पानी पीने के फायदे और नुकसान



 
 

पानी पीने के फायदे और नुकसान 

थकान दूर करने में सहायक 

सुबह खाली पेट पानी पीने के अनेको फायदे हैं। अगर आप अपनी बीमारियों को काबू में करना चाहते हैं तो रोज सुबह उठ कर ढेर सारा गुनगुना पियें। खाली पेट पानी गुनगुना पीने से पेट की सारी गंदगी दूर हो जाती है और खून शुद्ध होता है जिससे आपका शरीर बीमारियों से दूर रहता है। हमारा शरीर 70% पानी से ही बना हुआ है इसलिये पानी हमारे शरीर को ठीक से चलाने के लिये कुछ हद तक जिम्‍मेदार भी है। क्या आप जानते हैं कि सुबह खाली पेट पानी पीने का चलन कहां से शुरु हुआ? यह चलन जापान के लोगों ने शुरु किया था। वहां के लोग सुबह होते ही, बिना ब्रश किये 4 गिलास पानी पी जाते हैं। इसके बाद वे आधा घंटे तक कुछ भी नहीं खाते। अगर आपको हमेशा थकान महसूस होती है, तो सुबह की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से ही करें।इससे आप दिन भर तरोताज़ा महसूस करेंगे। इसके इलावा गर्म पानी पीने से बॉडी के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और बॉडी के फ्कंशन्स भी हैल्दी होते हैं।

पानी पीने के फायदे और नुकसान

सर्दी जुकाम से राहत दिलाने में सहायक
यदि बेमौसम ही आपको छाती में जकड़न और जुकाम की शिकायत रहे तो ऐसे में सुबह सुबह गुनगुना पानी पीना आपके लिए किसी रामबाण दवा से कम नहीं। गौरतलब है, कि गर्म पानी पीने से गला भी ठीक रहता है। इससे गले की नसे खुलती हैं और ख़राश आदि में भी आराम मिलता है। 3। कब्ज दूर करने में सहायक।। सुबह सुबह एक गिलास गुनगुना पानी, कब्ज़ को जड़ से खत्म कर देता है। इससे पेट साफ होता है और डाइजेशन सुधरता है। खाली पेट, गर्म पानी का सेवन करने से शरीर के टोक्सिन बाहर निकल जाते हैं।


वजन घटाने में मददगार
यदि आपका वज़न लगातार बढ़ रहा है और लाख कोशिशों के बावजूद भी कुछ फर्क नहीं पड़ रहा तो यह उपाय आपके लिए बिलकुल सही है। ऐसे में गुनगुने पानी में शहद और नींबू मिलाकर लगातार तीन महीने तक पीए, इससे आपको फर्क ज़रूर महसूस होगा। इससे वज़न घटता है और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब हम गुनगुना पानी पीते हैं, तो हमारे शरीर का तापमान सामान्य से कुछ अधिक हो जाता है। ऐसा करने से मेटाबोल्जिम की दर बढ़ जाती है और साथ ही यह एक ज़ीरो केलोरी की ड्रिंक की तरह भी काम करता है। यह आपकी भूख को कम करता है और वज़न को कण्ट्रोल करता है।


स्किन को हेल्थी रखने में सहायक
यदि आप भी स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान हैं और ग्लोइंग स्किन के लिए तरह तरह के कॉस्मेटिक्स उपयोग करके थक चुके हैं, तो आप रोजाना एक गिलास गर्म पानी पीना शुरू कर दें। इससे आपकी स्किन प्रॉब्लम फ्री हो जाएगी और चमकने लगेगी। इसके इलावा अगर स्किन पर रैशेज़ पड़ जाये या त्वचा सिकुड़ जाये तो रोज़ सुबह गुनगुना पानी पीएं। वो इसलिए क्योंकि गर्म पानी पीने से पिंपल्स और ब्लैक हैड्स की समस्या दूर होती है। इससे आपकी त्वचा के रोमछिद्र खुल जाएंगे और त्वचा खुलकर सांस ले सकेगी।


