स्वस्थ सेहत के लिए क्या, कब कैसे और क्यों खाएं



इंसान जीवन में रोटी कपड़ा और मकान के लिए मेहनत करता हैं। लेकिन अक्सर वह मेहनत के दौरान कपड़े और मकान पर तो ध्यान देता हैं जबकि रोटी यानी खाने पर उतना ध्यान नहीं देता। यही वजह है कि आजकल हर दिन कोई नई बीमारी युवाओं को अपना शिकार बना रही है। हमारी परंपरा में भोजन के कुछ सामान्य नियम हैं,  हर इंसान को अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए, उसे कब और क्या खाना है जिससे वह अपने आपको स्वस्थ रख सके। सेहतमंद और तरोताजा बने रहने के लिए जरूरी है घर के हर सदस्य को पता हो खान-पान से संबंधी उपयोगी एवं आवश्यक जानकारियां आइए उन्हें जानते हैं।

कब और कैसे खाएं
  • बिना प्रातः स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए।
  • भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाना चाहिए।
  • भोजन को कभी भी ठूस-ठूंसकर नहीं खाना चाहिए। इससे कई रोग हो सकते हैं।
  • भोजन तीन-चैथाई पेट ही करना चाहिए। 
  • भूख लगने पर पानी और प्यास लगने पर भोजन नहीं करना चाहिए, अन्यथा स्वास्थ्य को हानि पहुचती है। जैसे खाने की आवश्यकता महसूस होने पर उसे पानी पीकर समाप्त करने की कोशिश या प्यास लगने पर कुछ भी खाकर प्यास को टाल देना गलत है।
  • भोजन के बीच में प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीना चाहिए। भोजन के तुरंत पहले या अंत में तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए।
  • हजार काम छोड़कर नियमित समय पर भोजन करें।
  • बासी, ठंडा, कच्चा अथवा जला हुआ और दोबारा गर्म किया हुआ भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी नहीं होता।
  • खाने के साथ सलाद और अंत में फल जरूर खाएं।
  • भोजन पच जाने पर ही दूसरी बार भोजन करना चाहिए।
  • प्रातः भोजन के बाद शाम को यदि अजीर्ण मालूम हो तो कुछ नर्म भोजन लिया जा सकता है। परन्तु रात्रि को भोजन के बाद प्रातः अजीर्ण हो तो बिल्कुल भोजन नहीं करना चाहिए।
  • भोजन के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए।

 क्या और क्यों खाएं
  • आप अपनी डाइट में विटामिन को शामिल करना चाहतें हैं, तो खाने में मेथी, पालक, सहजन और दूसरी पत्तेदार सब्जियों का होना जरूरी है।
  • एक मध्यम आकार के शकरकंद में लगभग 100 कैलोरी होती है। शकरकंद में बीटा-कैरोटीन होते हैं। इसके अलावा पोटैशियम व मैग्नीशियम जैसे खनिज मौजूद होते हैं। सप्ताह में 2 या 3 बार शकरकंद खाएं।
  • संतरे में विटामिन सी होता है। यह विटामिन टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करता है। यह आयरन के अवशोषण में भी मददगार होता है। यह खनिज थकावट और लो एनर्जी को दूर करता है। एक दिन में एक संतरा खाएं और 200 मिली संतरे का जूस पिएं।
  • सूप को भी डाइट में शामिल करना जरूरी है। कोशिश करें कि एक कप लो कैलोरी और लो सोडियम वेजिटेबल सूप एक दिन में पिएं। एक स्टडी में पाया गया है कि दिन में दो बार सूप पीने वाला व्यक्ति उसी कैलोरी में स्नैक्स खाने वाले व्यक्ति की तुलना में तेजी से वेट लाॅस करता है।
  • एक कप पालक में 40 कैलोरी होती है। इतनी मात्रा आपके दिनभर की कुल फाइबर जरूरत का 20 प्रतिशत है। इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियां कैल्शियम की अच्छी स्रोत हैं। यह मांसपेशियों के संकुचन में मददगार होती है।
  • जिन लोगों को हाई ब्लडप्रेशर की परेशानी हो, उन्हें डाइट लेने में सावधानी बरतनी चाहिए। कैल्शियम के लिए वे स्किम्ड मिल्क, बींस व दाल जैसे चना, मूंग  लें, जबकि मैग्नीशियम के लिए साबुत अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी और साबुत गेहूं का आटा डाइट में शामिल करें। पोटैशियम के लिए गहरे रंग के फल और सब्जियां खूब खाएं।
  • ये सभी ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखते हैं। भोजन में रोजाना 5 ग्राम या इससे अधिक फाइबर लेने से भी हाई कोलेस्ट्राॅल, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे की समस्या 30 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
  • सामान्य मसालों में लौंग प्राकृतिक रूप से एंटी आॅक्सीडेंट का सबसे बढि या स्रोत है। इसलिए मसालों में इसको जरूर शामिल करें।


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भारतीय शिक्षा व्यवस्था का पतन मैकाले दोषी या हमारी अकर्मण्यता



मैकाले नाम हम अक्सर सुनते है मगर ये कौन था? इसके उद्देश्य और विचार क्या थे ?

