श्री शिबपञ्चाक्षरस्तोत्रम् - Shree Shiva Panchakshari Stotra



नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय  भस्भाङ्गराय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय  तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥

Nagendraharaya Trilochanaya, Bhasmangaragaya Maheshvaraya
Nityaya Shuddhaya Digambaraya, Tasmai Nakaraya Namah Shivaya .

Salutations to Shiva, who wears the king of snakes as a garland, the three-eyed god, whose body is smeared with ashes, the great lord, the eternal and pure one, who wears the directions as his garment, and who is represented by the syllable “na ”  

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय  नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय  तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥

Mandakini salila chandana charchitaya, Nandishvara pramathanatha Maheshvaraya
Mandarapushpa bahupushhpa supujitaya, Tasmai Makaraya Namah Shivaya .

I bow to Shiva, who has been worshipped with water from the Ganga (Mandakini) and anointed with sandalwood paste, the lord of Nandi, the lord of the host of goblins and ghosts, the great lord, who is worshiped with Mandara and many other kinds of flowers, and who is represented by the syllable “ma. ”


शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्जाय  तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥

Shivaya Gauri vadanabjavrunda, Suryaya Dakshadhvara Nashakaya
Shrinilakanthaya Vrushhadhvajaya, Tasmai Shikaraya Namah Shivaya

Salutations to shiva, who is all-auspiciousness, who is the sun that causes the lotus face of Gauri (Parvati) to blossom, who is the destroyer of the yajna of Daksha, whose throat is blue (Nilakantha), whose flag bears the emblem of the bull, and who is represented by the syllable “shi” 

वसिष्टकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय  तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥

Vasishhtha kumbhodbhava gautamarya, Munindra devarchita shekharaya
Chandrarkavaishvanara lochanaya, Tasmai Vakaraya Namah Shivaya .

Vasishhtha, Agastya, Gautama, and other venerable sages, and Indra and other gods have worshipped the head of (Shiva’s linga). I bow to that Shiva whose three eyes are the moon, sun and fire, and who is represented by the syllable “va”
यक्षस्वरुपाय जटाधराय  पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय  तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥

Yakshasvarupaya Jatadharaya, Pinakahastaya Sanatanaya
Divyaya Devaya Digambaraya, Tasmai Yakaraya Namah Shivaya

salutations to Shiva, who bears the form of a Yaksha, who has matted hair on his head, who bears the Pinaka bow in his hand, the primeval lord, the brilliant god, who is digambara (naked), and who is represented by the syllable “ya. ” 



पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥६॥

Panchaksharamidam Punyam Yah Pathechchhivasannidhau.
Shivalokamavapnoti Shivena Saha Modate

.Anyone who recites this sacred five-syllable mantra, (Namah Shivaya) near the Shiva (linga), attains the abode of Shiva and rejoices there with Shiva.

श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शिबपञ्चाक्षरस्तोत्रम् शुभम् ॥
Bhole nath, Pashupati Nath, Mahadev, bhubaneshwro, sada shiva, with naag, ling and Nandi, picture taken by Prabhu Bhakta Maharaj Ji
Kailash Pati Bhole Nath
Shiva linga with shukra and yoni, Sadashiva, Kailash pati Bhole Nath Mahadev, picture taken by Prabhu Bhakta Maharaj ji
Shiva Linga
Doleshwor mahadev, near Kathmandu, Nepal, claimed to be the head of Kedar Nath of uttrakhanda and approved by the current Shankaracharya. Photograph taken by Prabhu Bhakta Maharaj Ji
Head of Kedar Nath Mahadev at Kathmandu, Nepal



Rudra, Shiva, Srimad Shankraracharya krit, शिबपञ्चाक्षरस्तोत्र, श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचित,


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महिलाओं के प्रति हिंसा बलात्कार



कुछ माह पूर्व उत्तर प्रदेश की न्यायिक राजधानी इलाहाबाद में मुख्यमंत्री मायावती का सघन दौरा होता है उसी मे एक महिला मुख्यमंत्री के पैरो में गिर कर कहती है कि, हमार बलात्कार हुआ है और न्याय नाही मिला। मुख्यमंत्री के समक्ष यह महिला अपनी व्यथा बता पाने मे सफल हुई और इसका परिणाम हुआ कि डीजीपी शाम तक उक्त बलात्कार की जांच करने स्वयं पहुँचे। आज महिलाओं के प्रति अपराध में सर्वप्रथम सूची में बलात्कार की घटना आती है, इस आपराधिक घटना के बाद बलात्कार पीड़ित महिला को न्याय की आस में अपना आत्मसम्मान तक छोड़ना पड़ता है, तब पर भी वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था में न्याय की कोई गारंटी नहीं होती।


