हँसना जरूरी है - आखिर क्‍यों ?



1
रीना (राकेश से)- मैंने सुना है कि एक आदमी ने महज एक साइकिल के लिए अपनी पत्नी को मायके भेज दिया। तुम तो ऐसे नहीं हो न?
राकेश (रीना से)- नहीं डार्लिंग, हरगिज़ नहीं। मैं इतना गिरा हुआ नहीं हूं। मैं तो कार से कम पर मानूंगा ही नहीं।

2
पत्नी (पति से)- अब उठो भी, सुबह के सात बज गए और अभी तुम बेड पर पड़े-पड़े जम्हाइयां ही ले रहे हो।
पति (पत्नी से)- अरी भागवान, जम्हाइयां ही तो हम पतियों को मुंह खोलने का एक मौका देती हैं। तुम उस पर भी रोक लगा देना चाहती हो।

3
रीना (राकेश से)- मैं मायके जा रही हूं, तुम्हें तलाक की नोटिस भेज दूंगी।
राकेश (रीना से)- जाओ, जाओ मैं सब समझता हूं मीठी-मीठी बातें करके मुझे खुश करने की कोशिश मत करो।

4
पत्नी (पति से)- क्लब में आज एक दिलचस्प पार्टी है, जिसमें सदस्यों से कहा गया है कि घर से एक फालतू चीज लेकर आएं।
पति (पत्नी से)- तो तुम क्या ले जा रही हो?
पत्‍‌नी (पति से)- मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन आप चल रहे हैं न!

5
पत्नी (पति से)- क्यों जी जब भी मैं आपके पास आती हूं तो आप चश्मा पहन लेते हो?
पति (पत्नी से)- डॉक्टर ने कहा है जब सिर दर्द आए तो चश्मा पहन लेना।

6
पत्नी (पति से)- बाहर निकलो, पलंग के नीचे जाकर क्यों छुप गए हो। डरपोक कहीं के। जल्दी बाहर निकलो नहीं तो सर फोड़ दूंगी।
पति (पत्नी से)- क्यों बाहर निकलूं? मेरा घर है मेरी जहां मर्जी आएगी वहां रहूंगा। तुम्हारे बाप का क्या जाता है।

7
दो दोस्त अपनी-अपनी पत्नियों के स्वभाव का रोना रो रहे थे।
पहले दोस्त ने कहा- मेरी पत्नी इतनी झगड़ालू है कि झगड़ा होते ही अपने मायके चली जाती है।
दूसरे दोस्त ने कहा- बड़े खुशनसीब हो यार, मेरी पत्नी इतनी निदर्यी है कि जब वह झगड़ा करती है तो अपने मायके वालों को यहां बुला लेती है।

8
पत्नी (पति से)- सुनो जी, जरा ये रेडियो और पंखा भीतर रख दो। मेरी सहेली आने वाली है।
पति (पत्नी से)- क्यों तुम्हारी सहेली तुम्हारा सामान चुरा ले जाएगी क्या?
पत्नी (पति से)- नहीं दरअसल वह अपना सामान पहचान लेगी।

9
पति (पत्नी से)- मेरे मरने के बाद तुम अपनी सहेलियों को बुलाना मत भूलना।
पत्नी (पति से)- ऐसा क्यों बोल रहे हो?
पति (पत्नी से)- मैंने देखा है कि लोग मुर्दे से लिपट-लिपट कर रोते हैं।

10
पत्नी (पति से)- अजी सुनते हो, कल मेरी मम्मी आ रही हैं।
पति (पत्नी से)- क्या तुम्हारे पापा भी उनके साथ आ रहे हैं।
पत्नी (पति से)- नहीं, पर ये आप क्यों पूछ रहे हो?
पति (पत्नी से)- इसलिए कि चूल्हे-चौके में मेरी मदद हो जाती।


उपरोक्‍त चुटकलों से क्या शिक्षा मिलती है-1. दुनिया का सबसे शक्तिशाली प्राणी महिला है।
2. बीवी और टीवी में कोई अन्‍तर नही है दोनों चार्ज होने पर चलती है।
3. दुनिया का सबसे दब्‍बू व्‍यक्ति पति नाम का प्राणी होता है।
4. पति अपनी बीवी से पीछा छुटाना चाहता है किन्‍तु पड़ोस की फला कि बीवी बड़ी अच्‍छी लगती है।
5. पति शादी के बाद एवन क्‍लास का नौकर होता है जो 24 घन्‍टे ड्यूटी पर होता है।
6. पति एक ऐसा प्राणी है जो पत्नी से बच कर ही अपनी मर्दानगी दिखाता है।
7. बीवी एक प्रकार का सिर दर्द होती है, और मायके जाना उस सिर दर्द की दवा।
8. हर चुटकुले में हमेशा बीवी के मॉ-बाप आते है।
9. पति एक फलतू चीज होता है।
10. हर चुटकुले में पति एक पौरूष हीन प्राणी होता है शायद इसी लिये किसी चुटकुले में बच्‍चे नही है।



उक्‍त फोटों शायद यही कहती होगी ?
तुम लाख शिक्षा दो पर हम खुश है, कम से कम अपनी संतानों पर तो निर्भर नही है । सही हम लाख झगड़ते है किन्‍तु वह हमारी मजबूरी है। इस दुनिया में समय बिताने के लिये भी कुछ करना चाहिये। वैसे तुमने बाते सही और मजाकिया लिखी है फिर लिखना।
वैसे हँसना मत भूलिऐगा :)


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नये ब्‍लाग - नये ब्‍लागर



  1. मीडिया व्यूह : नीशू तिवारी
  2. आशुतॊष मासूम : आशुतोष
  3. कालचक्र : महेन्‍द्र मिश्र
ये कुछ नये ब्‍लाग और ब्‍लागर है जिन्‍होने ने अभी अभी अपना ब्‍लाग शुरू किया है आप इनका स्‍वागत और उत्‍साहवर्धन करें।
विभिन्‍न एग्रीगेटर जो इसे अपने यहॉं जगह दे सकते है देने का कष्‍ट करें या मार्गदर्शन करने करें। कि वे इन पर कैसे स्‍थान पर सकते है।


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संघकिरण घर घर देने को



संघकिरण घर घर देने को, अगणित नंदा दीप जले,
मौन तपस्वी साधक बनकर, हिमगिरी से चुपचाप गले ॥ध्रु.॥
नई चेतना का स्वर देकर, जन मानस को नया मोड दे
साहस शौर्य ह्रदय में भरकर नई शक्ति का नया छोर दे
संघशक्ति के महाघोष से, असुरों का संसार दले ॥१॥
मौन तपस्वी साधक बनकर....
 
परहित का आदर्श धारकर, पर पीड़ा को ह्रदय हार दे
निश्चल निर्मल मनसे सबको ममता का अक्षय दुलार दे
निशा निराशा के सागर में, बन आशा के कमल खिले ॥२॥
मौन तपस्वी साधक बनकर....

जन-मन-भावुक भाव भक्ती दे, परंपरा का मान यहाँ
भारत माँ के पदकमलों का गाते गौरव गान यहाँ
सबके सुख दुख में समरस हो, संघ मंत्र के भाव पलें ॥३॥
मौन तपस्वी साधक बनकर....


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