हड्डियों के दो डॉक्टर घूमने निकले। रास्ते में उन्हें एक लंगड़ाता हुआ व्यक्ति दिखाई दिया। उसे देखकर एक ने कहा- मुझे तो लगता है जैसे इसके टखने की हड्डी टूट गई है।
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बदलते खान पान और जीवनशैली के कारण लोग अकसर भूख न लगने की समस्या से ग्रसित रहते हैं। लम्बे समय तक समस्या बनी रहे तो गम्भीर परिणाम दिखने लगते हैं। जिससे फ़ूड सप्लीमेंट खाने तक की नौबत आ जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो फ़ूड सप्लीमेंट का बहुत दिन तक आहार के रूप में सेवन नहीं किया जा सकता है। आयुर्वेद में भूख न लगने का कारण शरीर की अग्नि का मंद हो जाना माना गया है और इस समस्या को मंदाग्नि रोग कहा गया है। अनियमित खान पान वायु पित्त और कफ़ को दूषित कर देता है और भूख लगना कम हो जाती है। जिस कारण से एसीडिटी हो जाती है, शरीर में दर्द रहता है, मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है, पेट में भारीपन लगता है और स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। अगर संक्षेप में कहें तो शरीर की कार्य प्रणाली बिगड़ने लगती है।
सावधानीः बहुत पानी पीने से, असमय भोजन करने से, मलमूत्रादि के वेगों को रोकने से, निद्रा का नियम न होने से, कम या अधिक खाने से अजीर्ण होता है। अतः कारणों को जानकर उसका निवारण करें। बार-बार पानी न पियें। प्यास लगने पर भी धीरे-धीरे ही पानी पियें एवं स्वच्छ जल का ही सेवन करें। इन सावधानियों को ध्यान में रखने से अजीर्ण से बचा जा सकता है।
कुछ अन्य प्रयोग
भूख न लगने की समस्या का उपचारभूख न लगने की समस्या का निवारण
गुजरात चुनाव में बहुतों ने बहुत कुछ बोल लिया है और मैंने लगभग सभी को पढ़ा और सुना, किन्तु एक गन्दी बदबू लगभग सभी जगह पढने और सुनने को मिली कि हिटलर मोदी, साम्प्रदायिक मोदी। आज मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि पत्रकारिता की लगाम आज विदेशी ताकतों के हाथों गिरवी रखी जा चुकी है, और मीडिया भी विदेशी जुबान बोलने लगी है। यह मोदी का विरोध नहीं हो रहा है बल्कि राष्ट्रीयता का विरोध है। गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस बैकफुट पर रही और पत्रकारिता मुख्य विपक्षी दल के भूमिका में थी। कुछ ने मोदी को हिन्दूवादी कहा मै भी कहता हूँ किन्तु एक बात यह जरूर कहना चाहूंगा कि सरकारे जो बनती है उनका कोई धर्म नहीं होता है अगर सरकारो हिन्दू या ..... का नाम दिया तो यह देश के व्यवस्था का अपमान है।
गुजरात में मोदी की जीत ने न सिर्फ भाजपा में जीतने का जज्बा दिखाया अपितु 2009 के आम चुनाव में भाजपा को मुख्य संघर्ष में भी ले आई। मेरे विचार से आज में आज अगर कोई लोकनायक नेता है तो सिर्फ मोदी ही है। जिस प्रकार कांग्रेस के केन्द्रीय मंत्री दिनशा पटेल को को 85 हजार से ज्यादा मतों से हराया यह कोई आम बात नही है वास्तव में यह लोक नायक के दर्जे को दर्शाता है। मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने दर्शा दिया कि हमारे पास भी एक पश्चिम बंगाल है जो सुशासन के बल पर भाजपा का अभेद दुर्ग बना हुआ है।