हाल के दिनों बलात्कार की घटनाओ में बेतहाशा वृद्धि हुई है। बलात्कार की घटनाएं दिल्ली-मुम्‍बई जैसे बड़े नगरों को सीमाओं को तोड़ते हुई इलाहाबाद जैसे मझोले तथा बांदा, राय बरेली और और औरैया जैसे छोटे शहरों में पैर पसार चुकी है। बांदा में जिस प्रकार सत्ता पक्ष का विधायक बलात्कार करता है और उलटे बलात्कार पीड़िता को चोरी के फर्जी मामले में फंसा कर जेल में डाल दिया जाता है, उक्त घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती है आज भी भारत की शासन व्यवस्था कानून पर नहीं प्रभावी तत्वों के प्रभाव पर चलती है। भले ही बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उक्त घटना को स्वसंज्ञान में लिया और शीलू की रिहाई का आदेश देती है। शीलू जैसे हजारों मामलों में से कुछ ही मामलों में त्वरित प्रतिक्रिया देखने को मिलती है, जहां मीडिया की सक्रियता पर ही प्रशासन चेतता है।
मैंने देश के विभिन्न शहरों की कुछ दिनों की खबरों पर गौर किया तो मेरठ में दो नाबालिग किशोरियों के साथ बलात्कार, आगरा में नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार, रायबरेली में बलात्कार के आरोप में किशोर गिरफ्तार किया गया, फतेहपुर व उन्नाव में बलात्कार का प्रयास युवकों को गिरफ्तार किया गया। इस प्रकार की न जाने कितनी घटनाएं पूरे देश में घट रही है जिनसे तो कुछ ही सामने आ पाती है और बहुत सी लोक-लाज और दबंगों के प्रभाव से उभारी जाती है और न ही उभरने दिया जाता है। न्याय की देरी और न्यायिक व्यवस्था की लचर व्यवस्था के कारण आज भी भारतीय परिवेश में बलात्कार की घटनाओं को दबा ले जाना उचित माना जाता है।
आखिर कब तक हम सामाजिक डर से ऐसे अपराधों को सहते चले आयेंगे? जब सामाजिक डर से अपराध करने की प्रवृत्ति में कोई कमी नहीं आती तो अपराध के को सहने की प्रवृत्ति क्यों? क्या यह वही भारत है जहाँ 'नारी सर्वत्र पूज्यते' की अवधारणा विद्यमान रही है? किन्तु वर्तमान समय में भारतीय संस्कृति को किस प्रकार ह्रास किया जा रहा है उसी का परिणाम है कि बलात्कार की घटनाएं घटित हो रही है। इसका मूल कारण है कि आज पारिवारिक मूल्य टूट रहे है, मर्यादा-लोक-लाज और मर्यादा की सीमा रेखा को लांघा जा रहा है। यह सोचनीय विषय है कि जिस उम्र में युवाओं को अपने करियर और एजुकेशन की ओर सोचना चाहिये वो इस उम्र में बलात्कार जैसे कृत्य कर रहे होते है। कभी भी बलात्कार जैसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई उपाय क्यों नहीं सोचा गया? इस पर हमें विचार करना होगा क्योंकि अगर हम आज के समय में इस विषय पर विचार न किया गया तो हमारे देश में अमेरिका से भी वीभत्स रूप देखने को को मिलेगा। सन 1990 ई. की FBI रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिका में उस साल 1,02555 बलात्कार की घटनाएँ दर्ज की गयी रिपोर्ट में यह बात भी बताई गयी है कि इस तरह की कुल घटनाओं में से केवल 16 प्रतिशत ही प्रकाश में आ पाई हैं इस प्रकार 1990 ई. की बलात्कार की घटना का सही अंदाज़ा लगाने के लिए उपरोक्त संख्या को 6.25 गुना करके जो योग सामने आता है वह है 6,40,968 इस पूरी संख्या को 365 दिनों में बनता जाये तो प्रतिदिन के लिहाज से 1756 संख्या सामने आती है। अगर हम भारत से अमेरिका की तुलना करें तो जनसंख्या के मामले में हम उससे 6 गुणा अधिक होते है, यदि हम प‍ाश्‍चात संस्कृति का अनुकरण करते रहे तो भारत में भी 10 हजार प्रति दिन बलात्कार की घटनाएं दर्ज होगी। यह भी विचारणीय बात है राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी रिपोर्ट भारत में अपराध (2009) के मुताबिक लड़कियों के साथ उनके ही रिश्तेदारों द्वारा बलात्कार किए जाने की घटना में तीस प्रतिशत का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009 में जहां इस तरह के 404 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2008 में इस तरह के 309 मामले दर्ज किए गए थे और इनमें पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही 21,397 बलात्कार की घटनाओं में 94.9 प्रतिशत मामलों में पीड़ित लड़की उस व्यक्ति से परिचित थी। इससे साफ स्पष्ट होता है कि हम नैतिक पथभ्रष्टता की ओर उन्मुख हो रहे है। उक्त रिपोर्ट की बाते उजागर करती है कि भारतीयों में जो पारिवारिक रिश्तों की मर्यादा जो महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करती थी उसे पाश्चात्य संस्कृति की आड़ में हम तार-तार करते जा रहे है।
आज नेता नगरी में बलात्कार की सजा क्या हो इस विषय पर विचार किया जा रहा है, नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने फांसी की सजा चाहती है किन्तु क्या इससे बलात्कार की घटनाएं कम हुई है ? बलात्कार के बाद हत्या के अपराध में अन्तिम बार धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई, उसके बाद भी बलात्कार के बाद हत्या के मामलों में कोई कमी नहीं आयी। हम यह क्यों विचार नहीं करते है कि बलात्कार की घटना कम हो या बिल्कुल न हो। ऐसा नहीं है कि हम बलात्कार की प्रवृत्ति पर रोक नहीं लगा सकते है दिक्कत ये है कि हम इस विषय पर सोचते नहीं है। वाकई आज अगर अगर कोई शक्ति है जो बलात्कार की घटनाओं पर अंकुश लगा सकता है तो भारतीय परम्परा को जीवित रखना, नौनिहालों को सेक्स शिक्षा देने के बजाय ऐसी शिक्षा प्रदान करता जिससे वो बलात्‍कार की पथ जाने के बजाय संस्कार के पथ पर जाये।


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अच्युताष्टकम् - Achyutastakam



Narayan, Vishnu, Krishna, Balkrishna, Krishna with Flute, Achyutam Keshavam RamNarayanam Krishna damodaram vasudevam Harim
जय श्री कृष्ण
अच्युतं केशवं रामनारायणं  कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं  जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ॥

अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं  माधवं श्रीधरं राधिकाराधितम् ।
इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं  देवकी नन्दनं नन्दजं सन्दधे ॥

विष्णवे जिष्णवे शङ्खिने चक्रिणे  रुक्मणीरागिणे जानकी जानये ।
वल्लवीवल्वभायार्चितायात्मने  कंशविध्वंसिने वंशिने ते नमः ॥

कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण  श्रीपते वासुदेवाजित  श्रीनिधे ।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज  द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥

राक्षसक्षोभितः सीतया शोभितो  दण्डकरण्यभूपुण्यताकारणः ।
लक्ष्मणेनान्वितो वानरैः सेवितो  ऽगस्त्यसम्पूजितो राघवः पातु माम् ॥

धेनुकारिष्टकानिष्टकृद्द्वेषिहा  केशिहा कंसह्रद्वंशिकावादकः ।
पूतनाकोपकः सूरजाखेलनो  बालगोपालकः पातु मां सर्वदा ॥

विद्युदुद्योतवत्प्रस्फुरद्वाससं  प्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।
वन्यया मालया शोभितोरःस्थलं  लोहिताङ्घ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥

कुञ्चितैः कुन्तलैर्भ्राजमानाननं  रत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयोः ।
हारकेयूरकं कङ्कणप्रोज्ज्वलं  किङ्किणी मञ्जुलं श्यामलं तं भजे ॥

अच्युतस्याष्टकं यः पठेदिष्टदं  प्रेमतः प्रत्यहं पूरुषः सस्पृहम् ।
वृत्ततः सुन्दरं कर्तृविश्वम्भरस्तस्य वश्यो हरिर्जायते सत्वरम् ॥

श्रीमच्छङ्कराचार्यकृतमच्युताष्टकं शुभम् ।

Achyutam Keshavam, Narayan, Bal Krishna, with mother



Achyutastakam in English and Unicode Sanskrit
Achyutham Kesavam Rama-Narayanam
Krishna-Damodaram Vasudevam Harim;
Shreedharam Madhavam Gopikavallabham
Janakee-Nayakam Ramachandram Bhaje[1]

Achyutham Keshavam Satyabhamadhavam
Madhavam Shreedharam Radhikaradhakam;
Indiramandiram Chetasa Sundaram
Devakee-Nandanam Nandajam Sandadhe[2]

