एनडीए - अच्छी नौकरी के साथ-साथ देश सेवा का जज्बा NDA - Good Job with the Passion to Serve the Country



 

थल सेना हो, नौसेना हो या वायु सेना, सेना में ऑफिसर बनना छात्रों का ख्वाब होता है। अपने इस ख्वाब को वे हकीकत में बदल सकते हैं नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) के माध्यम से। यूपीएससी द्वारा इसके लिए साल में दो बार प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। सेना में नौकरी का अलग ही क्रेज है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि देश सेवा का बेहतरीन अवसर मिलता है। अब सैलरी भी काफी दमदार हो गयी है। यही कारण है कि अधिकतर युवा इस नौकरी को पाने के लिये प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते है। एनडीए में नौकरी करने का एक अलग ही क्रेज होता है। इस नौकरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आपको कम उम्र मे ही कई अहम जिम्मेदारियां मिल जाती है। करीब छह दशक पूर्व अपनी स्थापना से लेकर आज तक नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) सेना के तीनों विंग्स - आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के ऑफिसर कैडेट को ट्रेनिंग देने में अग्रणी रहा है। भारतीय सशस्त्र सेना के अधिकांश ऑफिसर आज इसी संस्थान के पूर्व छा़त्र है।


 

तकनीकी विकास के अनुरूप कैडेट्स को बेहतर ट्रेनिंग देने के मद्देनजर अपनी स्थापना से लेकर अब तक इस संस्थान के स्वरूप में काफी बदलाव आया है। संस्थान की 2500 छात्रों को प्रशिक्षित करने की क्षमता भी अब बढ़कर 3000 हो चुकी है। खास बात यह है कि बेहतर ट्रेनिंग और समझ के लिये संस्थान द्वारा विश्व के अन्य प्रमुख मिलिट्री संस्थानों, जैसे यूनाइटेड स्टेट्स मिलिट्री एकेडमी, आस्ट्रेलियन डिफेंस एकेडमी आदि के साथ मिलकर संयुक्त अभियान भी चलाया जाता है। इसके अलावा संस्थान द्वारा विभिन्न देशों, जैसे अफगानिस्तान, ईरान, इराक, नेपाल, श्रीलंका, उज्बेकिस्तान आदि के कैडेट्स को भी ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसे महत्वपूर्ण संस्थान का हिस्सा आप भी बन सकते है, एनडीए की प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त करके।


डिफरेंट एग्जाम, डिफरेंट प्रिपरेशन

एनडीए की परीक्षा अन्य परीक्षाओं से काफी अलग होती है। अन्य परीक्षाओं में जहां मानसिक मजबूती देखी जाती है, तो वहीं इस परीक्षा में शारीरिक और मानसिक दोनों की मजबूती आवश्यक है। यही कारण है कि इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले स्टूडेंट्स कम उम्र में ही सैन्य अधिकारी बन जाते है।


बारहवीं उत्तीर्ण जरूरी

एनडीए एंट्रेंस टेस्ट के लिए अभ्यर्थी की आयु जारी अधिसूचना के अनुसार साढ़े 16 से 19 वर्ष के बीच होनी चाहिए। जो अभ्यर्थी आर्मी में प्रवेश पाना चाहते है, उनके लिए किसी भी संकाय से 12वीं या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। एयरफोर्स और नेवी में जाने के इच्छुक छात्रों के लिए मैथमेटिक्स और फिजिक्स से 12वीं या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। 12वीं की परीक्षा दे चुके छात्र भी एंट्रेंस टेस्ट के लिए अप्लाई कर सकते है। लेकिन उन्हें एसएसबी इंटरव्यू के समय 12वीं उत्तीर्ण करने का प्रमाण देना होगा। आवेदन करते समय छात्रों को स्पष्ट रूप से यह बताना होगा कि वे किस विंग में जाना चाहते है। हालांकि अंतिम चयन लिखित परीक्षा और एसएसबी में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर ही होता है।


एग्जाम पैटर्न

एनडीए में प्रवेश के इच्छुक छात्रों को तीन चरणों में एंट्रेंस टेस्ट से गुजरना होता है। सबसे पहले उन्हें यूपीएससी द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में बैठना होता है। इसमें दो पेपर होते है- मैथ्स (300 अंकों का) और जनरल एबिलिटी (600 अंकों का)। दोनों ही पेपर ढाई-ढाई घंटे के होते है। सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप के होंगे और गलत उत्तरों के लिये अंक काटे जाएंगे।


