अब हम न भए तो क्या हुआ दुनिया का चलना काम है। मेरे रूकने से दुनिया नही रूकेगी, मै अपना काम करूँगा और दुनिया अपना, यही प्रकृति के नियमानुसार कार्य होता रहेगा। आज मुझे कोई लेख लिखे करीब 15 दिन के आस पास हो रहा है, यह कम्प्यूटर के नजदीक होने के बाद भी इतना बड़ा गैप पहली बार हो रहा है।
किसी भी एग्रीगेटर पर गये भी करीब हफ्ते भर से ज्यादा समय हो रहा है, एक दो टिप्पणी अपने चहेते ब्लागों पर हुई वह एक अपवाद हो सकता है। पिछले कुछ महों से हिन्दी ब्लाग जगत में अभूतपूर्व बदलाव के माहोल देखने को मिला, कि आज के व्यक्ति को ओछी हरकत करने के लिये कोई भी जगह नही है, शायद यही कारण है कि आज हिन्दी ब्लाग में भी स्तरीय गिरवट देखने को मिल रहा है।
जहॉं अच्छा माहोल व व्यवहार होता है वहॉं लिखने बैठने का मन करता है किन्तु मन कहता है कि हिन्दी ब्लागिंग में कि अब हम न भए। .... लिखने की इच्छा थी किन्तु आवाश्यक काम आ गया, समय मिला तो फिर लिखेगे :)
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