मैकाले: मैकाले का पूरा नाम था ‘थॉमस बैबिंगटन मैकाले’....अगर ब्रिटेन के नजरियें से देखें...तो अंग्रेजों का ये एक अमूल्य रत्न था। एक उम्दा इतिहासकार, लेखक प्रबंधक, विचारक और देशभक्त.....इसलिए इसे लार्ड की उपाधि मिली थी और इसे लार्ड मैकाले कहा जाने लगा। अब इसके महिमामंडन को छोड़ मैं इसके एक ब्रिटिश संसद को दिए गए प्रारूप का वर्णन करना उचित समझूंगा जो इसने भारत पर कब्ज़ा बनाये रखने के लिए दिया था ...2 फ़रवरी 1835 को ब्रिटेन की संसद में मैकाले की भारत के प्रति विचार और योजना मैकाले के शब्दों में: "मैं भारत में काफी घुमा हूँ। दाएँ- बाएँ, इधर उधर मैंने यह देश छान मारा और मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया, जो भिखारी हो, जो चोर हो। इस देश में मैंने इतनी धन दौलत देखी है, इतने ऊँचे चारित्रिक आदर्श और इतने गुणवान मनुष्य देखे हैं की मैं नहीं समझता की हम कभी भी इस देश को जीत पाएँगे। जब तक इसकी रीढ़ की हड्डी को नहीं तोड़ देते जो इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है और इसलिए मैं ये प्रस्ताव रखता हूँ की हम इसकी पुराणी और पुरातन शिक्षा व्यवस्था, उसकी संस्कृति को बदल डालें, क्यूंकी अगर भारतीय सोचने लग गए की जो भी विदेशी और अंग्रेजी है वह अच्छा है और उनकी अपनी चीजों से बेहतर हैं, तो वे अपने आत्मगौरव, आत्म सम्मान और अपनी ही संस्कृति को भुलाने लगेंगे और वैसे बन जाएंगे जैसा हम चाहते हैं। एक पूर्णरूप से गुलाम भारत।"

कई बंधू इस भाषण की पंक्तियों को कपोल कल्पित कल्पना मानते हैं.....अगर ये कपोल कल्पित पंक्तिया है, तो इन काल्पनिक पंक्तियों का कार्यान्वयन कैसे हुआ ? मैकाले की गद्दार औलादें इस प्रश्न पर बगलें झाकती दिखती हैं और कार्यान्वयन कुछ इस तरह हुआ की आज भी मैकाले व्यवस्था की औलादें सेकुलर भेष में यत्र तत्र बिखरी पड़ी हैं। अरे भाई मैकाले ने क्या नया कह दिया भारत के लिए ?
भारत इतना संपन्न था की पहले सोने चांदी के सिक्के चलते थे कागज की नोट नहीं। धन दौलत की कमी होती तो इस्लामिक आतातायी श्वान और अंग्रेजी दलाल यहाँ क्यों आते... लाखों करोड़ रूपये के हीरे जवाहरात ब्रिटेन भेजे गए जिसके प्रमाण आज भी हैं मगर ये मैकाले का प्रबंधन ही है की आज भी हम लोग दुम हिलाते हैं 'अंग्रेजी और अंग्रेजी संस्कृति' के सामने। हिन्दुस्थान के बारे में बोलने वाला संस्कृति का ठेकेदार कहा जाता है और घृणा का पात्र होता है।

1. शिक्षा व्यवस्था में मैकाले प्रभाव : ये तो हम सभी मानते है की हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे समाज की दिशा एवं दशा तय करती है। बात 1825 के लगभग की है जब ईस्ट इंडिया कंपनी वितीय रूप से संक्रमण काल से गुजर रही थी और ये संकट उसे दिवालियेपन की कगार पर पहुंचा सकता था। कम्पनी का काम करने के लिए ब्रिटेन के स्नातक और कर्मचारी अब उसे महंगे पड़ने लगे थे। 1825 में गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक भारत आया जिसने लागत घटने के उद्देश्य से अब प्रसाशन में भारतीय लोगों के प्रवेश के लिए चार्टर एक्ट में एक प्रावधान जुड़वाया की सरकारी नौकरी में धर्म जाती या मूल का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। यहाँ से मैकाले का भारत में आने का रास्ता खुला। अब अंग्रेजों के सामने चुनौती थी की कैसे भारतियों को उस भाषा में पारंगत करें जिससे की ये अंग्रेजों के पढ़े लिखे हिंदुस्थानी गुलाम की तरह कार्य कर सकें। इस कार्य को आगे बढाया जनरल कमेटी ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन के अध्यक्ष 'थोमस बैबिंगटन मैकाले' ने.... 1858 में लोर्ड मैकोले द्वारा Indian Education Act बनाया गया। मैकाले की सोच स्पष्ट थी, जो की उसने ब्रिटेन की संसद में बताया जैसा ऊपर वर्णन है। उसने पूरी तरह से भारतीय शिक्षा व्यवस्था को ख़त्म करने और अंग्रेजी (जिसे हम मैकाले शिक्षा व्यवस्था भी कहते है) शिक्षा व्यवस्था को लागू करने का प्रारूप तैयार किया। मैकाले के शब्दों में: "हमें एक हिन्दुस्थानियों का एक ऐसा वर्ग तैयार करना है जो हम अंग्रेज शासकों एवं उन करोड़ों भारतीयों के बीच दुभाषिये का काम कर सके, जिन पर हम शासन करते हैं। हमें हिन्दुस्थानियों का एक ऐसा वर्ग तैयार करना है, जिनका रंग और रक्त भले ही भारतीय हों लेकिन वह अपनी अभिरूचि, विचार, नैतिकता और बौद्धिकता में अंग्रेज हों।"