एसएसबी से ओएलक्यू की जाँच

रिटेन टेस्ट क्लियर करने वाले अभ्यर्थियों को सेना के सर्विस सेलेक्शन बोर्ड यानी एसएसबी द्वारा इंटरव्यू और व्यक्तित्व परीक्षण के लिये कॉल किया जाता है। इसका उददेश्य अभ्यर्थी की पर्सनैलिटी, बुद्धिमता और सेना में एक ऑफिसर के रूप में उसकी ऑफिसर लाइक क्वालिटी (ओएलक्यू) को जांचना होता है। एसएसबी के सेंटर कई शहरों में है और अभ्यर्थी को उसके निकटवर्ती सेंटर पर ही बुलाया जाता है। आमतौर पर एसएसबी इंटरव्यू पांच दिनों तक होता है, लेकिन इसमें पहले दिन स्क्रीनिंग टेस्ट ही होता है, जिसमें साइकोलॉजिस्ट टेस्ट देने होते है। इस दौरान उनका ग्रुप डिस्कशन यानी जीडी, साइकोलॉजिस्ट टेस्ट, इंटरव्यू बोर्ड तथा ग्रुप टास्क ऑफिसर द्वारा उनकी ओएलक्यू को जांचा-परखा जाता है। एनडीए परीक्षा के आधार पर अंतिम रूप् से चुने गये अभ्यर्थियों को नेशनल डिफेंस एकेडमी, खडगवासला, पुणे में तीन वर्ष की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान वे अपनी स्ट्रीम के अनुसार ग्रेजुशन की पढाई भी पूरा करते है। इसके लिये उनके पास फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ एवं कम्प्यूटर साइंस विष्यों के साथ बीएससी का या पोलिटिकल साइंस, इकोनॉमिक्स, हिस्ट्री आदि विषयों के साथ बैचलर ऑफ़ आट्र्स यानी बीए का विकल्प होता है। हालांकि, ट्रेनिंग के पहले वर्ष में तीनों सेनाओं के लिये चयनित अभ्यर्थियों को एक ही कोर्स की पढाई करनी होती है। दूसरे साल में उनके द्वारा चुने गये बिंग यानी आर्मी, नेवी या एयरफोर्स के आधार पर उनके कोर्स का लिेबस बदल जाता है। एनडीए में तीन वर्ष की ट्रेनिंग के उपरान्त कैडेट्स को उनके द्वारा चुनी गई बिंग की विशेष जानकारी के लिये स्पेशल ट्रेनिंग पर भेजा जाता है। इसके तहत् आर्मी के लिये चयनित कैंडिडेट्स को इंडियन मिलिट्री एकेडमी (देहरादून), एयरफोर्स के कैंडिडैट्स को एयरफोर्स एकेडमी (हाकिमपेट) तथा नेवी के लिये चुने गए कैंडिडेट्स को नेवल एकडमी (लोनावाला) भेजा जाता है। ट्रेनिंग को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले कैडेट्स को उनके द्वारा चुने गए सेना के किसी एक बिंग में कमीशंड ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया जाता है। अगर आप इस पद के लिये गंभीर है, तो इसकी तैयारी शुरू कर दें।


तैयारी कैसे करें


मैथमेटिक्स मैथमेटिक्स के प्रश्नों को हल करने के लिए कॉन्सेप्ट क्लियर रखें तथा तीन राउंड में प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें। इससे आप अधिक से अधिक प्रश्नों का सही जवाब दे सकते है। शॉर्टकट मेथड फायदेमंद होते है। मैथ्स के लगभग सभी टॉपिक से प्रश्न पूछे जाते है। इसलिए पूरे सिलेबस पर अपनी कमांड बनाए रखें।

अंग्रेजी के पेपर में अधिक अंक आएं, इसके लिए रीडिंग पर खूब ध्यान देना चाहिए। इससे कॉम्प्रिहेंशन सवालों को हल करने में मदद मिलती है। इसके अलावा वोकाबुलरी को मजबूत बनाने, एंटोनीम्स और सिनोनिम्स सेंटेंस में ग्रामर संबंधी गलतियां पहचानने और टेंस व प्रीपोजीशन की प्रैक्टिस करने पर काफी ध्यान देना चाहिए। बेहतर रीडिंग के लिए इन बातों का ध्यान रखें। किसी समाचार-पत्र के संपादकीय को नियमित रूप से पढ़े। साथ ही सामान्य पत्र-पत्रिकाएं भी पढ़ते रहें। फिक्शन, साइंस स्टोरी आदि पढ़ने का भी अभ्यास किसी भी रीडिंग के दौरान स्टोरी के थीम को समझने की कोशिश करें। साथ ही वर्ड्स और सेंटेंस को समझने की कोशिश करें। किसी भी रीडिंग के दौरान स्टोरी के थीम को समझने की कोशिश करें। साथ ही वर्ड्स और सेंटेंस को समझने की कोशिश करें। वोकाबुलरी की तैयारी के दौरान प्रत्येक सिटिंग में 49-50 शब्द याद करें और फिर हर दूसरे-तीसरे दिन उन्हें दोहराते भी रहें। जो वड्र्स याद न हो, उन्हें फिर से याद करने की कोशिश करें। ऐसे शब्दों को लिखकर दीवार पर टांग दें, ताकि नजर बार-बार उन पर जाए। इडियम्स ऐंड फे्रजैज पर खास घ्यान दें।

जनरल नॉलेज में साइंस बैकग्राउंड वाले छात्रों के मुकाबले आर्ट बैकग्राउंड के छात्रों को जनरल नॉलेज में अधिक मेहनत करने की जरूरत होती है। विज्ञान विषयों में कांसेप्ट क्लियर होना चाहिए, जबकि आर्ट्स विषयों में सेलेक्टिव स्टडी फायदेमंद होती है। मॉडल प्रश्न-पत्र से यह आकलन किया जा सकता है कि किस सेक्शन से अधिक प्रश्न पूछे जाते है। करंट अफेयर्स की तैयारी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और समाचार-पत्रों से नियमित रूप से करनी चाहिए। जनरल नॉलेज की तैयारी के लिए 11वीं - 12वीं स्तर की किताबों का अध्ययन ठीक ढंग से करें।

एग्जाम टिप्स


टेस्ट के दौरान किसी भी प्रॉब्लम पर ज्यादा देर तक रुके रहना बहुमूल्य समय को बर्बाद करना है। ऐसे में सबसे अच्छा तरीका यह है कि प्रश्न-पत्र को तीन राउंड से सॉल्व करें। पहले राउंड (10 से 12 मिनट) में सबसे आसान प्रश्नों को हल करें। साथ ही मार्क करते जाए कि किन प्रश्नों को दूसरे राउंड में हल करना है। इस राउंड में कुछ मुश्किल प्रश्न हल हो जाएंगे। इसके बाद बचे हुए समय में यानी तीसरे राउंड में मुश्किल प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें।

कोई जरूरी नहीं कि पूरे नियम से ही किसी प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ा जाये। कई बार विकल्पों पर नजर डालने से भी आपको थोड़े से मेंटल कैलकुलेशन से उत्तर का पता चल जाता है। इससे मुश्किल सवालों को हल करने के लिए समय की बचत होती है। शॉर्टकट मेथड फायदेमंद होते है।

प्रैक्टिस का फायदा तो होता ही है। इसलिए मॉडल प्रश्न-पत्रों को हल करने का अधिक से अधिक प्रयास करें।

चूंकि सवाल 11 - 12वीं स्तर के होते हैं। इसलिए संबंधित सिलेबस की पढ़ाई शुरू से ही ठीक ढंग से करें।

वर्बल एबिलिटी को इम्प्रूव करें। बेहतर अंक लाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।



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प्रेरक प्रसंग लाईफ चेंजिंग स्टोरी Motivational Context - Life Changing Story



प्रेरक प्रसंग - लाईफ चेंजिंग स्टोरी Motivational Context - Life Changing Story 

नन्हीं बच्ची की मुस्कान ने बदला जीने का नजरिया

एक आदमी हर दिन ऑफिस जाने के लिए कालोनी के बाहर बस स्टॉप पर खड़ा रहता है। एक दिन उसने देखा कि एक महिला अपनी बच्ची के साथ वहाँ खड़ी थी। उसने उससे बस की जानकारी मांगी। आदमी ने बसों के क्रम के अनुसार उनके नंबर बता दिए। इस दौरान उस बच्ची ने उसे प्यारी-सी स्माइल दी, जो उसके मन को छू गई, उसने जेब से चॉकलेट निकालकर उसे दे दी, जो वह अकसर घर के लिए ले लिया करता था। उस बच्ची ने उसे थैंक्यू कहा। अब लगभग हर दिन बस स्टॉप पर उस व्यक्ति की उस महिला और उसकी बच्ची से नजरें मिल ही जाती थी। वह बच्ची स्माइल करती और गुड बाय बोलकर अपनी माँ के साथ बस में चली जाती थी। कुछ दिनों में पता चला कि वह बच्ची उस कालोनी में ही रहती थी। वह अकसर अन्य के साथ खेलती दिख जाती थी।
फिर एक दिन बस स्टॉप पर वह दोनों नहीं दिखे। उस आदमी ने सोचा कि हो सकता है बच्ची की छुट्टी वगैरह हो। कुछ दिन बीत गए, लेकिन वह बच्ची और उसकी माँ बस स्टॉप पर नहीं आई। वह मैदान में अन्य बच्चों के साथ भी नहीं दिखी। आदमी की जिज्ञासा बढ़ गई, उसने उनके बारे में जानकारी निकाली। पता चला कि वह महिला दुनिया छोड़ कर चली गई। महिला का पति उसे धोखा देकर छोड़ गया था। उसके पास कोई नौकरी वगैरह नहीं थी, माँ-बेटी की गुजर-बसर नहीं हो पा रही थी। अकेलेपन और तनावभरी जिंदगी से उसने हार मान ली थी। उस आदमी ने उसकी बच्ची के बारे में पूछा, तो पता चला कि उसे अनाथालय में रखा गया है क्योंकि उसका कोई नहीं था और कोई उसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए भी तैयार नहीं था।
अगले ही दिन वह आदमी अनाथालय पहुँच गया। वहाँ उसने उस बच्ची के बारे में पूछा, तो उसे इशारे से बताया गया। वह अन्य बच्चों के साथ बगीचे में खेल रही थी। उसकी नज़रें उस व्यक्ति पर पड़ी, उसने फिर वही स्माइल दी। फिर वह उसके पास आई और कहने लगी - मेरी चॉकलेट कहाँ है। आदमी मुस्कुरा दिया और उसके लिए खरीदी चॉकलेट उसे दे दी। उसने फिर मधुर आवाज में उसे थैंक्यू कहा और वह चली गई। आदमी उसे खेल ते और मस्ती करते देखता रहा। रास्ते भर वह अपनी परेशानियों के बारे में सोचता रहा। वह उनके बारे में सोचता रहा, जिन्होंने उसे तकलीफ पहुँचाई। फिर भी उसे अब सब आसान लग रहा था। उसने सोचा, ये बच्ची इस हालात में भी मुस्कुरा सकती है, तो मैं क्यों नहीं। इस तरह उसने अपनी जिंदगी से निगेटिव सोच निकाल दी और अब पहले से ज्यादा खुश रहता है।
किसी काम को छोटा न समझे
नेपोलियन कहीं जा रहा था। रास्ते में उसकी नजर एक दृश्य पर पड़ी। वह रूक गया। कई कुली मिलकर भारी-भारी खंभों को उठाने का प्रयास कर रहे थे। और मारे पसीने के तरबतर थे। पास में खड़ा एक आदमी उन सबको तरह-तरह के निर्देश दे रहा था।
नेपोलियन ने उस आदमी के करीब जाकर कहा, "भला आप क्यों नहीं इन बेचारों की कुछ मदद करते ?"
उसे गुस्सा आ गया और झिड़कते हुए वह बोला, "तुझे मालूम है, मैं कौन हूँ ?"
"नहीं भाई, मैं तो अजनबी हूँ, मैं क्या जानूं कि आप कौन हैं ?" नेपोलियन ने विनम्रता से कहा।
"मैं इस काम का ठेकेदार हूँ", रोब जमाते हुए उसने कहा। नेपोलियन बिना कुछ कहे मजदूरों की तरफ चला गया और उन मजदूरों के काम में हिस्सा बांटने लगा। जब वह जाने लगा तो ठेकेदार से पूछा, "और तू कौन है ?"
"ठेकेदार साहब, बंदे को लोग नेपोलियन कहते हैं" नेपोलियन का नाम सुनते ही ठेकेदार की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। उसने अपनी असभ्यता के लिए उससे माफी मांगी। नेपोलियन ने उसे समझाया,"किसी भी काम को अपने ओहदे से नहीं देखना चाहिए और न ही किसी काम को छोटा समझना चाहिए।"


