अपने बेटे और बेटियों का मांस खाओगे: गौड



क्या आप किसी ऐसे पुरुष की कल्पना कर सकते हैं जो छोटे छोटे बच्चों को उनके पाँव से पकड़ कर दीवार पर दे मारे जिस से कि उनकी मृत्यु हो जाए?
यदि आप का उत्तर नकारात्मक है तो आप ईसाई मत की पुस्तक बाइबल से अनभिज्ञ हैं क्योंकि इसमें इस प्रकार का दृश्य अनेक स्थानों पर वर्णित है। स्वभावतः यदि आप हिन्दू धर्म और संस्कृति में पले बढ़े हैं तो आप का विचार होगा कि ये किसी दुष्ट मानव का कार्य है और बाइबल का गौड़ इस दुष्ट को दंड देगा। रामायण और महाभारत में भी तो दुष्टों के वर्णन आते हैं, वो कंस हो अथवा रावण।
यदि आप के विचारों का प्रवाह इस वर्णन से मेल खाता है तो इसका अर्थ है कि आप को पूर्ण रूप से मूर्ख बना दिया गया है। मेरे इस वाक्य से आप को क्रोध आ सकता है, जो कि स्वाभाविक है किन्तु क्रोध से सत्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जब से हमें सन १९४७ की तथाकथित स्वतंत्रता मिली है, हर दिशा से हमें कहा जा रहा है कि सभी धर्म एक सा उपदेश देते हैं। यहाँ तक कि २०१० में अपनी भारत यात्रा पर बराक हुसेन ओबामा ने भी यही कहा है और हमारे सेक्युलर मीडिया ने भी आप को यही पाठ पढ़ाया है। फ़िल्में भी बनी हैं तो 'अमर अकबर एंथोनी' और गाने हैं तो 'मज़हब नहीं सिखाता'।
ये सब क्यों हो रहा है, इसका उत्तर आपको अवश्य मिलेगा किन्तु सर्वप्रथम अपने आप को उत्तर दीजिये कि क्या आपने कभी बाइबल अथवा कुरान को पढ़ा है। संभवतः नहीं। अर्थात आपने सब ओर से कहे जाने पर माँ लिया कि सब सम्प्रदाय और उनके ग्रन्थ एक से ही हैं केवल नाम का अंतर है। बिना किसी घोषणा की सत्यता को परखे उस पर विश्वास करना मूर्खता नहीं है तो और क्या है?
जीसस क्राइस्ट के सम्प्रदाय को हिन्दुओं ने ईसाई नाम क्यों दिया है जबकि वो अपने आप को क्रिस्चियन कहते हैं?
इसाई मत के अनुसार जीसस क्राइस्ट गौड का एकमात्र बेटा है जो एक कुंवारी के गर्भ से जन्मा था और इस विलक्षण घटना की भविष्यवाणी हो चुकी थी।
यदि आप इसे अकेले वाक्य का ही विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि ये विचारधारा कितनी खोखली और तर्कहीन है। आइये विश्लेषण करते हैं। जीसस क्राइस्ट गौड़ का एकमात्र बेटा है: इसका विश्लेषण गांधी ने किया था और उसने मिशनरियों को इसका उत्तर भी दिया था। गाँधी के अनुसार:
हम सभी ईश्वर की संतान हैं इसलिए मैं क्राइस्ट के 'एकमात्र बेटा' होने से इनकार करता हूँ। मेरे लिए चैतन्य ईश्वर के 'एकमात्र पुत्र' हो सकते हैं।
हरिजन, जून ३, १९३७

इस विलक्षण घटना की भविष्यवाणी हो चुकी थी: ईसाई मत के अनुसार आज से लगभग २८ शताब्दियाँ पूर्व अर्थात ईसा पूर्व ८०० में इसाइआह नामक एक पैगम्बर था जिसने क्राइस्ट के जन्म की भविष्यवाणी की थी। इसी पैगम्बर के नाम पर हिन्दू इस सम्प्रदाय को ईसाई कह कर पुकारते हैं। इसकी सत्यता को जांचते हैं तो पता लगता है कि यहीं से गोल माल की नदी निकलती है। इसाइआह ने अपनी पुस्तक में लिखा है:
 देखो, एक युवा महिला के यहाँ पुत्र का जन्म होगा जिस का नाम इमैनुएल होगा।
मूल पुस्तक हिब्रू में लिखी गयी थी और जिस शब्द का प्रयोग इसाइआह ने किया था वो है अल्मा - अर्थात 'युवा महिला।' इसका अनुवाद पहले उनानी भाषा में हुआ और फिर अंग्रेजी में। इस अनुवाद में 'युवा महिला' को कुंवारी बना दिया गया। ये अनुवाद जो हमें वर्तमान प्रचलित पुस्तकों में मिलता है, वो हो गया है:
 देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी, उसके पुत्र होगा, जिसका नाम होगा इमैनुएल।
दूसरी विसंगति है कि इस वाक्य के अनुसार नाम इमैनुएल होना चाहिए जबकि नाम जीसस क्राइस्ट है। यदि आप ने किसी मिशनरी से ये कहा तो वो आप से रुष्ट हो जाएगा और कहेगा कि आप तो बाल की खाल निकालने वाले नास्तिक हैं। आप के हिन्दू ईश्वर जैसे कृष्ण अथवा राम तो काल्पनिक चरित्र हैं जबकि क्राइस्ट की ऐतिहासिकता प्रमाणित है,  कुंवारी मेरी से जन्म होना क्राइस्ट के गौड होने का प्रमाण है और बाइबल गौड की वाणी है।
क्या चक्करदार तर्क है! यही तर्क यदि आप रामायण अथवा महाभारत के लिए देंगे तो आप सेक्युलर नहीं होंगे, आप संकीर्ण विचारों वाले हिन्दू आतंकवादी होंगे। चलिए, इसकी भी जांच कर लेते हैं। 
क्राइस्ट का गौड़ होना इस तथ्य पर आधारित है कि वो एक कुंवारी के गर्भ से जन्मा है। ये इतनी विलक्षण घटना है और इस पर क्राइस्ट का गौड होना टिका है तो आइये देखें कि इस सन्दर्भ में गौड की वाणी अर्थात बाइबल क्या कहती है। जो पाठक अनजान हैं, उनकी जानकारी के लिए क्राइस्ट के पश्चात लिखे गए बाइबल के भाग को 'न्यू टेस्टामेंट' अथवा 'नया नियम' कहते हैं। इसके चार भाग हैं जो क्राइस्ट के चार शिष्यों मार्क, जॉन, ल्यूक तथा मैथ्यू ने लिखे हैं। 
मार्क और जॉन ने तो इस विलक्षण घटना का उल्लेख ही नहीं किया है। ल्यूक और मैथ्यू में जो वर्णन है वो इतना विरोधाभासी है कि कोई सम्मानित व्यक्ति इसे उचित ठहराने से पहले चुल्लू भर पानी में डूब मरना पसंद करेगा। किन्तु मिशनरी इस श्रेणी में नहीं आते। ल्यूक के वर्णन के अनुसार एक देवदूत ने मेरी को आ कर बताया कि गौड ने अपने 'एकमात्र पुत्र' को धरती पर जन्म लेने के लिए तुम्हें गर्भवती किया है। वहीं मैथ्यू में देवदूत मेरी के मंगेतर जोसेफ को संदेश देता है कि मेरी के गर्भ धारण का कारण गौड है इसलिए जोसेफ को मेरी पर शंका नहीं करनी है। इतने तीव्र विरोधाभासों के चलते भी हमें स्वीकार कर लेना चाहिए कि बाइबल गौड की वाणी है। संभवतः गौड़ के यहां 'प्रिंटिंग मिस्टेक' हो जाती हैं।
मैथ्यू के अनुसार, जोसेफ जब परेशान होता है कि उसकी मंगेतर गर्भवती है तो देवदूत उसे बताता है कि गौड ने ये इसलिए किया है कि भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हो सके। 
मैथ्यू : १-१८ से १-२३