आंतरिक अंगों के लिए लाभकारी
इसके इलावा गर्म पानी का सेवन आपके शरीर के आन्तरिक अंगो के लिए भी लाभदायक होता है। इससे आपके शरीर की त्वचा की कोमलता बढ़ती है। साथ ही गुनगुना पानी पीने से शरीर के अंदरूनी अंगो में विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की दर भी बढ़ जाती है। इससे आपका शरीर पहले के मुक़ाबले कईं अधिक योग्यता से काम करने लगता है।


बालों के लिए फायदेमंद

गर्म पानी का सेवन बालों और त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इससे बाल चमकदार बनते हैं और यह उनकी ग्रोथ के लिए भी बहुत फायदेमंद है। दरअसल सिर की त्वचा सूखने पर बालों को सही पोषण नहीं मिल पाता। इसलिए यह आवश्यक है, कि सुबह उठकर गुनगुने पानी का सेवन किया जाये।


ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने में सहायक

शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए खून का संचार पूरी बॉडी में सही तरह से होना बहुत जरूरी है। इसलिए गर्म पानी पीना बहुत फायदेमंद रहता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गु्र्दों के लिए ठंडा पानी हानिकारक हो सकता है। तो वही गुनगुना पानी पीने से गुर्दे ठीक रहते है। इसके साथ ही गुनगुना पानी शरीर में जमी हुई गंदगी को भी बाहर निकाल देता है। इसलिए आप भी गुनगुना पानी जरूर पीए और अपने शरीर को स्वस्थ बनाये।


निम्नलिखित दिक्कत या स्थिति में भी पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।

  1. बुखार होने पर।
  2. ज्यादा वर्कआउट करने पर।
  3. अगर आप गर्म वातावरण में हैं।
  4. प्यास लगे या न लगे, बीच-बीच में पानी पीते रहें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं रहेगी।
  5. बाल झड़ने पर।
  6. टेंशन के दौरान।
  7. पथरी होने पर।
  8. स्किन पर पिंपल्स होने पर।
  9. स्किन पर फंगस, खुजली होने पर।
  10. यूरिन इन्फेक्शन होने पर।
  11. पानी की कमी होने पर।
  12. हैजा जैसी बीमारी के दौरान।

आयुर्वेद के अनुसार: आयुर्वेद के अनुसार हल्का गर्म पानी पीने से पित्त और कफ दोष नहीं होता और डायजेस्टिव सिस्टम सही रहता है। 10 मिनट पानी को उबालें और रख लें। प्यास लगने पर धीरे-धीरे पीते रहें। ऐसा करने से यह पता चलता है कि आप दिन में कितना पानी पीते हैं और कितने समय में पीते हैं। आप पानी उबालते समय उसमें अदरक का एक टुकड़ा भी डाल सकते हैं। इससे फायदा होगा।
उबालने के बाद ठंडा हुआ पानी कफ और पित्त को नहीं बढ़ाता, लेकिन एक दिन या उससे ज़्यादा हो जाने पर वही पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि बासी हो जाने पर पानी में कुछ ऐसे जीवाणु विकसित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। बासी पानी वात, कफ और पित्त को बढ़ाता है।

क्यों नहीं पीना चाहिए खड़े होकर पानी
पानी! यह एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए पानी को धरती का अमृत कहा गया हैं। पानी मानव शरीर के लिए अनिवार्य और आवश्यक तत्वों में से एक है। मानव शरीर पाँच तत्वों से निर्मित जीव है जिसमें 70% हिस्सा पानी से बना हुआ है। इसलिए 7-8 गिलास पानी का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे पाचन तंत्र, बाल व त्वचा स्वस्थ रहते है। पानी शरीर से बेकार पदार्थ को बाहर निकालता है और खून को साफ रखने में मदद करता है। पीने का पानी स्वच्छ और ताजा हो, बासी पानी में कुछ ऐसे जीवाणु पैदा हो जाते है जिसे पीने से वात, कफ और पित्त बढ़ता है। आगे हम अपने लेख में यह भी बताएंगे खड़े होकर पानी पीने के क्या-क्या शारीरिक नुकसान है। लेकिन उससे पहले पानी की महत्वता को देखते हुए आइये, जानें पानी किस स्थिति में, कब और कैसे पिये।


शारीरिक दृष्टि से पानी पीने का सही समय क्या है?