Vishnave Jishnave Shakhine Chakrine
Rukmineeragine Janakeejanaye;
Vallaveevallabha Yarchitayatmane
Kamsavidhvamsine Vamshine Te Namah[3]

Krishna Govinda he Rama Narayana
Shreepate Vasudevajite Shreenidhe;
Achyutanata he Madhavadhokshaja
Dvarakanayaka Draupadee-Rakshakaa[4]

Rakshasakshobhitah Seetayah Shobhito
Dandakaranya Bhoopunyata Karanah;
Lakshmanenanvito Vanariah Sevito
Gastyasampoojito Raghavah Patumam[5]

Dhenukarishtaka Nishtakriddveshinam
Keshiha Kamsahridvamshiko vadakah;
Poothanakopakah Soorajakhelano
Bala-Gopalakah Patu mam Sarvada[6]

Vidyududyotavan Prasphuradvasasam
Pravridambhodavat Prollasavigraham;
Vanyaya Malaya Shobitorasthalam
Lohitanghridvayam Varijaksham Bhaje[7]

Kunchitaih Kuntalairbhrajamananam
Ratnamaulim Lasatkundalam Gandayoh;
Harakeyoorakam Kankanaprojjvalam
Kinkineemanjulam Shyamalam Tam Bhaje[8]

Achyuta syastakam Yah Pathedistadam
Prematah Pratyaham Purusah Saspruham;
Vrittatah Sundaram Kartrivisvambharas
Tasya Vasyo Harirjayate Satvaram[9]

Achyutastakam  Meaning 
(pronounced Acyutāṣṭakam)

I adore Rāmacandra, Who is infallible, Who is Keśava, Rāma, Nārāyaṇa, Kṛṣṇa, Dāmodara, Vāsudeva, Hari, Śrīdhara, Mādhava, Who is dear to Gopikā, and Who is the consort of Jānakī.[1]

I offer a salute with my hands together to Keśava, Who is infallible, Who is the consort of Satyabhāmā (as Kṛṣṇa), Mādhava, Śrīdhara, Who is longed-for by Rādhikā, Who is the temple of Lakṣmī (Indirā), Who is beautiful by thought, Who is dear to Devakī, and Who is dear to all.[2]

Salutations for Viṣṇu, Who conquers everyone, Who holds a conch-shell and a discus, Who is dear to Rukmiṇī (Kṛṣṇa), Who is the consort of Jānakī (Rāma), Who is dear to cowherdesses, Who is offered [in sacrifices], Who is the Ātman (soul), Who destroyed Kaṁsa, and Who plays the flute.[3]

O Kṛṣṇa! O Govinda! O Rāma! O Nārāyaṇa, Who is the consort of Lakṣmī! O Vāsudeva, Who attained the treasure of Lakṣmī! O Acyuta, Who is immeasurable! O Mādhava, O Adhokṣaja, Who is the leader of Dvārikā, and Who is the protector of Draupadī!1[4]

May Rāghava — Who upsetted the demons, Who adorned Sītā, Who is Danḍaka-forest purification cause, Who is accompanied by Lakṣmaṇa, Who was served by monkeys, and Who is revered by Sage Agastya — protect me.[5]

May Baby Gopāla (Kṛṣṇa) — Who was unfavorable to Dhenukāsura and Ariṣṭāsura, Who destroyed Keśī, Who killed Kaṁsa, Who plays the flute, and Who got angry on Pūtanā2 — always protect me.[6]

I sing praise of Acyuta, Who is adorned by a lightening like shining yellow robe, Whose body is resplendent like a cloud of the rainy-season, Who is adorned by a wild-flower garland at His chest, Whose twin-feet are of copper-red color, and Who has lotus-like eyes.[7]

I sing praise of that Śyāma, Whose face is adorned by falling locks of curly tresses, Who has jewels at forehead, Who has shining ear-rings on the cheeks, Who is adorned with a Keyūra (flower) garland, Who has a resplendent bracelet, and Who has a melodious anklet.[8]

Poet: Ādi Śaṅkara
Book: Bṛhatstotraratnākaraḥ
Translation by Animesh Kumar

Achyut, Keshav, Krishna, Narayan, Srimad Shankraracharya krit, Vishnu, अच्युताष्टकम्, श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचित, 


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सूर्याष्टकम् - Suryastakam




सूर्य भगवान
साम्ब उवाच -
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते ॥१॥
Bhāskara, Ādideva (the primodial Lord), bless me! prostration unto thou, O Divākara (The deity responsible for the creation of Day), O Prabhākara(the deity responsible for ushering light unto the world), prostrations unto to thou.

सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥२॥

The Sun God (Sūrya) seated on a chariot drawn by seven horses, the resplendent one, the son of Kaśyapa, holding a lotus in the hand, unto Him I prostrate.

लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥३॥
Seated on a red chariot, the father of the whole world, the annihilator of deadly sins, unto him I prostrate.

त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥४॥

The one who assumes the form of Sattva, Rajas and Tamas, and also the form(s) of Brahmā, ViṢṇu and Maheśvara, the great warrior, remover of deadly sins, unto that Sun God, I prostrate.

बृह्मितं तेजःपुञ्जञ्च वायुराकाशमेव च ।
प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥५॥

The Omni-present and luminous Lord of the whole Universe, unto that Sun God, I prostrate.

बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥६॥

Sūryadeva of red complexion like that of the Bandhūka tree, adorning a garland around His neck, Earrings on his ear, holding the divine discus (cakra) in the shape of time, unto Him, I prostrate.

तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥७॥

The supreme ruler of all the worlds, the administrator, of all deadly sins, unto that Sun God I prostrate.

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥८॥

I prostrate the Lord of The world, the bestower of liberation through the effulgent rays of knowledge and the destroyer of great sins.

श्री शिवप्रोक्तं सूर्याष्टकमं शुभम्।





सूर्यनारायण भगवान

Surya is the visible form of God that one can see every day. Furthermore, Surya is regarded as the form of Shiva by Shaivites as Astamurti and Vishnu by Vaishnavas as Surya Narayana.
Other names of Surya are

Vishnu, Vivasvān (Sanskrit root: Vivasvat, विवस्वत्)
Ravi रवी (lit. "the Fire Bird"),
Aditya आदित्य(lit. the son of Aditi),
Pusha (the best Purifier),
Divakar दिवाकर (the maker of the day),
Savita सविता(the vivifier),
Arka अर्क (the ray),
Mitra मीत्र (friend),
Bhanu भानु(light),
Bhaskar भाष्कर (maker of Light), and
Grahapati ग्रहपती(the Lord of Grahas)
Astamurti, Narayan, Shivaprokta, Sun, Surya Narayan, Surya stotra, सूर्याष्टकम्,


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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बात



