जो भी काम अपनी सार्थकता को लेकर शुरू वह दूरगामी परिणाम देता है किन्तु जो काम भटकाव को लेकर प्रारम्भ होता है वह क्षणिक आनंदानुभूति देने वाले पानी के बुलबुले की भांति होता है। जूनियर ब्लागर एसोसिएशन का उद्देश्य भी दूरगामी परिणाम देने वाला होगा, ताकि चिट्ठाकारी में जारी विसंगतियों दूर किया जा सकें। नये ब्लागरों को प्रोत्साहन और सहयोग देने यथा प्रयास होगा तो अनुभवी चित्रकारों के मार्गदर्शन मे चिट्ठकारी कारी को नये आयामो की ओर ले जाने का होगा। जूनियर ब्लागर एसोसिएशन न कभी निरंकुश होगा, वह मुक्त विचारधारा के साथ काम करेगा। आज चिट्ठाकारी मे मठाधीशी और गुटबंदी चरम पर है, इसी निरकुंशता और मठाधीशी पर नियंत्रण करना मुख्य लक्ष्य होगा। किसी भी चिट्ठाकार की बेइज्जती का पूरा प्रतिकार किया जाएगा और तब तक इसका प्रतिकार होगा जबकि गलत व्यक्ति सार्वजनिक माफी नहीं मांगता है।
जूनियर ब्लागर एसोसिएशन सार्थकता को लेकर काम करेगा, यदि किसी को लगता है कि वो हमसे बेहतर हिन्दी चिट्ठाकारी को प्रगति दे सकता है तो उसका स्वागत है। जूनियर ब्लागर एसोशिएशन कोई मठ है न ही इसमे कोई मठाधीश, चिट्ठाकारी मे मठ तो रहेगे किन्तु उन मठो मे मठाधीशो को सीमित कर दिया जायेगा। न ही चिट्ठकारी मे न ही चिट्ठाकारों के मध्य मठाधीशो को पिचाल खेलने दिया जायेगा। हमारा पूरा प्रयास होगा कि आने वाला वक्त जूनियर ब्लागर एसोशिएशन के नेतृत्व मे हिन्दी चिट्ठाकारी का स्वर्णकाल शिद्ध हो।
शेष फिर ......
भारत माता की जय
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जूनियर ब्लागर एसोशिएशन : हिन्दी चिट्ठाकारी के स्वर्णकाल का स्वप्न
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जूनियर ब्लागर एसोशिएशन के सम्बन्ध में
बहुत दुख होता है जब कोई हराम की रोटी पर मुंह मारने चले आते है, अब यह फितरत कही जाये अथवा आदत से मजबूर, अब एक बंधु जूनियर ब्लागर एसोसिएशन के सम्बन्ध अपना राग अलाप रहे है। हम जूनियर ब्लागर एसोसिएशन का गठन उद्देश्य को लेकर कर रहे है और हम अपने उद्देश्यों से नही भटकेगे और न ही भटकने देंगे। किसी के द्वारा यह भ्रांति फैलाई जा रही है कि जूनियर ब्लागर एसोसिएशन टॉप-40 ब्लॉगरों के खिलाफ मोर्चा है तो यह मुगालते में है, यह उनकी अपनी गल्प सोच है।
हम किसी भी चाहे वह बड़ा हो या छोटा, नया हो या पुराना किसी से भी हमारा बैर नही है अपितु जो भी किसी भी ब्लागर के साथ अन्याय करेगा, उसके खिलाफ हम हर स्तर पर विरोध करे। कोई भी ब्लागर हो वह कम कम मेरे लिए अथवा किसी के लिये भी उतना ही आत्मीय है जितना की परिवार का सदस्य। हम अन्याय के लिए खड़े हुए है न कि अन्याय करने के लिये, और मै इस बात की पूरी दमदारी से कहता हूँ हममें से भी कोई गलत काम करेगा तो उसको भी नही छोड़ा जायेगा।
वरिष्ठो (उम्र और चिट्ठाकारी दोनो में) से ही तो हम है और उनके मार्गदर्शन मे हम बहुत कुछ सीखते आये है, यहॉं हम उन तथाकथित वरिष्ठो के मानमर्दन की बात की जा रहे है जो चिट्ठकारी के नाम पर ब्लागरों को परेशान करते है और चिट्ठाकारी को गलत दिशा मे ले जा रहे है। हमारा उद्देश्य नाम के वरिष्ठो से जो हिन्दी चिट्ठाकारी का नाश करने पर उतारू है, कोई भी ब्लागर चाहे वह टॉप 40 का हो या हिन्दी चिट्ठाकारी का अन्तिमवा सदस्य सभी हमारे लिये सम्माननीय है।
नोट - जूनियर ब्लागर एसोशिएशन के सम्बन्ध मे किसी प्रकार की आधिकारिक धोषणा सिर्फ महाशक्ति(स्वयं), नीशू जी और मिथलेश जी द्वारा ही उनके अपने ब्लाग पर जारी की जायेगी, यह इसलिये कि अनावश्यक लोग की अफवाह से बचा जा सके। जूनियर ब्लागर एसोशिएशन के गठन, भूमिका और नीति निर्माण के सम्बन्ध नीशू जी 15 को इलाहाबाद मे आ रहे है, जहाँ इस विषय पर विशेष चर्चा होगी।
जय हिन्द
शेष फिर ....
