गहरेबाजी शुरू, देखने वालों का लगा तांता



इलाहाबाद में सावन का महीना शुरू होते ही हर सोमवार को शुरू हो जाता है घोड़ों के चाल का हुनर। जिसमें शहर के नामचीन घोड़े अपने जौहर का प्रर्दशन महात्मा गांधी मार्ग पर करतें है। सावन के चार सोमवार को शहर के एमजी मार्ग पर सायं पांच बजे से शहर के घोड़ो के शौ‍कीन अपने तांगे के साथ घोड़े के चाल और दौड़ का प्रदर्शन करने के लिए आतें है। इसी क्रम में सावन के पहले सोमवार को महात्मा गांधी मार्ग पर घोड़ों की दौड़ चाल देखने के लिए पहले से ही लोगो की काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी थी। जैसे ही यह घोड़े अपने मालिक और तांगे के साथ तेज रफ्तार के साथ आये दर्शकों ने आवाज लगाकर उनका उत्साह बढ़ाया।

गहरे बाजी में मजरे आलम कटरा, गोपाल पंडा अहियापुर, फारूख कसाई नैनी लखन लाल ऐलनगंज ने अपने घोड़ो की चाल दिखाई। जिसमें सभी ने एक दूसरे को पछाउ़ते नजर आये। अशोक कुमार चौरसिया का टैटू और कई टैटू भी आकर्षण का केन्द्र रहे। जिसने छोटे होने के बावजूद काफी तेज गति से दौड़ लगा रहे थे। इनको देखने के लिए शास्त्री चौराहे से सीएमपी कालेज तक सड़क की दोनों पटरियों पर देखने वालों का तांता लगा रहा। तांगे के मोटर साइकिल सवार भी घोड़े को जोश देते रहें।



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क्षणिकाएँ - संवेदना




 
(1)
तस्‍ब्‍बुर है रवानी है,
ये जो मेरी कहानी है।
मै जलता हुआ आग हूँ,
वो बहता हुआ पानी है।

(2)
जिन्‍दगी के हर सफर में,
हम बहुत मजबूत थे।
अ‍ांधियों का था सफ़र,
और हम सराबोर थे।
टूट कर बिखर गये,
जाने कहॉं खो गये।

(3)

हर सफर में तुम्‍हारे साथ था,
जिधर गया तुम्‍हारे पास था।
रास्‍ते अनेक देखे,
गया जिस पर तुम्‍हारा निवास था।


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अनुगूँज - ये बाते तब पर भी न बदलेगीं।



हिन्‍दुस्‍तान अमेरिका बन जायेगा तो कोई बड़ी बात न होगी क्योंकि दिन प्रतिदिन भारत अमेरिकी नक्शेकदम पर चल ही रहा है। नारी से लेकर खिलाड़ी तक सभी अमेरिकी रंग में रगते दिख रहें। जहां नारी 8 गज की साड़ी चाहती थी वही 2 गज मे ही उसका काम चल जाता है और फिर कहती है कि मुझे अंग प्रदर्शन से परहेज नही है, जब देने वाले ने दिया है तो दिखाऊँ क्‍यो न? अर्थात कुछ स्त्री जाति का मानना है कि ईश्वर ने उन्हें अंग-प्रदर्शन के लिये है। यह वाहियात सोच अमेरिकी ही हो सकती है जबकि भारतीय मानस की सोच तो यह कि ईश्वर ने अगर अंग दिया है जो उसे ढकने के लिये वस्त्र भी।

India and USA

जितने मुँह उतनी बातें इसलिए मूल विषय पर आना जरूरी है। भारत चाहे अमेरिका बन जाये या बन जाये इराक-ईरान किन्तु कुछ बातें सदैव अपरिवर्तित रहेगी। मै उन्ही पर चर्चा करना पसंद करूँगा।

  1. अगर हिन्‍दोस्‍तान अमेरिका बन जायेगा तो भी हिन्‍दोस्‍तान, हिन्‍दोस्‍तान ही रहेगा। कारण साफ है कि कुत्ते की दुम कितनी भी सीधी की जाए वो सीधी होने वाली नहीं है।
  2. सबसे बड़ी समस्या आएगी कि नेताओं का क्या होगा और उनकी मक्कारी का ? क्योंकि यह जाति हमारे देश में काफी तेजी से बढ़ रही है तब पर भी आरक्षण की मांग की जा रही है। भारत के अमेरिकामय हो जाने पर नेताओं की नीयत में बदलाव कम ही संभव है या कह सकते है कि असम्‍भव है।
  3. शिक्षा में आरक्षण भी अपरिवर्तित रहेगा। जब भारत परतन्‍त्र से स्वतंत्र हुआ तब से लेकर आरक्षण सेठ के ब्याज की भांति बढ़ता जा रहा है। भारत में आरक्षण इसलिये लागू किया गया कि सभी को समानता दिलाई जाएगी। किंतु समानता दिलाने के नाम पर एक अच्‍छे तथा परिश्रमी वर्ग को ठगा जा रहा है। जहाँ एक विद्यार्थी 121 अंक प्राप्त करके भी उच्‍च शिक्षा के वंचित रह जाता है वही एक छात्र जो 50 से लेकर -50 अंक पाने पर भी उच्‍च शिक्षा ग्रहण करने का पात्र होता है। यह एक प्रकार से हास्‍यास्‍पद होगा कि भारत के तत्कालीन उपराष्‍ट्रपति की पुत्री भी आरक्षण का लाभ लेती है। वोटों के खेल के नाम पर आरक्षण रूपी गेंद को तब तक लात मारा जाएगा जब तक कि क्रांति का उद्गार न होगा।
  4. भारत आज सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दूसरा, किन्तु हम आज भी अमेरिका जैसा बनने की कोशिश कर रहे है। हमारे देश में के नागरिक अपने अधिकार के बारे में तो जानते है कि कर्तव्य से अनभिज्ञ रहते है। भारत को अमेरिका बनने के बाद भी यह कायम रहेगा।
  5. हम भारत में रहकर भारत को अमेरिका बनाने की धारणा भी भारतीयों में बरकरार रहेगी। यह शर्म की बात है, जहां हमें सूरज बनकर पूरे विश्व को रोशनी दिया है वही हम सूरज को दिया दिखाने अर्थात भारत को अमेरिका बनने की बात कर रहे है। यह भी मानसिकता भारतीयों में नहीं बदलेगी।



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