संघ के बारे में तरह-तरह के विचार प्रस्तुत किए गए है लेकिन अधिकांश पूर्वाग्रह से प्रेरित कहे जा सकते है। आखिर कोई यह समझने का प्रयास क्यों नहीं करता कि क्या कारण है कि संघ विचार परिवार तमाम अवरोधो के बावजूद बढता ही जा रहा है। संघ ने विचार की धरातल पर जहां सभी वादों- समाजवाद, साम्यवाद, नक्सलवाद को पटखनी दी हैं वहीं राजनीतिक क्षेत्र में भी कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ा है। पहले भारतीय राजनीति गैर कांग्रेसवाद के आधार पर चलती थी अब यह गैर भाजपावाद हो गया है। संघ के सभी आनुषांगिक संगठन आज अपने-अपने क्षेत्र के क्रमांक एक पर है। भारतीय मजदूर संघ, विद्यार्थी परिषद, विद्या भारती, स्वदेशी जागरण मंच, भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद आदि...सेवा के क्षेत्र में वनवासी कल्याण आश्रम, सेवा भारती की सक्रियता प्रशंसनीय है। इस पर बहस होनी चाहिए कि कांग्रेस और वाम पंथ का आधार क्यों सिकुड़ रहा है और संघ भाजपा के प्रति जन-समर्थन क्यों बढ़ रहा हैं। पिछले पंजाब और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में माकपा-भाकपा और माले का खाता क्यों नहीं खुल पाया। कांग्रेस पिछले कई चुनावों से लगातार पराजय का मुंह क्यों देख रही है। देश की जनता अब समझदार हो गई है। वह देखती है कि कौन उसके लिए ईमानदारी पूर्वक काम कर रहा है और कौन केवल एयर कंडीशन कमरों में बैठकर महज जुगाली कर रहा है। समाज सेवा के नाम पर कांग्रेस-वामपंथियों की क्या उपलब्धि है। इस बात में दम है कि 'अंधेरे की शिकायत करते रहने से कहीं बेहतर है एक दिया जलाना'।

rashtriya swayamsevak sangh

हम देखते हैं कि 1885 में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जहां आंतरिक कलह और परिवारवाद के कारण दिन-प्रतिदिन सिकुड़ती जा रही है, वहीं 1925 में दुनिया को लाल झंडे तले लाने के सपने के साथ शुरू हुआ भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन आज दर्जनों गुटों में बंट कर अंतिम सांसें ले रहा है। इनके विपरीत 1925 में ही स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिनोंदिन आगे बढ़ रहा है।

आज यदि गांधी के विचार-स्वदेशी, ग्राम-पुनर्रचना, रामराज्य-को कोई कार्यान्वित कर रहा है तो वह संघ ही है। महात्मा गांधी का संघ के बारे में कहना था- 'आपके शिविर में अनुशासन, अस्पृश्यता का पूर्ण रूप से अभाव और कठोर, सादगीपूर्ण जीवन देखकर काफी प्रभावित हुआ' (16.09.1947, भंगी कॉलोनी, दिल्ली)।

आज विभिन्न क्षेत्रों में संघ से प्रेरित 35 अखिल भारतीय संगठन कार्यरत हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, वैकल्पिक रोजगार के क्षेत्र में लगभग 30 हजार सेवा कार्य चल रहे हैं। राष्ट्र के सम्मुख जब भी संकट या प्राकृतिक विपदाएं आई हैं, संघ के स्वयंसेवकों ने सबसे पहले घटना-स्थल पर पहुंच कर अपनी सेवाएं प्रस्तुत की हैं।
rashtriya swayamsevak sangh

संघ में बौद्धिक और प्रत्यक्ष समाज कार्य दोनों समान हैं। संघ का कार्य वातानुकूलित कक्षों में महज सेमिनार आयोजित करने या मुट्ठियां भींचकर अनर्गल मुर्दाबाद-जिंदाबाद के नारों से नहीं चलता है। राष्ट्र की सेवा के लिए अपना सर्वस्व होम कर देने की प्रेरणा से आज हजारों की संख्या में युवक पंचतारा सुविधाओं की बजाय गांवों में जाकर कार्य कर रहे हैं। संघ के पास बरगलाने के लिए कोई प्रतीक नहीं है और न कोई काल्पनिक राष्ट्र है। संघ के स्वयंसेवक इन पंक्तियों में विश्वास करते हैं-'एक भूमि, एक संस्कृति, एक हृदय, एक राष्ट्र और क्या चाहिए वतन के लिए?'

संघ धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता। इसके तीसरे सरसंघचालक बाला साहब देवरस ने उद्घोष किया कि 'अस्पृश्यता यदि पाप नहीं है तो कुछ भी पाप नहीं है।' बाबा साहब भीम राव अंबेडकर का कहना था- 'अपने पास के स्वयंसेवकों की जाति को जानने की उत्सुकता तक नहीं रखकर, परिपूर्ण समानता और भ्रातृत्व के साथ यहां व्यवहार करने वाले स्वयंसेवकों को देखकर मुझे आश्चर्य होता है' (मई, 1939, संघ शिविर, पुणे)।

संघ की दिनों दिन बढ़ती ताकत और सर्वस्वीकार्यता देखकर उसके विरोधी मनगढ़ंत आरोप लगाकर संघ की छवि को विकृत करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हमें स्वामी विवेकानन्द का वचन अच्छी तरह याद है: 'हर एक बड़े काम को चार अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है: उपेक्षा, उपहास, विरोध और अंत में विजय।' इसी विजय को अपनी नियति मानकर संघ समाज-कार्य में जुटा हुआ है। (संकलन)


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हमारी गलतियों का अनुकरण की धारणा



आम तौर पर आज दौर में कॉपी-पेस्ट का जमाना रह गया है। बहुत समय पहले मैंने अपनी पुरानी ऑरकुट प्रोफाइल में अपने स्वभाव के बारे मे कुछ बाते लिखी थी। यह बात करीब सन् 2007 की है, यह वाक्य था कि एक सामान्य आदमी की तरह जिंदगी जीने वाला, किन्तु सोच थोड़ा हट के। मित्रता कम ही करता हूँ जिससे करता हूँ, बिंदास करता हूँ। सच में दोस्ती के मायने समझने की कोशिश कर रहा हूँ कि दोस्ती कहते किसे है? क्‍या आपस मे बात करना और गप्पें मारना या किसी अच्‍दे होटल या रेस्त्रां मे जा कर साथ जीभ के स्वाद में वृद्धि करना, यही दोस्ती है?
जल्दबाजी में टाइपिंग करने मे मेरे से बहुत गलतियां होती थी और उसी गलती का परिणाम रहा कि अच्छे की जगह अच्‍दे लिख गया और काफी दिनो मे मेरा ध्यान न जाने के कारण वह अच्‍दे ही रह गया। इसके बाद किन्हीं कारणों से मुझे आर्कुट की प्रोफाइल वर्ष 2010 मे डिलीट करनी पड़ी और उसी के साथ मेरा सब कुछ डिलीट हो गया।
 