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हम किसी भी चाहे वह बड़ा हो या छोटा, नया हो या पुराना किसी से भी हमारा बैर नही है अपितु जो भी किसी भी ब्लागर के साथ अन्याय करेगा, उसके खिलाफ हम हर स्तर पर विरोध करे। कोई भी ब्लागर हो वह कम कम मेरे लिए अथवा किसी के लिये भी उतना ही आत्मीय है जितना की परिवार का सदस्य। हम अन्याय के लिए खड़े हुए है न कि अन्याय करने के लिये, और मै इस बात की पूरी दमदारी से कहता हूँ हममें से भी कोई गलत काम करेगा तो उसको भी नही छोड़ा जायेगा।
वरिष्ठो (उम्र और चिट्ठाकारी दोनो में) से ही तो हम है और उनके मार्गदर्शन मे हम बहुत कुछ सीखते आये है, यहॉं हम उन तथाकथित वरिष्ठो के मानमर्दन की बात की जा रहे है जो चिट्ठकारी के नाम पर ब्लागरों को परेशान करते है और चिट्ठाकारी को गलत दिशा मे ले जा रहे है। हमारा उद्देश्य नाम के वरिष्ठो से जो हिन्दी चिट्ठाकारी का नाश करने पर उतारू है, कोई भी ब्लागर चाहे वह टॉप 40 का हो या हिन्दी चिट्ठाकारी का अन्तिमवा सदस्य सभी हमारे लिये सम्माननीय है।
नोट - जूनियर ब्लागर एसोशिएशन के सम्बन्ध मे किसी प्रकार की आधिकारिक धोषणा सिर्फ महाशक्ति(स्वयं), नीशू जी और मिथलेश जी द्वारा ही उनके अपने ब्लाग पर जारी की जायेगी, यह इसलिये कि अनावश्यक लोग की अफवाह से बचा जा सके। जूनियर ब्लागर एसोशिएशन के गठन, भूमिका और नीति निर्माण के सम्बन्ध नीशू जी 15 को इलाहाबाद मे आ रहे है, जहाँ इस विषय पर विशेष चर्चा होगी।
जय हिन्द
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ब्लागिंग वाले गुन्डो के बीच फंसी चिट्ठाकारी
हिन्दी चिट्ठाकारी आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, आज एक दूसरे की टांग खिंचाई और भद्द मचाने मे लगे हुये है। आज हिन्दी ब्लागरो की एक ऐसी प्रतियोगिता मची हुई है कि कौन किस पर कितना कीचड़ उछाल सकता है ? कौन किसको कितनी गाली दे सकता है ? क्या इन प्रक्रियाओं से हिन्दी ब्लॉगिंग का उन्नयन होगा ?