  1. 2-3 गिलास पानी सुबह खाली पेट पीने से शरीर की आंतरिक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। सुबह खाली पेट पानी पीने की मात्रा आप अपने शरीर की क्षमतानुसार बढ़ा या घटा सकते है। लेकिन दो गिलास पानी पीने की कोशिश अवश्य करे।
  2. एक गिलास पानी स्नान के पश्चात पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
  3. दो गिलास पानी भोजन के आधे घंटे पहले पीने से हाजमा दुरुस्त रहता है।
  4. आधा गिलास पानी सोने से ठीक पहले पीने से हार्ट अटैक से बचाता है।
  5. प्यास लगने पर घुट-घुट पानी कभी भी पिया जा सकता है। इससे पानी की कमी नहीं होगी। 

खड़े होकर पानी पीने के शारीरिक नुकसान - इस अनियमित जीवनशैली में आजकल किसी के पास स्वयं के लिए भी समय नहीं है। जिसका घातक परिणाम शरीर को भुगतना पड़ता है। आज अधिकांश लोग जल्दबाजी में खड़े होकर पानी का सेवन करते है जिसका गलत प्रभाव शरीर पर जरूर पड़ता है।

  1. पाचन तंत्र – खड़े होकर पानी पीने से यह आसानी से प्रवाह हो जाता है और एक बड़ी मात्रा में नीचे खाद्य नलिका के द्वारा निचले पेट की दीवार पर गिरता है। इससे पेट की दीवार और आसपास के अंगों को क्षति पहुँचती है। एक दो बार इस तरह से पानी पीने से ऐसा नहीं होता। लेकिन लंबे समय तक ऐसा होने से पाचन तंत्र, दिल और किडनी में समस्या की संभावना बढ़ जाती है।
  2. ऑर्थराइटिस – खड़े होकर पानी पीने की आदत से घुटनों पर दबाव पड़ता है और इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। इस आदत से जोड़ों में हमेशा दर्द रहने लगता है। इसलिए पानी का सेवन बैठकर करें और आराम से धीरे-धीरे पिए।
  3. गठिया – खड़े होकर पानी पीने से शरीर के अन्य द्रव्य पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे हड्डियों के जोड़ वाले भागों में आवश्यक तरल पदार्थों की कमी होने लगती है और हड्डियां कमजोर होने लगती है। कमजोर हड्डियों के कारण जोड़ों में दर्द और गठिया जैसी समस्या पैदा हो जाती है। यह समस्या अन्य कई बीमारियों का भी कारण बनती है।
  4. किडनी – खड़े होकर पानी पीने के दौरान पानी तेजी से गुर्दे के माध्यम से होते हुए बिना ज्यादा छने गुजर जाता है। जिसके कारण खून में गंदगी जमा होने लगती है। इस गंदगी के कारण मूत्राशय, गुर्दे (किडनी) और दिल की बीमारियां होने की संभावना अधिक हो जाती हैं।
  5. पेट की समस्या – खड़े होकर पानी पीने से पानी की मात्रा शरीर में जरूरत से ज्यादा चली जाती है। शरीर में मौजूद वह पाचन रस काम करना बंद कर देता है, जिससे खाना पचता है। अधिक पानी की वजह से खाना देर से पचने लगता है और कई बार खाना पूरी तरह से डाइजेस्ट भी नहीं होता। जिसके परिणाम स्वरूप अपच, गैस, अल्सर आदि पेट की समस्या उत्पन्न हो जाती है। पानी हमेशा बैठकर ही पिए। कभी भी लेटकर या खड़े होकर पानी का सेवन ना करे।

