मैथली जी आप बधाई के पात्र है



ब्लॉगवाणी आज जनवाणी बन कर उभरा है, यही कारण है कि आज ब्लॉगवाणी के आगे अन्‍य एग्रीगेटरों 20 साबित हो रहा है। यही कारण है ब्लॉगवाणी कुछ लोगों की आँख की किरकिरी बना रहता है। अरुण जी का पिछला लेख पढ़ा अच्छा लगा और लेख से अच्छा एक बात और लगी श्री मैथली जी की टिप्‍पणी

Maithily said... मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आप ब्लागवाणी को परिवार के साथ देख पाएंगे. जो आप नहीं देखना चाहते उसे आपको जबरदस्ती नहीं दिखाया जाएगा। 

मैथली जी की उपरोक्‍त बात से स्पष्ट है कि पर्दे की आड़ में ब्लॉगवाणी एक पारिवारिक पार्क बना रहेगा, साथ ही साथ पर्दा हटने पर सब कुछ खुला मिलेगा। यह जरूरी भी है जो कुछ भी बातें आज ब्लागजगत में आ रही है हम इसे मन की भड़ास कह सकते है किन्तु किसी के मन की भड़ास हर किसी को अच्छी नही लगती है, और जब भड़ास निकलती है तो वह लिहाज भूल जाती है, जैसे कि मोहल्ले के चौराहे पर चोखेरबालियों को देखकर आवारें सीटीयां मारते है। इन मोहल्ले के आवारों की सीटियों पर भी हस्तक्षेप करना होगा। क्योंकि दिल के दौरे की तरह समय समय पर इन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दौरे पड़ते रहते है। मनचाही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बिल्कुल वैसी ही होनी चाहिए जैसी की अरुण जी ने अपने पोस्ट पर की थी।
मैंने जानना चाहा कि आखिर क्या बात है कि विवादों में ब्लॉगवाणी को घसीटे जाने का कारण क्या है मैंने किसी और के ब्लॉग का परीक्षण करने के अपेक्षा अपने ब्लॉग को ही टटोलने की कोशिश कि तो निम्न नजीते पर पहुँचा, कि ब्‍लावाणी के मायने क्या है? और क्यों ब्लॉगवाणी को कटघरे में खड़ा किया जाता है। यह नतीजे आपके सामने है।


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प्रेरक प्रसंग - सब समान हैं



काला पानी जाने वाले जहाज पर डकैत और खूनी लोगों के साथ सावरकर जी को क अँधेरे कमरे में रखा गया। सौ से अधिक लोग वही एक कमरें मे कैद थे। सभी के स्‍वच्‍छतागृह की व्यवस्था नहीं थी। जिस कोने में मल का ड्राम भरा था उसी के पास सावरकर जी को बिस्तर डालना पड़ा। दुर्गन्‍ध के कारण उनकी नींद हराम हो गई। उनकी बेचैनी देखकर एक घुटा हुआ कैदी उनसे बोला.. बड़े भैया हम लोगों को इसकी आदत सी पड़ गई है। आप उस कोने मे सोइये.. वहाँ भीड़ जरूर है पर गन्‍दगी नहीं है... यह मैं सो जाता हूँ.. आप मेरी जगह जाइये।

उसकी इस बात को सुनकर सावरकर जी बड़े प्रभावित हुए और बोल उठे... धन्यवाद ! सभी को नाक है और नाक है तो बदबू तो आयेगी ही। आपको भी परेशानी होगी। अब तो मुझे भी काले पानी की सजा भुगतनी है तो मुझे भी ऐसी बातों की आदत करनी ही पड़ेगी.. और यह कह कर यात्रा के अंत तक सावरकर जी वही रहे।
इस प्रेरक प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई कैसा भी हो.. उच्च वर्गीय या  मध्‍यमवर्गीय सभी को एक समान समझना चाहिये... परिस्थितियाँ कैसी भी हो हमें परिस्थिति के अनुसार ही आपने को ढालना चाहिये।


