भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की प्रमुख धाराएं और सजा की सूची



भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code) किसे कहते है?
भारत भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code, IPC) भारत के अंदर (जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर) भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दण्ड संहिता (RPC) लागू होती है।भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1962 में लागू हुई। इसके बाद इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर भारत के स्वतंत्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी।

भारतीय समाज को क़ानूनी रूप से व्यवस्थित रखने के लिए सन 1860 में लार्ड मेकाले की अध्यक्षता में भारतीय दंड संहिता बनाई गई थी। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) भारत की मुख्य आपराधिक कोड है। इस संहिता में भारतीय संविधान की विभिन्न आपराधिक धाराओं और उनकी सजा का उल्लेख किया गया है। इसमें कुल मिला कर 511 धाराएं हैं। आइये जाने भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की कौन सी धारा किस अपराध के लिए लगाई जाती है और उसमें क्या सजा दी जाती है:-

भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धाराएं और सजा की सूची

List of Indian Penal Code Sections, Offenses and their Punishments in Hindi


धाराओं के नाम अपराध सजा
13 जुआ खेलना/सट्टा लगाना 1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना
34 सामान आशय
99से 106 व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के लिए बल प्रयोग का अधिकार
110 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है तीन वर्ष
120 षडयंत्र रचना
141 विधिविरुद्ध जमाव
147 बलवा करना 2 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
156 (3) स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए कानूनी साधनों का उपयोग न करना। आर्थिक दंड
156 स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना। आर्थिक दंड
161 रिश्वत लेना/देना 3 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
171 चुनाव में घूस लेना/देना 1 वर्ष की सजा/500 रुपये जुर्माना
177 सरकारी कर्मचारी/पुलिस को गलत सूचना देना 6 माह की सजा/1000 रूपये जुर्माना
186 सरकारी काम में बाधा पहुँचाना 3 माह की सजा/500 रूपये जुर्माना
191 झूठे सबूत देना 7 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान
193 न्यायालयीन प्रकरणों में झूठी गवाही 3/ 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
201 सबूत मिटाना
217 लोक सेवक होते हुए भी झूठे सबूत देना 2 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान
216 लुटेरे/डाकुओं को आश्रय देने के लिए दंड
224/25 विधिपूर्वक अभिरक्षा से छुड़ाना -2 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
231/32 जाली सिक्के बनाना -7 वर्ष की सजा और जुर्माना
255 सरकारी स्टाम्प का कूटकरण 10 वर्ष या आजीवन कारावास की सजा
264 गलत तौल के बांटों का प्रयोग 1 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
267 औषधि में मिलावट करना
272 खाने/पीने की चीजों में मिलावट 6 महीने की सजा/1000 रूपये जुर्माना
274 /75 मिलावट की हुई औषधियां बेचना
279 सड़क पर उतावलेपन/उपेक्षा से वाहन चलाना 6 माह की सजा या 1000 रूपये का जुर्माना
292 अश्लील पुस्तकों का बेचना 2 वर्ष की सजा और 2000 रूपये जुर्माना
294 किसी धर्म/धार्मिक स्थान का अपमान 2 वर्ष की सजा
302 हत्या/कत्ल आजीवन कारावास/मौत की सजा
306 आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण 10 वर्ष की सजा और जुर्माना
308 गैर-इरादतन हत्या की कोशिश 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
309 आत्महत्या करने की चेष्टा करना 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
310 ठगी करना आजीवन कारावास और जुर्माना
312 गर्भपात करना
323 जानबूझ कर चोट पहुँचाना
326 चोट पहुँचाना
351 हमला करना
354 किसी स्त्री का शील भंग करना 2 वर्ष का कारावास/जुर्माना/दोनों
362 अपहरण
363 किसी स्त्री को ले भागना 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना
366 नाबालिग लड़की को ले भागना
376 बलात्कार करना 10 वर्ष/आजीवन कारावास
377 अप्राकृतिक कृत्य अपराध 5 वर्ष की सजा और जुर्माना
379 चोरी (सम्पत्ति) करना 3 वर्ष का कारावास /जुर्माना/दोनों
392 लूट 10 वर्ष की सजा
395 डकैती 10 वर्ष या आजीवन कारावास
396 डकैती के दौरान हत्या
406 विश्वास का आपराधिक हनन 3 वर्ष कारावास/जुर्माना/दोनों
415 छल करना
417 छल/दगा करना 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
420 छल/बेईमानी से सम्पत्ति अर्जित करना 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
445 गृहभेदंन
446 रात में नकबजनी करना
426 किसी से शरारत करना 3 माह की सजा/जुर्माना/दोनों
463 कूट-रचना/जालसाजी
477(क) झूठा हिसाब करना
489 जाली नोट बनाना/चलाना 10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास
493 धोखे से शादी करना 10 वर्षों की सजा और जुर्माना
494 पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
495 पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना और दोनों रिश्तें चलाना 10 साल की सजा और जुर्माना
496 बगैर रजामंदी के शादी करना या जबरदस्ती विवाह करना 07 साल की सजा और जुर्माना
497 जारकर्म करना 5 वर्ष की सजा और जुर्माना
498 विवाहित स्त्री को भगाकर ले जाना या धोखे से ले जाना 2 साल का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों
499 मानहानि
500 मानहानि 2 वर्ष की सजा और जुर्माना
506 आपराधिक धमकी देना
509 स्त्री को अपशब्द कहना/अंगविक्षेप करना सादा कारावास या जुर्माना
511 आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड


