवादों मे सच्चाई थी और सच्चाई के लिये मेरा सर्वत्र न्योछावर है। शायद ही कोई ऐसा बंधु बचा हो कि जिससे मेरा विवाद न हुआ हो। मुझे लगता था कि मेरी प्रकृति ही लड़ाकू टाइप की होती जा रही है। फिर विचार किया कि दुनिया को बदलना कठिन है, अपने आप को बदलना काफी सरल है और मैंने खुद ही अपने आप को विवादों से दूर किया। काफी दिनों तक कौन क्या कर है मैने सरोकार रखना छोड़ दिया। फिर अचानक एक दिन एक भ्रष्ट ब्लॉग का प्रवेश हुआ जिसका उद्देश्य केवल गंदगी फैलाना था उसे भी लेकर मैने दूरी बनाये रखी। किंतु एक दिन अरूण भाई की पाती और ईमेल मिला और उन्होने मुझे पंगेबाज पर लिखने के लिये आमंत्रित किया। और यह मेरे लिये सौभाग्य था कि मै किसी अन्य के ब्लाग पर एडमाइन के हैसियत से था। मैने उनके ब्लाग पर आये दिन नित प्रयोग करता था और वे कुछ न कहते थे मेरे हर काम पर प्रसन्न रहते थे।
कुछ व्यक्ति ऐसे है जिससे मेरा ज्यादा संपर्क नहीं हुआ जिसका मुझे काफी दुख भी है, ईस्वामी जी, रतलामी जी, आशीष श्रीवास्तव, अनुराग मिश्र, जगदीश भाटिया, नीरज दीवान, उन्मुक्त और अनुनाद जी (और भी कई नाम है) से दूरी मुझे जरूर खलती है। कारण चाहे जो भी हो पर जरूर मेरी ही कुछ कमी है। जिसका मुझे मलाल है।
मेरे ब्लॉगिंग के एक साल कैसे बीते मुझे नहीं पता, मैंने बहुत कुछ पाया है तो बहुत कुछ खोया भी है। मै खोने की चर्चा नही करूँगा। मैने इन 365 दिनों में काफी कुछ सीखा, जो आपके समक्ष के रखा भी। कुछ ने पसंद भी किया और कुछ ने गालियां भी दी। अभद्रता मुझे कतई पसंद नहीं है इस लिये मैने गाली वाली टिप्पणी को मिटाने में कतई संकोच नहीं किया।
इन 365 दिनों मे मैंने कई ब्लॉग पर लिखा, महाशक्ति, अदिति, कविता संग्रह, हिन्द युग्म, टाईम लास, भारत जागरण, पंगेबाज सहित कई अन्य जगहों पर लिखना हुआ और लिख रहा हूँ।
मैंने अब तक महाशक्ति पर 99 लेख लिखें और कुल 451 टिप्पणी प्राप्त की, अदिति पर 32 पोस्ट और 111 टिप्पणी प्राप्त हुई, Timeloss : समय नष्ट करने का एक भ्रष्ट पर 23 पोस्ट और 75 टिप्पणी, सहित अन्य ब्लॉग पर कई लेख सहित काफी मात्रा पर टिप्प्णी मिली है।
मेरे ब्लागर के अकाउंट की प्रोफाइल अब तक लगभग 1832 लोगों ने देखा जो अब तक किसी का भी एक साल में सर्वाधिक होगा।
मै यह लेख एक दिन पहले पोस्ट कर रहा हूँ क्योंकि 30 जून की सुबह 5 बजे ही मै अपने गाँव प्रतापगढ़ चला जाऊँगा। सोचा था कि अपने एक साल का पूरा लेखा-जोखा लिखूँगा किन्तु समय साथ नही दे रहा है। गांव से लौट कर जरूर लिखूंगा।
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