आज कितने ऐसे मैकाले व्यवस्था की नाजायज श्वान रुपी संताने हमें मिल जाएंगी... जिनकी मात्रभाषा अंग्रेजी है और धर्मपिता मैकाले। इस पद्दति को मैकाले ने सुन्दर प्रबंधन के साथ लागू किया। अब अंग्रेजी के गुलामों की संख्या बढने लगी और जो लोग अंग्रेजी नहीं जानते थे वो अपने आप को हीन भावना से देखने लगे क्योंकि सरकारी नौकरियों के ठाठ उन्हें दिखते थे, अपने भाइयों के जिन्होंने अंग्रेजी की गुलामी स्वीकार कर ली और ऐसे गुलामों को ही सरकारी नौकरी की रेवड़ी बँटती थी। कालांतर में वे ही गुलाम अंग्रेजों की चापलूसी करते करते उन्नत होते गए और अंग्रेजी की गुलामी न स्वीकारने वालों को अपने ही देश में दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया। विडम्बना ये हुई की आजादी मिलते मिलते एक बड़ा वर्ग इन गुलामों का बन गया जो की अब स्वतंत्रता संघर्ष भी कर रहा था। यहाँ भी मैकाले शिक्षा व्यवस्था चाल कामयाब हुई अंग्रेजों ने जब ये देखा की भारत में रहना असंभव है तो कुछ मैकाले और अंग्रेजी के गुलामों को सत्ता हस्तांतरण कर के ब्रिटेन चले गए ..मकसद पूरा हो चुका था.... अंग्रेज गए मगर उनकी नीतियों की गुलामी अब आने वाली पीढ़ियों को करनी थी और उसका कार्यान्वयन करने के लिए थे कुछ हिन्दुस्तानी भेष में बौद्धिक और वैचारिक रूप से अंग्रेज नेता और देश के रखवाले (नाम नहीं लूँगा क्यूंकी एडविना की आत्मा को कष्ट होगा) कालांतर में ये ही पद्धति विकसित करते रहे हमारे सत्ता के महानुभाव ..इस प्रक्रिया में हमारी भारतीय भाषाएँ गौड़ होती गयी और हिन्दुस्थान में हिंदी विरोध का स्वर उठने लगा। ब्रिटेन की बौद्धिक गुलामी के लिए आज का भारतीय समाज आन्दोलन करने लगा। फिर आया उपभोगतावाद का दौर और मिशिनरी स्कूलों का दौर चूँकि 200 साल हमने अंग्रेजी को विशेष और भारतीयता को गौण मानना शुरू कर दिया था तो अंग्रेजी का मतलब सभ्य होना, उन्नत होना माना जाने लगा। हमारी पीढियां मैकाले के प्रबंधन के अनुसार तैयार हो रही थी और हम भारत के शिशु मंदिरों को सांप्रदायिक कहने लगे क्यूंकी भारतीयता और वन्दे मातरम वहां सिखाया जाता था। जब से बहुराष्ट्रीय कंपनिया आयीं उन्होंने अंग्रेजो का इतिहास दोहराना शुरू किया और हम सभी सभ्य बनने में, उन्नत बनने में लगे रहे मैकाले की पद्धति के अनुसार ..अब आज वर्तमान में हमें नौकरी देने वाली हैं अंग्रेजी कंपनिया जैसे इस्ट इंडिया थी। अब ये ही कंपनिया शिक्षा व्यवस्था भी निर्धारित करने लगी और फिर बात वही आयी कम लागत वाली, तो उसी तरह का अवैज्ञानिक व्यवस्था बनाओं जिससे कम लागत में हिन्दुस्थानियों के श्रम एवं बुद्धि का दोहन हो सके।

एक उदहारण देता हूँ: कुकुरमुत्ते की तरह हैं इंजीनियरिंग और प्रबंधन संस्थान ..मगर शिक्षा पद्धति ऐसी है की 1000 इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग स्नातकों में से शायद 10 या 15 स्नातक ही रेडियो या किसी उपकरण की मरम्मत कर पायें, नयी शोध तो दूर की कौड़ी है.. अब ये स्नातक इन्ही अंग्रेजी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के पास जातें है और जीवन भर की प्रतिभा 5 हजार रूपए प्रति महीने पर गिरवी रख गुलामों सा कार्य करते है ...फिर भी अंग्रेजी की ही गाथा सुनाते है.. अब जापान की बात करें 10वीं में पढने वाला छात्र भी प्रयोगात्मक ज्ञान रखता है ...किसी मैकाले का अनुसरण नहीं करता.. अगर कोई संस्थान अच्छा है जहाँ भारतीय प्रतिभाओं का समुचित विकास करने का परिवेश है तो उसके छात्रों को ये कंपनिया किसी भी कीमत पर नासा और इंग्लैंड में बुला लेती है और हम मैकाले के गुलाम खुशिया मनाते हैं की हमारा फला अमेरिका में नौकरी करता है। इस प्रकार मैकाले की एक सोच ने हमारी आने वाली शिक्षा व्यवस्था को इस तरह पंगु बना दिया की न चाहते हुए भी हम उसकी गुलामी में फसते जा रहें है।