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शिवताण्डवस्तोत्रम् - Shiva Tandava Stotra



Lord Shiva Dancing Shiva Tandava Nritya, with fire around him. Shiva Tandava Nritya is the devine dancing of Lord Shiva for creation, and destruction of the universe. Shiva Tandava Stotra was created by Ravana one of the greatest Shiva Bhakta of All times
Shiva Tandav Nritya शिव तांडव नृत्य

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् । डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्ड्ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥
The Shiva, Who having held a long-garland of the Snakes at the, purified by the flow of trickling water-drops in the forest-like hair-locks, danced the fierce Tāṇḍava-dance to the music of a sounding-drum - Damaru (डमरु), - May that Shiva extend my bliss. [1]

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि । धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥
At every moment, may I find pleasure in Shiva, Whose head is situated in between the creeper-like unsteady waves of Nilimpanirjharī (Gańgā गंगा Ganga) which is roaming unsteadily in the frying-pan like twisted hair-locks, Who has crackling and blazing fire at the surface of forehead at his third eye, and Who has a crescent-moon (young moon) at the forehead [2]

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे( क्वचिच्चिदंबरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
May my mind seeks happiness in Śiva, Whose mind has the shining universe and all the living-beings inside, Who is the charming sportive-friend of the daughter of the mountain-king of the Earth (i.e. Himālaya हिमालय daughter Parvati पार्वती), Whose uninterrupted series of merciful-glances conceals immense-troubles, and Who has direction as His clothes.[3]

लताभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥
May my mind hold in Shiva, by Whom - with the light from the jewels of the shining-hoods of creeper-like yellow-snakes — the face of Dikkanyās’ are smeared with Kadamba-juice like red Kuńkuma, Who looks dense due to the glittering skin-garment of an intoxicated elephant, and Who is the Lord of the ghosts.[4]

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥
For a long time, may Shiva — Whose foot-basement is grey due to the series of pollen dust from flowers at the head of Indra (Sahasralocana सहस्रलोचन इन्द्र) and all other demi-gods, Whose matted hairlocks are tied by a garland of the king of snakes, and Who has a head-jewel of the friend of cakora bird — produce prosperity.[5]

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥
May we acquire the possession of tress-locks of Shiva, Which absorbed the five-arrows (of Kāmadeva) in the sparks of the blazing fire stored in the rectangular-forehead, Which are being bowed by the leader of supernatural-beings, Which have an enticing-forehead with a beautiful streak of crescent-moon.[6]

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥
May I find pleasure in Trilocana, Who offered the five great-arrows (of Kāmadeva) to the blazing and chattering fire of the plate-like forehead, and Who is the sole-artist placing variegated artistic lines on the breasts of the daughter of Himālaya (Pārvatī पार्वती Parvati).[7]

