हँसों जम के हँसो
1
वैलेंनटाईन डे के दिन एक प्रेमी जोड़ा एक बाग में मिलता है, प्रेमी जोड़ा पेड़ के तले बैठ जाता है. प्रेमिका की तारीफ करते हुए प्रेमी बोलता है, तुम्हारी आँखें बहुत प्यारी हैं, इनमें डूबने को मन करता है, इन आँखों में मुझे सारी दुनिया नजर आती है।
इतने में पेड़ से आवाज आती है, रे भाई कल शाम से मेरा गधा गुम है, हो सके तो देख बताओ ना कहां है।
2
बॉस गुस्से में कर्मचारी से बोला, तुमने कभी उल्लू देखा है।
कर्मचारी ने सिर झुकाते हुए कहा, नहीं सर।
बॉस ने जोर से डांटा, नीचे क्या देख रहे हो, मेरी तरफ देखो।
3
बॉस गुस्से में कर्मचारी से बोला, तुमने कभी उल्लू देखा है।
कर्मचारी ने सिर झुकाते हुए कहा, नहीं सर।
बॉस ने जोर से डांटा, नीचे क्या देख रहे हो, मेरी तरफ देखो।
4
संता बुदबुदाते हुए समाजशास्त्र के प्रश्न पत्र को हल कर रहा था, भारत में हर तीन मिनट बाद एक औरत एक बच्चे को जन्म देती है। आने वाली भयावह स्थिति पर किस प्रकार नियंत्रण पाया जा सकता है?
बंता पीछे से कहता है, पहले उस औरत को तलाश करना चाहिए।
5
शिक्षक (छात्र से) - बताओ फोर्ड क्या है?
छात्र (शिक्षक से) - गाड़ी।
शिक्षक - वेरी गुड, अब बताओ ऑक्सफोर्ड क्या है?
छात्र - बैलगाड़ी।
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जो मजा विरोध भरी टिप्पणी में है वो और कहाँ ?
आज हमारी एमए की परीक्षा समाप्त हो गयी, मुझे पूर्ण विश्वास है कि अक्टूबर तक हम परास्नाकत डिग्री धारक हो जायेगे। फरवरी माह से ही परीक्षा दे दे कर थक गये थे। करीब दो माह तक अब कोई परीक्षा नही है, अगर आ गई तो परीक्षा की खैर नही, हमारी तैयारी जोरो से चल रही है। :)
इधर बहुत दिनों से कुछ गम्भीर लेखन नही हुआ, कुछ मजा नही आ रहा है। कहते है गर्म तावे पर पानी डालने पर जो आवाज निकलती है उसे सुन कर बड़ा मजा आता है। उसी गर्म तावे की भातिं मेरी भी स्थिति है, काफी दिनों से अन्दर ही अन्दर बहुत विषयों की का तावा बहुत गर्म हो गया है बस लिख कर पोस्ट करने की देर है, फिर देखिये आपके गर्मा गर्म टिप्पणी रूपी पानी क्या गुल खिलाता है। :)
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इधर बहुत दिनों से कुछ गम्भीर लेखन नही हुआ, कुछ मजा नही आ रहा है। कहते है गर्म तावे पर पानी डालने पर जो आवाज निकलती है उसे सुन कर बड़ा मजा आता है। उसी गर्म तावे की भातिं मेरी भी स्थिति है, काफी दिनों से अन्दर ही अन्दर बहुत विषयों की का तावा बहुत गर्म हो गया है बस लिख कर पोस्ट करने की देर है, फिर देखिये आपके गर्मा गर्म टिप्पणी रूपी पानी क्या गुल खिलाता है। :)
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इन जयचन्द्रों का अंत कब होगा ?
