Breaking News : हैंडग्रेनेड और एके 47 का जखीरा मुसलमान के घर में



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आज हमारे पड़ोस के मुस्लिम घर में हैंड ग्रेनेड, एके-47, तमंचा, बंदूक, गोला बारूद और तेजाब का भारी जखीरा मिला, गौरतलब हो कि यह व्यक्ति काग्रेस का स्थानीय नेता है। यह मामला प्रकाश में यों आया कि पिता और पुत्र के बीच भारी विवाद हुआ और इस विवाद की गंभीरता इस कदर बढ़ी कि नौबत तेजाब फेंकने तक आ गई। पिता ने पुत्र पर तेजाब फेकने का प्रयास किया। लेकिन यहां कहावत सिद्ध करते हुये बेटे ने मियाँ की जूती मियाँ पर ही दे मारी और यह विवाद थाने जा पहुँचा। बेटे ने अपने मामला अपने ऊपर आता देख घर में चल रहे पिता के सारे आतंकवादी कारनामों को उजागर कर पिता के नाम को रोशन करने में कोई कसर नही छोड़ी।

पुलिस द्वारा मारे गये छापे में इस प्रकार की घातक खतरे से आस-पास के लोग दहशत में थे। लोग आतंकवाद का चेहरा इतने नजदीक से देखकर हतप्रभ थे और उन्हें भय भी व्याप्त था कि ये औजार किस लिये और किस षड़यंत्र को अंजाम देने के लिये एकत्रित किये जा रहे थे?


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हम भी बन गये चर्चित चिट्ठाकार



बहुत दिनों के बाद हमारे दिन भी आखिर फिर ही गये, जब एक महीने में 2 दर्जन से ज्‍यादा पोस्‍टे ठेलते थे तो कोई फूछता ही नही था और आज दिन यह है महीने में 2-4 पोस्‍टें लिखने पर हमें चर्चित चिट्ठाकार की श्रेणी मे लाकर खड़ा कर दिया गया है।

जैसा की आपने पढ़ा ही होगा कि मैने कुछ दिनों पूर्व मेरी और श्री आलोक जी के मध्‍य इलाहाबाद जक्‍ंशन पर एक लघु मुलाकात हुई थी जिसकी पोस्‍ट मैने लिखी और आपने पढ़ी थी। अब यही से हिन्‍दी फिल्‍मो की तरह रोमांचक मोड़ आ जाता है। बहुत दिनों बाद जंग खाये ब्‍लाग राईटर का उपयोग कर पोस्‍ट लिख रहा था। उसमें महाशक्ति के दो एकान्‍ट लिख रहे थे, पहला वो जिस पर मै नियमि‍त लिखता हूँ दूसरा वो जिस पर मै टेम्‍पलेट आदि का टेस्‍ट करता हूँ। भूल वश वह दूसरे खाते चली गई और प्रकाशित भी हो गई। सबसे बड़ी बात ये कि ये भी भी पढ़ी गई और टिप्‍प्‍णी भी बटोरे में सफल रही है। ये सब कुछ हो रहा था और मुझे इसका पता ही नही चला और मै बाट के बटोही महाशक्ति पर की पोस्‍ट पर टिप्‍पडियों की बाट जोह रहा था।

मुझे अपनी इस पोस्ट की जानकारी आज चिट्ठाचर्चा के जरिये हुई। जब चिट्ठाचर्चा पर गया तो नये चिट्ठाकार के रूप में महाशक्ति का एक और नाम पाया। आश्‍चर्य हुआ की हमारी ब्‍लाग के हेडर पर लिखी पंचलाईन पढ़ने के बाद भी हमसे टकराने की हिम्‍मत कौन कर रहा है। मन कह रहा था कि शेर बूढ़ा क्‍या हुआ, सियारो की लोय लग गई। चिट्ठाचर्चा से लिंक खोला लिंक काम नही कर रहा था। और भी सस्‍पेस जागृत हुआ कि लेख लिखा गया और डीलिट भी होगा गया, और हमें पता नही। लिंक में सुधार किया तो पता चला कि ये तो हम ही है। खोदा पहाड़ निकला चूहिया।

काफी दिनो बाद चिट्ठाचर्चा में अपनी चर्चा होते देख चर्चित होने का भी अनुभव प्राप्‍त कर लिया। मुझे खेद है कि उस नये ब्‍लाग पर आई प्रतिक्रियाओं का जवाब नही दे सका। चिट्ठाचर्चा का भी आभार की मुझे मेरे ही लेख की सूचना दी। :)



चलते चलते : आज किसी ब्‍लाग पर पढ़ा की हमारे श्री समीर लाल जी के सु्पुत्र का शुभ विवाह आगामी हफ्ते में है। हमारी तरफ से बहुत बहुत शुभ कामनाऍं।


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