अति करे क्षति, इस बात से सभी वाकिफ है। पानी अच्छी सेहत के लिए अनिवार्य है इसमें कोई मतभेद नहीं, लेकिन अनुचित तरीका और अनुचित मात्रा अच्छी सेहत को कब खराब कर दे पता भी नहीं चलता। जब भी प्यास लगे बैठकर पानी पीने का संकल्प ले। यह संकल्प आपकी सेहत को दुरुस्त बना के रखेगा। एक बात का विशेष ध्यान रखे, भोजन के पश्चात ठंडा पानी पीने से नुकसान होता है। दरअसल, गर्म खाने पर ठंडा पानी पीने से खाया हुआ ऑयली खाना जमने लगता है। जो धीरे-धीरे बाद में फैट में बदल जाता है। इससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इसलिए भोजन के आधे घंटे पश्चात गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है। इस बात की पुष्टि हेल्थ विशेषज्ञों के द्वारा भी हुई है। स्वच्छ और ताजा पानी सेहत की लिहाज से दवा का काम करता है। अगर आप इसका सेवन सही तरीके से करते है तो यह आपको कई बीमारियों से बचा के रखेगा। इस लेख से आपको यह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी की कभी भी खड़े होकर पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। यह आदत शरीर की सेहत के लिए घातक है। आदत छोटी सी है लेकिन इसके परिणाम बहुत खतरनाक है। अगर आप किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित है तो उचित होगा आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि कई ऐसी भी समस्या होती है जिसमें कुछ मामलों में कम पानी पीने की सलाह दी जाती है।



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प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारक तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 (PNDT Act, 1994)



इस कानून की आवश्यकता क्यों हुई ?
यह सत्य है कि लिंग अनुपात में निरन्तर कमी के कारण या कानून बनाना जरूरी हो गया था, जिसका उद्देश्य है:
  • प्रसवधारण से पहले और बाद भ्रूण के लिंग की जाँच को रोकना।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारक तकनीक (लिंग चयन निषेध) का लिंग जाँच/निर्धारण के लिए दुरूपयोग प्रतिबन्धित करना।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारक तकनीक का सही ढंग से विधिपूर्वक प्रयोग करना।
 प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारक तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 (PNDT Act, 1994)

