बदनसीबी को कौन टाल सकता है ?



हमारे महापुरुष इतना लिख गये है कि अगर इससे हम सीख लेना चाहे तो काफी कुछ सीखा जा सकता है कि किसी व्यक्ति को ठोकर खाकर सीखने की जरूरत नहीं पड़ेगी किन्तु अगर कोई इंसान ठोकर खाकर भी न सीखे तो उससे बदनसीब कोई न होगा।
आज हृदय में यह भाव अनायास नहीं निकल रहा है, जब कभी दिल काफी भारी होता है तो यह सोचना भी मजबूरी हो जाती है। कभी कभी लोगों के र्निद्देश्‍य प्रलापो को देख कर लगता है मन यही कहता है कि हे भगवान तू इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है कि इस दुनिया को इतने सारे रंग कैसे हो जाते है ?
कभी कभी हम किसी को कितनी भी ज्ञान की बात क्यों न बताएं, किंतु वह सुन कर भी अनसुनी कर देता है। हमें लगता है कि मैंने अपने जीवन में जितनी भी अच्छी बात सीखी है वह बता दिया किंतु सामने वाला आपको इस दृष्टि से देखे कि बोल ले बेटा बोल ले ‘कुत्‍ता भी भौंक कर शांत हो जाता है तू भी हो जायेगा’। निश्चित रूप से ऐसे लोग कभी भी जीवन में सफल नहीं हो पाते है जो दूसरों के भावों को नही समझते है और अपने को तो अंधकार में ले ही जाते है साथ में कुछ अबोध उनके साथ होते है। वे उनको भी अपनी गति पर ले जाते है।


Share:

गहरेबाजी शुरू, देखने वालों का लगा तांता



इलाहाबाद में सावन का महीना शुरू होते ही हर सोमवार को शुरू हो जाता है घोड़ों के चाल का हुनर। जिसमें शहर के नामचीन घोड़े अपने जौहर का प्रर्दशन महात्मा गांधी मार्ग पर करतें है। सावन के चार सोमवार को शहर के एमजी मार्ग पर सायं पांच बजे से शहर के घोड़ो के शौ‍कीन अपने तांगे के साथ घोड़े के चाल और दौड़ का प्रदर्शन करने के लिए आतें है। इसी क्रम में सावन के पहले सोमवार को महात्मा गांधी मार्ग पर घोड़ों की दौड़ चाल देखने के लिए पहले से ही लोगो की काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी थी। जैसे ही यह घोड़े अपने मालिक और तांगे के साथ तेज रफ्तार के साथ आये दर्शकों ने आवाज लगाकर उनका उत्साह बढ़ाया।

गहरे बाजी में मजरे आलम कटरा, गोपाल पंडा अहियापुर, फारूख कसाई नैनी लखन लाल ऐलनगंज ने अपने घोड़ो की चाल दिखाई। जिसमें सभी ने एक दूसरे को पछाउ़ते नजर आये। अशोक कुमार चौरसिया का टैटू और कई टैटू भी आकर्षण का केन्द्र रहे। जिसने छोटे होने के बावजूद काफी तेज गति से दौड़ लगा रहे थे। इनको देखने के लिए शास्त्री चौराहे से सीएमपी कालेज तक सड़क की दोनों पटरियों पर देखने वालों का तांता लगा रहा। तांगे के मोटर साइकिल सवार भी घोड़े को जोश देते रहें।



Share:

क्षणिकाएँ - संवेदना




 
(1)
तस्‍ब्‍बुर है रवानी है,
ये जो मेरी कहानी है।
मै जलता हुआ आग हूँ,
वो बहता हुआ पानी है।

(2)
जिन्‍दगी के हर सफर में,
हम बहुत मजबूत थे।
अ‍ांधियों का था सफ़र,
और हम सराबोर थे।
टूट कर बिखर गये,
जाने कहॉं खो गये।

(3)

हर सफर में तुम्‍हारे साथ था,
जिधर गया तुम्‍हारे पास था।
रास्‍ते अनेक देखे,
गया जिस पर तुम्‍हारा निवास था।


Share: