मुम्बई के उपनगर बोरीवली में 27 अप्रेल को एक परावर्तन कार्यक्रम में 1800 ईसाई वनवासियों ने हिन्दू धर्म को पुन: अंगीकार किया। इस कार्यक्रम में स्वामी नरेन्द्राचार्य विशेष रूप से उपस्थित थे।
स्वामी नरेन्द्राचार्य, जो नरेन्द्र महाराज के नाम से जाने जाते हैं, ने इस अवसर पर बताया कि उन्होंने अब तक महाराष्ट्र और गुजरात के 42,220 मतान्तरित लोगों की घर वापसी कराई है। अपने इस परावर्तन अभियान के संबंध में स्वामी जी ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि हिन्दुओं का मतान्तरण किया जाता है और उन्हें अपने ही धर्म में वापस लौटाना पड़ता हैं। ईसाई मिशनरियां गरीब, वंचित हिन्दुओं को लालच देकर गुमराह करती हैं और फिर मतान्तरित करती हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी मत-पंथ में आस्था रखने वाले को कोई मतान्तरित न कर सके, इसके लिए एक देशव्यापी मतान्तरण विरोधी कानून होना चाहिए। चूंकि हिन्दुओं का कोई वोट बैंक नहीं है इसलिए उनके साथ भेदभाव किया जाता है। हमें एकजुट होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहिए ताकि कोई हमारे हितों पर चोट न कर सके।
उन्होंने आगे कहा कि मन्दिरों पर कब्जा करने की सेकुलर सरकार की नीति का तीखा विरोध होना चाहिए। स्वामी जी ने यह भी कहा कि आज हिन्दू श्रध्दा केन्द्रों का खुलेआम अपमान किया जाता है। रामसेतु क्यों तोड़ा जा रहा है? क्यों सेतु समुद्रम प्रकल्प पर सभी विरोधों को अनदेखा करते हुए काम जारी है? सरकार को इस बात का जवाब हिन्दू समाज को देना होगा।
निश्चित रूप से आज हिन्दुसमाज की आत्मा पर प्रहार करने वालों को छोड़ा नही जाना चाहिए।
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