अद‍िति




पता नही कैसे पोस्‍ट हो गया ????




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शह‍ीदी दिवस पर उधम सिंह को नमन



आज शहीद उधम सिंह का शहीदी दिवस है। शहीद उधम सिंह चंद्रशेखर आजाद राजगुरु सुखदेव और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर ब्रिटिश हुक्मरान को ऐसी चोट दी, जिसके निशान यूनियन जैक पर दशकों तक नजर आए। स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में 13 अप्रैल 1919 का दिन आंसुओं से लिखा गया है जब अंग्रेजों ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में सभा कर रहे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां चलाकर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उधम सिंह ने इस नरसंहार का बदला लेने का प्रण लिया। इन्‍हे अपने सैकड़ों भाई-बहनों की मौत का बदला लेने का मौका 1940 में मिला। जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक थी जहां माइकल ओ डायर भी वक्ताओं में से एक था। 4जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। इस तरह यह क्रांतिकारी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में अमर हो गया। 1974 में ब्रिटेन ने उनके अवशेष भारत को सौंप दिए। आज भारत की ऐसी दशा है, कि नेहरू गांधी के मरघटों को देवालय की तरह पूजा जाता है और उधम सिंह जैसे वीर सपूतो को याद करने के लिये वक्‍त भी नही मिलता। अमर शहीद उधम सिंह नमन ।


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समलैगिंक बनो पर अजीब रिश्‍ते को विवाह का नाम न दो, विवाह को गाली मत दो



समलैंगिकता एक जटिल प्रश्न है, किन्तु यह जिस प्रकार हमारे समाज पर हावी हो रहा है यह विचारणीय हो सकता है, जब दिल्‍ली हाईकोर्ट फिर उच्चतम न्यायालय भी रूल 377 को हटाने का फैसला कर चुके है तो अब कोई अदालत नहीं बचती कि वहाँ इसके खिलाफ अपील की जाए।


मैंने अभी तक किसी को पढ़ा उन्होंने लिखा था समलैंगिकता भले ही अपराध न हो किन्तु अनैतिक जरूर है, मै इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ। तथा यह भी जोडना चाहूंगा कि समलैंगिकता को सामाजिक चोला पहनाना उससे भी बड़ा अनैतिक है। वह दृश्य बड़ा भयावह होगा जब लोग केवल अप्राकृतिक सेक्स के लिये समलैंगिक विवाह करेंगे, अर्थात संतान की इच्‍छा विवाह का आधार नहीं होगा।
आज हम अपने मित्र के साथ आराम से गले में हाथ डालकर रास्ते में चल सकते थे किन्तु कोर्ट के इस फैसले के बाद अब तो ऐसा करने से डर लगता है, कहीं लोग हमें ऐसा देख कर यह न कहे- देखो-देखो गे कपल जा रहे है। निश्चित रूप से कोर्ट के इस फैसले के बाद दोस्ती शर्मसार होगी। आज कल आपसी दोस्तो के मध्य समलैंगिक चर्चा आम हो गई है। हम आराम से आज समलैंगिक चर्चा कर लेते है कि- यार इतना चिपक कर क्यों बैठ रहे हो?
 
कम से कम भारत के संदर्भ में यह चित्र उचित नहीं है जिस प्रकार खुले आम किया गया।

समलैंगिक होना गुनाह नही है, समलैंगिक भी इंसान है, और हो सकता है आम आदमी से ज्यादा ईमानदार। कोर्ट के फैसले के बाद जिस प्रकार से समलैंगिक शादियों का दौर चला वह निंदनीय था। धारा 377 जब गुनाह था तो भी समलैगिंक सेक्‍स होता था, आज भी सम्‍भव है, इसके लिये सामाजिक मान्यता देना गलत है और आज आवश्यकता कि सहमति से स्‍थापित समलैंगिक सेक्‍स दण्‍ड से दूर रखा जाता न कि विवाह की मान्यता देना।

कौन कहता है कि भारतीय नारी पिछड़ी है ? आदमी तो आदमी नारियों में भी है यह बीमारी

हिन्दू विवाह का उद्देश्य सिर्फ विवाह का उद्देश्य सिर्फ सेक्‍स ही नही सन्‍तानोत्‍पत्ति भी है, बिना संतान उत्पत्ति के विवाह का उद्देश्य अपूर्ण है। अब आदमी का आदमी के साथ और औरत का औरत का विवाह वो भी सिर्फ अप्राकृतिक सेक्‍स यह तो उचित नही जान पड़ता है। वे आपस में दोस्‍त बन रहे, सेक्‍स करे या भाड़ मे जाये यह उन पर निर्भर करता है, किंतु ऐसे सम्‍बन्‍धो को विवाह का नाम देना विवाह जैसे पवित्र बंधन हो गाली देना होगा।

चित्र विभिन्‍न सूत्र से साभार


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चिट्ठकारी की दुकान चलाना हर किसी के बस में नही