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जामुन - प्राकृतिक अनमोल औषधि (Berries - Natural Precious Medicine)



जामुन (वैज्ञानिक नाम : Syzygium cumini) एक सदाबहार वृक्ष है और यह भारतवर्ष में प्रायः सब जगह पैदा होते हैं। वनों में उगने वाली जामुन छोटी और खट्टी होती है और बगीचों में उगने वाली बड़ी और मीठी होती है। एक जामुन की जाति नदी किनारे लगती है जिसकी पत्ती कनेर के पत्तों जैसी होती है, इसे जल-जामुन कहते हैं। इस की दूसरी जाति के पत्ते आम के पत्तों के बराबर होते हैं और फल मध्यम होते हैं। इसकी तीसरी जाति के पत्ते पीपल के पत्तों के बराबर होते हैं और चिकने तथा चमकदार होते हैं। इसका फल बड़े जामुन के रूप में होता है। जामुन की कई किस्में हैं। कुछ जामुन के पत्ते मौलसिरी के पत्तों जैसे भी होते हैं। वैशाख और ज्येष्ठ मास में इनमें फल आते हैं, इसके फलों को जामुन कहते हैं। जामुन का रंग ऊपर से काला और अन्दर से लाल होता है। अन्दर इसमें गुठली होती है। गुणों में सभी जामुन फल एक जैसे गुणकारी होते हैं और बडे़ स्वादिष्ट व मीठे होते हैं। जामुन के वृक्ष बहुत बड़े-बड़े होते हैं। इसकी लकड़ी चिकनी, सुंदर तथा कमजोर होती है। ग्रीष्म ऋतु के अन्त और वर्षा ऋतु के प्रारंभ में इसके फल झड़ते हैं, जिन्हें लोग इसकी गुठलियों के लिए संग्रह करते हैं। गुठली औषधियों में प्रयोग होती है।
Jamun Information and Facts - Specialty Produce
जामुन को संस्कृत में जम्बू, सुरभीपला, महांस्कन्द्दवा, मेघमोदिनी, राजफला और शुकप्रिया कहते हैं। हिन्दी में जामुन, जामन, काला जामन, फलांदा और फलिंद कहते हैं। गुजराती में जांबू, बंगला में जाम, मराठी में जांभूल, तमिल में जंबुनावल, कर्नाटकी में नीरल या केंपुजं बीनेरलु, तेलिंगी में नेरेदु, मलयालम में नेतुजांबल या नावल, लैटिन में जांबोलेमन या सिजि़जीयम् और अंग्रेजी में जांबुल ट्री या जेम्बोल कहते हैं। जामुन का छत्र काफी घना होने के कारण इसे सड़कों के किनारे, खेतों में और खाली भूमि पर लगाया जाता है। पत्तियां गहरे हरे रंग की और चमकदार होती हैं। छाल स्लेटी-कत्थई होती है। यह नदी तट के पास बाढ़ से प्रभावित भूमि पर अधिक पैदा होता है व नदी, तालों के किनारे और दलदली क्षेत्रों में पाया जाता है। सुन्दर छायादार छत्र और सदापर्णी वृक्ष होने के कारण जामुन सड़कों के किनारे बहुतायत से रोपा जाता है।
Syzygium cumini, Syzygium jambolanum, Eugenia cumini, Eugenia jambolana
जामुन एक मध्यम आकार का वृक्ष है जिसकी ऊँचाई 32 मी. तक और व्यास 100 से.मी. या इससे अट्टिाक तक होता है। अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेंटीग्रेड एवम् 875 से 5,000 मि.मी. वर्षा वाले क्षेत्र जामुन के लिए अनुकूल होते हैं। यह प्रजाति जलवायु की दृष्टि से बहुत सहनशील है। यह कंकरीली, क्षारीय और नमकयुक्त मृदा के अतिरिक्त अन्य समस्त प्रकार की पृदा में पनप सकता है। जामुन छाया सहन कर सकता है। यह तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति है। जामुन के बीज अंकुरण क्यारियों में एक से.मी. के अन्तराल पर पतली नालियों में बोए जाते हैं। 6-7 से.मी., ऊँचे हो जाने पर बिजौलों को अंकुरण क्यारियों से निकाल कर प्रतिरोपण क्यारियों में प्रतिरोपित कर देते हैं। पॉलीथीन थैलों में सीट्टो बीज बोकर भी इसकी पौध तैयार की जाती है इसकी समय-समय पर सिंचाई, गुड़ाई व निराई करते रहना चाहिए। एक वर्ष की पौध रोपण हेतु उपयुक्त होती है। पौट्टाशालाओं में शाखा अट्टिाक होने की स्थिति में नीचे से 1/3 ऊँचाई तक शाखाओं को तेज धार चाकू से काट देना चाहिए।
Fruit Warehouse | Jamblang  ( Syzygium cumini )
जामुन की लकड़ी भारी और मजबूत होने के कारण इमारती लकड़ी के रूप में भी उपयोगी है। बैलगाड़ी के पहिए और नावें भी जामुन की लकड़ी से बनती है। खेती के औजारों के दस्ते बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसे ईंधन के रूप में भी काम में लाया जाता है। जामुन की छाल, चमड़ा पकाने और रंगने के काम आती है। इसके पके हुए फल बहुत स्वादिष्ट होते है। इसका सिरका भी बनाया जाता है। पेट के विकारो के लिए जामुन के फल और इनका सिरका अचूक दवा माना गया है।

