चिट्ठकारी मे पंगेबाज की वापसी
सिर्फ मै ही नही ब्लॉग जगत मे ऐसे बहुत से उनके प्रसंशक और पाठक है जो उनकी वापसी का इंतजार कर रहे थे, इसका अनुमान मेरी उनको याद की गई पोस्ट पर टिप्पणी से पता चलता है। वह अच्छे ब्लॉगर के साथ-साथ व्यावहारिक व्यक्ति भी जिसके कारण वो सभी के चहेते है। उनकी वापसी से मुझे खुशी है और इससे ज्यादा यह कि उन्होंने महाशक्ति को अपना पटल चुना है।
मैंने उन्हें महाशक्ति पर आमंत्रित होने का निवेदन किया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है, जिससे तो स्पष्ट है उनकी वापसी ने उन लोगों के मुँह पर तमाचा है जो मेरी पंगेबाज पर पिछली पोस्ट पर मेरे निवेदन को मजाक उड़ाया था। जबकि अब पंगेबाज का चिट्ठकारी मे वापसी हो चुकी है। उनको नयी पारी की शुरूवात की बहुत बधाई।
शेष फिर...... जय श्रीराम
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सर्वश्रेष्ठ चिट्ठाकार की कैटगरियॉं और भी है
मुझे लगता है कि महिला आरक्षण की कामयाबी के बाद, ब्लाग में अगल से सर्वश्रेष्ठ की बात उठना जायज है। मुझे लगता है कि कुछ और बाते भी आज क्लियर हो जानी चाहिए, ताकि ब्लॉग आत्माओं को अनावश्यक भटकना न पड़े। मुझे लगता है कि सर्वश्रेष्ठ की दौड़ में निम्न श्रेणियों बन सकती है ताकि भविष्य पोस्ट के लिये आवश्यक मसाला मिलता रहे।
चिट्ठाकारों को नये श्रेणी तथा उपश्रेणी में बांट कर, सर्वश्रेष्ठ की व्यूह रचना किया जा सकता है जो निम्न प्रारूप में हो सकता है नहीं तो महान ब्लागर जन तो नयी श्रेणियों के निर्माण मे तो माहिर है ही।
- सर्वश्रेष्ठ अल्पसंख्यक चिट्ठाकार
- सर्वश्रेष्ठ अन्य पिछड़ा वर्ग चिट्ठाकार
- सर्वश्रेष्ठ अनुसूचित जाति चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ अनुसूचित जनजाति चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ ठाकुर चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ यादव चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ रोज पोस्ट ठेलने वाले चिट्ठाकार
- सर्वश्रेष्ठ कभी कभी पोस्ट ठेलने वाले चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ अनामी चिट्ठाकार
मै तो हर उस ब्लागर को सर्वश्रेष्ठ मानता हूँ जो अपने आपको अपनी ब्लॉग विधा मे अपने आपको सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करता है, उसमे अनूप जी, समीर जी, अजीत जी, अरुण जी, आलोक कुमार जी, घुघुती बासूती जी, गिरीश जी, विजय तिवारी जी, सुरेश जी, और वैचारिक मतभेद होते हुए भी अफलातून जी को मै अच्छा ब्लॉग लेखक मानता हूँ, और भी बहुत से अच्छे ब्लागर है किंतु मुझे इन्ही को ज्यादा पढ़ने का मौका मिला है और मै इनके बारे कह सकता हूँ। आपके खुद सर्वश्रेष्ठ चिट्ठकार होंगे, आप तो खुद ही जानते होंगे।
शेष फिर .......