यदि आप मिशनरियों की इन कथाओं पर विश्वास करते हैं तो उनके महान संदेशवाहक इसाइआह की पुस्तक भी आप को रुचिकर लगेगी। इस पुस्तक में वो यहूदियों को अपने गौड याह्वेह की शरण में आने को कहता है और ऐसा न करने पर चेतावनी देता है कि गौड क्रोधित हो जाएगा और उनका विनाश कर देगा। परिणाम स्वरुप, उसकी पुस्तक का एक विशाल भाग गौड के क्रोध का वर्णन करता है। इसके तेरहवें अध्याय का विषय है बेबीलोन नामक नगर जहां के लोग गौड के अनुसार आचरण नहीं कर रहे हैं। उनके लिए जो यातनाएं वर्णित हैं, उनका उल्लेख विषय के अनुरूप करूंगा किन्तु यहाँ इस अध्याय का सोलहवां वाक्य प्रस्तुत है:
उनके बच्चों को पटक कर उनके टुकड़े टुकड़े कर दिए जायेंगे, उनके घर लूट लिए जायेगे और उनकी पत्नियों का बलात्कार किया जाएगा।
ये दंड उन लोगों के लिए है जो गौड के अनुसार व्यवहार नहीं करते और जो दंड देने वाले हैं, वो गौड के भेजे हुए लोग हैं। इन दंड देने वालों को गौड के बलवान (God's mighty ones) कहा जाता है। अर्थात गौड के चुने हुए लोग बच्चों के टुकड़े करेंगे और बलात्कार करेंगे। ये ईसाईयों की पवित्र पुस्तक है।
एक रोचक तथ्य यह है कि न केवल यहूदी इस पुस्तक को अपना ग्रन्थ मानते हैं बल्कि इसाई और मुसलमान इसाइआह को अपना एक पैगम्बर मानते हैं। इसाई ऐसा क्यों मानते हैं, ये तो आप पढ़ ही चुके हैं, मुसलामानों के अनुसार इसाइआह ने मोहम्मद के जन्म की भविष्यवाणी की थी। 