उपयोगिता और मान्यता
आयुर्वेद के अनुसार, जामुन की छाल कसैली, मल रोधक, मधुर, पाचक, रुक्ष, रूचिकारक तथा पित्त और दाह को दूर करने वाली होती है। इसके फल मधुर, कसैले, रूचिकारक, रूखे, मलरोधक, वातवर्धक और कफ, पित्त जीवपनोपयोगी फल: जामुन तथा अफरे को दूर करने वाले होते हैं। जामुन की गुठली मधुर, मलरोधक और मधुमेह (शक्कर की बीमारी) को नष्ट करती है।

चरक के शास्त्र में जामुन की छाल को मूत्रसंग्रह और पुरीष रंजनीय बतलाया है। सुश्रुत के शास्त्र में रक्त पित्त नाशक, दाहनाशक, योनिदोषनाशक, वृष्य और संग्रही माना है। वैद्य लोग जामुन के सिरके को पेट की पीड़ा का नाश करने वाला और मूत्र अधिक लानेवाला मानते हैं। जामुन कृमि नाशक, रक्तप्रदर और रक्तातिसार का शामक है। जामुन का रस पीने से दस्त बंद हो जाती है। जामुन खून को साफ करता है और इसमें विजातीय तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालने की अद्भुत क्षमता होती है।
 Jamun or Java plum - beneficial in chronic diarrhea
जामुन में निहीत तत्व व खनिज
जामुन के 100 ग्राम गूदे में लगभग 94 ग्राम पानी होता है। 14 ग्राम कार्बोहाईड्रेट (शर्करा), 14 मि ग्रा कैल्शियम, 14 मिग्रा फास्फोरस और अल्पमात्रा में लोहा पाया जाता है। प्रोटीन की मात्रा 0.7 ग्राम, वसा की मात्रा 0.3 ग्राम होती है। कुछ महत्त्वपूर्ण खनिज तत्त्वों के साथ 0.9 ग्राम रेशे भी पाए जाते हैं। जामुन के रस में विटामिन ‘सी’ 10 मिलीग्राम तथा कैरोटीन, थायमिन, रिबोफ्लेविन और नियासिन जैसे विटामिन भी मिलते हैं। इन सब तत्त्वों के कारण-जामुन के 100 ग्राम गूदे से 62 कैलोरी उर्जा मिल जाती है।
कुछ औषधीय प्रयोग
  1. मधुमेह (डायबिटीज) पर- जामुन की गुठली और गुड़मार बूंटी, दोनो समभाग लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन 6 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ प्रातः सायं सेवन करने से मधुमेह रोग मिट जाता है।
  2. स्वप्नदोष पर- जामुन की गुठली पीसकर चूर्ण बना लें, प्रातः सायं दो चम्मच (छः ग्राम) चूर्ण पानी से लें तथा रात्रि में दूध के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है, वीर्य के रोग दूर होते हैं तथा शीघ्रपतन व स्वप्नदोष मिट जाता है। जामुन की गुठली पंसारी या हकीमी अत्तार की दुकान से जितनी चाहें उतनी प्राप्त की जा सकती हंै।
  3. शैया मूत्र पर- निद्रावस्था में बालक-बालिका, बहुत से बड़े हो जाने के बाद भी बिस्तर में पेशाब कर देते हैं। कोई बड़ी उम्र के भी पेशाब कर देते हैं, इसे शय्यामूत्र रोग कहते हैं, इसके उपचार में जामुन की गुठली को कूटपीस कर चूर्ण बनालें, इस चूर्ण को प्रातः सायं एक चम्मच फांककर पानी पीलें, ऐसा करने से एक हफ्ते में बिस्तर में पेशाब करना मिट जायेगा।