इस कानून के अन्तर्गत अपराध क्या हैं ?
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व लिंग चयन जिसमें शामिल है, प्रयोग का तरीका, सलाह और कोई भी उपबन्ध जिससे यह सुनिश्चित होता हो कि लड़के के जन्म की सम्भावनाओं को बढ़ावा मिल रहा हो, जिसमें आयुर्वेदिक दवाईयां और अन्य कोई वैकल्पिक चिकित्सा और पूर्व गर्भधारण विधियां/प्रयोग जैसे कि एरिकशन विधि का प्रयोग, इस चिकित्सा के द्वारा लड़के के जन्म की सम्भावना का पता लगता है, शामिल है।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व के तरीकों का दुरूपयोग चाहे किसी योग्य द्वारा लिंग निर्धारण और वैसे हालातों में इन तरीकों द्वारा किया गया हो जो कि इस अधिनियम के अन्तर्गत न आते हों।
  • जो व्यक्ति मानदेय पर कार्य कर रहा है और उसके पास अधिनियम में निर्धारित की गई योग्यता और अनुभव/प्रशिक्षण भी नहीं है उसे प्रसवधारणपूर्व का निर्धारण करना भी शामिल है।
  • प्रति या स्वयं पत्नी द्वारा, जहाँ तक कि उसको इस विधि का प्रयोग करने के लिए मजबूर न किया गया हो, के बारे में प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व की विधि के बारे में किसी महिला या पुरूष या किसी रिश्तेदार द्वारा लिंग निर्धारण के दुरूपयोग के बारे में बतलाना या उत्साहित करना।
  • किसी व्यक्ति द्वारा, जो कि प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व की तकनीक का प्रयोग कर रहा है, के द्वारा भ्रूण के लिंग के बारे में पत्नी या उसके पति या उसके रिश्तेदार को शब्दों द्वारा, इशारों द्वारा या किसी अन्य तरीके द्वारा बताना।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व से पहले या बाद भ्रूण के लिंग में चयन की सुविधा के बारे में किसी प्रकार का इश्तहार या प्रकाशन और पत्र आदि निकालना। इस प्रकार का विज्ञापन चाहे वह किसी भी तरह का हो जैसे कि सूचना पत्र पोस्टर या अन्य कोई पत्र विज्ञापन, इन्टरनेट द्वारा या किसी अन्य इलेक्ट्रानिक प्रिन्ट मीडिया या प्रिन्ट के रूप में होर्डिंग, दीवार में छापना, इशारा, प्रकाश, ध्वनि, धुआं या गैस।
  • उन स्थानों का पंजीकरण न करना जहाँ पर प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व के प्रयोग का संचालन किया जा रहा है। जैसे कि जनन उत्पति सम्बन्धी समझौता केन्द्र (प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व, दोनों प्रकार के तरीके और प्रयोग के बारे में सलाह देना, जनन उत्पति प्रयोगशाला (प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व प्रयोग) जिसमें ऐसे वाहन भी शामिल हैं जो जनन उत्पति क्लीनिक के तौर पर प्रयोग किये जा रहे हैं।
  • ऐसे गैर पंजीकृत स्थानों जहाँ पर प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व के प्रयोग किये जा रहे हैं।
  • ऐसी मशीनों या उनके हिस्सों को किसी गैर पंजीकृत संस्था या ऐसे किसी चिकित्सा पेशेवर, जिनके द्वारा भ्रूण के लिंग का पता चलता हो, को बेचना।
  • चिकित्सा रिकार्ड (कानून के तहत फार्म डी, ई और एफ) के ब्यौरे का सही रख रखाव न रखना।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व प्रयोग करने वाले के द्वारा प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारण तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 (PNDT Act,1994) को उपलब्ध न करवाना।
  • इस कानून के अन्तर्गत प्रत्येक जुर्म संज्ञेय व गैर जमानती है और समझौता योग्य नहीं है।
  • अगर यह अपराध किये जा रहे हैं तो आँखें बन्द करके न बैठें और इनकी शिकायत करें।
भ्रूण हत्या से भविष्य में होने वाली घटनायें ?
  • पुरूषों के मुकाबले स्त्रियों के अनुपात में लगातार कमी।
  • स्त्रियों के विरूद्ध यौन अपराधों में वृद्धि।
  • बच्चों के प्रति यौन अपराधों में वृद्धि।
  • यौन शोषण के लिए स्त्रियों की देह व्यापार में वृद्धि।
  • स्त्रियों के विरूद्ध घरेलू और अन्य सभी तरह की हिंसा में वृद्धि।
  • स्त्रियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में कमी।
  • दुल्हन के मोलभाव और अन्य परिवर्तन जैसे सामाजिक, मातृक या परिवारिक रिश्तों की घटनाओं में बढ़ावा।
  • यह झूठ है कि जनसंख्या में स्त्रियों की कमी से समाज में स्त्रियों का रूतबा बढ़ेगा।
इस कानून के तहत क्या सुविधाएं हैं ?
यह कानून प्रसवपूर्व निवारक तकनीक केवल क्रोमोसोम्स की अनियमितता, जनन उत्पति बीमारी, हीमोग्लोबीन, यौन प्रक्रिया, जन्मजात अनियमितता/बीमारियाँ जो कि भ्रूण में इस कानून के तहत वर्णित की गई है, की जांच की अनुमति देता है। परन्तु प्रसवपूर्व निवारक तकनीक का प्रयोग इन अनियमितताओं को दूर करने के लिए केवल पंजीकृत स्थानों/शाखाओं (जिसमें वाहन भी सम्मिलित हैं) और केवल योग्य व्यक्ति द्वारा ही किया जायेगा। 
जब गर्भवती महिला या तो:-
  1. 35 वर्ष की उम्र से अधिक हो।
  2. दो या अधिक बार स्वैच्छिक तौर पर गर्भपात कराया हो।विकृतांग सृजन करने वाला जैसे औषधि, विकीरण, रसायनी, संक्रमण या शक्तिषाली घटना को अभिव्यक्त करना।
  3. जनन उत्पत्ति से सम्बन्धित बीमारी या ऐसी वंशगत बीमारी जिसमें मानसिक कमजोरी के लक्षण हों।
इस शर्त पर कि महिला कि अनुमति ली गई हो या इस कानून में वर्णित या अन्य किसी दशा में (जैसे अल्ट्रासांउंड का प्रयोग 23 प्रकार की दषाओं में करवाया जा सकता है) जो कि उक्त कानून के फार्म एफ में दर्शायें गये हैं जिसका कि सख्त तौर पर ब्यौरे का रख-रखाव जरूरी है।