इस Indian Education Act की ड्राफ्टिंग लोर्ड मैकोले ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W.Litnar और दूसरा था Thomas Munro, दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था। 1823 के आसपास की बात है ये Litnar , जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100 % साक्षरता है और उस समय जब भारत में इतनी साक्षरता है और मैकोले का स्पष्ट कहना था कि: "भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे।"

और मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है - "कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।"

इसलिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया, जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया उनमे आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-पीटा, जेल में डाला। 1850 तक इस देश में 7 लाख 32 हजार गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे 7 लाख 50 हजार, मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में Higher Learning Institute हुआ करते थे उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा, और इन गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया। फिर कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे फ्री स्कूल कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं और मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि: "इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी"

और उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा, अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा।

लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी। संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी।

2. समाज व्यवस्था में मैकाले प्रभाव : अब समाज व्यवस्था की बात करें तो शिक्षा से समाज का निर्माण होता है। सन् 1836 में लार्ड मैकाले अपने पिता को लिखे एक पत्र में कहता है: "अगर हम इसी प्रकार अंग्रेजी नीतिया चलाते रहे और भारत इसे अपनाता रहा तो आने वाले कुछ सालों में 1 दिन ऐसा आएगा की यहाँ कोई सच्चा भारतीय नहीं बचेगा।" (सच्चे भारतीय से मतलब......चरित्र में ऊँचा, नैतिकता में ऊँचा, धार्मिक विचारों वाला, धर्मं के रस्ते पर चलने वाला)।
 
भारत को जय करने के लिए, चरित्र गिराने के लिए, अंग्रेजो ने 1758 में कलकत्ता में पहला शराबखाना खोला, जहाँ पहले साल वहाँ सिर्फ अंग्रेज जाते थे। आज पूरा भारत जाता है। सन् 1947 में 3.5 हजार शराबखानो को सरकार का
लाइसेंस। सन् 2009-10 में लगभग 25,400 दुकानों को मौत का व्यापार करने की इजाजत। चरित्र से निर्बल बनाने के लिए सन् 1760 में भारत में पहला वेश्याघर 'कलकत्ता में सोनागाछी' में अंग्रेजों ने खोला और लगभग 200 स्त्रियों को जबरदस्ती इस काम में लगाया गया। आज अंग्रेजों के जाने के 64 सालों के बाद, आज लगभग 20,80,000 माताएँ, बहनें इस गलत काम में लिप्त हैं। अंग्रेजों के जाने के बाद जहाँ इनकी संख्या में कमी होनी चाहिए थी वहीं इनकी संख्या में दिन दुनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है ।

शिक्षा अंग्रेजी में हुए तो समाज खुद ही गुलामी करेगा, वर्तमान परिवेश में 'MY HINDI IS A LITTLE BIT WEAK' बोलना स्टेटस सिम्बल बन रहा है जैसा मैकाले चाहता था की हम अपनी संस्कृति को हीन समझे ...मैं अगर कहीं यात्रा में हिंदी बोल दूँ, मेरे साथ का सहयात्री सोचता है की ये पिछड़ा है ..लोग सोचते है त्रुटी हिंदी में हो जाए चलेगा मगर अंग्रेजी में नहीं होनी चाहिए ..और अब हिंगलिश भी आ गयी है बाज़ार में..क्या ऐसा नहीं लगता की इस व्यवस्था का हिंदुस्थानी 'धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का' होता जा रहा है। अंग्रेजी जीवन में पूर्ण रूप से नहीं सिख पाया क्यूंकी विदेशी भाषा है...और हिंदी वो सीखना नहीं चाहता क्यूंकी बेइज्जती होती है। हमें अपने बच्चे की पढाई अंग्रेजी विद्यालय में करानी है क्यूंकी दौड़ में पीछे रह जाएगा। माता पिता भी क्या करें बच्चे को क्रांति के लिए भेजेंगे क्या ?? क्यूकी आज अंग्रेजी न जानने वाला बेरोजगार है ..स्वरोजगार के संसाधन ये बहुराष्ट्रीय कंपनिया ख़त्म कर देंगी फिर गुलामी तो करनी ही होगी..तो क्या हम स्वीकार कर लें ये सब?? या हिंदी या भारतीय भाषा पढ़कर समाज में उपेक्षा के पात्र बने?? शायद इसका एक ही उत्तर है हमें वर्तमान परिवेश में हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित उच्च आदर्शों को स्थापित करना होगा। हमें विवेकानंद का "स्व" और क्रांतिकारियों का देश दोनों को जोड़ कर स्वदेशी की कल्पना को मूर्त रूप देने का प्रयास करना होगा, चाहे भाषा हो या खान पान या रहन सहन पोशाक। अगर मैकाले की व्यवस्था को तोड़ने के लिए मैकाले की व्यवस्था में जाना पड़े तो जाएँ ....जैसे मैं 'अंग्रेजी गूगल' का इस्तेमाल करके हिंदी लिख रहा हूँ और इसे 'अँग्रेजी फ़ेसबुक' पर शेयर कर रहा हूँ .....क्यूंकी कीचड़ साफ करने के लिए हाथ गंदे करने होंगे। हर कोई छद्म सेकुलर बनकर सफ़ेद पोशाक पहन कर मैकाले के सुर में गायेगा तो आने वाली पीढियां हिन्दुस्थान को ही मैकाले का भारत बना देंगी। उन्हें किसी ईस्ट इंडिया की जरुरत ही नहीं पड़ेगी गुलाम बनने के लिए और शायद हमारे आदर्शो 'राम और कृष्ण' को एक कार्टून मनोरंजन का पात्र। आज हमारे सामने पैसा चुनौती नहीं बल्कि भारत का चारित्रिक पतन चुनौती है। इसकी रक्षा और इसको वापस लाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