आज मैं ऑर्कुट पर था और अचानक एक प्रोफाइल ऐसी मिल गई जिसमें यह कथन लिखा हुआ था। जब मैंने अच्‍दे शब्‍द को ऑर्कुट पर सर्च किया तो करीब 162 प्रोफाइल पर यह शब्‍द मिला। मतलब की कुछ 162 लोगों ने इसे अपने प्रोफाइल पर कॉपी कर कर लगाया किन्तु किसी ने अच्‍दे को अच्छे में बदलने की कोशिश नहीं की। अगर कॉपी करते समय पढ़ा जाता तो वाकई अच्‍दे को ठीक करके प्रोफाइल मे रखा जा सकता था आज तीन साल बीत रहे है इस कथन को किन्तु लगता है कि हमारी पकी-पकाई खाने की धारण ही बन गई और साथ ही साथ गलतियों का अनुकरण करने की।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज हमारी हमारे विषय मैं अपनी स्वयं की कोई मौलिक सोच नहीं है। 162 व्‍यक्तियों की विचार भावनाएं एक दूसरे से काफी मिलती है किन्तु वो एक दूसरे से कभी नहीं मिले। :) और तो और कुछ की प्रोफाइल में यह चेतावनी भी मिली की --
*******वैधानिक चेतावनी******
orkut धारकों से अनुरोध है कि ऊपर लिखे गये content को तोड़-मरोड़ कर अथवा किसी भी प्रकार से अपने profile में use ना करें । धर-दबोचें जाने पर 5000 रू. दण्ड अथवा 6 महीने की कैद या दोंनो हो सकते हैं।


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झड़ते बालों से बचने के लिए घरेलू नुस्खे और उपचार



आज के प्रदूषण भरे वातावरण में बालों के झड़ने की समस्या आम हो गई है। इस समस्या से सौ लोगों में से नब्बे लोग ग्रस्त हैं। 50 से 100 बाल तो रोज़ ही झड़ते हैं मगर जब यह संख्या बढ़ जाती है तब चिंता करने की जरूरत होती है। त्वचा विशेषज्ञ के अनुसार बालों का पतला होना और गंजेपन के लक्षण को एलोपेशीया कहते हैं। बहुत लोगों को तीस के उम्र में ही बालों के झड़ने की समस्या शुरू हो जाती है। इस समस्या के वैसे तो बहुत कारण होते हैं जैसे, शरीर में हार्मोनल बदलाव, तनाव या खराब जीवनशैली आदि। बालों के झड़ने की समस्या का कारण खोजना तो जरूरी होता है मगर उससे पहले कुछ घरेलु उपचारों की सहायता से आप बालों का झड़ना कम कर सकते हैं-
  • झड़ते बालों से बचने के लिए रात में मेथी के बीजों को पानी में भिगो देना चाहिए। सुबह उठने पर इन्हे पीसकर लेप जैसा बना लेना चाहिए और फिर इस लेप को बालों पर लगाना चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक करने से रोगी के बाल झड़ना रुक जाते हैं।
  • बाल झड़ने बेर के पत्तों को पीसकर इसमें नींबू का रस मिलाकर सिर पर लगाने से बाल दोबारा उगने लगते हैं।
  • ताजा धनिये का रस या गाजर का रस बालों की जड़ों में लगाने से रोगी व्यक्ति के बाल झड़ने बंद हो जाते हैं।
  • सिर में जिस जगह से बाल झड़ गये हैं उस जगह पर प्याज का रस लगाने से बाल दोबारा उग आते हैं।
  • खोपरे (नारियल) के तेल को मुलेठी, ब्राह्मी, मेहंदी के पत्ते डालकर उबालें और ठंडा होने के बाद बोतल में भरकर रखें और नियमित रूप से बालों की मालिश करें। इससे बाल घने, काले, चमकीले तो होंगे ही साथ ही दिमाग को भी पोषण मिलेगा।
  • बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गर्म पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झड़ने की समस्या दूर हो जाएगी।
  • दालचीनी और शहद के मिश्रण काफी कारगर रहता है। आयुर्वेद के अनुसार इनके मिश्रण से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। त्वचा और शरीर को चमकदार और स्वस्थ बनाए रखने के लिए इनका उपयोग करना चाहिए।
  • गाजर को पीसकर लेप बना लें। फिर इस लेप को सिर पर लगाये और दो घंटे के बाद धो दें। ऐसा प्रतिदिन करने से बाल झड़ने बंद हो जाते हैं।गंजेपन को दूर करने के लिए रात को सोते समय नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर सिर की मालिश करनी चाहिए।
  • आंवला, ब्राह्मी तथा भृंगराज को एकसाथ मिलाकर पीस लें। फिर इस मिश्रण को लोहे की कड़ाही में फूलने के लिए रखना चाहिए और सुबह के समय में इसको मसल कर लेप बना लेना चाहिए। इसके बाद इस लेप को 15 मिनट तक बालों में लगाएं। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से बाल झड़ना रुक जाते हैं तथा बाल कुदरती काले हो जाते हैं।
  • मेंहदी बालों को रंग करने का प्राकृतिक पदार्थ है। यह बालों को मज़बूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। मेंहदी को जब सरसों के तेल के साथ मिलाया जाता है तब यह और अच्छी तरह से काम करती है। एक बर्तन में 250 मिलीलीटर सरसों का तेल लें और उसमें लगभग 60ग्राम सूखा और धुला हुआ मेंहदी का पत्ता डालकर उबालें। मिश्रण को तब तक उबालें जब तक कि पत्ता पूरी तरह से जल न जाय। उसके बाद सूती के कपड़े में मिश्रण को छान लें।फिर उसको ठंडा करके हवाबंद जार में रख दें। मिश्रण को नियमित रूप से बालों में लगाने से अच्छा परिणाम मिलेगा।
  • केरल में बालों को घना करने के लिए नारियल तेल और जपाकुसुम का इस्तेमाल किया जाता है। जपाकुसुम बालों को नवजीवन प्रदान करता है, रूसी के समस्या से निजात दिलाने में मदद करता है। यहाँ तक कि जपाकुसुम के नियमित इस्तेमाल से बालों का झड़ना कम होता है। ज़रूरत के अनुसार जपाकुसुम के फूल लें और उनको पीसकर तिल के तेल या नारियल के तेल में डालकर पेस्ट बना लें। फिर उसको सिर और बालों पर लगाकर कुछ घंटों के लिए छोड़ दें और सूखने के बाद ठंडा पानी और माइल्ड शैंपू से धो लें।
  • रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखें। सुबह के समय उठते ही इस पानी को पी लें। इसके साथ ही आधा चम्मच आंवले के चूर्ण का सेवन भी करें। इससे कुछ ही समय में बालों के झड़ने का रोग ठीक हो जाता है।
  • गुड़हल के फूल तथा पुदीने की पत्तियों को एक साथ पीसकर थोड़े से पानी में मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को सप्ताह में कम से कम दो बार आधे घंटे के लिए बालों पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से बाल झड़ना रुक जाते हैं तथा बाल सफेद भी नहीं होते हैं।
  • लगभग 80 ग्राम चुकंदर के पत्तों के रस को सरसों के 150 ग्राम तेल में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पत्तों का रस सूख जाए तो इसे आग पर से उतार लें और ठंडा करके छानकर बोतल में भर लें। इस तेल से प्रतिदिन सिर की मालिश करने से बाल झड़ने रुक जाते हैं तथा बाल समय से पहले सफेद भी नहीं होते हैं।
  • लौंजी को पीसकर पानी में मिला लें। इस पानी से सिर को कुछ दिनों तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं तथा बाल घने भी होना शुरू हो जाते हैं। नीम की पत्तियों और आंवले के चूर्ण को पानी में डालकर उबाल लें और सप्ताह में कम से कम एक बार इस पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने से कुछ ही समय में बाल झड़ना बंद हो जाता है।
  • प्याज और लहसुन में सल्फर होता है जो कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। ये बालों को उगाने में मदद करते हैं। इसलिए बालों के संबंधित औषधि में इनका इस्तेमाल किया जाता है। जरूरत के अनुसार प्याज को बारीक काट लें। फिर उसको निचोड़ कर रस निकाल लें। उस रस को सिर पर लगातार पंद्रह-बीस मिनटों के लिए छोड़ दें। उसके बाद माइल्ड शैंपू से धो लें। लहसुन के कुछ फांकों को पीस लें और उनको ज़रूरत के अनुसार नारियल के तेल में मिलाकर कुछ मिनटों तक उबालें। उसके बाद गुनगुना गर्म अवस्था में सिर पर लगाएं। इस उपचार को हफ्ते में तीन-चार बार करें।
  • नारियल एक ऐसा प्राकृतिक पदार्थ है जो बालों को कंडीशनर करने और बालों के विकास में मदद करता है। नारियल के दूध में प्रोटीन, मिनरल और फैट होता है जो बालों के टूटने के प्रक्रिया को कम करने में मदद करता हैं। उसी तरह नारियल तेल भी बालों को जड़ से सिरे तक मजबूत करने में मदद करता है। नियमित रूप से नारियल के तेल से सिर पर मालिश करने से बालों का झड़ना कम हो जाता है।