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एग्रीगेटर बिन चिट्ठाकारी



हिन्‍दी चिट्ठाकारी आज अपने परिपक्व रूप में है। मुझे नहीं पता कि कि आज के समय मे चिट्ठाकारो के लिये एग्रीगेटर कितना उपयोगी है कि नहीं क्योंकि मुझे यह भी जानकारी नहीं है कि कौन कौन से एग्रीगेटर वर्तमान समय है और उनकी स्थिति क्या है ?
नारद युग की बादशाहत को जिस प्रकार ब्‍लागवाणी ने तोड़ा और चिट्ठाजगत की चुनौतियो को स्वीकार करते हुये अपना वर्चस्व कायम रखा वाकई यह तारीफ काबिल था। ब्‍लागवाणी के जाने के क्‍या कारण थे यह आज तक जग-जाहिर न हो सके और ब्लागवाणी की वापसी के सारे प्रयास व्यर्थ होने के साथ ब्‍लागवाणी युग का अवसान हो गया। ब्‍लागवाणी अवसान के बाद निश्‍चित रूप से चिट्ठाजगत के पास हिन्‍दी चिट्ठाकारी प्रसारकर्ता के रूप मे आधिपत्‍य धारण करने का अवसर था किन्तु ब्‍लागवाणी के जाने के बाद चिट्ठाजगत का मौन पतन नव ब्लागरो के लिये दुखद रहा।
ब्‍लागवाणी और चिट्ठाजगत के जाने के बाद एग्री‍गेटरो की स्थिति मेरे संज्ञान में नहीं है.... वर्तमान में कौन-कौन से हिन्दी एग्रीगेटर काम कर रहे है। क्योंकि ब्‍लागवाणी और चिट्ठाजगत का अंत हुये एक साल हो रहे है इस एक साल में मेरे ब्‍लाग पर किसी भी एग्रीगेटर से कोई पाठक नहीं आये..... यह भी यक्ष प्रश्न है कि कि कोई एग्रीगेटर है भी अथवा नहीं ? अगर है तो उन एग्रीगेटरो में शामिल होने की प्रक्रिया क्या है ?
इतने दिनों बाद एग्रीगेटर की बात क्यों छेड़ी गई यह वाकई शोचनीय प्रश्न है। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि एग्रीगेटर से हटने के कारण नये ब्‍लागो और ब्‍लागरो से सम्‍पर्क स्थापित न हो पाना, ब्‍लाग जगत की नवीन हलचलों से अनिभिज्ञ्यता प्रमुख है।
किसी को वर्तमान समय में सक्रिय एग्रीगेटर के बारे में जानकारी हो तो देने का कष्ट करें।


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जहाँ चाह वहाँ राह



यह प्रयाग स्टेशन पर खड़ी सारनाथ एक्‍सप्रेस है...जिसका प्रयाग स्टेशन पर कोई स्‍टॉपेज नहीं है पर जब यह रुकती है तो करीब 3-4 सौ यात्री रोजाना चढ़ते और उतरते है...बिना स्‍टापेज के यह ट्रेन इस स्टेशन पर रुकती कैसे है.. इससे तो यही पता चलता है कि जहाँ चाह वहाँ राह... 300-400 यात्री कम नहीं होते है... :)

28 PLP PHULPUR
13:36 13:37

2
29 JNH JANGHAI JN
14:18 14:19

2
30 BOY BHADOHI
15:03 15:04

2
31 BSB VARANASI JN
16:10 16:30

2


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गुरुपादुका स्तवन (Guru Paduka Staban)



Guru Brahma Shiva Narayan and hari har as one. The ultimate form of guru
Harihar Bhagawan
अनन्तसंसारसमुद्रतार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम् ।
वैराग्यसाम्राज्यदपृजनाभ्याम् नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥१॥
Anantha samsara samudhra thara naukayithabhyam guru bhakthithabhyam,
Vairagya samrajyadha poojanabhyam, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostration to holy sandals of mu Guru, which serve as the boat to cross this endless ocean of Samsara, which endow me with devotion to Guru, and which grace with the valuable dominion of renunciation.