3. कानून व्यवस्था में मैकाले प्रभाव : मैकाले ने एक कानून हमारे देश में लागू किया था जिसका नाम है Indian Penal Code (IPC). ये Indian Penal Code अंग्रेजों के एक और गुलाम देश Ireland के Irish Penal Code की फोटोकॉपी है, वहां भी ये IPC ही है लेकिन Ireland में जहाँ "I" का मतलब Irish है वहीं भारत में इस "I" का मतलब Indian है, इन दोनों IPC में बस इतना ही अंतर है बाकि कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है।
मैकोले का कहना था कि भारत को हमेशा के लिए गुलाम बनाना है तो इसके शिक्षा तंत्र और न्याय व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करना होगा और आपने अभी ऊपर Indian Education Act पढ़ा होगा, वो भी मैकोले ने ही बनाया था और उसी मैकोले ने इस IPC की भी ड्राफ्टिंग की थी। ये बनी 1840 में और भारत में लागू हुई 1860 में। ड्राफ्टिंग करते समय मैकोले ने एक पत्र भेजा था ब्रिटिश संसद को जिसमे उसने लिखा था कि: "मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा। इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा और जिन भारतीयों के लिए ये कानून बनाया गया है उन्हें ही ये सबसे ज्यादा तकलीफ देगी और भारत की जो प्राचीन और परंपरागत न्याय व्यवस्था है उसे जड़मूल से समाप्त कर देगा।"

वो आगे लिखता है कि "जब भारत के लोगों को न्याय नहीं मिलेगा तभी हमारा राज मजबूती से भारत पर स्थापित होगा।"

ये हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के इसी IPC के आधार पर चल रही है और आजादी के 64 साल बाद हमारी न्याय व्यवस्था का हाल देखिये कि लगभग 4 करोड़ मुक़दमे अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग हैं, उनके फैसले नहीं हो पा रहे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन न्याय मिलने की दूर-दूर तक सम्भावना नजर नहीं आ रही है, कारण क्या है? कारण यही IPC है। IPC का आधार ही ऐसा है।     (संकलित )


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भारतीय राजव्यवस्था के कुछ तथ्य



  • राजनीति विज्ञान की दृष्टि से भारत है- एक राज्य
  • उत्तर प्रदेश है- एक प्रांत या इकाई
  • भारत है- एक गणराज्य
  • गणराज्य का अर्थ है- राज्य का सर्वोच्च पदाधिकारी जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से निर्वाचित हो।
  • भारत में राज्य का प्रधान है- राष्ट्रपति
  • भारत में शासन का प्रधान है- प्रधानमंत्री
  • राष्ट्रपति नाम मात्र का शासक है जबकि प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद वास्तविक ।
  • भारत में संसदात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया गया है जबकि अमेरिका में  अध्क्षात्मक को।
  • संसदात्मक शासन व्यवस्था में वास्तविक कार्यपालिका संसद में से ली जाती है तथा उसी के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • राष्ट्रपति निर्वाचित होता है जबकि प्रधानमंत्री नियुक्त।
  • राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रुप से होता है।
  • राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद के दोनो सदनों व प्रांतीय विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
  • मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं।
  • प्रांतीय विधान परिषदों  के सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं।
  • राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है।
  • राष्ट्रपति बनने के लिए लोकसभा सदस्य बनने के लिए आवश्यक योग्यता तथा 35 वर्ष की आयु चाहिए।
  • राष्ट्रपति के पुनर्निवाचन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
  • राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलाते हैं।
  • राष्ट्रपति का कार्यकाल शपथ ग्रहण की दिनांक से प्रारंभ होता है न कि निर्वाचित होने की दिनांक से।
  • राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है।
  • राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति तथा उनकी भी अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के रुप में कार्य करते हैं।
  • राष्ट्रपति के वेतन तथा भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं।
  • भारत में दो निधियां हैं- संचित तथा आकस्मिक निधि।
  • महाभियोग केवल राष्ट्रपति पर लगाया जाता है अन्य पदाधिकारियों पर केवल पद से हटाने का प्रस्ताव पारित किया जाता है।
  • महाभियोग से पूर्व राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस देना आवश्यक है।
  • राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को सौंपते हैं।
  • मंत्रिपरिषद संवैधानिक संस्था है जबकि मंत्रिमण्डल गैरसंवैधानिक।
  • मंत्रिपरिषद में 3 स्तर के मंत्री होते हैं- केबीनेट,राज्य तथा उप मंत्री।
  • मंत्रिमण्डल में केवल केबीनेट स्तर के।
  • प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संसद के सदस्य बने बिना कोई व्यक्ति 6 माह तक प्रधानमंत्री या मंत्री रह सकता है।
  • किसी भी दल को बहुमत प्राप्त न होने अथवा बहुमत दल में कोई सर्वमान्य नेता उपलब्ध न होने की स्थिति में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति में स्वविवेक का प्रयोग कर सकते हैं।
  • मंत्रियों की नियुक्ति में राष्ट्रपति स्वविवेक का प्रयोग नहीं कर सकते हैं।
  • आपात काल के 3 प्रकार हैं- राष्ट्रीय, राज्य तथा वित्तीय।
  • आपात काल मंत्रिपरिषद के लिखित परामर्श पर राष्ट्रपति द्वारा लागू किया जाता है।
  • उपराष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं।
  • उपराष्ट्रपति के चुनाव में केवल संसद के सदस्य भाग लेते हैं, राज्य विधानसभा सदस्य नहीं।
  • उपराष्ट्रपति को अपने पद का कोई वेतन नहीं मिलता, उन्हे राज्यसभा के सभापति होने के नाते वेतन मिलता है।
  • राज्यसभा का सदस्य ना होते हुए भी उपराष्ट्रपति इसके पदेन सभापति होते हैं।