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥
May Shiva — Whose cord-tied neck is dark like a night with shining-moon obstructed by a group of harsh and new clouds, Who holds the River Gańgā (Ganga गंगा), Whose cloth is made of elephant-skin, Who has a curved and crescent moon placed at the forehead, and Who bears the universe — expand [my] wealth.[8]

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकछिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
I adore Śiva, Who supports the dark glow of blooming blue lotus series at around the girdle of His neck, Who cuts-off Smara (Kāmadeva कामदेव), Who cuts-off Pura, Who cuts-off the mundane existence, Who cuts-off the sacrifice (of Dakṣa दक्ष), Who cuts-off the demon Gaja, Who cuts-off Andhaka, and Who cuts-off Yama (death यम).[9]

अखर्व(अगर्व)सर्वमङ्गलाकलाकदंबमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृंभणामधुव्रतम्  ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥

I adore Shiva, Who only eats the sweet-flow of nectar from the beautiful flowers of Kadamba-trees which are the abode of all important auspicious qualities, Who destroys Smara (Kamadeva कामदेव), Who destroys Pura, Who destroys the mundane existence, Who destroys the sacrifice (of Dakṣa दक्ष), Who destroys the demon Gaja, Who destroys Andhaka, and Who destroys Yama (death यम).[10]

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस-
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥ 
May Shiva, Whose dreadful forehead has oblations of plentiful, turbulent and wandering snake-hisses — first coming out and then sparking, Whose fierce tāṇḍava-dance is set in motion by the sound-series of the auspicious and best-drum (ḍamaru Damaru डमरु) — which is sounding with ‘dhimit-dhimit’ sounds, be victorious.[11]

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्-
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृतिकः (समं प्रवर्तयन्मनः)कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
When will I adore Sadashiva सदाशिव with an equal vision towards varied ways of the world, a snake or a pearl-garland, royal-gems or a lump of dirt, friend or enemy sides, a grass-eyed or a lotus-eyed person, and common men or the king.[12]

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
Living in the hollow of a tree in the thickets of River Ganga गंगा, always free from ill-thinking, bearing añjali at the forehead, free from lustful eyes, and forehead and head bonded, when will I become content while reciting the mantra ‘‘Shiva?’’[13]

इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१४॥
Reading, remembering, and reciting this eternal, having spoken thus, and the best among best eulogy indeed incessantly leads to purity. In preceptor Hara (Shiva हर) immediately the state of complete devotion is achieved; no other option is there. Just the thought of Shiva (Sankara, Shankara, शंकर)is enough for the people.[14]

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः  ॥१५॥
At the time of prayer-completion, that who reads this song by Daśavaktra (Dasavaktra Ravan दशबक्त्र रावण) after the prayer of Shambhu — Shambhu (शंभो) gives him stable wealth including chariots, elephants and horses, and beautiful face.[15] ॥

इति श्रीरावणविरचितं शिवताण्डवस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
Thus ends the Shiva Tandava Stotra written by Ravana.    


शिवताण्डवस्तोत्रम् by Ravan with commentary and meaning

Shiva Tandava Stotram (शिवताण्डवस्तोत्रम्) is a very beautifully created hymn of praise in the Hindu tradition that describes Shiva's power and beauty. It was sung by the son of Rishi Vishrawas (aka Vishrava), Ravana whose brother is Kubera. Both the fourth and fifth quatrains of this hymn conclude with lists of Shiva's epithets as destroyer, even the destroyer of death itself. Alliteration and onomatopoeia create roiling waves of resounding beauty in this example of Hindu devotional poetry.
Ravan was one of the greatest follower of Lord Shiva of all the times. He created the popular Shiva Tandav Stotra. He has created many stotras and mantras Specially for lord Shiva. His father was Rishi Vishrava, His brothers - Kuber, the lord of wealth, Kumbhakarna, Vivishana, and sister Suparnakha. He was ruler of Lanka as described in Ramayan and killed by Lord Ram, the Incarnation of Vishnu
One of the greatest Shiva Bhakta Ravan Meditating
In the final quatrain of the poem, after tiring of rampaging across the Earth, Ravana asks, "When will I be happy?" Because of the intensity of his prayers and ascetic meditation, of which this hymn was an example, Ravana received from Shiva the boon of indestructibility by all powers on heaven and earth — except by a human being. Disdaining the seeming weakness of humans, Ravana abducted the wife of Rama, Lord Vishnu incarnate. India's great epic, the Ramayana, tells the story of this abduction and of the battle between Lord Rama and Ravana which shook the universe.'
Shiva Tandava Stotra 