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अभिभावक एवं वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007)



वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा आज समाज के लिए सर्वाधिक चिंता का विषय है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देष्य वरिष्ठ नागरिकों और अभिभावकों को समर्थता प्रदान करने वाली व्यवस्था की रचना करना है, जिससे वे एक विशेष ट्रिब्युनल (अधिकरण) के समक्ष निर्धारित 90 दिन की समय सीमा के अंदर भरण पोषण के अधिकार को सुलभता और शीघ्रता से प्राप्त कर सकें।
अभिभावक एवं वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007)
अभिभावक एवं वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007 की मुख्य विशेषताएं
  • वे अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो कि अपनी आय अथवा अपनी संपति के द्वारा होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, वे अपने वयस्क बच्चों अथवा संबंधियो से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकतें है। इस भरण पोषण में समुचित भोजन, आश्रय, वस्त्र एवं चिकित्सा सुविधाएं सम्मिलित हैं।
  • अभिभावकों में सगे और दत्तक माता-पिता और सौतेले माता और पिता सम्मिलित हैं, चाहे वे वरिष्ठ नागरिक हों या न हों।
  • प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जो कि 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है, वह अपने संबंधियो से भी भरण पोषण की मांग कर सकता है जिनका उनकी संपति पर स्वामित्व है अथवा जो कि उनकी संपति के उतराधिकारी हो सकते हैं।
  • भरण पोषण के लिए आवेदन स्वयं वरिष्ठ नागरिकों के द्वारा किया जा सकता है या वे अन्य व्यक्ति को या किसी स्वेच्छिक संगठन को ऐसा करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं।
  • यदि ट्रिब्युनल (अधिकरण) इस बात से संतुष्ट है कि बच्चों अथवा संबंधियों ने अपने अभिभावकों अथवा वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा की हैं अथवा उनकी देखभाल करने से इन्कार किया है तो ट्रिब्युनल (अधिकरण) उन्हें मासिक भरण पोषण, जो कि अधिकतम 10000 रू0 प्रतिमाह तक हो सकता है, देने का आदेष दे सकता है।
  • वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा अथवा परित्याग एक संज्ञेय अपराध है जिसके लिए 5000 रू0 जुर्माना या तीन महीने की सजा या दोनो हो सकते है।
  • राज्य सरकारें प्रत्येक 150 परित्यक्त वरिष्ठ नागरिकों और अभिभावकों के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक वृद्धाश्रम स्थापित करेंगी। इस आश्रमों 128 में वरिष्ठ नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं जैसे भोजन, वस्त्र, और मनोरंजन की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
  • सभी सरकारी अस्पतालों और उन अस्पतालों जिन्हें सरकार से सहायता प्राप्त होती है उनके जहां तक संभव हो वरिष्ठ नागरिकों को बिस्तर उपलब्ध करवाएं जाऐगें। चिकित्सालयों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष पंक्तियों का प्रबंध किया जाएगा।


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