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के एक हिन्दू विधायक को वहां का मुलायम और लालू बनने का शौक चढ़ा है। तभी उसे हिन्दुओं के 52 शक्तिपीठों में एक हिंगलाज मंदिर को समाप्त कर, बांध बनाने का पूरी विधानसभा में अकेला समर्थन कर रहा था। यह हिन्दुत्वों का और उस माता का दुर्भाग्य है कि उसके कैसे जयचंदो को जन्म दिया।
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बलूचिस्तान प्रांत में हिन्दू के 52 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज माता के मंदिर का अस्तित्व खतरे में नज़र आ रहा है। पाकिस्तान की संघीय सरकार ने मंदिर पास बांध बनाने का प्रस्ताव रखा है जिसे बलूचिस्तान प्रदेश सरकार ने संघीय सरकार से अपनी परियोजना को बदलने का अनुरोध किया है।
इस मंदिर के महत्व में कहा जाता है कि यह हिंगलाज हिंदुओं के बावन शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर काफी दुर्गम स्थान पर स्थित है, पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव की पत्नी सती के पिता दक्ष ने जब शिवजी की आलोचना की तो सती सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने आत्मदाह कर लिया। माता सती के शरीर के 52 टुकड़े गिरे जिसमें से सिर गिरा हिंगलाज में। हिंगोल यानी सिंदूर, उसी से नाम पड़ा हिंगलाज। हिंगलाज सेवा मंडली के वेरसीमल के देवानी ने बीबीसी को बताया कि चूंकि माता सती का सिर हिंगलाज में गिरा था इसीलिए हिंगलाज के मंदिर का महत्व बहुत अधिक है।
जब किसी पवित्र खजू़र के पेड़ को बचाये जाने के लिये सड़क को मोड़ा जा सकता था तो 52 शक्ति पीठों में से एक हिंगलात माता के मन्दिर को क्यो नही बचाया जा सकता है। प्रान्तीय सरकार के सभी सदस्य इस मंदिर को बचाये जाने के पक्ष में है किन्तु हर जगह लालू-मुलायम जैसे सेक्यूलर नेता पाये जाते है। ऐसा ही उस प्रान्त भी है हिंदू समुदाय से संबंध रखने वाले एक विधायक ने मंदिर के पास बाँध के निर्माण की हिमायत की। बलूचिस्तान प्रांतीय असेंबली के सदस्य बसंत लाल गुलशन ने ज़ोर दे कर कहा है कि `धर्म को सामाजिक-आर्थिक विकास की राह में अवरोध बनाए बगैर' सरकार को इस परियोजना पर काम जारी रखना चाहिए।
हे भगवान इस धरा से इन जयचन्द्रों का अंत कब होगा ?
इस मंदिर के महत्व में कहा जाता है कि यह हिंगलाज हिंदुओं के बावन शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर काफी दुर्गम स्थान पर स्थित है, पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव की पत्नी सती के पिता दक्ष ने जब शिवजी की आलोचना की तो सती सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने आत्मदाह कर लिया। माता सती के शरीर के 52 टुकड़े गिरे जिसमें से सिर गिरा हिंगलाज में। हिंगोल यानी सिंदूर, उसी से नाम पड़ा हिंगलाज। हिंगलाज सेवा मंडली के वेरसीमल के देवानी ने बीबीसी को बताया कि चूंकि माता सती का सिर हिंगलाज में गिरा था इसीलिए हिंगलाज के मंदिर का महत्व बहुत अधिक है।
जब किसी पवित्र खजू़र के पेड़ को बचाये जाने के लिये सड़क को मोड़ा जा सकता था तो 52 शक्ति पीठों में से एक हिंगलात माता के मन्दिर को क्यो नही बचाया जा सकता है। प्रान्तीय सरकार के सभी सदस्य इस मंदिर को बचाये जाने के पक्ष में है किन्तु हर जगह लालू-मुलायम जैसे सेक्यूलर नेता पाये जाते है। ऐसा ही उस प्रान्त भी है हिंदू समुदाय से संबंध रखने वाले एक विधायक ने मंदिर के पास बाँध के निर्माण की हिमायत की। बलूचिस्तान प्रांतीय असेंबली के सदस्य बसंत लाल गुलशन ने ज़ोर दे कर कहा है कि `धर्म को सामाजिक-आर्थिक विकास की राह में अवरोध बनाए बगैर' सरकार को इस परियोजना पर काम जारी रखना चाहिए।
हे भगवान इस धरा से इन जयचन्द्रों का अंत कब होगा ?
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