मै गुजरात और बंगाल की तुलना नहीं करूँगा क्योंकि वे तुलनीय है भी नही। क्योंकि एक ओर जहां सूर्य उदित होता है तो दूसरी ओर अस्त होता है। आज बंगाल इसलिए नहीं रो रहा है कि वहां संसाधनों की कमी है इसलिए रो है कि वहां कि सरकार और मुख्यमंत्री निकम्मा है। आज मोदी के व्यक्तित्व के आगे हिन्दू और मुस्लिम दोनों प्रभावित है। जबकि बुद्धदेब की सरकार के गुर्गों ने ही नंदीग्राम के महिलाओं के साथ र्दुव्यवहार किया। गर मुसलमान मरता है तो देश का कुंठित मानसिकता का एक बुद्धिजीवी कीड़ा रेंगने लगता है तो यह भूल जाता है कि देश के इतिहास में दंगे पहली बार नहीं हुऐ, और यह जरूर हुआ है कि दंगों के बाद देश में पहली बार शान्ति जरूर हुई है। 84 के दंगे की विभीषिका आज भी जनता को याद है। किस प्रकार सिखों को कांग्रेसियों ने चुन चुन कर मारा था। आज एक सिख प्रधानमंत्री ही दंगों के सरगना जगदीश टाइटलर को अपने मंत्रिमंडल में जगह दिये हुये है। क्यों नहीं कांग्रेस से प्रश्न किया जाता कि क्यो बचा रही है अपराधियों को? यह प्रदेश प्रश्न पूछने वाला देश में कोई मीडिया नहीं है क्योंकि विदेशी ताकतों के हाथ बिकी हुई है। नंदीग्राम में हिन्दू भी मारे गये और मुस्लिम भी, किन्तु देश के धर्मनिरपेक्ष में अंधे बुद्धिजीवियों को यह नहीं दिखा क्यो ? क्योंकि इन बंदरों का रंग भगवा न हो कर लाल था, यह हनुमान को नही लेनिन को पूजते है।
इधर एक लेख और देखने को मिला नरेंद्र मोदी की जीत और बेनज़ीर भुट्टो की हत्या एक ही जैसा दु:खद प्रसंग है! क्योंकि इसमें पढ़ने लायक कुछ भी नहीं था। यह एक हास्यास्पद प्रसंग ही कहा जायेगा कि आज देश के विचारको में यह मत है। जिस प्रदेश की जनता ने मोदी को 48% वोट दे कर जिताती है उस जनता को ही जनता, गुनहगार मानती है। देश के आम चुनाव में कांग्रेस 145 सीट लेकर जीत जाती है और भाजपा 138 सीट लेकर हारा माना जाता है तो यह देश का र्दुभाग्य ही है।
गुजरात की हार में न तो महारानी का कोई जिम्मेदारी थी न युवराज की, बस जिम्मेदारी थी स्थानीय टट्टूओं की, अगर यह जीत होती तो सारा श्रेय मैडम को जाता, हार हुई तो टट्टुओं की। और टट्टू जन कर भी क्या सकते है? अपनी जिम्मेदारी लेने से मैडम की नजरों में कद ऊंचा होगा, और जनता तो एक रखैल है जिससे तो समय पर ही काम पड़ेगा। यह कहना गलत न होगा कि कांग्रेस नेताओं का मैडम जी के साथ हिन्दू विवाह है और जनता के साथ मुस्लिम विवाह :)
गुजरात के बाद हिमाचल प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी 2/3 बहुमत की ओर है अब यह कहना गलत होगा कि गुजरात जी एक तुक्का थी। गुजरात के बाद हिमाचल में हार की जिम्मेदारी किसकी होगी, जल्द की कांग्रेस के पार्टी प्रवक्ता घोषणा करेंगे। खुद वामपंथियों और छद्म पत्रकारों के सीने पर जरूर सॉप लोट जायेगा। और अब नरेन्द्र मोदी को उनकी जीत पर अपनी सार्वजनिक पहली बधाई देता हूँ।