एक साधारण प्रतिक्रिया होती है कि सैंकड़ों वर्ष पहले लिखी पुस्तक से हमें क्या अंतर पड़ता है। इसे समझने के लिए पंद्रहवीं सदी के यूरोप में जाना पड़ेगा जब इसी प्रकार बच्चों को मारा गया था और महिलाओं से बलात्कार किया गया था। अर्थात पुस्तक के लिखे जाने और उसके अनुसार व्यवहार में लगभग २३०० वर्ष का अंतर है। और ये तो केवल एक घटना है। 
ये घटना है सन १५०६ की। स्थान है पुर्तगाल का नगर लिस्बन। प्रस्तुत अंश प्रसिद्द इतिहासकार अलाक्सांद्रे हर्क्युलिअनो की पुस्तक 'द हिस्टरी ऑफ ओरिजिन एंड एस्तैब्लिश्मेंट ऑफ इन्कुइसिशन इन पुर्तगाल' पर आधारित है। वो उन्नीसवीं सदी में 'रोयल अकैडमी ऑफ साइंस' का निर्देशक था और ये पुस्तक उसने आधिकारिक प्रलेखों के आधार पर लिखी थी।
गत दो वर्ष से यहाँ अकाल जैसी स्थिति थी और परिणामस्वरूप हैजा एक महामारी का रूप ले रहा था। प्रतिदिन १०० से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो रही थी। ऐसे में किसी ने कहा कि एक विशेष चर्च में जीसस की प्रतिमा के निकट के प्रकाश दिखाई देता है। कई दिन तक कोई न कोई कह देता कि उसने उस दिव्य रौशनी को देखा है किन्तु अधिकतम लोगों की राय थी कि ये एक भ्रम है। एक रविवार के दिन जब चर्च में लोग एकत्रित थे तो एक युवक जो यहूदी से इसाई बना था, इस तथाकथित चमत्कार के प्रति अविश्वास जताया। ये बात चर्च में फ़ैल गयी और भीड़ ने उसे मार कर उसके शव को जला दिया। धीरे धीरे भीड़ बढ़ने लगी। एक फादर ने भीड़ को उकसाना आरम्भ कर दिया। दो अन्य फादर, जिनमें से एक के हाथ में क्रॉस था और दूसरे के हाथ में क्रूसीफिक्स था, ने चिल्लाना आरम्भ कर दिया - हिअरसी हिअरसी (हिअरसी का अर्थ है वो आचरण जो चर्च के विचारों के विरुद्ध होता है)। ये सुनते ही पूरे नगर में दंगे भड़क उठे जिनमें बंदरगाह पर खड़े पोतों के नाविक भी सम्मिलित हो गए। राह चलते नए ईसाईयों (यहूदी से बने इसाई) को पकड़ कर उनकी हत्या कर दी गयी अथवा घायल कर दिया गया। इन अधमरे नए ईसाईयों को आग में डाल कर जला दिया गया। 
दोनों फादर, जिनमें से एक जोआओ मोचो नामक पुर्तगाली फादर था और दूसरा ऐरागौन का बर्नार्डो नामक फादर था, दंगा करने वालों को भड़का रहे थे और दंगे करने के लिए 'जला दो! जला दो' कह कर उकसा रहे थे। हर नए इसाई को घसीट कर आग में फेंका जा रहा था। दो स्थानों पर भीषण आग लगा दी गयी थी, जिन में एक ही समय में १५-२० यहूदी जलाए जा रहे थे। एक ही चौराहे पर ३०० पुरुषों को जला दिया गया था। इस रविवार को ५०० लोगों को जला दिया गया था। अगले दिन इस क्रम ने अधिक भयंकर रूप धारण कर लिया। फादरों के भड़काने से इस दिन की गतिविधियाँ अधिक हिंसक हो गयी थीं। इसमें कुछ पुराने ईसाईयों को भी मार दिया गया था। कुछ को अपनी जान बचाने के लिए सार्वजनिक रूप से ये दिखाना पड़ा कि उनका खतना नहीं हुआ है। (यहूदी खतना करवाते हैं, इसाई नहीं करवाते)। इसाई बलपूर्वक नए ईसाईयों के घरों में घुस गए। महिलाओं, पुरुषों और वृद्धों को मार दिया गया। बच्चों को उनकी माताओं के वक्ष से खींच कर, पांवों से पकड़ कर उनके सर कमरों की दीवारों पर पटक दिए गए। यहाँ वहाँ ४०-५० शवों के ढेर देखे जा सकते थे, जिन्हें जलाया जाना था। जो जीवन बचाने के लिए चर्चों में छिप गए थे, उन्हें भी नहीं छोड़ा गया। विवाहित और अविवाहित महिलाओं को बाहर निकाल कर उनसे बलात्कार किये गए और फिर उन्हें लपटों में फेंक दिया गया। इस दरिंदगी में नाविकों के साथ, छोटी जाती के भी लगभग १००० पुरुष सम्मिलित थे। जब रात हुई तो ये बर्बर दृश्य छिप गए किन्तु अगले दिन यही क्रम चल पड़ा। अब बर्बर दृश्य कम थे क्योंकि शिकार करने के लिए कम लोग रह गए थे। कुछ पुराने ईसाईयों ने, जो अभी भी मानवीयता में विश्वास करते थे, बहुत से लोगों को छिपा दिया था अथवा उन्हें भागने में सहायता की थी। भागने वाले अधिक भाग्यशाली नहीं रहे क्योंकि उन्हें आस पास के गाँवों में ढूंढ कर मार दिया गए। जब बलात्कार के लिए और महिलायें नहीं बची और मारने के लिए पुरुष नहीं बचे तो सब शांत हो गया और सेंट डोमिनिक के फादर विश्राम करने लगे।
 उक्त घटनाक्रम में दंगा करने वालों ने और करवाने वाले फादर वही कर रहे थे जो उन्होंने अपने सम्प्रदाय की पुस्तक में पढ़ा था और ऐसा करते हुए वो 'गौड के बलवानों' की भांति व्यवहार कर रहे थे। अर्थात वो इन जघन्य अपराधों को गौड का आदेश बता कर उचित ठहराने की चेष्टा कर सकते हैं। जो कार्य गौड का कार्य है, वो अपराध कैसे हो सकता है? उनका व्यवहार तो अक्षरशः इसाइआह की पुस्तक से मेल खाता है जो कि बाइबल का भाग है। इस पुस्तक के आरंभिक ३९ अध्याय उन सभी राष्ट्रों के विनाश का उल्लेख करते हैं जो गौड के विरुद्ध आचरण करते हैं। इस परिभाषा के अनुसार भारत सहित सभी वो राष्ट्र जो इसाई नहीं हैं, उनका यही अंत होगा।
ये उल्लेख केवल एक ही स्थान पर हो, ऐसा नहीं है। बाइबल का एक भाग है साल्म्स (Psalms), जिसे भारत में 'भजन संकलन' के नाम से प्रसारित किया जा रहा है। इन में से भजन संख्या १३७ की नवीं पंक्ति भी कुछ ऐसा ही संदेश देती है:
Happy is the one who takes your babies and smashes them against the rocks!
इसका अनुवाद है:
वो प्रसन्न होगा जो तुम्हारे बच्चों को चट्टानों पर पटक देगा!
इस भजन में बेबिलौन राज्य की राजकुमारी के बच्चों का उल्लेख है। अब तनिक इस भजन की तुलना किसी हिन्दू भजन से कर के देखें तो 'सर्व धर्म समभाव' जैसे नारों की मूर्खता आप को समझ आ जायेगी।

अभी तक हमने गौड के कुछ लक्षण तो देख ही लिए हैं; वो अपने विशेष पुरुषों द्वारा, बच्चों की हत्या करवाता है और महिलाओं का बलात्कार भी करवाता है। जो ऐसे जघन्य अपराध करते हैं, गौड उन्हें प्रसन्न करता है। एक और विशेष लक्षण भी है; गौड आज्ञा न मानने वालों की इतनी दुर्दशा कर देता है कि वो अपने बच्चों का मांस खाते हैं। इसके लिए हम बाइबल के उस भाग को देखते हैं जिसे प्रसिद्द पैगम्बर मूसा (Moses) ने लिखा है। इसका नाम है दयुतेरोनोमी। इसके अध्याय २८ में वर्णन है कि गौड की आज्ञा न मानने वालों को शत्रु घेर लेंगे जिस से कि उन पर विभिन्न आपत्तियां आ जायेंगी। इन में एक है भोजन की कमी। इसी का वर्णन है:

शत्रु तुम्हें घेर लेगा और तुम्हें विभिन्न प्रकार के कष्ट देगा। और तुम अपने शरीर का भाग अर्थात अपने बेटे और बेटियों का मांस खाओगे, जो तुम्हें तुम्हारे लोर्ड गौड ने दिए हैं।
जो पुरुष तुम में संवेदनशील भी हैं, वो भी अपने भाई, अपनी पत्नी और उनके बच्चों पर बुरी दृष्टि रखेंगे।
इसलिए जब वो अपने बच्चों का मांस खा रहा होगा तो वो उन्हें (अपने भाई, पत्नी और शेष बच्चों को) मांस बाँट कर नहीं खाएगा क्योंकि इस घेराव और संकट के समय उसके पास कुछ नहीं होगा तथा शत्रु सब दिशाओं से कष्ट दे रहा होगा।
वो कोमल महिलाएं, जिन्होंने अपनी कोमलता के चलते कभी भूमि पर नंगे पाँव नहीं रखे, वो भी अपने बेटे, बेटी तथा पति को दुष्ट दृष्टि से देखेंगी।
और अपने उन नन्हें मुन्नों की ओर भी जो उसके पांवों के मध्य में से निकले हैं, वो संतान जिसे उसने जन्म दिया है: क्योंकि इस कमी के समय में वो उन्हें खा जायेगी जब शत्रु सब दिशाओं से त्रस्त कर रहा होगा।
 दयुतेरोनोमी : २८ - ५३-५७


Share:

हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत तलाक का आधार



हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा-13 में वे आधार बताए गए हैं जिन से एक हिन्दू पुरुष विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकता है। ये निम्न प्रकार हैं-
  1. विवाह हो जाने के उपरान्त जीवन साथी के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वैच्छिक रूप से यौन संबंध स्थापित किया हो।
  2. जीवन साथी के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया हो।
  3. विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से कम से कम दो वर्ष से लगातार जीवन साथी का परित्याग कर रखा हो। यहाँ परित्याग बिना किसी यथोचित कारण के या जीवनसाथी की सहमति या उसकी इच्छा के विरुद्ध होना चाहिए जिस में आवेदक की स्वेच्छा से उपेक्षा करना सम्मिलित है।
  4. जीवनसाथी द्वारा दूसरा धर्म अपना लेने से वह हिन्दू न रह गया हो।
  5. जीवनसाथी असाध्य रूप से मानसिक विकार से ग्रस्त हो या लगातार या बीच बीच में इस प्रकार से और इस सीमा तक मानसिक विकार से ग्रस्त हो जाता हो कि जिस के कारण यथोचित प्रकार से उस के साथ निवास करना संभव न रह गया हो।
  6. यहाँ मानसिक विकार का अर्थ मस्तिष्क की बीमारी, मानसिक निरुद्धता, मनोरोग विकार, मानसिक अयोग्यता है जिस में सीजोफ्रेनिया सम्मिलित है।
  7. मनोरोग विकार का अर्थ लगातार विकार या मस्तिष्क की अयोग्यता है जो असाधारण रूप से आक्रामक होना या जीवन साथी के प्रति गंभीर रूप से अनुत्तरदायी व्यवहार करना है, चाहे इस के लिए किसी चिकित्सा की आवश्यकता हो या न हो।
  8. जीवनसाथी किसी विषैले (virulent) रोग या कोढ़ से पीड़ित हो।
  9. जीवनसाथी किसी संक्रामक यौन रोग से पीड़ित हो।
  10. जीवनसाथी ने संन्यास ग्रहण कर लिया हो।
  11. जीवनसाथी के जीवित रहने के बारे में सात वर्ष से कोई समाचार ऐसे लोगों से सुनने को न मिला हो जिन्हें स्वाभाविक रूप से इस बारे में जानकारी हो सकती हो।
  12. ऊपर वर्णित आधारों के अतिरिक्त विवाह के पक्षकारों के बीच न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित होने के उपरान्त एक वर्ष या अधिक समय से सहवास आरंभ न होने या वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना की डिक्री पारित होने के उपरान्त एक वर्ष या अधिक समय से वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना न होने के आधारों पर भी विवाह विच्छेद की डिक्री पारित की जा सकती है।




Share:

औषधीय पौधा - मुलेठी के चमत्कारी लाभ



मुलेठी की पहचान : मुलेठी का वैज्ञानिक नाम ग्‍लीसीर्रहीजा ग्लाब्र (Glycyrrhiza glabra ) कहते है। संस्कृत में मधुयष्टी:, बंगला में जष्टिमधु, मलयालम में इरत्तिमधुरम, तथा तमिल में अति मधुरम कहते है। एक झाड़ीनुमा पौधा होता है। इसमें गुलाबी और जामुनी रंग के फूल होते है। इसके फल लम्बे चपटे तथा कांटे होते है। इसकी पत्तियां संयुक्त होती है। मूल जड़ों से छोटी-छोटी जड़ें निकलती है। इसकी खेती पूरे भारतवर्ष में होती है।
mulethi benefits

औषधीय गुण : मुलेठी खांसी, गले की खराश, उदरशूल क्षयरोग, श्वास नली की सूजन तथा मिर्गी आदि के इलाज में उपयोगी है। इसमें एंटीबायोटिक एवं बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अंदरूनी चोटो में भी लाभदायक होता है। भारत में इसे पान आदि में डालकर प्रयोग किया जाता है। मुलेठी के प्रयोग से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर और छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी लाभ होता है। मुलेठी का चूर्ण अमृत की तरह काम करता है, बस सुबह शाम 2 -2 ग्राम पानी से निगल जाइए यही नहीं इस मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है बस सुबह 3 ग्राम खाना चाहिए।