  4. पुरानी बैठी हुई गले की आवाज पर- जामुन की गुठली का चूर्ण आधा चम्मच शहद में मिलाकर प्रातः सायं लेने से पुरानी बैठी हुई आवाज साफ हो जाती है। गायकों, वक्ताओं के लिए यह उपचार लाभकारी है।
  5. मधुमेह में- जामुन की गुठली सूखी तथा सूखे आंवले दोनों को कूटपीस कर चूर्ण बना लें। दोनों समभाग (बराबर-बराबर) ले लें। प्रातः निराहार (खाली पेट) गाय के दूध के साथ 6 ग्राम (दो चम्मच) चूर्ण फांककर दूध पी लें। ऐसा कुछ दिन करने से मधुमेह रोग समाप्त हो जाता है।
  6. चर्मरोगों पर- जामुन की गुठली बारीक पीस कर नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से चर्म रोगों में लाभ मिलता है।
  7. कान से पानी बहने पर- जामुन की गुठली को पीसकर सरसों के तेल में डालकर गरम करें। ठण्डा होने पर सूती कपडे़ से छानकर शीशी भर लें। ड्रापर से कान में डालने से कुछ ही दिनों में कान बहना बन्द हो जाता है।
  8. मुंह के छाले- जामुन के नरम और ताजे पत्तों को पानी में पीसकर, और पानी बढ़ाकर कपड़े से छान लें, उस पानी से कुल्ले करने से मुंह के खराब से खराब छाले ठीक हो जाते हैं।
  9. बवासीर में- दस ग्राम जामुन के पत्तों को गाय के दूध में घोंटकर दस दिन तक प्रातः पीने से बवासीर में गिरने वाला खून बन्द हो जाता है।
  10. अफीम का नशा- दस ग्राम जामुन के पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से अफीम का नशा उतर जाता है।
  11. जूते से काटने पर- अगर किसी के पाँव में चमड़े के जूते से काटने पर जख्म हो जाता है तो जामुन की गुठली पानी में पीसकर लगाने से जख्म ठीक हो जाता है।
  12. दस्त में- जामुन की गुठली व आम की गुठली से उसकी गिरी फोड़कर निकाल लें, दोनो समभाग लेकर चूर्ण बनालें, दूध के साथ इसकी फंकी लेने से लगातार आ रही दस्तें बन्द हो जाती है।
  13. पेट में बाल या लोहे का अंश चला जाने पर पक्के जामुन खाना चाहिए, जामुन इन्हें पेट में गला देता है। जामुन खाना स्वास्थ्य वर्द्धक है।
  14. पेट के रोगों में- पन्द्रह दिन तक लगातार दिन में जामुन फल खाने से पेट के रोगों का शमन हो जाता है और मधमेह की शिकायत हो तो वह भी मिट जाती हैं।
  15. यदि गर्भवती स्त्री को अतिसार ( दस्तों) की शिकायत हो तो जामुन फल (पके हुए) खिलाने से राहत मिलती है। शांति मिलती है।
  16. बिच्छु के दंश पर- जामुन के पत्तों का रस लगाना चाहिए।
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