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एक ब्लागर था पंगेबाज
आज चिट्ठकारी के प्रति मेरी थोड़ी भी उदासीनी हुई तो उसका एक मात्र कारण अरुण जी है, उनके पंगेबाज बिना महाशक्ति की शक्ति भी अधूरी है। पंगेबाज जी हमेशा याद आते है किन्तु आज कुछ ज्यादा ही याद आये, आज मैंने उनके द्वारा भेजा गया पहले ईमेल को पढ़ा, उस मेल के शब्द थे - परमेन्दर जी आप के नाम पाती के बाद आज मोहल्ला से पंगा ले ही लिया कृपया चिट्ठा पढकर टिप्पणी अवश्य दे आपका अरुण, ८ अप्रैल २००७ के इस लघु पत्र को पढ़ कर आज मै उनको बहुत मिस कर रहा हूँ । पंगेबाज जितने अच्छे ब्लागर थे उससे भी अच्छे इंसान है, मुझे उनके साथ किये ये विभिन्न मुद्दो पर काम, आज उस पल का याद कर गम के आंसू दे रहे है। कोई व्यक्ति 24 घंटे मे किसी पर कितना विश्वास किसी पर पर कर सकता है मेरे द्वारा ९ अप्रैल २००७ को भेजे इस मेल से किया जा सकता है - अरूण जी, आपके लेख मे मात्रात्मक गल्तियॉं थी मैने उन्हे ठीक कर दिया है। लेख उत्तम है। यह तब के समय की बात है जब गिने ब्लागर थे, उन्होने मुझे अपने पंगेबाज ब्लाग लेख के वर्तनी सुधार के लिये ब्लाग पर प्रशासक का स्थान दिया था। तब न हमारे बीच कोई चैंट हुई थी न फोन पर बात बस एक अजीब से एक लक्ष्य दोनो को एक साथ काम करने को तत्पर कर दिया। मुझे दिल्ली की एक घटना याद आती है मै दिल्ली मे था तथा काफी ऊब गया था, मैने अरूण जी को प्रात: करीब 6 बजे फोन कर कहा शिकयत भरे लहजे मे कहा कि आपका छोटा भाई दिल्ली मे अकेले है और आपने आज तक उसकी फ्रिक नही की, उस समय पंगेबाज पूरी तरह नींद मे थे और बोले सॉरी.... तुम बदरपुर बॉर्डर पहुँचो मै तुमसे मिलता हूँ, जब हम बदरपुर पहुंचे तो अरुण जी हमसे पहले वहाँ मौजूद थे। इससे बड़ा आत्मीयता का उदाहरण मै नही दे सकता, अनजाने शहर में किसी से इतनी भी उम्मीद करना कठिन होता है। अरुण जी से वो मुलाकात मेरे चेहरे पर वो मुस्कान दे गई, मेरे लिये उस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत थी, जिन्दगी मे पहली बार अपने परिवार से मै दूर किसी स्थान पर था। जब तक वो साथ रहे किसी प्रकार की कमी होने नही दी।
आज पंगेबाज जी महाशक्ति पर पहली टिप्पणी (19 April, 2007) को देखता हूँ जो स्टार न्यूज पर हमला मीडिया के बडबोले मुँह पर तमाचा और मेरी पोस्ट पर सबसे अन्तिम पोस्ट अल्लाह ने दिये अबाध बिजली आपूर्ति की गारंटी पर (09 December, 2008 को) उन्होंने की थी जब उनकी मात्राओं की गलतियों को आसानी से देखा जा सकता था और बाद की टिप्पणी में सुधार, ऐसा इसलिए नहीं था कि अरुण जी को हिंदी नहीं आती थी अपितु आज से 3 साल पहले हिन्दी चिट्ठाकारी इसलिए कोई अच्छे हिन्दी टाईपिंग के माध्यम उपलब्ध नहीं थे। अरुण जी शायद कभी पंगेबाज न बनते और न कभी चिट्ठाकारी करते किन्तु 2007 की चिट्ठाकारी का जो परिदृश्य था उसके कारण एक पाठक होने के कारण उनको चित्रकारी मे आना पड़ा और मेरी और उनकी वैचारिक समानता ने हमे एक किया।
पंगेबाज जी का नम्बर मेरे पास है (यदि बदला न हो तो) किन्तु मै बात करने का साहस नही जुटा पा रहा हूँ, क्योकि मै उनकी वापसी की माँग करूँगा, और वो न करेगे और न सुनने की आदत मुझमे नही है। अरूण जी आपका छोटा भाई दिल कड़ा लिखता है उसका दिल उतना कड़ा नही है, काश आपकी कमी के कारण हुये मेरे दर्द और छति को समझ पाते आज भी आप बहुत याद आते हो। मै आपके वापसी की प्रतीक्षा कर रहा हूँ, आज अपने शीर्षक को एक ब्लागर था पंगेबाज को एक ब्लागर है पंगेबाज करना चाहता हूँ।
आपके और मेरे संवाद बहुत है फिर आपको याद करते हुये लिखूँगा.......... जय श्रीराम