न ही छोटो को बड़ो का कोई लिहाज है और नहीं बड़ों का बड़प्पन है, सब हिन्दी चिट्ठाकारी को विकाशोन्मुख करने मे धक्कमपेल पेले पड़े है। समझ मे नही आता कि वस्तु स्थिति क्या है और कौन अपने आपको क्या सिद्ध करना चाहता है ? वकाई उद्देश्य हिन्दी के उन्नयन का अथवा अपने अहं को न त्यागने का ? आज इसी प्रकार के प्रश्न पिछले कुछ दिनो के पोस्ट को पढ़ने के बाद व्यथित होकर लिखना पड़ रहा है।
हिन्दी ब्लॉगिंग न हो गई, पिछड़े वर्ग के साहित्यकारों को आरक्षण देने वाला कानून हो गया है, यह ऐसा कानून है जो ऐसे लोगो को ब्लागर अथवा चिट्ठकार नाम देकर अपने के माध्यम से एक दूसरे को गरिया कर अपने को पंत और निराला के समकक्ष पर खड़ा सुखद अनुभूति दे रहा हो।
चिट्ठकारी को एक वर्ग ने तमाशा बना दिया है, अनामी का विरोध करने वाले खुद सबसे ज्यादा अनामी बन कर टिप्पणी पेलने का सबसे ज्यादा काम करते है, मैने कोई शोध नहीं किया है बल्कि आप खुद दिल से पूछोगे तो यह बात सत्य साबित होगी। आखिर अनामी का विरोध क्यो जरूरी है ? क्यो जरूरत है ? अनामियों ने तो मेरी कुछ पोस्टो पर गालियां तो मुझे भी दी है किन्तु कुछ अच्छी पोस्ट पर सराहा भी है। सबसे बड़ा प्रश्न की आखिर आनामी है कौन तो, मै स्पष्ट कहना चाहूंगा कि अनामी हमारे में से ही कोई है जो इस प्रकार की गंदी हरकत करता है, और तो और आनामी का नाम करने मे पूरा ग्रुप काम करता है। महाशक्ति पर न माडरेशन कभी था न कभी रहेगा, सुरेश भाई को नैतिक या अनैतिक हार लगती हो तो उनकी निजी राय है लेकिन इस प्रकार की बातो से मै इत्तफाक नही रखता हूँ।
अगर आज हिन्दी चिट्ठाकारी से किसी का नुकसान हो रहा है तो सबसे ज्यादा इसके हितैषियों से, क्योंकि चिट्ठकारी की जड़ो मे ऐसे लोग छाछ डालने का काम कर रहे है। आज कल हिन्दी चिट्ठाकारी मे संघ बनाने का प्रयास चल रहा है ताकि किसी पर बैन लगाने और हटाने का मंत्री मंडलीय कार्यवाही रूप दिया जा सकें, यह तो बात बहुत पुरानी हो चुकी है जब नारद के दौर प्रतिबंध आदि की बात होती थी किन्तु विजय सत्य की होती रही है। हिन्दी चिट्ठकारी का संघ बने या महासंघ न तो हम पर ब्लागधीशों की राजनीति का कोई असर होने वाला है और न ही ब्लाग बंद करवा सकता है। यह तो हमारी मौलिकता को कोई रोक नही सकता है न ही नाराद के जमाने मे कोई रोक पाया था और न ही आज, हम आये भी तो अपनी मर्जी से और जायेगी भी अपनी मर्जी से, यह जरूर है कि चिट्ठकारो की चमरई से उब का लिखना कम जरूर कर दिया है किन्तु बंद होगी इसकी संभावना कम है और होगी भी तो मेरी मर्जी से होगी।
आज सुबह एक पोस्ट पढ़ने को मिली कि अमुक सामुदायिक ब्लॉग से हटा दिया गया है। मेरे समझ के यह बात परे है कि लोग इतना क्यों टेंशन लेते है ? लोग मतभेदों को मनभेद क्यों बना लेते है ? क्या कुछ बातों को इतना तूल देना जरूरी है कि वह एक दूसरे पर हावी हो जाये और आपसी प्रेम को तनिक तकरार में तोड़ दे ? किसी को रखना या न रखना ब्लाग मॉडरेटर की इच्छा पर है किन्तु यह भी जरूरी है कि जिसे आपने नियंत्रित किया है उसको तिरस्कृत कर निकाला जाए, ठीक है मतभेद है सूचित कर आप हटा सकते है। अगर आपस मे सद्भाव है तो बात ही कोई नही है आना जाना तो लगा ही रहता है। किन्तु अब हठ कर यह साबित करने का प्रयास किया जाये कि जो मै कर रहा हूँ वो सही है तो हठी को उसके हठ के आगे कोई गलत नही कर सकता। किन्तु नैतिक रूप मे क्या सही है क्या गलत यह सब को पता होता ही है। अत: मेरा स्पष्ट निवेदन है कि चिट्ठकारी में गुंडईराज बंद करो और खुद भी ब्लागिंग वाले गुंडे बनाने का प्रयास मत करो। बहुत समय से हिन्दी चिट्ठाकारी में ऐसे गुड़े पाये गये है जो डराते-धमकाते और प्रतिबंध लगाते पाये गये है किन्तु सच्चाई कभी छुपती नही है और यह तो सभी जानते है।
