एक दिन रामचन्द्र मिश्र जी से जीटॉक यका यक बात हुई। और फोन नंबरों का आदान प्रदान हुआ। चैट के दौरान मैने सर्वप्रथम उन्हें अपने घर पर आने के निमंत्रित किया। और उन्होंने आने का भी वादा भी किया किन्तु अभी तक वो वादा पूरा नहीं किया। फिर अचानक एक दिन उनका फोन आता है कि अगर आज शाम खाली हो तो 5:30 बजे मेरे घर पर आ जाओ यही हो जाती है ब्लॉगर मीट। मैंने भी हॉं कर दिया और समय अनुसार तैयार भी हो गया था कि मेरे सामने सबसे बड़ी समस्या थी अदिति। क्योकि जहाँ भी जाओं उसे लिये बिना जा पाना संभव नही होता है। उसे भी सभी के बाहर जाने का पूरा एहसास हो जाता है। जैसे ही मै कपड़े बदल रहा था कि उसने अपना मंत्र जपना चालू कर दिया कि ‘चाचा जाई’। फिर क्या था वह सामने से हटने को तैयार नहीं हो रही थी और मे उसकी नज़र बचा कर भी नहीं निकल पा रहा था तभी राम चंद्र जी का फोन आता है कि अरे प्रमेन्द्र तुम अभी तक आये नहीं मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। मै अपनी समस्या बताई तो उन्होने कहा कि समस्या को यही ले आओं। तो फिर क्या था फिर अदिति भी मेरे साथ हो ली। जहॉं मुझे जाना था सायकिल से वहॉं मिल गई मोटर सायकिल।
रामचंद्र जी के यहाँ पहुँचने पर काफी जोरदार स्वागत हुआ। काफी चर्चा हुई। नाश्ता भी किया गया। चर्चाओं का दौर खत्म होने का नाम ही नही ले रहा था। अदिति भी हमारे था मीट में मस्त थी। और इस मीट का अभिन्न अंग भी बनी। बाद मे रामचंद्र जी ने फोटो भी खींचा जो उन्हीं के पास है। हम भी प्रतीक जी से ज्यादा फटीचर निकले जो उनसे पहले बिन कैमरे के मीट कर ली और रिपोर्ट आज पेश कर रहा हूँ। फिर हम लोग कुछ देर तक कंप्यूटर पर बैठना हुआ और उनका ब्रॉडबैंड कनेक्शन भी काम करना बंद कर दिया मैने उन्हें उसके काम न करने का कारण भी बताया कि जहाँ मै बैठता हूँ वहाँ का कनेक्शन खराब हो जाता है, देखिए कि मेरे आने के बाद उनका कनेक्श भी ठीक काम करने लगा। और इस प्रकार शाम 6:30 पर शुरू हुई ब्लॉगर मीट 9 बजे समाप्त हो गई।
आगे ..... की कड़ी का इंतजार कीजिए। क्योंकि इलाहाबाद के ब्लागर आलसी हो गये है। न रामचन्द्र जी ने, न ज्ञान जी ने और न ही संतोष जी से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया। जबकि उनसे पास चित्र भी है। चूंकि हमारा कैमरा एक बार में 150 रुपये की बैटरी खा जाता है इस लिये हम फोटो नहीं दे पा रहे है। तो प्रतीक जी जैसा हमें भी समझ लीजिए।
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``फलाने´´ की दीवानगी और वो जल कर मर गई
आपने अक्सर देखा, सुना, पढ़ा होगा कि अमुक व्यक्ति या दो प्रेमी-प्रेमिका ने आत्म हत्या कर लिया, जल गये, जला दिया गया, नदी में कूद गये। ऐसे तमाम किस्से आपने सुने भी होंगे। इन सबसे अलग जो धीरूभाई अंबानी की तर्ज पर काम करता था-बड़ा सोचो, तेज सोचो, आगे सोचो। सो उसने इस बात पर अमल करते हुए प्रेम बाजार में उतर आया और उसका कारोबार चौपट हो गया। हुआ यूं कि फैशन परस्त और बंबईया स्टाइल में जिंदगी गुजारने वाला ऐसा शख्स जिसने छोटी सी उम्र में अंधेर नगरी गया था। पिता ने पहले वहां जाकर एक सैलून की दुकान खोली थी तो फिर इसको भी बुला लिया। अंधेर नगरी पहुंचने के बाद वहां की चकाचौंध देख भौचक रह गया। उसने भी उसी रंग में अपने को रंगना चाहा और उस ठाट को पाने के लिए हाथ-पांव मारने लगा। जल्दी ही उसने राम लाल से टैक्सी ड्राइव करना सीख लिया और विशाल सागर से सटे नगर जुहू का चक्कर काटने लगा। फिल्मों की शूटिंग देखने के लिए वह अपनी टैक्सी को एक किनारे खड़ी कहीं भी हो रही हो जाया करता था। फिर हो जाता था इंतजार करने के लिए शुरू। उसकी दीवानगी इस कदर बढ़ती चली गई कि उसको न चाहते हुए भी पिता ने उसकी शादी कर दी। उसे इसका सुरूर शादी के बाद भी छाया रहा और कई बार उससे मिलने की कोशिश की परन्तु असफल रहा। दीवाने ने घर की दीवार पोस्टरों से पाट दी। अब शुरू हुआ सौतेली बहनों का कहर। चूंकि मुबंई की रहने वाली के पोस्टरों ने उसके घर के झगड़े का अहम कारण रहा।
उक्त घटना कोई कहानी नहीं है जानकारी के अनुसार इलाहाबाद जिले के हंडिया तहसील, थाना क्षेत्र स्थित तारा चंदूपुर गांव में कमलेश कुमार शर्मा अपने परिवार के साथ रहता था। 11 अगस्त की रात घर से तेज धुंआ देख ग्रामीण महिलाएं दंग रह गयी। घर के बाहर सो रहे कमलेश शर्मा का मुंह कलेजा को आ गया। उसी के कमरे से तेज आग की लपटें आ रही थी। तत्पश्चात उसने देखा कि मेरी पत्नी तीन बच्चों सहित जल रही है। यह सब कुछ मात्र उसकी रोज-रोज के झगड़े जो मात्र कमलेश के दिल की चाहत प्रियंका चोपड़ा थी, उसने उसका घर उजाड़ दिया।
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कुंद कलम की धार न करना, निरपराध पर वार न करना. पत्रकारिता है कठिन परीक्षा इसको विस्मृत पार न करना
आज छुट्टी पर हूँ
आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाऐं। आज बहुत थक गया हूँ, स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों में भाग लेकर के तथा मित्र के यहॉं रामचरित मानस के पाठ के बाद भंडारा खा करकें।
आज सर्वजनिक अवकाश का लाभ लेते हुऐ मै भी नई पोस्ट नही लिख रहा हूँ। कल फिर मिलेगें---
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