16 फरवरी, 1947 पटेल के पत्र से पहले गांधी ने नवजीवन प्रकाशन के जीवन देसाई को पत्र लिखकर कहा था कि वे उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों का विवरण हरिजन सहित नवजीवन के प्रकाशनों में छापें। पटेल ने लिखा: ‘‘...इनके प्रचार से दुनिया को कोई लाभ नहीं होगा। आप कहते हैं कि दूसरों को आपके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों का अनुकरण नहीं करना चाहिए। आपके इस कथन का कोई अर्थ नहीं। लोग बड़ों के दिखाए रास्ते पर चलते हैं। न जाने क्यों आप लोगों को धर्म की बजाए अधर्म के रास्ते पर धकेलने पर तुले हैं...लाचारी की इस हालत में नवजीवन के ट्रस्टी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चाहे जो हो जाए, वे इस प्रयोग के बारे में कुछ नहीं छाप सकते.’’
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