शिवताण्डवस्तोत्र In English
Natraj Shiva in Ardha Narishwor Form. Shiva is described as the union of Shakti and Sava. In this form. he is half man and half woman form. Dancing the devine dance of creation. Shiva Tandav Nritya
Shiva Dancing in Ardha Narishwor अर्ध नारीश्वर form
Jatatavee gala jjala pravaha pavitha sthale, 
Gale avalabhya lambithaam bhujanga thunga malikaam, 
Dama ddama dama ddama ninnadava damarvayam,
Chakara chanda thandavam thanothu na shiva shivam. [1] 

Jata kataha sambhramabrama nillimpa nirjari, 
Vilola veechi vallari viraja mana moordhani, 
Dhaga dhaga daga jjwala lalata patta pavake, 
Kishora Chandra shekare rathi prathi kshanam mama. [2] 

Dara darendra nandini vilasa bhandhu bhandura, 
Sphuradigantha santhathi pramodha mana manase, 
Krupa kadaksha dhorani niruddha durdharapadi, 
Kwachi digambare mano vinodhamethu vasthuni. [3] 

Jada bhujanga pingala sphurath phana mani prabha, Kadamba kumkuma drava praliptha digwadhu mukhe, Madhandha sindhura sphurathwagu utthariya medhure, Mano vinodhamadhbutham bibarthu bhootha bharthari. [4] 

Sahasra lochana prabhoothyasesha lekha shekhara, 
Prasoona dhooli dhorani vidhu sarangri peedabhu, 
Bhujangaraja Malaya nibhadha jada jhootaka, 
Sriyai chiraya jayatham chakora bandhu shekhara. [5] 

Lalata chathwara jwaladhanam jaya sphulingabha, 
Nipeetha pancha sayagam saman nilimpanayakam, 
Sudha mayookha lekhaya virajamana shekharam,
Maha kapali sampade, siro jadalamasthu na. [6]

Karala bhala pattika dhagadhaga jjwala, 
Ddhanam jayahuthi krutha prachanda pancha sayage , 
Dharadharendra nandhini kuchagra chithrapathraka, 
Prakalpanaika shilpini, trilochane rather mama. [7]

Naveena megha mandali nirudha durdharath sphurath, 
Kahoo niseedhi neethama prabhandha bandha kandhara, 
Nilimpa nirjari darsthanothu kruthi sindhura, 
Kala nidhana bandhura sriyam jagat durandhara. [8] 

Prafulla neela pankaja prapancha kalima prabha, 
Valambhi kanda kanthali ruchi prabandha kandharam, 
Smarschidham puraschidham bhavaschidham makhachidham, 
Gajachidandakachidham tham anthakachidham bhaje. [9] 

Agarva sarva mangalaa kalaa kadamba manjari,
Rasa pravaha madhuri vijrumbha mana madhu vrtham, 
Suranthakam, paranthakam, bhavanthakam, makhandakam, 
Gajandhakandhakandakam thamanthakanthakam bhaje. [10] 

Jayathwadhabra vibramadbujaamga maswasath, 
Vinirgamath, kramasphurath, karala bhala havya vat, 
Dhimi dhimi dhimi dhwanan mrudanga thunga mangala, 
Dhwani karma pravarthitha prachanda thandawa shiva. [11] 

Drusha dwichi thra thalpayor bhujanga moukthika srajo, 
Garishta rathna loshtayo suhrudhwi paksha pakshayo, 
Trunara vinda chakshusho praja mahee mahendrayo, 
Samapravarthika kadha sadashivam bhajamyaham. [12]

Kada nilampa nirjaree nikunja kotare vasan, 
Vimuktha durmathee sada sirasthanjaleem vahan, 
Vilola lola lochano lalama bhala lagnaka, 
Shivethi manthamucharan kada sukhee bhavamyaham. [13] 