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तुलसी रचित श्री राम चरित् मानस के चुनिंदा अंश



  • "बचन परम हित सुनत कठोरे। सुनहिं जे कहहिं ते नर प्रभु थोरे।।"
    सुनने में कठोर परन्तु हितकारी वचन कहने व सुनने वाले मनुष्य बहुत थोडे हैं।
  • "नारि सुभाउ सत्य सब कहहिं। अवगुन आठ सदा उर रहहीं।।
    साहस अनृत चपलता माया। भय अबिबेक असौच अदाया।।"

    नारी के हृदय में आठ अवगुण सदा रहते हैं-साहस, झूठ, चंचलता, छल, भय, अविवेक,अपवित्रता व निर्दयता।
  • "प्रीति विरोध समान सन करिअ नीति असि आहि।
    जौं मृगपति बध मेडुकन्हि भल कि कहई कोउ ताहि।।"

    प्रीति और वैर बराबरी वालों से ही करना चाहिए, नीति ऐसी ही है; सिंह यदि मेंढकों के मारे तो क्या उसे कोई भला कहेगा।
  • "काल दंड गहि काहु न मारा हरइ धर्म बल बुद्धि बिचारा।"काल दंड(लाठी) लेकर किसी को नहीं मारता; वह तो धर्म,बल बुद्धि व विचार को हर लेता है।
  • "सुत, बित, नारि भवन परिवारा। होहिं जाहिं जग बारहिं बारा।।
    अस बिचारि जागहु ताता। मिलइ न जगत सहोदर भ्राता।।"

    पुत्र,धन,स्त्री,घर और परिवार; ये जगत में बार-बार होते हैं और जाते हैं,परन्तु जगत में सहोदर भाई बार बार नहीं मिलता।
  • "पर उपदेस कुसल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे।।’
    पर द्रोही पर दार रत पर धन पर अपवाद।ते नर पाँवर पापमय देह धरें मनुजाद।।"

    जो दूसरों से द्रोह करते हैं, परायी स्त्री, पराया धन, परायी निन्दा में आसक्त रहते हैं वे पापमय मनुष्य नर शरीर धारण किए हुए राक्षस ही हैं।
  • "श्री मद बक्र न कीन्ह केहि प्रभुता बधिर न काहि।
    मृग लोचनि के नैन सर को अस लाग न जाहि।।"

    लक्ष्मी के मद् ने किसको टेढा और प्रभुता ने किसको बहरा न कर दिया? ऐसा कौन है जिसे मृगनयनी के नेत्र बाण न लगे हों।
  • "नारि बिबस नर सकल गौसाईं। नाचहिं नट मर्कट की नाईं।।"
    सभी मनुष्य स्त्रियों के विशेष वश में हैं और (कलियुग में) बाजीगर के बंदर की तरह नाचते हैं।


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भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान के प्रश्न उत्तर