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तुमने जो मूर्ती पूजा का अपराध किया है:गौड



प्रस्तुत लेख बाइबल की पुस्तक एज़ेकिअल के अध्याय २३ का अनुवाद है. इसमें बैअल का गौड़ अपने एक चुने हुए पुरुष को उदाहरण दे कर मूर्तिपूजा का अपराध करने वालों के सम्बन्ध में समझा रहा है. कहीं आप भूल न जाएँ, इसलिए एक बार पुनः बता दूं की ये शब्द, बाइबल तथा चर्च के अनुसार, गौड के हैं.

23:1 The word of the LORD came to me:
लॉर्ड गौड ने मुझे संदेश दिया

23:2 “Son of man, there were two women, daughters of same mother.
ए पुरुष, दो महिलायें थीं, जोकि एक ही माता की संतान थीं.

23:3They became whores in Egypt, engaging in whoredom from their youth. In that land their breasts were fondled and their virgin bosoms smothered.
वो मिस्र में वेश्याएं थी, जो युवावस्था से ही वेश्यावृति में लगी थीं. वहाँ उनके वक्ष सहलाए जाते थे और उनके कुंवारे स्तनों से खिलवाड़ होता था.

23:4 The older was named Aholah, and her sister was Aholibah. They were mine and gave birth to sons and daughters. Aholah is Samaria, and Aholibah is Jerusalem.
बड़े वाली का नाम अलोहाह और छोटी बहन का नाम अहोलिबाह था. वो मेरी थीं और उन्होंने पुत्रों तथा पुत्रियों को जन्म दिया था. समारिया तो अलोहाह है और अहोलिबाह है जेरुसलाम.

23:5 “Aholah engaged in prostitution while she still was mine; and she lusted after her lovers, who were Assyrians—warriors
अहोलिहाह ने वेश्यावृति तभी से आरम्भ कर दी थी जब वो मेरी थी; वो अपने अस्सिरियाई प्रेमियों के प्रति वासना रखती थी

23:6 clothed in blue, governors and commanders, all of the desirable young men, and mounted on horses.
जो नीले वस्त्र पहनने वाले योद्धा थे, उनमें से कुछ सैनिक अधिकारी थे तो कुछ राज्य अधिकारी. वे सब आकर्षक युवा थे जो घोड़ों की सवारी करते थे.

23:7 She gave herself as a prostitute to all the elite of the Assyrians and spoiled herself with all the idols of everyone she had a fancy on.
उसने अपने आप को सभी अस्सिरियाई अच्छे पुरुषों के समक्ष एक वेश्या की भांति प्रस्तुत किया और उन लोगों की मूर्तियों से अपने आप को अपवित्र किया जिनके प्रति उस की वासना थी.

23:8 She did not stop the whoredom she began in Egypt, when during her youth men slept with her, fondled her virgin bosom and poured out their lust on her.
जो वेश्यावृति उसने मिस्र में आरम्भ की, उसे उस ने नहीं छोड़ा, जब वो युवा थी तो वो पुरुषों के साथ सोती थी, जो उसके कुंवारे स्तनों को सहलाते थे और उसपर अपनी वासना उंडेलते थे.

23:9 “Therefore I delivered her into the hands of her lovers, the Assyrians, for whom she had always lusted.
इसलिए मैंने उसे उसके प्रेमियों को सौंप दिया, उन्हीं अस्सिरियाई पुरुसोहों को जिनके लिए वो वासना रखती थी.

23:10 They bared her naked, took away her sons and daughters and slew her with the sword. She became notorious among women, and chastisement was inflicted on her.
उन्होंने उसे नग्न किया, उसके पुत्र और पुत्रियों को छीन लिया और उसे तलवार से मार दिया. वो महिलाओं में विख्यात हो गयी थी, और उसे दण्डित किया गया.

23:11 “Her sister Aholibah saw this, yet in her lust and whoredom she was more disgusting than her sister.
उसकी बहन अहोलिबाह ने ये सब देखा, फिर भी वो वेश्यावृति और वासना में वो अपनी बहन से भी अधिक गिरी हुई थी.

23:12 She too lusted for the Assyrians—governors and commanders, warriors in full uniform, mounted horsemen, all desirable young men.
वो भी अस्सिरियाई पुरुषों के प्रति वासना रखती थी जो राज्य अधिकारी तथा सैनिक थे, घोड़ों की सवारी करते थे, और आकर्षक थे.

23:13 I saw that she too polluted herself; both of them chose the same path.
मैंने उसे अपने आप को अपवित्र करते देखा, दोनों ने एक जैसा ही जीवन व्यतीत किया.

