वर्ष 1992 से पहले पंचायती राज संस्थाओं को संविधानिक दर्जा नहीं दिया गया था। संविधान के निर्माताओं ने जब 26 नवम्बर 1949 में संविधान बनाकर तैयार किया तथा 26 जनवरी 1950 में गणतन्त्र दिवस के रूप में संविधान को लागू किया तो उसमें एक बहुत बड़ी त्रुटि रह गई। संविधान निर्माता तथा विशेषज्ञों द्वारा यह भूल हो गई कि संविधान में उन्होनें "पंचायतों" तथा "नगरपालिकाओं" के बारे में कुछ नहीं कहा तथा इन दो महत्वपूर्ण संस्थाओं को कोई विशेष अनुच्छेद में नहीं बताया गया। नतीजा यह रहा कि "पंचायतों" तथा "नगरपालिकाओं" को संविधानिक दर्जा नहीं मिल पाया।
संविधान के अनुच्छेद 40 में केवल एक पंक्ति में कहा गया है कि "राज्य अगर चाहें तो पंचायतों का गठन कर सकते हैं"। यह सिद्धान्त अनुच्छेद 40 जो "राज्यों के नीति निदेशक सिद्धान्त" के तहत माना गया था। परन्तु 1991-92 में संविधान में पंचायतों के बारे अनुच्छेद होने की बात रखी गई। मध्य नज़र 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन विधेयक लोक सभा में पारित किये गए। इन विधेयकों को लोक सभा में पूर्ण रूप से बहुमत से पारित किया गया तथा बिल अधिनियम के रूप में निकल कर उभरे और 73वें संशोधन अधिनियम के तहत पंचायतों को अनुच्छेद 243 के रूप में संवैधानिक दर्जा मिला तथा 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम के तहत नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा मिला।
जब संविधानिक दर्जा पंचायतों को मिला तब सभी राज्यों को आदेशानुसार जरूरी हो गया कि वे अपने राज्य में नया पंचायती राज अधिनियम, संविधान के 73वें और 74वें अधिनियम के मध्य नजर रखकर बनायें। अनुच्छेद 243 बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें पंचायतों के बारे में कहा गया है कि पंचायतें क्या हैं, कैसी होंगी, इनके कार्य क्या होंगे, चुनाव प्रक्रिया क्या होगी इत्यादि।
अनुच्छेद 243 को संक्षिप्त में यहां बताया जा रहा है:-
- अनुच्छेद 243 - परिभाषाएँ
- अनुच्छेद 243 क - ग्रामसभा
- अनुच्छेद 243 ख - ग्राम पंचायतों का गठन
- अनुच्छेद 243 ग - पंचायतों की संरचना
- अनुच्छेद 243 घ - स्थानों का आरक्षण
- अनुच्छेद 243 ङ - पंचायतों की अवधि
- अनुच्छेद 243 च - सदस्यता के लिए अयोग्यताएँ
- अनुच्छेद 243 छ - पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व
- अनुच्छेद 243 ज - पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियाँ और उनकी निधियाँ
- अनुच्छेद 243 झ - वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन
- अनुच्छेद 243 ञ - पंचायतों की लेखाओं की संपरीक्षा
- अनुच्छेद 243 ट - पंचायतों के लिए निर्वाचन
- अनुच्छेद 243 ठ - संघ राज्यों क्षेत्रों को लागू होना
- अनुच्छेद 243 ड - इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना
- अनुच्छेद 243 ढ - विद्यमान विधियों और पंचायतों का बना रहना
- अनुच्छेद 243 ण - निर्वाचन सम्बन्धी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्णन
- अनुच्छेद 243 त - परिभाषा
- अनुच्छेद 243 थ - नगर पालिकाओं का गठन
- अनुच्छेद 243 द - नगर पालिकाओं की संरचना
- अनुच्छेद 243 ध - वार्ड समितियों आदि का गठन और संरचना
- अनुच्छेद 243 न - स्थानों का आरक्षण
- अनुच्छेद 243 प - नगर पालिकाओं की अवधि आदि
- अनुच्छेद 243 फ - सदस्यता के लिए निरर्हताएँ
- अनुच्छेद 243 ब - नगरपालिकाओं आदि की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तदायित्व
- अनुच्छेद 243 भ - नगरपालिकाओं द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्ति और उनकी निधियाँ
- अनुच्छेद 243 म - वित्त आयोग
- अनुच्छेद 243 य - नगरपालिकाओं के लेखाओं की संपरीक्षा
- अनुच्छेद 243 य क - नगरपालिकाओं के लिए निर्वाचन
- अनुच्छेद 243 य ख - संघ राज्य क्षेत्रों को लागू होना
- अनुच्छेद 243 य ग - इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना
- अनुच्छेद 243 य घ - ज़िला योजना के लिए समिति
- अनुच्छेद 243 य ङ - महानगर योजना के लिए समिति
- अनुच्छेद 243 य च - विद्यमान विधियों पर नगर पालिकाओं का बना रहना
- अनुच्छेद 243 य छ - निर्वाचन सम्बन्धी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्णन
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