मुलेठी में पचास प्रतिशत पानी होने के कारण ये पेट के लिए ठंडी होती है। इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। मुलेठी घाव को भरने में भी मददगार होती है। मुलेठी खांसी, जुकाम, उल्टी व दस्त को रोकने में मदद करती है।यह पेट की जलन व दर्द, अल्सर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में भी बहुत उपयोगी है। मुलेठी वात पित्त शामक है।
mulethi benefits
मुलेठी के चमत्कारी लाभ
  1. खांसी के लिए- मुलेठी पाउडर और आंवला चूर्ण 2-2 ग्राम की मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह- शाम चाटने से खांसी में बहुत लाभ होता है।
  2. गले के लिए- दस ग्राम मुलेठी में दस ग्राम काली मिर्च, दस ग्राम लौंग, पांच ग्राम हरड़, पांच ग्राम मिश्री सारी चीजों को मिलाकर पीस लें। इस चूर्ण की एक चम्मच सुबह शहद के साथ चाटने से गले में दर्द की शिकायत दूर हो जाती है और आवाज भी साफ होती है।
  3. पेशाब की जलन के लिए- एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
  4. छाले ठीक करने के लिए- मुलेठी को मुंह में रखकर चूसने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
  5. पेट दर्द के लिए- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार लेने से पेट और आंतों का दर्द ठीक हो जाता है।
  6. फोड़े-फुंसियों को ठीक करने के लिए-फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वो जल्दी पक कर फूट जाते हैं।यह ठंडी प्रकृति की होती है और पित्त का शमन करती है।
  7. मुलेठी को काली-मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है।
  8. अगर मुंह सूख रहा हो तो मुलेठी बहुत फायदा करती है। इसमें पानी की मात्रा 50 प्रतिशत तक होती है। मुंह सूखने पर बार-बार इसे चूसे। इससे प्यास शांत होगी।
  9. गले में खराश के लिए भी मुलेठी का प्रयोग किया जाता है। मुलेठी अच्छे स्वर के लिए भी प्रयोग की जाती है।
  10. मुलेठी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। मुलेठी का एक ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से वे अपनी सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकती हैं।
  11. लगभग एक महीने तक, आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ चाटने से मासिक संबंधी सभी रोग दूर होते है।
  12. फोड़े होने पर मुलेठी का लेप लगाने से जल्दी ठीक हो जाते है।
  13. रोज़ 6 ग्रा. मुलेठी चूर्ण, 30 मि.ली. दूध के साथ पीने से शरीर में ताकत आती है।
  14. लगभग 4 ग्राम मुलेठी का चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से हृदय रोगों में लाभ होता है।
  15. इसके आधा ग्राम रोजाना सेवन से खून में वृद्धि होती है।
  16. जलने पर मुलेठी और चंदन के लेप से शीतलता मिलती है।
  17. इसके चूर्ण को मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।
  18. मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखने से कान का दर्द और सूजन ठीक होता है।
  19. उल्टी होने पर मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखने पर लाभ होता है।
  20. मुलेठी की जड़ पेट के घावों को समाप्त करती है, इससे पेट के घाव जल्दी भर जाते हैं। पेट के घाव होने पर मुलेठी की जड़ का चूर्ण इस्तेमाल करना चाहिए।
  21. मुलेठी पेट के अल्सर के लिए फायदेमंद है। इससे न केवल गैस्ट्रिक अल्सर वरन छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी पूरी तरह से फायदा करती है। जब मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है।
  22. खून की उल्टियां होने पर दूध के साथ मुलेठी का चूर्ण लेने से फायदा होता है। खूनी उल्टी होने पर मधु के साथ भी इसे लिया जा सकता है।
  23. हिचकी होने पर मुलेठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर नाक में टपकाने तथा 5 ग्राम चूर्ण को पानी के साथ खिला देने से लाभ होता है।
  24. मुलेठी आंतों की टीबी के लिए भी फायदेमंद है।
  25. ये एक प्रकार की एंटीबायोटिक भी है इसमें बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अंदरूनी चोटो में भी लाभदायक होती है।
  26. मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है सुबह तीन या चार ग्राम खाना चाहिए।
  27. यदि भूख न लगती हो तो एक छोटा टुकड़ा मुलेठी कुछ देर चूसे, दिन में 3-4 बार इस प्रक्रिया को दोहरा ले, भूख खुल जाएगी।
  28. कोई भी समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए आंतों के अल्सर ,कैंसर का खतरा कम हो जाता है तथा पाचन क्रिया भी एकदम ठीक रहती है।
  29. मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है। इसका पौधा 1 से 6 फुट तक होता है। यह मीठा होता है इसलिए इसे ज्येष्ठीमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण विद्यमान रहता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है।

Tag - मुलेठी के आयुर्वेदिक गुण - मुलेठी पाउडर के फायदे - मुलेठी गले के लिए - खांसी में मुलेठी का उपयोग - पतंजलि मुलेठी चूर्ण के फायदे - मुलेठी और शहद खाने के फायदे - मुलेठी किस रोग की दवा है - मुलेठी का पौधा कैसा होता है


Share:

मर्यादा का उल्लंघन करती समलैंगिकों की दुनिया



दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को अवैध क्या ठहराया कि पूरे समाज में हड़कंप मच गया। भारतीय समाज में आज भी किसी अंतरंग मुद्दे पर संवाद स्थापित करना एक बड़ी बात होती है, भारत की 80 प्रतिशत जनता भारतीय परिवेश में स्थित है, वह अपने मित्र-मंडली में जितना खुल कर रह सकती है विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर सकती है वह अपने परिवार नही क्योकि भारत जैसे देश मे आज भी पारिवारिक मूल्यों की मान्‍यता विद्यमान है, यही पारिवारिक मूल्य ही भारत की मजबूत सांस्कृतिक स्‍तभो की मजबूती का कारण भी है। अक्सर हम देखते है कि आज की युवा पीढ़ी नशे की ओर उन्मुख है किन्तु आज भी आचरण की सभ्यता विद्यमान है कि बहुत से युवक नशा अ‍ादि करते है किन्तु उनके मन में यह भाव व लिहाज होता है कि घर का बड़ा कोई देख न ले। क्योंकि लिहाज़ करना भारतीय परम्परा का घोतक है।