23:14 “But she carried her prostitution farther ahead. She saw portraits of men on a wall, figures of Chaldeans portrayed with vermilion,
पर इसने तो अपनी वेश्यावृति को और भी गिरा दिया था. उसने पुरुषों के चित्रों को दीवारों पर देखा, बेबीलोन के पुरुषों के सिन्दूर से बने चित्रों को.

23:15 with belts around their waists and flowing turbans on their heads; all of them looked like Babylonian chariot officers, natives of Chaldea.
जिन्होंने अपनी कमर पर पेटियां बाँध रखी थीं और सर पर लहराती पगड़ियां बाँध रखी थीं; वे सब बेबीलोन के परम्परागत पुरुष थे.

23:16 As soon as she sighted them, she lusted for them and sent messengers for them in Chaldea.
जैसे ही उसने उन्हें देखा, उसकी वासना उनके प्रति जागृत हो गयी और उसने इन पुरुषों के लिए संदेश भेज दिया.

23:17 Then the Babylonians came to her, to her love bed, and in their lust they polluted her. After she had been defiled by them, she turned her back to them in disgust.
तब बेबीलोन के पुरुष उस के पास आ गए, वो उसकी शैय्या पर आ गए और अपनी वासना से उसे अपवित्र कर दिया. जब वो अपवित्र हो गयी तो उसने उन से मुंह मोड़ लिया.

23:18 When she carried on her prostitution openly and displayed her nude body, I turned away from her in disgust, as I had turned away from her sister.
जब उसने अपने को नग्न कर के इस वेश्यावृति को चलाये रखा, तो मैंने घृणा स्वरुप उस से अपना मुख मोड़ लिया, जैसा मैंने उसकी बहन से मोड़ लिया था.

23:19 Yet she became more and more promiscuous as she recalled her youthful days, when she was a harlot in Egypt.
इस पर भी वो और अधिक व्यभिचारी होती गयी और उन दिनों का स्मरण करने लगी जब वो युवा थी और मिस्र में वेश्यावृति करती थी.

23:20 There she lusted after her lovers, who had genitals like that of a donkey and who had  emission like that of a horse.
वहाँ वो अपने प्रेमियों से वासना करती थी, जिनके गुप्तांग गधों जैसे थे और जिन का स्खलन घोड़ों जैसा था.


23:21 So you longed for the obscenity of your youth, when in Egypt your bosom was fondled and your young breasts caressed.
इसलिए तुम अपनी युवावस्था की अश्लीलता की पुनः प्राप्ति के लिए उत्सुक हो उठी, जब मिस्र में तुम्हारे स्तनों से खिलवाड़ हुआ था.

23:22 “Therefore, Aholibah, this is what the Sovereign LORD says: I will excite your lovers against you, those you turned away from in disgust, and I will bring them against you from all sides
इसलिए अहोबिलाह, तुम्हारे शक्तिशाली लॉर्ड का तुम्हारे प्रति कथन है: मैं तुम्हारे प्रेमियों को तुम्हारे विरुद्ध कर दूंगा, जिनसे तुमने मुंह फेर लिया है, मैं उन्हें हर दिशा से तुम्हारे विरुद्ध लाऊंगा.

23:23 the Babylonians and all the men of Chaldeans, Pekod, Shoa & Koa, along with all the handsome young men of Assyria. All of the governors and warriors, chariot officers and all the horse mounted high ranking men.
वो सब घुड़सवार, राज्यपाल, सैनिक, आकर्षक युवक, उच्च अधिकारी जो अस्सिरिया, बेबीलोन, पकोड, शोया, कोया से हैं.

23:24 They will come upon you with their weapons, chariots and wagons and with a throng of people; they will take up positions against you on every side wearing helmets and bearing shields of all sizes. I will hand over you to them for punishment, and you will be punished by them as per their standards.
वो रथों और गाड़ियों पर सवार होकर, शस्त्रों से लैस, तुम्हारे विरुद्ध होंगे और प्रत्येक दिशा से लौह टॉप पहने, बड़े और छोटे ढाल लिए तुम्हारा विरोध करेंगे. मैं तुम्हें उनको सौंप दूंगा और वो अपनी इच्छानुसार तुम्हें दंड देंगे.

23:25 I will direct my jealous wrath against you, and you will be dealt by them with fury. They will cut off your noses and your ears, and the remaining ones will become victim of the sword. Your sons and daughters will be taken away by them and the rest of you will be consumed by fire.
मैं अपना इर्ष्या और क्रोध तुम पर केन्द्रित करूँगा और वो तुमसे क्रूरतापूर्ण व्यवहार करेंगे.
वो तुम्हारे नाक व कान काट लेंगे, और तुम में से जो बच जायेंगे, वो तलवार से मार दिए जायेंगे. वो तुम्हारे बच्चों को तुम से छीन लेंगे और तुम में से जो बच जायेंगे, वो आग में नष्ट हो जायेंगे.

23:26 They will also remove your clothes and take your fine jewelry.
वो तुम्हारे वस्त्र और सुन्दर आभूषण भी छीन लेंगे.

23:27 This way, I will put an end to the vulgarity and whoredom you began in Egypt. You will not look on these things with longing or remember Egypt anymore.
इस प्रकार मैं तुम्हारी अश्लीलता और वेश्यावृति को रोक दूंगा जो तुम ने मिस्र में आरम्भ की थी. तुम उन गतिविधियों को और मिस्र का स्मरण भी नहीं कर पायोगे.

23:28 “For this is what the Sovereign LORD says: I am about to hand you over into the hands of those you hate, to those you turned away from in disgust.
तुम्हारे सर्वशक्तिशाली लॉर्ड का कथन है: मैं तुम्हें उनको सौंपने लगा हूँ जिनसे तुम घृणा करते हो, जिनसे तुमने घृणापूर्वक  मुंह फेर लिया था.

23:29 They will deal with you in hatred and take away everything you have worked for. They will leave you stark naked, and the shame of your prostitution will be exposed. Your lewdness and promiscuity
वो तुमसे घृणा पूर्वक व्यवहार करेंगे और तुमसे सर्वस्व छीन लेंगे. वो तुम्हें नग्न कर के छोड़ देंगे और तुम्हारी वेश्यावृति का सब को पता लगेगा. तुम्हारी अश्लीलता और व्यभिचार,

23:30 have brought this on you, because you lusted after the nations and defiled yourself with their idols.
इसका कारण है, क्योंकि तुमने हीथनों के प्रति वासना रखी और उनकी मूर्तियों से अपने को अपवित्र किया.

23:31 You have gone the way of your sister; so I will put her cup into your hand.
तुमने अपनी बहन की भांति ही आचरण किया है, इसलिए मैं उसका विष तुम्हें देता हूँ.