चिट्ठकारी की दुकान कुछ की बहुत तेजी से चल रही है तो कुछ की सुप्‍तावस्‍था में तो कुछ की बंद भी हो गई। हिन्‍दी चिट्ठाकारी में बड़े बड़े समूहों ने हाथ आजमाने की कोशिश की उसी में एक जो‍श18 समूह का गरम चाय> जून 2006 से चलते चलते अप्रेल 2009 में बंद हो गया। आज चिट्ठाकारों के द्वारा चिट्ठाकारी बंद करना तो समझ में आता है किन्‍तु इतने बड़े समूह द्वारा चली चलाई चिट्ठकाकारी बंद करना समझ से परे है। खैर जो कुछ भी है चिट्ठाकारी को शुरू करने के समय उत्‍साह और बंद करने के कारणों पर विचार करना चाहिये।


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ब्‍लॉंगवाणी को लेकर इतनी टेंशन क्‍यो ? मेरे ब्‍लाग को हटाने से मुझे आपत्ति नही।



मेरी कल की TimeLoss की पोस्‍ट पर वयस्‍क समग्री- क्रिकेटर गाली भी देते है!!! (वयस्‍क समग्री कृपया जाने से पहले सोचे) पर ज्ञान जी ( अपने मानसिक हलचल वाले ज्ञान जी नही है, उनके पास टाईम कहाँ ) तो विफर ही पड़े है, मै समझ नही पा रहा हूँ क्यो ? शायद क्रिकेटरों के द्वारा दी गई गली उन्हें हजम नहीं हो रही है, मेरे पास हाजमोला भी नही है। मै भी स्वीकार करता हूँ कि गालियाँ वास्तव में खराब है, और मैंने पोस्ट करते हुए अपनी बात को लिखा भी था। हो सकता है ज्ञान जी गंभीर के गंभीर प्रशासन होगा या अफरीदी के जो उन्हें गालियां अच्छी नही लग रही, मै किसी का प्रशंसक नही हूँ, किन्तु मुझे भी गालियाँ अच्छी नहीं लग रही, किन्तु क्रिकेट खिलाडियों के ये वारदात किसी को हँसने से रोक नहीं पा रही है। यह पोस्ट मैंने सिर्फ मनोरंजन और हकीकत रखने के लिये किया था न कि गालियों के समृद्धि विकास और उन्नयन के लिये इस पर तो उनका बिफरना नाहक है।
थोड़ा पोस्‍ट के वीडियो पर भी लिखना चाहूँगा, यह वीडियो यूट्यूब पर April 03, 2009 को डाला गया है। अभी तक यह विडियों विद्यमान है अर्थात यूट्यूब द्वारा अश्लीलता या अशिष्टता की श्रेणी में नही है, अगर यह जब भी यूट्यूब समूह द्वारा यूट्यूब पर द्वारा हटाया जायेगा स्‍वत: ही मेरे ब्लॉग से हट जायेगा। इस विडियों में गाली थी, जिसकी सूचना मैने अपने पोस्‍ट में कर दी थी। बहुत से पाठक/दर्शक आये, ब्‍लाग पोस्‍ट को देखा, आनंद लिया, कुछ ने पंसद किया और टिप्‍पणी करना उचित न समझ कर चले गये। मैने इस पोस्‍ट को मर्यादा के दायर में रख कर तैयार किया था, चेतवनी भी लिख थी कि टाईम लॉस के नाम कोई अनैच्छिक साम्रगी न देख ले, और उसे ग्‍लानि का एहसास हो, अगर आप चेतवनी के बाद देखते है और अन्‍य लोगो के मध्‍य देखने को प्रचारित करते है तो आपकी गलती है।

ब्‍लागवाणी को लगता है जन भावना के आधार पर मेरी उस पोस्‍ट जो टाईम लॉस पर आई थी के कारण ब्‍लागवाणी से हटाने योग्‍य है तो हटा दिया जाये, मुझे कोई आपत्ति नही है। क्‍योकि जन भावना को ध्‍यान में रखकर किये गये कार्य में मुझे क्‍या आपत्ति होगी। ब्‍लागवाणी के अनुसार करीब 35 लोगों द्वारा यह पोस्‍ट पढ़ी करीब 10 लोगो द्वारा पंसद की गई। (लेख लिखे जाने तक) जहाँ तक ब्लॉगवाणी को हिन्दू वाणी और संतवाणी के नामकरण का सम्बन्ध है तो यह काम ब्लॉगवाणी के संचालको का है, वो इतने समर्थवान है कि सब कर सकते है, किसी के अनुशंशा की आवश्यकता नही है। अब कोई इस बात पर अड़ा रहे कि इनकी गंदगी ब्लागवाणी पर आयी मेरी नही तो यह कहना गलत बात है। वो पोस्ट कोई गंदगी न होकर क्रिकेटिया खिलाड़ियों के बीच की बात था, जो सच था और सब न मैच मै लाईव देखा रहा होगा, किन्तु आज इतना ज्यादा हुआ है किसी ओठ की भाषा को पढ़ पाने वाले जानकार ने अपने शब्द भर दिये है, इन महाशय को यह बुरा लग रहा है।

रही ब्लॉग बात ब्लॉग को फ्लैग करने की तो झंडा इसलिए लिये लगाया जाता है, ताकि शोक काल में उसे झुकाया जा सके है, मेरे उक्त ब्लॉग से जिसे शोक हो आराम से झंडा लहराए मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आगे भी अच्छी-खराब (कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्‍यादा अच्‍छी ही हो किन्तु क्रिकेटर जैसे क्रिकेट प्रेमियों के भगवान ऐसा अवतार) बाते आपके सामने लाता रहूँगा।


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