Imam hi nithya meva muktha muthamothamam sthavam, 
Padan, smaran broovan naro vishudhimethi santhatham, 
Hare Gurou subhakthimasu yathi nanyadha gatheem, 
Vimohinam hi dehinaam sushakarasya chithanam. [14] 

Poojavasana samaye dasa vakhra geetham, 
Ya shambhu poojana param padthi pradhoshe, 
Thasya sthiraam radha gajendra thuranga yuktham, 
Lakshmeem sadaiva sumukheem pradadathi shambu. [15] 

Ithi Ravana krutham, Shiva thandava stotram, Sampoornam,


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संकटमोचन हनुमानाष्टकं - Sankatamochan Hanuman Ashtakam



Shree Pancha Mukhi Hanuman Ji
मत्तगयन्द छन्द
बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहुँ लोक भयो अँधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥१॥
Baala samai ravi bhaksha liyo, Taba teenahu loka bhayo andhiyaaro
Taahi so traasa bhayo jaga-ko, Yaha sankata kaahu so jaata na taaro
Dewan-aani kari binatee, Taba chaari diyo ravi kashta niwaaro
Ko nahi jaanata hai jaga may, kapi sankat mochan naam tihaaro [1]

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो ।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥२
Baali ki traasa kapeesa basai giri jaata mahaa prabhu pantha nihaaro
Chownkee maha muni sraapa diyo, taba chaahiyay kowna bichaar bichaaro
Lai dwija roopa liwaaya mahaa, prabhu so tuma daasa kay shoka niwaaro
Ko nahi jaanata hai jaga may kapi sankat mochan naam tihaaro [2]

अंगद के सँग लेन गये सिय खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो ।
हेरि थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया-सुधि प्रान उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥३॥
Angad kay sanga layna gayay, siya khoja kapisha yaha baina uchaaro
Jeewata-na bachihow hum-so, jubina sudhi laayi-ihaa paga dhaaro
Hayri thaki tatta sindhu sabai, taba laayi siyaa sudhi praana ubaaro
Ko nahi jaanata hai jaga may kapi sankat mochan naam tihaaro [3]

रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥४॥
Rawana traasa-dayi siya ko, saba raakshashi so kahi shoka nivaaro
Taahi samaya hanumana mahaa prabhu, jaaya mahaaraj nicharamaaro
Chaahita-siya ashoka so-aagi, soo-dai prabhu mudrika soka niwaaro
Ko nahi jaanata hai jaga may kapi sankat mochan naam tihaaro [4]

बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोन सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥५॥
Baanlagyo ura Laksmana kay, taba praana tajay suta rawana maaro
Lai-graha vaidya sushen sameta, tabahi giri drona su beera ubaaro
Aani sanjeewana haatha dayay, taba lakshkmana kay tuma praana ubaaro
Ko nahi jaanata hai jaga may kapi sankat mochan naam tihaaro [5]

रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो ।
आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥६॥
Rawana juddha ajaana kiyo, taba naaga ki phaasa sabai sira daaro
Sri Raghunatha sameta sabai, dala-moha bhayo yaha sankat bhaaro
Aani khagesha tabai hanumana-ju, bandhana kaati sutraasa niwaaro
Ko nahi jaanata hai jaga may kapi sankat mochan naam tihaaro [6]

बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत सँहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥७॥
Bandhu sameta jabai–ahirawana, lay raghunatha pataala sidhaaro
Devihi puji bhali vidhi, so-bali daywu sabai mili mantra vichaaro
Jaayi sahaayi bhayo tabahi, ahi-rawana sainya samet sanghaaro
Ko nahi jaanata hai jaga may kapi sankat mochan naam tihaaro [7]

काज कियो बड़ देवन के तुम बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसों नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कुछ संकट होय हमारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥८॥
Kaaja kiyay bara daywana kay, tuma beera mahaa prabhu dekhi bichaaro
Kowna so sankata mora gariba, ko-jo tuuma so nahin jaata hai taaro
Baygi haro hanumana maha prabhu, so-kachu sankat hoya hamaaro
Ko nahi jaanata hai jaga may kapi sankat mochan naam tihaaro [8]

