अभी कुछ देर पूर्व एक पोस्ट पढ़ी काफी अच्छा लगा किन्तु एक बात की झेप लग रही थी। कि अनूप जी ने भी अपनी श्रीमती जी को चित्र दिखाकर हँसा लिये और ज्ञान जी भी, किन्तु बचे तो हम। अब खुद ही सोचिऐ कि अपने उपर खुद ही हँसे तो क्या हँसे? या फिर कह सकते है कि देख निक्कमें को कि इसके साथ कोई हूँसने वाला भी नही है। काश हमारे पास भी एक श्रीमती होती तो वो भी हमारे चित्र को देख कर हँसी कि हम भी ब्लागगीरी में कितने ऊँचे स्थान पर पहुँच गये है। अब अपने कारनामें हम बताये तो किसे बताऐं और दिखकर हँसाये तो किसे हँसाऐं? खैर इस होली में एक श्रीमती खोजने जा रहा हूँ ताकि अगली बार होली में हँसने वाला साथ हो :)
यार मुझे नशे में समझ रहे थे।
वो भूल जाते है कि
सच्चाई ज्यादातर नशे में निकलती है।
नशे में होने पर,
आपनी बीवी भाभी जी और
यार की बीवी जी अपनी बीवी नज़र आती है।
मै सच बोल रहा था,
यार मुझे नशे में समझ थे।
आप सभी को होली की बहुत बहुत सुभकामानाऍं।
चित्र साभार तरकश डाट काम
चलते चलते ....
मै सच बोल रहा था,यार मुझे नशे में समझ रहे थे।
वो भूल जाते है कि
सच्चाई ज्यादातर नशे में निकलती है।
नशे में होने पर,
आपनी बीवी भाभी जी और
यार की बीवी जी अपनी बीवी नज़र आती है।
मै सच बोल रहा था,
यार मुझे नशे में समझ थे।
आप सभी को होली की बहुत बहुत सुभकामानाऍं।
चित्र साभार तरकश डाट काम
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