एक गरीब किसान था। एक साल तक उसके खेतों में अच्छी फसल नहीं हुई, तो वह अपने बूढ़े माता-पिता के साथ जंगल चला गया। जंगल में इन तीनों को प्यास लगी। और ये लोग एक साधु की कुटिया में पहुंचे। वहां इन लोगों ने पानी पीने के बाद अपनी आपबीती भी उस फकीर को सुनायी। इसके बाद फकीर ने इन लोगों के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। किन्तु ईश्वर ने साधू से कहा इन लोगों के भाग्य में ही कष्ट है। परन्तु साधु काफी दयालु था, उसने फिर ईश्वर से प्रार्थना की। इसके बाद ईश्वर ने कहा, ठीक है तुम नहीं मानते हो, तो इन तीनों की एक-एक इच्छा पूरी की जाएगी। फकीर से यह बात पता चलते ही ये तीनों घर वापस जाने लगे। रास्ते में बूढ़ी को शंका हुई कि कहीं यह साधू हम तीनों को मूर्ख तो नहीं बना रहा है। अत: उसने ईश्वर से मांग की कि "मुझे इतिहास प्रसिद्ध सुन्दरी जुलेखा जैसी बना दो।' उसकी मांग पूरी हुई और वह एक सुन्दर युवती बन गई। उसी समय वहां एक राजकुमार आया। उस युवती ने राजकुमार से कहा, "मुझे इन दोनों से बचा लो। ये लोग मुझे जबरदस्ती ले जा रहे हैं।' राजकुमार यह चाहता भी था। अत: उसने तुरन्त उसे अपने घोड़े पर बैठा लिया और वहां से चल दिया। बूढ़े को युवती (पूर्व में बुढ़िया) की इस झूठी बात पर गुस्सा आया। अत: उसने भी ईश्वर से मांग की कि "भगवान! उस युवती को शूकरी बना दो।' उसकी मांग भी पूरी हुई और युवती शूकरी बन गई। शूकरी बनते ही राजकुमार ने उसे रास्ते में गिरा दिया। फिर वह अपने पति और बेटे के पास लौट आयी। काफी विनती करने पर उसके बेटे ने ईश्वर से प्रार्थना की कि "इसे मेरी मां की तरह बना दो।' इस तरह वह शूकरी फिर बुढ़िया ही बन गई।
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कौमार्य की शुद्धता खो रहे हैं भारतीय
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार अशोक सिंघल ने कहा कि भारत में कौमार्य संरक्षित रखा जाता था। लेकिन अब तो इसकी शुद्धता भंग हो गयी है और हम इसे खो रहे हैं। ‘भारत’ नहीं ‘इंडिया’ में बलात्कार की घटनाएं होने संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के एक दिन बाद शनिवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बलात्कार और महिलाओं से छेड़छाड़ की वारदात में इजाफे के लिए ‘पश्चिमी मॉडल’ को जिम्मेदार करार दिया और कहा कि शहरों के नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार अशोक सिंघल ने रहन-सहन के पश्चिमी तरीके को ‘‘खतरनाक’’ करार दिया और कहा कि यह संस्कृति अमेरिका से इस देश में आयी है। पश्चिमी मॉडल खतरनाक देश में बलात्कार की घटनाओं में हो रही बढ़ोत्तरी के बारे में कहा कि यह पश्चिमी मॉडल खतरनाक है। दरअसल हो यह रहा है कि हम अमेरिका की नकल कर रहे हैं। हमने अपने शहरों के मूल्यों को खो दिया है।

लिव-इन रिश्तों की जीवनशैली को गलत करार देते हुए सिंघल ने कहा कि यह न केवल हमारी संस्कृति के खिलाफ है बल्कि यह कभी हमारी संस्कृति का हिस्सा भी नहीं रही है। कौमार्य की ‘शुद्धता’ भंग सिंघल ने दावा किया कि अंग्रेजों के आने से पहले भारतवासी एक ‘शुद्ध’ जीवन जीते थे। उन्होंने कौमार्य की ‘शुद्धता’ को ‘ब्रह्मचर्य’ करार दिया और कहा कि यह अपवित्र हुई है। उन्होंने कहा कि कौमार्य संरक्षित रखा जाता था। लेकिन अब तो इसकी शुद्धता भंग हो गयी है. हम इसे खो रहे है।
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Aasan Shuddhi Mantra or Purification Of Worship Seat
आसन शुद्धि मंत्र
Kusha Aashan
आसन शुद्धि मंत्र इस प्रकार से है :-
आसन शुद्धि करने हेतु इस मंत्र को बोलते समय जल से आसन पर जल के छीटें देवें। इस प्रकार से आसन कि शुद्धि होती है तथा आसन शुद्धि से ही पूजा तथा जप कि पवित्रता बढती है तथा उच्च विचारों का आवागमन होता है और शांति तथा ध्यान कि प्राप्ति होती है। यह शुद्धि आसन के साथ साथ आपके विचारों तथा मन के विचारणीय वेग को आध्यात्मिकता कि ओर अग्रसर कर जीवन को निर्मल कर देती है। अत: कभी भी पूजन अथवा स्तुति करते समय बिना शुद्धि किये आसन पर नहीं बैठना चाहिए।
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किसी भी तरह की पूजा स्तुति और शुभारंभ से पहले जिस आसन पर आप विराजमान होना चाहते है उस पर बैठने से पहले नीचे दिए गए इस मंत्र से आसन को शुद्ध का लेना चाहिए तथा पूजन करने के लिए आसन का शुद्ध होना अति आवश्यक है।
आसन शुद्धि:- आसन अर्थात वह स्थान जहाँ से आप परम पिता परमेश्वर के आराधना करते है, अतएव आसन का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है। पूजा करने के आसन को शास्त्रों में उच्च स्थान का दर्जा प्राप्त है क्योंकि यही आसन परमेश्वर से मनुष्य के जुडाव का हेतु है। अत: इस सेतु अर्थात आसन की शुद्धि होना अति आवश्यक है।
Kusha Aashan
आसन शुद्धि मंत्र इस प्रकार से है :-
Mantra in Hindi:-
ऊँ पृथ्वीत्वया धृता लोकादेवि त्वं विष्णुना धृता,
त्वं च धारय मां देवि पवित्र कुरु चासनम् ||
Mantra in English:-
Ohm Prithvitvaya Dhrita Lokadevi Tvam Vishnuna Dhrita,
Tvam Cha Dharay Maam Devi Pavitra Kuru Chasanam ||
आसन शुद्धि करने हेतु इस मंत्र को बोलते समय जल से आसन पर जल के छीटें देवें। इस प्रकार से आसन कि शुद्धि होती है तथा आसन शुद्धि से ही पूजा तथा जप कि पवित्रता बढती है तथा उच्च विचारों का आवागमन होता है और शांति तथा ध्यान कि प्राप्ति होती है। यह शुद्धि आसन के साथ साथ आपके विचारों तथा मन के विचारणीय वेग को आध्यात्मिकता कि ओर अग्रसर कर जीवन को निर्मल कर देती है। अत: कभी भी पूजन अथवा स्तुति करते समय बिना शुद्धि किये आसन पर नहीं बैठना चाहिए।
Shuddhikaran Mantras, Devotion Mantras
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