दोहा
लाल देह लाली लसे अरू धरि लाल लँगूर।
बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर॥
Doha
Laal Deha Laalee Lasay, Aru Dhari Laala Langoora
Bajra Deha Daanawa Dalana, Jai Jai Jai kapi Soora

इती श्री गोस्वामी तुलसीदासकृत संकटमोचन हनुमानाष्टकं शुभम् ॥

Meaning

Prayer to Hanuman in eight verses, which can remove all the troubles

During childhood, You swallowed the Sun. Then the whole world became dark. On that account, trouble happened to the world and no one was about to rectify the situation. The demi-gods came and requested You, and You released the Sun from Your mouth to remove the fear. In this world, who does not knows that You are known as remover of obstacles, O Kapi! [1]

Due to fear of Bālī, Sugrīva lived on a mountain. He saw Lord rāma on His way. He could not leave the mountain due to curse of a saint. You found a solution to this (lit. You selected the thought that was needed). You took a form of seer and brought Lord Rāma, and relieved the suffering of Sugrīva. In this world, who does not knows that You are known as remover of obstacles, O Kapi! [2]

You went with Aṅgada (and others) to find Sītā and Aṅgada said, ‘We will not remain alive unless we return with the information about Sītā.’ They all got tired seeing the ocean at the coast. Then You brought the information about Sītā and saved everyone. In this world, who does not knows that You are known as remover of obstacles, O Kapi! [3]

Rāvaṇa ordered all the female demons to trouble Sītā. She asked (Trijaṭā) to remove Her troubles (by building a funeral pyre where She could jump). At that moment Hanumān, the great Lord, went and killed many demons there. He wanted Sītā to be relived and therefore, He gave the ring of Rāma to dispel anxiety of Sītā. In this world, who does not knows that You are known as remover of obstacles, O Kapi! [4]

When arrow of Meghanāda (son of Rāvaṇa) struck in the heart of Lakṣmaṇa, He was almost dead. You brought the healer Suṣeṇa, along with his home, and then finally You brought Mount Droṇa with the magical herb Sañjīvanī. After giving the herb, You rescued the life of Lakṣmaṇa. In this world, who does not knows that You are known as remover of obstacles, O Kapi! [5]

Rāvaṇa fought a war while remaining invisible and chained everyone in Nāgapāśa (lit. chain made of cobra). Along with Śrīrāma, everyone got deluded and thought it to be a great trouble. You brought Garuḍa (from Vaikuṇṭha), Who ripped apart the snakes. In this world, who does not knows that You are known as remover of obstacles, O Kapi! [6]

When Ahirāvaṇa with his brother kidnapped Rāma with His brother Lakṣmaṇa, he prayed to Goddess in various ways and well-prepared for human sacrifice of Rāma. Then You went as a helper to Rāma and killed Ahirāvaṇa along with his army. In this world, who does not knows that You are known as remover of obstacles, O Kapi! [7]

You have done deeds for great noble Ones. O brave and great Lord! Cast a glance on me and then decide what pain of the destitute me cannot be removed by you? (In other words, remove all my pains). O Hanumān, Who is the great lord! Absolve our any existing troubles quickly. In this world, who does not knows that You are known as remover of obstacles, O Kapi! [8]

Dohā:
Red-ness shines over Your red body, O Red Monkey! Your body is tough as diamond and You destroy demons. Be victorious, again and again, O the bravest among monkeys!

Sankat Mochan Hanuman Ashtak, simply known as Hanuman Aashtak, is a devotional Hindi Bhajan song dedicated to Lord Hanuman. Sankatmochan Hanuman Ashtakam (Sankat Mochan Naam Tiharo) was written By Tulsidas, a great devotee of Ram and Hanumanji. Ashtak, or Astakam, literally means eight and the prayer contain eight verses in praise of Lord Hanuman and the bhajan ends with a Doha. In most Lord Hanumanji Temples, this Sankatmochan Hanumanastak is chanted after the Hanuman Chalisa (Forty chaupais on Hanuman)

Astakam, Hanuman, Rudra, Tulasidas, मत्तगयन्द छन्द, श्री गोस्वामी तुलसीदासकृत,



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