कवित्ववाराशिनिशाकराभ्यां दौर्भाग्यदावाम्बुदमालिकाभ्याम् ।
दूरिकृतानम्रविपत्ततिभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥२॥
Kavithva varasini sagarabhyam, dourbhagya davambudha malikabhyam,
Dhoorikrutha namra vipathithabhyam,, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which serve as the down pour of water to put out the fire of misfortunes, which remove the groups of distresses of those who prostrate to them.

नना ययोः श्रीपतितां समीयुः कदाचिदप्याशु दरिद्रवर्याः ।
मृकाश्च वाचस्पतितां हि ताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥३॥
Natha yayo sripatitam samiyu kadachidapyasu daridra varya,
Mookascha vachaspathitham hi thabhyam,namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, adoring which the worst poverty stricken, have turned out to be great possesors of wealth, and even the mutes have turned out to be great masters of speech.
Guru Ardha Narishwar. half part is feminine and half part is masculine called ardhanarishwara
Ardha Narishwora

नालीकनीकाशपदाह्रताभ्यां नानाविमोहादि निवारिकाभ्याम् ।
नमज्जनाभीष्टततिप्रदाभ्या नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥४॥
Naleeka neekasa pada hrithabhyam, nana vimohadhi nivarikabyam,
Nama janabheeshtathathi pradhabhyam namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which remove all kinds of ignorant desires, and which fulfill in plenty, the desire of those who bow down to them.

नृपालिमौलिव्रजरत्नकान्ति सरिद्विराजत् झषकन्यकाभ्याम् ।
नृपत्वदाभ्यां नतलोकपङ्कतेः नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥५॥
Nrupali mouleebraja rathna kanthi sariddha raja jjashakanyakabhyam,
Nrupadvadhabhyam nathaloka pankhthe, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which shine like the precious stones that adorn the crown of kings, by bowing to which one drowned in worldliness will be lifted up to the great rank of sovereignty.

पापान्धकारार्क परमपराभ्यां तापत्रयाहीन्द्रखगेश्वराभ्याम् ।
जाड्याब्धिसंशोषणवाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥६॥
Papandhakara arka paramparabhyam, thapathryaheendra khageswarabhyam,
Jadyadhi samsoshana vadaveebhyam namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which serve as the Sun smashing all the illusions of sins, which are like garuda birds in front of the serpents of the three pains of Samsara; and which are like the terrific fire that dries away the ocean of jadata or insentience.
Ultimate guru Narayana. Narayana is the guru of all gurus
Narayana

शमादिषट्कप्रदवैभवाभ्यां समाधिदानव्रतदीक्षिताभ्याम् ।
रमाधवाङ्ध्रिस्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥७॥
Shamadhi shatka pradha vaibhavabhyam,Samadhi dhana vratha deeksithabhyam,
Ramadhavadeegra sthirha bhakthidabhyam, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which endows one with six attributes which can bless with permanent devotion at the feet of the Lord Rama and which is initiated with the vow of charity and self-settledness.

स्वार्चापराणामखिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्षधुरन्धराभ्याम् ।
स्वान्ता च्छभावप्रदपृजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥८॥
Swarchaparana makhileshtathabhyam, swaha sahayaksha durndarabhyam,
Swanthachad bhava pradha poojanabhyam, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which bestows all the wishes of those who are absorbed in the Self, and which grace with one’s own hidden real nature.
Guru of all gurus Narayana with shankha Chakra Gadha Padma Vishnu, mahanarayan, mahavishnu, krishna, shiva
Narayana

कामादिसर्पव्रजगारुडाभ्यां विवेकवैराग्यनिधिप्रदाभ्याम् ।
बोधप्रदाभ्यां द्रुतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥९॥
Kaamadhi sarpa vraja garudabhyam, viveka vairagya nidhi pradhabhyam,
Bhodha pradhabhyam drutha mokshathabhyam, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which are like garudas to all the serpents of desire, and which bless with the valuable treasure of discrimination and renumciation, and which enlighten with bodha- the true knowledge, and bless with instant liberation from the shackles of the world.
Guru Dattatraya

Guru Shuk and Parashar

Guru Dattatraya

Guru Gorakhnath

Adi Shankaracharya
Dattatraya, Gorakhnath, Guru, Gurupaduka, Narayan, Shiva, Staban, गुरु, गुरुपादुका, स्तवन,


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