भारतीय राजव्यवस्था
  1. लोक सभा तथा राज्यसभा की संयुक्त बैठक कब होती है? → संसद का सत्र शुरू होने पर
  2. किस व्यक्ति ने वर्ष 1922 में यह माँग की कि भारत के संविधान की संरचना हेतु गोलमेज सम्मेलन बुलाना चाहिए? → मोती लाल नेहरू
  3. कांग्रेस ने किस वर्ष किसी प्रकार के बाह्य हस्तक्षेप के बिना भारतीय जनता द्वारा संविधान के निर्माण की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किया था? → 1936
  4. वर्ष 1942 में किस योजना के तहत यह स्वीकार किया गया कि भारत में एक निर्वाचित संविधान सभा का गठन होगा, जो युद्धोपरान्त संविधान का निर्माण करेगी? → क्रिप्स योजना
  5. राज्यसभा के लिए नामित प्रथम फ़िल्म अभिनेत्री कौन थीं? → नरगिस दत्त
  6. संविधान संशोधन कितने प्रकार से किया जा सकता है? → 5
  7. संविधान सभा के लिए चुनाव कब निश्चित हुआ? → जुलाई 1946
  8. संविधान सभा को किसने मूर्त रूप प्रदान किया? → जवाहरलाल नेहरू
  9. भारत में कुल कितने उच्च न्यायालय हैं? → 21
  10. संविधान सभा की प्रथम बैठक कब हुई थी? → 9 दिसम्बर, 1946
  11. राष्ट्रपति चुनाव संबंधी मामले किसके पास भेजे जाते हैं? → उच्चतम न्यायालय
  12. प्रथम लोकसभा का अध्यक्ष कौन था?→ जी. वी. मावलंकर
  13. पहली बार राष्ट्रपति शासन कब लागू किया गया? → 20 जुलाई, 1951
  14. संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिकता के सम्बन्ध में संसद ने एक व्यापक नागरिकता अधिनियम कब बनाया? → 1955
  15. प्रधानमंत्री बनने की न्यूनतम आयु है? → 25 वर्ष
  16. जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन कब हुआ?→ सितम्बर 1946
  17. मुस्लिम लीग कब अंतरिम सरकार में शामिल हुई? → अक्टूबर 1946
  18. संविधान सभा की पहली बैठक किस दिन शुरू हुई? → दिसम्बर 1946
  19. संविधान सभा का पहला अधिवेशन कितनी अवधि तक चला? → 9 दिसम्बर 1946 से 23 दिसम्बर 1946
  20. देश के स्वतंत्र होने के पश्चात संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई? → 31 अक्टूबर 1947
  21. संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष किसे चुना गया? → सच्चिदानन्द सिन्हा
  22. संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष कौन था? → डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
  23. संविधान निर्माण की दिशा में पहला कार्य ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ था 22 जनवरी 1947 को यह प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया? → जवाहरलाल नेहरू
  24. भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का चुनाव किया गया था? → संविधान सभा द्वारा
  25. भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार, भारत के शासन की सर्वोच्च सत्ता किसमें निहित्त है?→ जनता
  26. भारत के प्रथम सिख प्रधानमंत्री कौन है? → मनमोहन सिंह
  27. प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने वाले प्रथम व्यक्ति कौन हैं?→ मोरारजी देसाई
  28. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति कौन करता है? → राष्ट्रपति
  29. भारतीय संविधान के किस भाग को उसकी ‘आत्मा’ की आख्या प्रदान की गयी है?→ प्रस्तावना
  30. केरल का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है? → एर्नाकुलम
  31. राज्यसभा के लिए प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का निर्वाचन कौन करता है? → विधानसभा के निर्वाचित सदस्य
  32. 31वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या कितनी निर्धारित की गयी है? → 545
  33. हरियाणा राज्य कब बना था? → 1 नवम्बर, 1966
  34. दीवानी मामलों में संसद के सदस्यों को किस दौरान गिरफ्तार नहीं किया जा सकता? → संसद के सत्र के दौरान, संसद के सत्र आरम्भ होने के 40 दिन पूर्व तक, संसद के सत्र आरम्भ होने के 40 दिन बाद तक
  35. संघीय मंत्रिपरिषद से त्यागपत्र देने वाले प्रथम मंत्री कौन थे?→ श्यामा प्रसाद मुखर्जी
  36. भारत के संपरीक्षा और लेखा प्रणालियों का प्रधान कौन होता है? → भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
  37. लोकसभा के अध्यक्ष को कौन चुनता है? → लोकसभा के सदस्य
  38. कौन उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनी? → सुचेता कृपलानी
  39. प्रथम लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या कितनी थी?→ 1874
  40. भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री कौन रहे हैं? → सरदार वल्लभ भाई पटेल
  41. सबसे लम्बी अवधि तक एक ही विभाग का कार्यभार संभालने वाले केंद्रीय मंत्री कौन थे? → राजकुमारी अमृत कौर
  42. दादरा एवं नगर हवेली किस न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है? → मुंबई उच्च न्यायालय
  43. मूल संविधान में राज्यों को कितने प्रवर्गों में रखा गया? → 4
  44. लोकसभा की सदस्यता के लिए उम्मीदवार को कितने वर्ष से कम नहीं होना चाहिए?→ 25 वर्ष
  45. भारतीय संविधान किस दिन से पूर्णत लागू हुआ? → 26 जनवरी, 1950
  46. पहली बार राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कब की गई? → 26 अक्टूबर, 1962
  47. डोगरी भाषा किस राज्य में बोली जाती है? → जम्मू और कश्मीर
  48. भारत के नागरिकों को कितने प्रकार की नागरिकता प्राप्त है? → एक
  49. भारतीय स्वाधीनता अधिनियम को किस दिन ब्रिटिश सम्राट की स्वीकृति मिली? → 21 जुलाई 1947