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न ही छोटो को बड़ो का कोई लिहाज है और नहीं बड़ों का बड़प्पन है, सब हिन्दी चिट्ठाकारी को विकाशोन्मुख करने मे धक्कमपेल पेले पड़े है। समझ मे नही आता कि वस्तु स्थिति क्या है और कौन अपने आपको क्या सिद्ध करना चाहता है ? वकाई उद्देश्य हिन्दी के उन्नयन का अथवा अपने अहं को न त्यागने का ? आज इसी प्रकार के प्रश्न पिछले कुछ दिनो के पोस्ट को पढ़ने के बाद व्यथित होकर लिखना पड़ रहा है।
हिन्दी ब्लॉगिंग न हो गई, पिछड़े वर्ग के साहित्यकारों को आरक्षण देने वाला कानून हो गया है, यह ऐसा कानून है जो ऐसे लोगो को ब्लागर अथवा चिट्ठकार नाम देकर अपने के माध्यम से एक दूसरे को गरिया कर अपने को पंत और निराला के समकक्ष पर खड़ा सुखद अनुभूति दे रहा हो।
चिट्ठकारी को एक वर्ग ने तमाशा बना दिया है, अनामी का विरोध करने वाले खुद सबसे ज्यादा अनामी बन कर टिप्पणी पेलने का सबसे ज्यादा काम करते है, मैने कोई शोध नहीं किया है बल्कि आप खुद दिल से पूछोगे तो यह बात सत्य साबित होगी। आखिर अनामी का विरोध क्यो जरूरी है ? क्यो जरूरत है ? अनामियों ने तो मेरी कुछ पोस्टो पर गालियां तो मुझे भी दी है किन्तु कुछ अच्छी पोस्ट पर सराहा भी है। सबसे बड़ा प्रश्न की आखिर आनामी है कौन तो, मै स्पष्ट कहना चाहूंगा कि अनामी हमारे में से ही कोई है जो इस प्रकार की गंदी हरकत करता है, और तो और आनामी का नाम करने मे पूरा ग्रुप काम करता है। महाशक्ति पर न माडरेशन कभी था न कभी रहेगा, सुरेश भाई को नैतिक या अनैतिक हार लगती हो तो उनकी निजी राय है लेकिन इस प्रकार की बातो से मै इत्तफाक नही रखता हूँ।
अगर आज हिन्दी चिट्ठाकारी से किसी का नुकसान हो रहा है तो सबसे ज्यादा इसके हितैषियों से, क्योंकि चिट्ठकारी की जड़ो मे ऐसे लोग छाछ डालने का काम कर रहे है। आज कल हिन्दी चिट्ठाकारी मे संघ बनाने का प्रयास चल रहा है ताकि किसी पर बैन लगाने और हटाने का मंत्री मंडलीय कार्यवाही रूप दिया जा सकें, यह तो बात बहुत पुरानी हो चुकी है जब नारद के दौर प्रतिबंध आदि की बात होती थी किन्तु विजय सत्य की होती रही है। हिन्दी चिट्ठकारी का संघ बने या महासंघ न तो हम पर ब्लागधीशों की राजनीति का कोई असर होने वाला है और न ही ब्लाग बंद करवा सकता है। यह तो हमारी मौलिकता को कोई रोक नही सकता है न ही नाराद के जमाने मे कोई रोक पाया था और न ही आज, हम आये भी तो अपनी मर्जी से और जायेगी भी अपनी मर्जी से, यह जरूर है कि चिट्ठकारो की चमरई से उब का लिखना कम जरूर कर दिया है किन्तु बंद होगी इसकी संभावना कम है और होगी भी तो मेरी मर्जी से होगी।
आज सुबह एक पोस्ट पढ़ने को मिली कि अमुक सामुदायिक ब्लॉग से हटा दिया गया है। मेरे समझ के यह बात परे है कि लोग इतना क्यों टेंशन लेते है ? लोग मतभेदों को मनभेद क्यों बना लेते है ? क्या कुछ बातों को इतना तूल देना जरूरी है कि वह एक दूसरे पर हावी हो जाये और आपसी प्रेम को तनिक तकरार में तोड़ दे ? किसी को रखना या न रखना ब्लाग मॉडरेटर की इच्छा पर है किन्तु यह भी जरूरी है कि जिसे आपने नियंत्रित किया है उसको तिरस्कृत कर निकाला जाए, ठीक है मतभेद है सूचित कर आप हटा सकते है। अगर आपस मे सद्भाव है तो बात ही कोई नही है आना जाना तो लगा ही रहता है। किन्तु अब हठ कर यह साबित करने का प्रयास किया जाये कि जो मै कर रहा हूँ वो सही है तो हठी को उसके हठ के आगे कोई गलत नही कर सकता। किन्तु नैतिक रूप मे क्या सही है क्या गलत यह सब को पता होता ही है। अत: मेरा स्पष्ट निवेदन है कि चिट्ठकारी में गुंडईराज बंद करो और खुद भी ब्लागिंग वाले गुंडे बनाने का प्रयास मत करो। बहुत समय से हिन्दी चिट्ठाकारी में ऐसे गुड़े पाये गये है जो डराते-धमकाते और प्रतिबंध लगाते पाये गये है किन्तु सच्चाई कभी छुपती नही है और यह तो सभी जानते है।
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