समलैंगिकता मामले में जिस प्रकार समर्थकों ने इसे जायज ठहराये जाने पर परेड निकाली, यहाँ तक कि हरियाणा-पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ जगहों पर पुरुषों-पुरुषों में तथा महिला-महिला में विवाह दिखाया गया और भारतीय मीडिया ने जम कर कवरेज किया। मीडिया चैनलों ने कवरेज को कवर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी किन्तु यह बताने में भूल गया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक संबंधों को वैध करार दिया है न कि समलैंगिक विवाह को आज भी किसी विधान में समलैंगिक विवाह को न मान्यता दी गई और न ही परिभाषा। और तो और मीडिया यह भी भूल गया कि भारतीय दर्शकों के बीच है जहाँ आज भी ज्यादा परिवार में 5 वर्ष से 80 वर्ष तक के पारिवारिक सदस्य साथ बैठकर टीवी देखते है। कितना सहज होगा एक छत के नीचे बैठकर इस प्रकार के कार्यक्रमों को देखना?
दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद तो हद तो तब हो गई कि जब भारत की महान हस्तियां “गे राइट्स” के नाम पर इसके समर्थन में आगे आ गये मुझे नहीं लगता ऐसे लोग अपने पारिवारिक सदस्यों के समलैंगिक संबंधों को स्वीकार करेंगे। यह विषय लोकप्रियता की रोटी सेकने का नहीं अपितु संबंधित व्यक्तियों की भावनाओं से संबंधित है। गे राइट्स के आधार पर उच्‍च न्‍यायालय के गत वर्ष के फैसले से समलैंगिक सम्बन्धों अब आईपीसी) की धारा 377 के अर्न्‍तगत दंडनीय नही है फैसले के अनुसार धारा 377 में संशोधन किया जाना चाहिए और वयस्कों में सहमति से बनने वाले “यौन संबंधों” को वैध माना जाना चाहिए। सीधे शब्दों में कहा जाए तो इस फैसले के बाद पुलिस अब सहमति से बने समलैंगिक संबंधों के आरोप में किसी भी वयस्क को गिरफ्तार नहीं कर सकेगी। इसे यह कहा जाना कि यह दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय का फैसला समलैंगिक संबंधों को मान्यता देता है तो कतई न्यायोचित नहीं है बल्कि साफ़ शब्दों में स्पष्ट है कि दिल्‍ली हाईकोर्ट ने कहा कि समलिंगी वयस्कों में सहमति से बनने वाले “यौन संबंधों” को वैध माना जाना चाहिए न कि सामाजिक संबंधों को वैध ठहराया है। न्यायालय ने समलैंगिकता को अपराध के मुक्त कर दिया है, यह मुक्ति जो वयस्‍क होने के बाद ही दोषी ठहराती थी अब वह नहीं है।

कुछ पाश्चात्य देशों में समलैंगिकता की अपनी अलग दुनिया है, कनाडा, अर्जेंटीना, ब्रिटेन, आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में यह मान्यता की श्रेणी में है वही दक्षिण अफ्रीका को छोड़ सम्पूर्ण अफ्रीकी महाद्वीप व पश्चिम एशिया के ज्यादातर देशों में समलैंगिकता एक बड़ा अपराध है और इसके लिए मृत्यु दंड व आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है निर्धारित है। हमारा भारत एक मिली जुली परम्परा और सं‍स्‍कृतियों वाला देश है इसलिये हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम इस परंपरा को सहेजे, ठीक है समलैंगिक होना बुरा नहीं है और न ही समलिंगी सेक्स किन्तु “गे प्राइड परेड” जैसे दिखावटी चोचले समझ के परे है, किसी को लगता है कि समलिंगी हो और तो इसका प्रदर्शन की जगह एकांत से बेहतर कोई और नही होगी। अन्यथा प्राइस प्रदर्शन से देश के मानव मूल्यों का हास होता कि दो मित्रों की नजदीकियों को भी समलैंगिकता का नाम दिया जायेगा जो मित्रता जैसे संबंधों को दागदार करेगा।

कुछ लोगों ने समलैंगिकता मानसिक बीमारी कहते है किन्तु जहाँ तक मेरा मानना है कि यह एक वर्ग के लोगों की आवश्यकता है। अब किसी पुरुष का स्त्री के प्रति तथा किसी स्त्री के प्रति आकर्षण न हो, या कहा जाए कि किसी में शारीरिक रूप से पुरुष होकर भी स्त्री भाव है, तो भी तो यह प्रकृति की ही तो देन है। एक साइड के आंकड़े कहते है कि उस पर भारत में उस पर करीब 75 हजार समलिंगी पंजीकृत दर्ज है और यूरोपीय देश जर्मनी में यह करीब 5 लाख को पार कर जाती है। समलिंगियों के बीच की नजदीकियों को पूरी तरह से नजरंदाज नही किया जा सकता है। साथ ही साथ समलैंगिक सेक्स को लेकर लोगों में प्राइड अभियान छिड़ा हुआ है या छेड़ा गया है वह भारतीय समाज में पचाने योग्य नहीं है। एक समय था जब एकांत में और आपसी सहमति से भी समलैंगिक संबंध अपराध था किन्तु उच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर इतनी तो छूट मिल रही है कि वह अपनी जिंदगी जी सकते है यदि हम पश्चिम की बात करते है कि जर्मनी और अमेरिका में विवाह हो रहा है तो पश्चिम में ही स्थिति पश्चिम एशिया और अफ्रीकी देशों में समलैंगिकता के लिये सजा-ए-मौत भी है।

यदि हम एक पक्ष को स्वीकार करते है तो दूसरे को इनकार भी नहीं कर सकते है, हमारी संस्कृति ने समलैंगिको जितनी छूट दी है उसका उपयोग करें, यही हमारी संस्कृति पचा भी सकती है। सामान्य सी सलाह डाक्टर भी देते है कि हमें वही खाना चाहिये जो हमारा पाचन तंत्र पचा सके तभी हम स्वस्थ रह सकते है। यही बात समलैंगिकों को भी समझना चाहिये, कि समाज के पाचन तंत्र खराब न हो।