  50. भारतीय संविधान कितने भागों में विभाजित है? → 22
  51. केन्द्र और राज्य के बीच धन के बँटवारे के सम्बन्ध में कौन राय देता है?→ वित्त आयोग
  52. किस तरह से भारतीय नागरिकता प्राप्त की जा सकती है? → जन्म, वंशानुगत, पंजीकरण
  53. भारतीय संविधान ने किस प्रकार के लोकतंत्र को अपनाया है? → लोकतांत्रिक गणतंत्र
  54. केन्द्रीय मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष कौन होता है? → प्रधानमंत्री
  55. जब भारत स्वतंत्र हुआ, उस समय कांग्रेस का अध्यक्ष कौन था? → जे. बी. कृपलानी
  56. मूल संविधान में राज्यों की संख्या कितनी थी? → 27
  57. 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में किन शब्दों को नहीं जोड़ा गया? → गुटनिरपेक्ष
  58. किस राज्य के विधान परिषद की सदस्य संख्या सबसे कम है? → जम्मू-कश्मीर
  59. भारत में किस प्रकार की शासन व्यवस्था अपनायी गयी है? → ब्रिटिश संसदात्मक प्रणाली
  60. भारत की संसदीय प्रणाली पर किस देश के संविधान का स्पष्ट प्रभाव है? → ब्रिटेन
  61. राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों की प्रेरणा किस देश के संविधान से मिली है? → आयरलैण्ड
  62. भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रभावित है? → दक्षिण अफ्रीका
  63. भारतीय संघ में सम्मिलित किया गया 28वाँ राज्य कौन-सा है। → झारखण्ड
  64. हिमाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा कब प्रदान किया गया? → 1971 में
  65. पहला संवैधानिक संशोधन अधिनियम कब बना? → 1951
  66. राष्ट्रपति पद के निर्वाचन हेतु उम्मीदवार की अधिकतम आयु कितनी होनी चाहिए? → कोई सीमा नहीं
  67. भारत का संविधान कब अंगीकृत किया गया था? → 26 नवम्बर,1949
  68. किस वर्ष गांधी जयंती के दिन केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की स्थापना की गयी? → 1985
  69. विधान परिषद को समाप्त करने वाला आखिरी राज्य कौन है? → तमिलनाडु
  70. लोकसभा का सचिवालय किसकी देखरेख में कार्य करता है? → संसदीय मामले के मंत्री
  71. ‘विधान परिषद’ का सदस्य होने के लिए कम से कम कितनी आयु होनी चाहिए? → 30 वर्ष
  72. “राज्यपाल सोने के पिंजरे में निवास करने वाली चिड़िया के समतुल्य है।” यह किसका कथन है? → सरोजिनी नायडू
  73. देश के किस राज्य में सर्वप्रथम गैर-कांग्रेसी सरकार गठित हुई? → 1957, केरल
  74. किस राज्य की विधान परिषद की सदस्य संख्या सर्वाधिक है? → उत्तर प्रदेश
  75. प्रत्येक राज्य में अनुसूचित जाति और जनजातियों की सूची कौन तैयार करता है? → प्रत्येक राज्य के राज्यपाल के परामर्श से राष्ट्रपति
  76. भारतीय संविधान में तीन सूचियों की व्यवस्था कहाँ से ली गयी है? → भारत शासन अधिनियम 1935 से
  77. किस वर्ष सिक्किम को राज्य का दर्जा दिया गया था? → 1975 में
  78. जनता पार्टी के शासन के दौरान भारत के राष्ट्रपति कौन थे? → नीलम संजीव रेड्डी
  79. कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इसका निर्णय कौन करता है?→ लोकसभा का अध्यक्ष
  80. दल-बदल से सम्बन्धित किसी प्रश्न या विवाद पर अंतिम निर्णय किसका होता है? → सदन के अध्यक्ष
  81. 1922 में किस व्यक्ति ने मांग की थी कि भारत की जनता स्वयं अपने भविष्य का निर्धारण करेगी? → महात्मा गांधी
  82. संसद पर होने वाले ख़र्चों पर किसका नियंत्रण रहता है? → नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
  83. राज्यसभा की पहली महिला महासचिव कौन हैं? → वी. एस. रमा देवी
  84. संसद का कोई सदस्य अपने अध्यक्ष की पूर्वानुमति लिये बिना कितने दिनों तक सदन में अनुपस्थित रहे, तो उसका स्थान रिक्त घोषित कर दिया जाता है? → 60 दिन
  85. पांडिचेरी को किस वर्ष भारतीय संघ में सम्मिलित किया गया? → 1962
  86. भारत का संविधान भारत को किस प्रकार वर्णित करता है? → राज्यों का संघ
  87. वह कौन सी सभा है, जिसका अध्यक्ष उस सदन का सदस्य नहीं होता है? → राज्य सभा
  88. पूरे देश को कितने क्षेत्रीय परिषदों में बाँटा गया है? → 5
  89. क्या पंचायतों को कर लगाने का अधिकार है? → हाँ
  90. जवाहरलाल नेहरू के निधन के पश्चात किसने प्रधानमंत्री पद ग्रहण किया? → गुलजारी लाल नन्दा
  91. राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत किस ज़िले से हुई? → नागौर
  92. किसकी सिफारिश पर संविधान सभा का गठन किया गया? → कैबिनेट मिशन योजना
  93. संविधान सभा में विभिन्न प्रान्तों के लिए 296 सदस्यों का निर्वाचन होना था। इनमें से कांग्रेस के कितने प्रतिनिधि निर्वाचित होकर आए थे? → 208
  94. कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार, संविधान सभा के कुल कितने सदस्य होने थे? → 389
  95. किसी क्षेत्र को ‘अनुसूचित जाति और जनजाति क्षेत्र’ घोषित करने का अधिकार किसे है? → राष्ट्रपति
  96. पुनर्गठन के फलस्वरूप वर्ष 1947 में संविधान सभा के सदस्यों की संख्या कितनी रह गयी? → 299
  97. संविधान सभा में किस देशी रियासत के प्रतिनिधि ने भाग नहीं लिया था?→ हैदराबाद
  98. भारतीय संविधान में किस अधिनियम के ढांचे को स्वीकार किया गया है? → भारत शासन अधिनियम 1935
  99. मुस्लिम लीग ने संविधान सभा का बहिष्कार किस कारण से किया? → मुस्लिम लीग मुस्लिमों के लिये एक अलग संविधान सभा चाहता था
  100. वर्ष 1938 में किस व्यक्ति ने व्यस्क मताधिकार के आधार पर संविधान सभा के गठन की मांग की? → जवाहरलाल नेहरू 


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