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चिट्ठाकारी ...... एक अदद फार्म की तलाश
काफी दिनो से चिट्ठाकारी असक्रिय रहा हूँ, गाहे बगाहे एकाध पोस्ट डाल देता था, ताकि लय बनी रहे किंतु जिस प्रकार मास्टर ब्लास्टर फार्म मे है उस प्रकार का फार्म न पाने में भी असमर्थ प्रतीत होता हूँ। आज अपनी दूसरी पारी प्रारंभ कर रहा हूँ। गाँव मे एक प्रचलित कहावत कही जाती है कि बूढ़ा बरधा हराई नही भूलता है उसी प्रकार इतने दिनो से हूँ कुछ फार्म गड़बड़ जरूर हुआ है किन्तु आशा है कि जल्द प्राप्त कर लूँगा।
हाल मे कुछ ब्लागों से पता चला कि बड़ा लोचा हो गया है, कोई किसी को खली बना रहा है तो तो कोई महाबली किन्तु खली और महाबली गले मिल कर मौज ले रहे। चिट्ठाकारी मे जब तक ही धर पटक न होती रही तब तक चैन नहीं पड़ता है। यही कारण है कि ज्यादातर पोस्ट पेट्रोल से बुझी होती है बस धांसू माचिस रूपी टिप्पणी की जरूरत है फिर देखो तमाशा फोकट का।
चिट्ठाकारी मे हर ब्लॉगर की अपनी अगल विधा है तो कोई सचिन जैसा है तो कोई गांगुली तो कोई द्रविड़ तो कोई अगैरा वगैरा की तरह अपनी उपयोगिता दिखता है। सभी का अपनी उपयोगिता है बिना ग्यारह खिलाड़ी के टीम पूरी नही होती, सचिन या सहवाग लाख शतक ठोक दे पर टीम तब तक नहीं जीतेगी जबकि खुद टीम वर्क के साथ काम न किया गया हो। उसी प्रकार चिट्ठकारी मे मै रहूँ या न रहूँ चिट्ठकारी को कोई फर्म नही पड़ा, उसी प्रकार किसी एक व्यक्ति के बल पर आज न चिट्ठाकारी चल रही है और न कभी चल पाएगा। चिट्ठाकारी एक बहता हुआ मृदुल पानी के समान है जो जितना प्रवाहित होगा उतना ही निर्मल होगा। यदि कोई इसे रोकने का प्रयास करेगा तो अपने आप इसके प्रभाव में बह जायेगा।
ब्लॉगिंग मस्ती है विचार का प्रवाह है और अपनी सोच है, मुझे तो दिल की बात लिखने में बड़ा मजा आता है काफी दिनो से दिल की बात नहीं लिखी थी आज बहुत दिनो के बाद ऐसी पोस्ट लिख रहा हूँ, दिल को सुकून मिल रहा है। कुछ लोग चिट्ठाकारी को डायरी बोलते है तो गलत नहीं है, मेरा मन में चाहे जो लिखूँ, कभी खुद के लिये तो कभी सबके लिये।
शेष फिर ......
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अमृत वचन स्वामी राम तीर्थ (Amrit Vachan Swami Ram Tirath)
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अवैध टिप्पणी मे 6 Anonymous गिरफतार
मै विगत दिनो से इस प्रकार की टिप्पणी के कारण बहुत ही परेशान था, मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि इसका हल क्या हो ? तभी एक-दो मित्रो से मॉडरेशन के सम्बन्ध मे बात हुई और मैने ऐसा कर दिया, और इस प्रकार अब ये टिप्पणी प्रकाशित नही हुई।
ब्लाग पर इस प्रकार की टिप्पणी मेरे ही ब्लाग नष्ट करे का सुनियोजित फार्मूले के तहत काम किया जा रहा है या यह नेट की सामान्य प्रक्रिया। आप सभी का हार्दिक अभार की इस सब के बाद भी आपका प्यार स्नेह बरकार है।
पुन: आप सबसे निवेदन है कि मेरे ब्लॉग में स्थित किसी भी कमेंट के लिंक को कदापि न खोले यह वायरस हो सकता है और यह आपके कंप्यूटर को हानि पहुंचा सकता है।
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ब्लाग मांडरेशन मे, कमेन्ट लिंक को मत खोले
कुछ दिन पूर्व ही पता चला कि महाशक्ति समूह पर पर वायरस अटैक हुआ है, फायरफॉक्स से खोलने पर यह वायरस का संदेश देता है और कंप्यूटर के लिये हानिकारक बताता है।
मेरे ब्लॉग के कुछ ऐसे लेख है जिस पर लगा तार ऐसी टिप्पणी आ रही है -
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एक सार्वजनिक पत्र {TRSM} Is New World के नाम
आपका अपना
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह
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