23:32 “This is what the Sovereign LORD says:    “You will drink your sister’s cup, a cup large and deep; it will bring scorn and derision, for it holds so much.
तुम्हारे सर्वशक्तिशाली लॉर्ड का कथन है: तुम्हें अपनी बहन वाला प्याला पीना पड़ेगा जो बड़ा गहरा है; इस से तुम्हारी खिल्ली उड़ेगी.

23:33 You will be filled with drunkenness and sorrow, the cup of ruin and desolation, the cup of your sister Samaria.
 तुम नशे तथा दुःख से ग्रसित हो जाओगी, मायूसी और विनाश का प्याला, तुम्हारी बहन समारिया का प्याला.

23:34 You will drink it and drain it dry and chew on its pieces—
   and you will tear your breasts. I have spoken, declares the Sovereign LORD.

तुम्हें इसे पूर्ण रूप से पीना होगा और उसके टुकड़ों को भी खाना होगा, और तुम अपने स्तन चीर लोगी. ऐसा मेरा कथन है, ये सर्वशक्तिशाली लॉर्ड ने घोषणा की है.

23:35 “Therefore this is what the Sovereign LORD says: Since you have forgotten me and turned your back on me, you must bear the consequences of your lewdness and prostitution.”
इसलिए सर्वशक्तिशाली लॉर्ड का कहना है: "क्योंकि तुमने मुझे भुला कर मेरी ओर पीठ फेर ली, इसलिए तुम्हें अपनी अश्लीलता और वेश्यावृति का परिणाम भुगतना होगा."

23:36  The LORD said to me: “Son of man, will you judge Oholah and Oholibah? Then confront them with their detestable practices,
लॉर्ड ने मुझ से कहा: " क्या तुम अलोहाह और अहोलिबाह का निर्णय करोगे? उन्हें उनकी नीच गतिविधियों के संबंध में बताओ,

23:37 for they have committed adultery and blood is on their hands. They committed adultery with their idols; they even sacrificed their children, whom they bore to me, as food for them.
क्योंकि उन्होंने व्यभिचार किया है और उनके हाथ खून से रंगे हैं. उन्होंने मूर्तियों के साथ व्यभिचार किया है; उन्होंने अपने उन बच्चों की भी बलि दे दी जो मुझ से उत्पन्न हुए थे, और उनका भक्षण कर लिया.

23:38 They have also done this to me: At that same time they defiled my sanctuary and desecrated my Sabbaths.
इतना ही नहीं, उन्होंने मेरे पवित्र स्थान को अपवित्र किया है.

23:39  On the very day they sacrificed their children to their idols, they entered my sanctuary and desecrated it. That is what they did in my house.
जिस दिन उन्होंने अपने बच्चों की बलि मूर्तियों को दी, उन्होंने मेरे पवित्र स्थान को अपवित्र कर दिया. ये उन्होंने मेरे घर में किया.

23:40 “They even sent messengers for men who came from far away, and when they arrived you bathed yourself for them, applied eye makeup and put on your jewelry.
उन्होंने दूर रहने वाले पुरुषों के लिए संदेश भी भेजे, और जब वो आये तो तुम उनके लिए स्नान कर के, श्रृंगार कर के और आभूषण पहनने लगे.

23:41 You sat on an elegant couch, with a table spread before it on which you had placed the incense and olive oil that belonged to me.
तुम एक सजीली सेज पर बैठ गए, एक वेदी सजाई और उस पर धुप तथा सुगन्धित अगरबत्तियां और तेल का दिया रखा, जो की वास्तविकता में मेरे थे.

23:42 “The noise of a carefree crowd was around her; drunkards were brought from the desert along with men from the rabble, and they put bracelets on the wrists of the woman and her sister and beautiful crowns on their heads.
उसके चारों और एक चिंतामुक्त भीड़ का कोलाहल था; भीड़ में से कई पुरुषों ने तथा रेगिस्तान से आये शराबियों ने उन दोनों बहनों की कलाइयों में कंगन डाले और उन के सरों पर सुन्दर मुकुट रखा.

23:43 Then I said about the one worn out by adultery, ‘Now let them use her as a prostitute, for that is all she is.’
जो व्यभिचार से नष्ट हो चुकी थी, उस समय मैंने उसके सम्बन्ध में कहा, ' हम सब इसका उपयोग एक वेश्या के रूप में करते हैं क्योंकि ये इसी योग्य है.'

23:44 And they slept with her. As men sleep with a prostitute, so they slept with those lewd women, Oholah and Oholibah.
और वो उस के साथ सोये. जिस प्रकार पुरुष एक वेश्या के साथ सोते हैं, आलोहाह तथा अहोलिबाह के साथ.

23:45 But righteous judges will sentence them to the punishment of women who commit adultery and shed blood, because they are adulterous and blood is on their hands.
परन्तु न्यायकारी न्यायाधीश उन्हें उसी प्रकार दंड देंगे जिस प्रकार व्यभिचार करने वाली तथा हत्यारी महिलाओं को देनी चाहिए, क्योंकि वो दोनों चरित्रहीन हैं और उनके हाथ रक्त से सने हैं.

23:46 “This is what the Sovereign LORD says: Bring a mob against them and give them over to terror and plunder.
सर्वशक्तिशाली लॉर्ड का आदेश है: इन्हें दंगाइयों की भीड़ को सौंप दो जो इन्हें आतंकित करे तथा इनको लूट ले.

23:47 The mob will stone them and cut them down with their swords; they will kill their sons and daughters and burn down their houses.
दंगाइयों की भीड़ उन्हें पत्थर मारेगी तथा इन्हें तलवार से काट देगी; वो उनके पुत्रों तथा पुत्रियों को मार दे और इनके घरों को जला कर नष्ट कर दे.

23:48  “So I will put an end to lewdness in the land, that all women may take warning and not imitate you.
इस प्रकार मैं तुम्हारी इस अश्लीलता का अंत कर दूंगा ताकि अन्य महिलायों को इस से चेतावनी मिल जाए और वो तुम्हारा अनुसरण न करें.


23:49 You will suffer the penalty for your lewdness and bear the consequences of your sins of idolatry. Then you will know that I am the Sovereign LORD.”
"तुम अपनी अश्लीलता का दंड पाओगी और तुमने जो मूर्ती पूजा का अपराध किया है, उसका परिणाम भी तुम्हें मिलेगा. उस समय तुम्हें आभास होगा की मैं तुम्हारा सर्वशक्तिशाली लॉर्ड हूँ."

आज भारतवर्ष में इसाइयत का प्रचार ये कह कर किया जाता है की ये एक सहानुभूति, संवेदना, प्रेम तथा मानवीयता से भरा सम्प्रदाय है तथा बाइबल गौड के अपने शब्द हैं. सेक्युलरिस्म के नाम पर इस गौड को राम तथा कृष्ण की तुलना में कहीं श्रेष्ठ दिखा कर परोसा जा रहा है.


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