यह लेख दैनिक जागरण के राष्‍ट्रीय संस्‍करण में मर्यादा का उल्लंघन शीर्षक से दिनांक 30 जनवरी 2011 को छपा था।


Share:

बोध कथा - ये तो मै भी कर लेता



बहुत पुराने समय की बात है, तब कबूतर झाड़ियों में अंडा देते थे और लोमड़ी आकर खा जाती थी। कोई रखवाली की व्यवस्था न होने पर कबूतर ने चिडि़यों से पूछा कि क्या किया जाए ? तब चिड़ियों के सरदार ने कहा कि-"पेड़ पर ही घोंसला बनाना होगा"। कबूतर ने घोंसला बनाया परंतु ठीक से नही बन पाया। उसने चिड़ियों को मदद के लिये बुलाया। सभी ने मिलकर उसे व्यवस्थित घोंसला बनाना सिखा ही रही थी तभी कबूतर ने कहा कि "ऐसा बनाना तो हमें भी आता है, हम बना लेंगे"। चिड़िया यह सुनकर चली गई। कबूतर ने फिर कोशिश की किंतु नहीं बना फिर कबूतर ने चिड़िया के पास गया और चिडि़यों से अनुनय-विनय किया तो फिर चिड़िया आई और तिनका लगाने बता ही रही थी और आधा काम पूरा हुआ भी नहीं था कि कबूतर फिर उछल कर बोला कि "ऐसा तो हम भी जानते है"। यह सुनकर चिडिया फिर चली गई। फिर कबूतरों बनाना शुरू की किन्तु फिर घोंसला नहीं बना तब वह फिर चिड़ियों के पास गये तो चिड़ियों ने कहा कि-"कबूतर जी आप जानते हो कि जो कुछ नहीं जानता वह यह मानता है कि मै सब जानता हूँ, ऐसे मूर्खो को कुछ सिखाया नहीं जा सकता", ऐसा कह कर अब चिड़ियों ने उसके साथ जाने को मना कर दिया। जब से आज तक कबूतर ऐसे ही अव्यवस्थित घोंसले बनाते है।
netaji-subhas-chandra-bose

यही कबूतरों वाली कुछ पद्धति इंसानों में भी है जो कुछ सीखने के बजाय अपनी बुद्धिमानी दिखाने में ज्यादा भरोसा करते है ऐसे लोग "मैं" से ग्रस्त करते है और और कभी व्यवस्थित जीवन नहीं जी पाते है। आज भारतीय आजादी के महा नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन है, इस हम उनके सपनों को साकार करने का प्रण ले।
 


Share:

अच्‍छी बाते और अच्‍छे विचार



“Be like a postage stamp. Stick to one thing until you get there.”- Josh Billings (1818-1885)
“डाक टिकट की तरह बनिए, मंजिल पर जब तक न पहुंच जाएं उसी चीज़ पर जमे रहिए।”- जोश बिलिंग्स (१८१८-१८८५)
अच्‍छी बाते और अच्‍छे विचार

*****
“Be like a postage stamp. Stick to one thing until you get there.”- Josh Billings (1818-1885)
“डाक टिकट की तरह बनिए, मंजिल पर जब तक न पहुंच जाएं उसी चीज़ पर जमे रहिए।”- जोश बिलिंग्स (१८१८-१८८५)

*****
“We must accept finite disappointment, but never lose infinite hope.”- Martin Luther King, Jr. (1929-196), Black civil-rights leader
“हमें परिमित निराशा को स्वीकार करना चाहिए, लेकिन अपरिमित आशा को कभी नहीं खोना चाहिए।”- मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (१९२९-१९६८), अश्वेत मानवाधिकारी नेता

*****
“The only way to find the limits of the possible is by going beyond them to the impossible.”- Arthur C Clarke
“संभव की सीमाओं को जानने का एक ही तरिका है कि उन से थोड़ा आगे असंभव के दायरे में निकल जाइए।”- आर्थर सी क्लार्क

*****
“Tact is the art of making guests feel at home when that's really where you wish they were.”
- George E Bergman
“व्यवहार कुशलता उस कला का नाम है कि आप महमानों को घर जैसा आराम दें और मन ही मन मनाते भी जाएं कि वे अपनी तशरीफ उठा ले जाएं।”

*****
“Art's a staple. Like bread or wine or a warm coat in winter. Those who think it is a luxury have only a fragment of a mind. Man's spirit grows hungry for art in the same way his stomach growls for food.”- Irving Stone
“रोटी या सुरा या लिबास की तरह कला भी मनुष्य की एक बुनियादी ज़रूरत है। उस का पेट जिस तरह से खाना मांगता है, वैसे ही उस की आत्मा को भी कला की भूख सताती है।”- इरविंग स्टोन

*****
“Don't believe that winning is really everything. It's more important to stand for something. If you don't stand for something, what do you win?"”- Lane Kirkland
“यह मत मानिए कि जीत ही सब कुछ है, अधिक महत्व इस बात का है कि आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत हों। यदि आप किसी आदर्श पर डट नहीं सकते तो आप जीतेंगे क्या?”- लेन कर्कलैंड

अच्‍छी बाते और अच्‍छे विचार


Share:

स्‍वामी विवेकानंद जयंती (राष्‍ट्रीय युवा दिवस) पर एक प्रेरक प्रसंग




Swami Vivekananda
 
आज भारत के युवाओं के पथ प्रदर्शक महान दार्शनिक व चिंतक स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की जयंती है, आज के दिन भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी जी बातें युवाओं में जोश और उम्मीद की नयी किरण पैदा करती है। युवाओं में आज के दौर मे जहाँ जिन्दगी खत्म होने जैसी लगती है वही स्वामी के साहित्‍यों के संगत में आकर एक नयी रौशनी का एहसास होता है। सन् 1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन 'पार्लियामेंट ऑफ रिलीजन्स' में अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने 'बहनों और भाइयों' कहकर की। इस शुरुआत से ही सभी के मन में बदलाव हो गया, क्योंकि पश्चिम में सभी 'लेडीस एंड जेंटलमैन' कहकर शुरुआत करते हैं, किंतु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गए।
 अमेरिका मे ही एक प्रसंग उनके साथ घटित होता है अक्सर हमारे साथ होता है कि विपत्ति के साथ माथे पर हाथ रख देते है किंतु विवेकानंद जी की जीवन की घटनाएं प्रेरक प्रसंग का काम करती है। प्रसंग यह था कि
अमेरिका में एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई, जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पूछा कि आप ने ऐसा ऐसा चाहती है ? उस महिला का उत्तर था कि वो स्वामी जी की बुद्धि से बहुत मोहित है और उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे की कामना है। इसलिए वह स्वामी से ये प्रश्न कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं?
स्वामी जी ने महिला से कहा कि चूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा प्रिये महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ, शादी करना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा इसके अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है कि बच्चा बुद्धिमान ही हो इसके बजाय आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैं आपको एक उपयुक्त सुझाव दे सकता हूँ.। आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें, इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी और इस प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी।
 निश्चित रूप से स्वामी जी जैसे व्यक्तित्व के बताये मार्ग पर चलना जरूरी है, ताकि भारत की गौरवशाली परम्परा पर हम अनंत काल तक गौरवान्वित हो सके।

स्वामी विवेकानंद पर अन्य लेख और जानकारियां


Share:

अभिनंदन हे! मौन तपस्वी Abhinandan Hey Maun Tapasvi



अभिनंदन हे! मौन तपस्वी
अभिनंदन हे! मौन तपस्वी धीरोदात्त पुजारी!
तुम्हें जन्म दे धन्य हुई मां भारत भूमि हमारी!!
नव जीवन भर कर कण-कण में, बहा प्रेम रस धारा,
अमित राग मन में भर केशव साथर्क नाम तुम्हारा!
फिर बसंत की फूल रही है, आशा की फूलवारी…………
आज जागरण का स्वर लेकर मलियानिल के झोंके
प्रेम हृदय में भरते जाते कोटी कोटी सुमनों के
नव प्रभात हो रहा चतुदिर्क फैली फिर उजियारा ……।।१।। 
प्राची का मुख भी उज्ज्वल है केशव किरणें फैली
चला अंधेरा ले समेट कर अपनी चादर मैली
अंधकार अज्ञान ही त्यागी मिटी कालिमा सारी …………।। २।।
देव तुम्हारी पुण्य स्मृति में रोम रोम हषिर्त है
देव तुम्हारे पद पदमों पर श्रध्दांजलि अपिर्त है
केशव बन ध्रुव ज्योति दिखा दो जन मानस भवहारी…… ।।३।।


Share:

नववर्ष के प्रथम शाम - एक यादगार वार्तालाप



सर्वप्रथम लोचको तथा आलोचकों को नववर्ष की बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं, नवरात्रि के प्रथम दिन की संध्‍या पर नीशू तिवारी का फोन आया। बड़ी गर्मजोशी के साथ जयरमी हुई बधाईयों को आदान प्रदान हुआ और चर्चाओ और परिचर्चा को दौर भी शुरू हुई। हमारे और नीशू के बीच अत्यधिक आत्मीय सम्बन्ध होने के कारण हम सभी विषयों पर खुलकर चर्चा करने है। यह जरूर खेद जनक रहा कि वर्ष 2010 की जुलाई मे मेरे दिल्‍ली मे रहने पर वह व मिथलेश जी दिल्‍ली में मिलने नही आये और उस समय न मिल पाने का कारण मुझे दिसम्‍बर 2010 में मिथलेश जी के साथ लखनऊ में उनके आवास पर ठहरने पर पता चला, कारण मुझे जैसे पता चला वैसे ही मिथलेश जी जितनी फजीहत किया वो मिथलेश जी ही बता सकते है। फिर नीशू जी की बात आई उनका उनका फोन काफी समय से नही मिल रहा था और मैने मिथलेश जी से कहा कि नीशू जी से जैसे भी हो सूचित करे कि मेरे से बात हो, नीशू जी का 5-6 घन्‍टे के अंदर फोन आ गया। बात करते हुये पता चला कि एक दो दिन मे इलाहाबाद मे आ रहे है तो दिल्‍ली मे न मिलने के कारण पर इलाहाबाद मे ही चर्चा होगी, जब इलाहाबाद आये नीशू तो जब दिल्‍ली का जिक्र मैने किया तो वो भी मुँह बना कर रह गये और और मैने कहा कि अब कोई भी बात कभी होगी आप मेरे से जिक्र जरूर करोगे।

इसी तर्ज पर नीशू जी ने कहा प्रमेन्द्र भाई मै चाह रहा हूँ कि आप दो तीन महीने के अंदर जबलपुर घूम जाइये मिलने का बड़ा मन कर रहा है और मैने और तारा जी ने मुंबई जाने का प्लान बनाया है, हाल मे ही जबलपुर से मुम्बई के लिये हवाई सेवा भी प्रारंभ हुई है। मैने बीच मे ही बात काटते हुए कहा कि भाई दिसंबर में लखनऊ से लौटा हूं, जनवरी में ही आवश्यक काम से के लिए आगरा जाने के लिये घर मे अनुमति लेनी है और फरवरी में फिर से ही अन्‍य आवश्‍यक काम से मुरैना जाने के लिए लेनी होगी। और अब आप भी प्रवास के लिए कह रहे हो यदि ऐसा ही चलता रहा तो हमारे लिये स्थाई आवास की व्यवस्था आपको करनी पड़ेगी और रही वायुयान की यात्रा का प्रश्‍न तो मुझे ऐसा लगता है कि जिस दिन मै यात्रा करूँगा और वो उड़ेगा तो.......... इस बात से ही मै सहम जा रहा हूँ। नीशू जी ने कहा प्रमेन्द्र भाई ऐसा कुछ नहीं होगा, आप कार्यक्रम तो बनाइये।

अभी अभी प्रात: नवभारत पर एक खबर (स्‍क्रीन शॉट) देखा तो इसके बाद क्‍या कहा जाये - :)



Share: