एक सेठ कुऍं में गिर पड़ा। गड्डा बहुत गहरा नहीं था। सो निकलने के लिये चिल्लाने लगें। एक किसान ने सुना तो पहुँचा और बोला- ला! अपना हाथ उसके रस्सी बाँध कर ऊपर खीच लेंगे। सेठ जी हाथ ऊपर करने को और किसी फन्दे में फसने को तैयार नही हो रहे थे।
झंझट देखकर एक अन्य समझदार किसान आदमी वहॉं पहुँच गया और हुज्जत को समझ गया। उसने कहा- ‘’सेठ जी रस्सी पकड़ लीजिए और इसे सहारे आप ऊपर आ जायेगें।‘’
सेठ जी ने बात मान ली और बाहर निकल आये। पहली बार किसान कह रहा था कि ला हाथ और दूसरे ने कहा कि रस्सी पकड़ लिजिए। दोनों की कहना एक था किन्तु भाव अलग अलग थे।
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है परोपकार भी मृदुभाव से किया जाना चाहिऐ तभी फलित होता है।
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